बांधना और खोलना - हमारी चाबियां

 बांधना और खोलना - हमारी चाबियां

बांधना एवं खोलना दो प्रभावशाली हथियार हैं जो प्रभु यीशु ने अपने चेलों को दिये हैं।


मैं तुझे स्वर्ग के राज्य की कुन्जियां दूंगा जिससे जो कुछ तू पृथ्वी पर बांधेगा वह स्वर्ग में बंधेगा और जो कुछ तू पृथ्वी पर खोलेगा वह स्वर्ग में खुलेगा। (मत्ती 16ः 19)

इस वाक्यांश का क्या अर्थ है ? स्वर्ग में बंधेगा........ स्वर्ग में खुलेगा? एक बाइबल अनुवादक इशारा करता है कि इसमें क्रिया का स्वरूप सही वर्तमान का ही है।

एक विश्वासी जो कुछ इस पृथ्वी पर बांधता एवं खोलता है, वह इस आधार पर है कि स्वर्ग में यह कार्य पूर्व में ही किया जा चुका है।

या कोई मनुष्य किसी शक्तिशाली के घर में घुसकर उसका माल तभी लूट सकता है जब तक कि पहले उस शक्तिशाली को न बांध ले और उसके पश्चात् ही वह उसके घर को लूट लेगा। (मत्ती 12ः 29)

यह संदर्भ उस समय का है जब यीशु दुष्टआत्माओं को निकाल रहा था। ग्रीक भाषा में बांधने का अर्थ जैसे किसी पशु को जंजीर से बांधना। 

बांधना या खोलना किसी भी प्रकार का आत्मिक जादू या किसी प्रकार का फार्मूला नहीं है। यह एक गम्भीर दायित्व है।

जैसे कि शैतान मैं तुझे अपनी लाटरी टिकिट से बांधता हूँ। यह एक गलत बांधने का उदाहरण है। यह परमेश्वर के वचनों के विपरीत और स्वार्थ हेतु होगा। यह स्वर्ग के राज्य को बांधने या खोलने के उपयोग का नहीं होगा।

बांधना एवं खोलना एक निश्चयता का आश्वासन है। यह एक मसीही की आत्मिक मल्लयुद्ध का अधिकार है। परमेश्वर के आदेश को स्वीकार करना आपका शासकीय कार्य है जो शैतान ग्रसित पाप एवं दुष्टआत्माओं से भरे संसार के पूर्ण विरोध में है।

नये नियम में बांधने और खोलने का तरीका उस चित्र का संदर्भ है, जिसमें एक शक्तिशाली आदमी अर्थात् शैतान को उसका सामान अर्थात् लोगों को छीन कर मुक्त करने से पहले बांधना जरूरी है। (मत्ती 12ः 29; समानांतर मरकुस 3ः 27; तथा देखे लूका 11ः 21) इस प्रकार पतरस को पवित्र आत्मा की सामर्थ की प्रतिज्ञा मिली कि शैतानी शक्तियों को बांधकर मनुष्यों को छुड़ाए तथा स्वतंत्र करे और यह न केवल पृथ्वी पर वरन् स्वर्ग में भी कार्यकारी होवे।

बांधना:- शक्तिशाली को बांधने के पूर्व आपको जानना चाहिये कि वह शक्तिशाली कौन है ? वह एक प्रधान, शक्ति, संसार के अंधकार का शासक या दुष्टता की आत्मिक सेना है, जो आकाश में है। (इफिसियों 6ः12) यह प्रार्थना द्वारा ज्ञात हो सकता है लेकिन प्रार्थना हमेशा परमेश्वर की इच्छा एवं समय के अनुसार होनी चाहिये। कई बार उपवास सहित प्रार्थना करना चाहिए। जब उस मनुष्य ने यीशु से पूछा कि उसके चेले उस दुुष्ट को उसके पुत्र में से क्यों नही निकाल पाए? प्रभु ने उत्तर दिया यह जाति बिना उपवास और प्रार्थना के नहीं निकल सकती। (मत्ती 17ः 14-21)

प्रत्येक व्यक्तिगत विश्वासी को अधिकार है कि वह शैतान को बांधकर हटाए और उसका सामना करे। आपको व्यक्तिगत रूप से अंधकार की शक्तियों द्वारा चुनौती दी जाएगी या आपको आपके घराने, कलीसिया, समाज और शहर के विरूद्ध युद्ध करने बुलाया जाएगा।

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