सत्य का कमरबन्ध (सुरक्षित क्षेत्र)

 सत्य का कमरबन्ध

(सुरक्षित क्षेत्र)

परिभाषा:- ताकत, सामर्थ, शारीरिक बल तथा परिपक्वता की तस्वीर कमर है। उसके अंदर प्रजनन अंग, पाचक इंद्रियां, एवं अंतड़ी उपस्थित हैं। कमजोर कमर सैनिक को अपंग कर देती है। कमर पर कमरबंध बांध कर उसे युद्ध हेतु तैयार रहना। सैनिक की ताकत एवं श्रेष्ठ क्षमता का संकेत है। यह हथियारों को स्थान में रखकर, तलवार लटकाने, पैसा एवं बहुमुल्य वस्तु रखने हेतु स्थान है। कमर बांधने का अर्थ है किसी कार्य पूरा करने के लिए तैयार होना।

उपयोग:- जिनके विवेक सत्य की कमरबंध से बंधे हैं वे सामर्थी, जोश एवं परिपक्व आत्मिक ज्ञान वाले होते हैं। वे परमेश्वर की महिमा हेतु उसके वचनो को पुनः स्थापित करेंगे। दुचित्ता अपने हर एक कार्य में अस्थिर है। सत्य की शिक्षा परमेश्वर के वचन द्वारा, प्रभु यीशु मसीह की देह में, पवित्र आत्मा के द्वारा हम पर प्रकाशित होती है। हम सत्य से अपने को बांध कर परमेश्वर के प्रकाशन को ऊँचा उठाते हैं तथा उसकी सहमति में चलते हैं।

घोषणा:- प्रभु यीशु आप मेरे सत्य हैं, आपने मेरे भीतर के अंगो को सत्यता जानने हेतु बनाया है। मैं तैयारी के वस्त्रों से लैस हूँ क्योंकि आप ने सत्यता के वस्त्र पहना दिये हैं। मैं अपने विवेक को आपकी सत्यता से बांधकर कार्य करने हेतु तैयार हूँ। मैं समस्त दुचित्ते विवेक को समाप्त कर यह दावा करता हूँ कि मुझमे मसीह का मन है। मैं सत्य को जानूंगा और सत्य मुझे स्वतंत्र करेगा। मैं आज प्रेम से सत्य बोलूंगा। मैं सही तरीके से सत्य के वचन का प्रयोग करूंगा तथा सत्य के वचनों को दूसरों में बोऊँगा कि आप उनमे पुनः उत्पादित होने पांए। प्रभु यीशु आप का धन्यवाद हो कि आपने पृथ्वी की नीव से पहले मुझे चुन लिया कि मेरा उद्धार आत्मा की पवित्रता तथा सत्यता पर विश्वास के द्वारा होवे।

पुष्टीकरण:- निर्गमन 12ः 11; व्यवस्था विवरण 33ः 11; भजन संहिता 51ः 6; 69ः 23; लूका 12ः 35; यूहन्ना 14ः 6;           1 कुरिन्थ्यिों 2ः 16; इफिसियों 4ः15; 6ः 14; 2 तिमुथियुस 2ः 13; 2 तिमुथियुस 2ः 15; याकूब 1ः 8; 4ः 8; 1 पतरस 1ः 13)



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