शत्रु को पहचानों
शत्रु को पहचानों
जो अपने शत्रु को नहीं पहचानता वह एक मूढ़ सैनिक है।
विजय की कुन्जी प्राकृतिक या आत्मिक मल्लयुद्ध में शत्रु की निश्चित पहचान करना है तथा शत्रु के गुण एवं तरीकों को समझना है।
मसीह का शत्रु कौन है? शैतान तथा उसके साथ गिराई गई स्वर्गदूतों की सेना। हमारा विरोध एवं युद्ध इन्हीं अनदेखे आत्मिक फौज से है। (देखें यशायाह 14ः 12-14; 2 पतरस 2ः 4; यहूदा 6; इफिसियों 6ः 12)
वेब्स्टर शब्दकोश में शत्रु का अर्थ है शत्रुतापूर्ण ताकत या सामर्थ जिसका प्रभाव विनाशकारी है। शैतान का अर्थ है एक विरोधी या दोश लगाने वाला।
लेखक सी.एस. लुईस के अनुसार शैतान की सबसे होशियार चाल यह है कि वह विश्व को विश्वास दिलाए कि वह है ही नहीं। कुछ ही मसीही या गैर मसीही जानते हैं कि शैतान कौन है, और विश्व में उसका स्थान क्या है ? हम अपने मानवीय स्वभाव से विश्वास करते हैं कि कोई व्यक्ति हमारा शत्रु है तथा वैसा ही उससे व्यवहार करते हैं जबकि सचमुच का शत्रु शैतान आपके वैवाहिक जीवन, परिवार, कलीसिया, समुदाय एवं राष्ट्र को नष्ट कर रहा है।
पासवान विलयम गुर्नाल अपनी पुस्तक ‘‘द क्रिश्चियन इन कम्पलीट आरमर’’ (भाग एक) में इस प्रकार समझाते हैं -
अपना सारा क्रोध शैतान पर उतारो जो आपका प्रमुख शत्रु है। मनुष्य केवल उसकी कठपुतलियां हैं। वे मसीह के लिए जीते जाने पर आपके मित्र बन जाते हैं।
एनसलेम इसको निम्न रूप से समझाते हैं- जब शत्रु घोड़े पर सवार होकर युद्ध के मैदान में आता है तो विरोधी घोड़े पर नहीं परन्तु सवार पर क्रोघित होता है। वह सवार को मारने की कोषिष करता है ताकि घोड़े को अपने प्रयोग हेतु प्राप्त कर ले। इसी प्रकार हमे भी दुष्ट के साथ करना चाहिए। हमें अपना क्रोघ उन व्यक्तियों पर नहीं करना चाहिए परन्तु शैतान पर करना चाहिए जो उन पर सवार होकर उन्हे लड़ाता है।
हम सभी उत्साहपूर्वक प्रार्थना करें जैसा कि यीशु ने क्रूस पर किया ताकि शैतान सवार उतारा जाए और आत्माएं उसके कब्जे से स्वतंत्र की जाएं। परमेश्वर अपने को ऊँचा उठाने से पूर्व शैतान एक सर्वांग सुन्दर प्राणी था। उसकी सुन्दरता ने उसे घमंड से भर कर उसे अपवित्र बना दिया और वह परमेश्वर को दी जाने वाली प्रसंशा स्वयं ही चाहने लगा क्योंकि परमेश्वर के अधिकार को जिसने उसे बनाया, शैतान ने नहीं पहिचाना, उसे स्वर्ग से निकाल दिया गया। जैसा कि निम्न गद्यांश में लिखा है।
हे भोर के चमकने वाले तारे, तू क्योंकर आकाश से गिर पड़ा है। तू जो जाति-जाति को हरा देता था, तू अब कैसे काटकर भूमि पर गिराया गया है ? तू मन में कहता तो था कि मैं स्वर्ग पर चढ़ूंगा, मैं अपने सिंहासन को ईश्वर के तारागण से अधिक ऊँचा करूंगा और उत्तर दिशा की छोर पर सभा के पर्वत पर विराजूंगा। मैं मेघों से भी ऊँचे-ऊँचे स्थानों के ऊपर चढूंगा, मैं परमेश्वर प्रधान के तुल्य हो जाऊंगा। (यशायाह 14ः 12-14)
तू छाने वाला अभिषिक्त करूब था। मैंने तुझे ऐसा ठहराया कि तू परमेश्वर के पवित्र पर्वत पर रहता था। तू आग सरीखे चमकने वाले मणियो के बीच चलता फिरता था। जिस दिन से तू सिरजा गया और जिस दिन तक तुझ में कुटिलता न पाई गई, उस समय तक तू अपनी सारी चाल चलन में निर्दोष रहा, परन्तु लेनदेन की बहुतायत के कारण तू उपद्रव से भरकर पापी हो गया। इसी से मैने तुझे अपवित्र जानकर परमेश्वर के पर्वत पर से उतारा और हे छाने वाले करूब मैने तुझे आग सरीखे चमकने वाले मंणियो के बीच से नाश किया है। (यहेजकेल 28ः 14-16)
अपने स्वर्गीय निवास स्थान को खोने के बाद शैतान अदन् की बारी में दिखलाई दिया, जहां उसने मनुष्य को बहकाकर (उत्पत्ति 3ः 1-13) उसका सृष्टिकत्र्ता से विद्रोह करा दिया तथा प्रकाश का राज्य एवं अंधकार का राज्य दोनों राज्यों के बीच लड़ाई की रेखा खींच दी।
एक बाइबल विद्धान लिखता है ‘‘शैतान एक प्राणी है जो सृष्टिकत्र्ता के समतुल्य नहीं है। शैतान सामर्थी है परन्तु सर्वसामर्थी नहीं है। वह रूकावट डाल सकता है पर रोक नहीं सकता। छल का पिता प्रार्थना योद्धा को धोखा दे सकता है कि उसकी प्रार्थना परमेश्वर के सिहांसन तक नहीं पहुंचे।
आपकी सामर्थ इसमें है कि आप स्मरण रखें कि शैतान एक हारा हुआ शत्रु है यदि उसे यह न बताएं तो वह हम पर हावी हो जाएगा। वह है और हमेशा ही अवैध अधिकार जताने वाला रहेगा। आप मल्लयुद्ध टाल नहीं सकते। आप निरंतर युद्ध में संलग्न हैं, इस कारण आप परमेश्वर के निकट आकर शैतान का सामना करें तो वह आपके सामने से भाग निकलेगा। (इब्रानियों 4ः 7)
आइये धर्मशास्त्र से शैतान के कुछ नामों का उल्लेख करें ताकि आप शैतान के गुणो को समझ सकें। उसके कई नाम न केवल उसके गुणो को परन्तु उस की युक्तियों को भी प्रगट करते हैं।
इबलीस (devil)
(मत्ती 4ः 1,5,8,11; 1 यूहन्ना 3ः 8,10; यहूदा 9; प्रकाशित वाक्य 12ः 9,12; 20ः 2)
झूठ का पिता (Father of lies)
(यूहन्ना 8ः 44)
संसार का ईश्वर ( god of this evil world)
(2 कुरिन्थियों 4ः 4)
बलियाल या अविश्वासी (an infidel or unbeliever)
(2 कुरिन्थियों 6ः 15)
अथाह कुण्ड का दूत, अब्बदौन, आपुल्लयोन
(prince of the bottomless pit or angel of the abyss 'destroyer')
(प्रकाशित वाक्य 9ः 11)
ज्योतिर्मय स्वर्गदूत (angel of light)
(2 कुरिन्थियों 11ः 14)
भोर का चमकने वाला तारा (Lucifer)
(यशायाह 14ः 12)
बैरी या पलटा लेने वाला (the enemy or the avenger)
(भजन संहिता 8ः 2)
दुष्ट (evil one)
(मत्ती 6ः 13; यूहन्ना 17ः 15)
विरोधी (adversary)
(1 पतरस 5ः 8)
दुष्टात्माओं का सरदार ‘‘बालजबूल’’ (ruler of demons 'Beelzebub)
(मत्ती 12ः 24)
नाशक (the destroyer)
(अय्यूब 15ः 21; 2 थिस्लुनियों 2ः 3)
दोष लगाने वाला (the accuser)
(प्रकाशित वाक्य 12ः 10)
धूर्त/परखने वाला (the tempter)
(उत्पत्ति 3ः 1; मत्ती 4ः 3; 1 थिस्लुनियों 3ः 5)
अजगर (the dragon)
(प्रकाशित वाक्य 12ः 7-13; 20ः 2)
सर्प (the serpent)
(उत्पत्ति 3ः 1-4,13; प्रकाशित वाक्य 12ः 9; 20ः2)
धोखा देने वाला (the deveiver)
(उत्पत्ति 3ः 13; 2 थिस्लुनियों 2ः 3)
उसकी युक्तियां क्या हैं ?
- संसार को भ्रम दिलाना कि वह विद्यमान है ही नहीं।
- मनुष्यों एवं परिस्थितियों को स्वयं के बदले दोषी ठहराना।
- प्रधानताओं पर अधिकार रखना। प्रभु यीशु ने उसे संसार का राजकुमार कहा है। (यूहन्ना 12ः 31; 14ः 30; 16ः 11)
उसके कार्य करने की सीमा:-
- इसी समय, उसके बाद नहीं।
- संसार ही पर, स्वर्ग में नहीं।
- अंधकार के लोग, प्रकाश की संतान पर नहीं।
- पाप को चतुराई से कायम रखना।
- तुच्छ वस्तुओं हेतु नहीं परन्तु स्वर्ग हेतु लड़ाई।
वह सचमुच कैसे लड़ता है ?
जैसा कि पहले लिखा जा चुका है कि शैतान आपके विवेक को प्रयोग कर आपको दोषी ढहरा कर न्याय करता है। तब वह आपको उसी परिस्थिति में रख कर आपकी चैकसी करता है।
वह सुझाओं द्वारा शंका उत्पन्न करता है जैसे - तुम मसीही नहीं हो, देखो कल तुमने क्या किया है, तुम सचमुच छुड़ाये नही गये हो, तुम यीशु को उद्धारकर्ता ग्रहण करने की निश्चित तिथि नही बता सकते।
वह भ्रम उत्पन्न करता है, जैसे यह कल युग का समय है, या भय जैसे तुम्हें कैंसर हो जाए तो क्या होगा ?
वह आपकी आर्थिक चोरी करता है जैसे तनख्वाह समय पर नहीं मिलना, बार-बार बीमारी से आर्थिक खर्च, आपकी नौकरी का छूट जाना आदि।
मनुष्यों से भय का भी शैतान प्रयोग करता है। यदि तुम प्रभु यीशु के बाबत बात करोगे तो सब मनुष्य हंसेंगे कि लोग क्या कहेगें? जब आप मनुष्यों के बदले परमेश्वर को प्रसन्न करने वाले बन जाते हैं तो आप अपना सबसे बड़ा युद्ध जीत लेते हैं।
शैतान से संघर्ष के लिए आपके पास क्या योजना है ?
आपको केवल आत्मिक जगत में संघर्ष करना चाहिए। आत्मिक बातें आत्मिक परख से स्पष्ट होती हैं न कि मनुष्यों के विचारों द्वारा। आप मांस और लहू से नहीं परन्तु अंधकार की सामर्थ से संघर्ष कर रहे हैं।
शैतान की आक्रमण शैली एवं चालों से सचेत रहें। दुर्घटनाओं का दौर, बिमारी जो मृत्यु दे ‘‘भयभीत न हो’’ तुम्हें सम्पूर्ण अधिकार है तथा यीशु के नाम की ताकत है (देखे मल्ल युद्ध के हथियार)
आप आश्चर्य कर रहे होंगे कि जब प्रभु यीशु ने युद्ध जीत लिया है तो हम क्यों लड़ रहे हैं। हम द्वितीय विश्वयुद्ध को देखें, यद्यपि विजय प्राप्त हो गई तथा हिटलर हराया गया, तो भी जीतने वाली सेना को विभिन्न क्षेत्रो पर कब्जा बनाए रखना पड़ा। यही आपके साथ भी है। आपको विजय को स्थाई रखना है जो प्रभु यीशु ने अपने लहू से कलवरी के क्रूस पर जीता है।
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