विजय हर्ष में चलना

 विजय हर्ष में चलना

परमेश्वर के अस्त्रों को धारण कर यह जानिये कि केवल मसीह यीशु में ही आप विजय हर्ष में चलते हैं।

परन्तु परमेश्वर का धन्यवाद हो जो मसीह में सदा हम को जय के उत्सव में लिये फिराता है और अपने ज्ञान की सुगंध हमारे द्वारा हर जगह फैलाता है, क्योंकि हम परमेश्वर के निकट उद्धार पाने वालों और नाश होने वालों, दोनों के लिये मसीह के सुगंध हैं। (2 कुरिन्थियों 2ः 14-15)


जेम्स फ्रीमेन के अनुसार (मैनर्स एण्ड कस्टमस आफ द बाइबल पेज 460-461) एक रोमी पलटन का विजय हर्ष प्राचीन समय में एक दर्शनीय दृष्य होता था। यह उस जीतने वाले को मिलता था जो रोम सम्राज्य द्वारा चैम्पियन घोषित किया जाता था। इनमे से एक शर्त यह थी कि युद्ध की समाप्ति अर्थात् प्रतिद्वन्दी को पराजित करके मार डालना। इस विजय में कोई शत्रु जीवित नहीं रहता था।

विजय के शानदार जुलूस के निर्धारित दिन में लोग सड़को पर भीड़ लगाकर तथा छतों पर चढ़ कर उस विजयी को नजर भर देखना चाहते थे। यह जुलूस विजयी योद्धा, सीनेट सदस्यों, राज्यों के प्रमुख, प्रमुख नागरिक तथा पकड़े गये कैदियों, सभी से मिल कर बनता था। युद्ध के बहुमुल्य वस्तुओं की लूट का भी विशाल प्रदर्शन होता था।

विजयी योद्धा सोने की कशीदाकारी का चोगा एवं फूलों से कढ़ा कोट पहिनता था तथा विशेष रथ पर बैठता था जो चार घोड़ों से खींचा जाता था।

इस दिन सभी मंदिर खुले रहते थे एवं सुगंधित इत्र जलाकर विजयी का स्वागत किया जाता था।

पौलूस विश्वासियों को मसीह में प्राप्त हुई विजय के बारे में लिखता है। 2 कुरिप्न्थियों 2ः14-15 में पौलूस परमेश्वर का धन्यवाद करता है जो हमेशा हमे विजय के जुलूस में लिये फिराता है। मसीह स्वयं विजयी योद्धा है। हम उसके विजय का पुरस्कार हैं। हमारी प्रार्थनाएं और हमारा जीवन सुगंध बन कर जहां भी हम जाते हैं फैलता है।

निम्न आयत भी उसी समानता को दर्शाता है।

और प्रभु ने प्रधानताओं और अधिकारों के शस्त्र उतार कर उनका खुल्लम-खुल्ला तमाशा बनाया और क्रूस के कारण उन को जय-जयकार की ध्वनि सुनाई। (कुलुस्सियों 2ः 15)

और जब उसने पुस्तक ले ली, तो वे चारो प्राणी और चैबीस प्राचीन उस मेम्ने के सामने गिर पड़े। हर एक के हाथ में वीणा और धूप से भरे हुए सोने के कटोरे थे, ये तो पवित्र लोगों की प्रार्थनाए हैं। (प्रकाशित वाक्य 5ः 8

मध्यस्थता परमेश्वर की वेदी पर सुगंधित धूप है। धर्मियों की प्रार्थना बहुत कुछ कर सकती है। मध्यस्था के द्वारा ही अंधकार की सेना से युद्ध जीता जा सकता है। आपको भी हमेशा परमेश्वर के हथियार पहनकर और दृढ़ खड़े रह कर युद्ध जीतना है।

जिस दिन स्वर्ग में मोहरें तोड़ी जाएंगी और तुरही फूंकी जाएंगी उस दिन तक आपकी प्रार्थनाएं सुगंधित द्रव के समान उसके सिंहासन तक पहुंचने पाये। आपकी मध्यस्थता की प्रार्थना की सुगन्ध से अनेक नष्ट होने वाले लोग बचाए जांए और परम प्रधान के सिंहासन के सामने खड़े होने के योग्य ठहराएं जांए। आमीन !


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