संघर्ष के हथियार

 संघर्ष के हथियार

यह जानकर और मानकर चलिए कि प्रभु यीशु मसीह ने शैतान को हरा दिया है। अब हमारा कार्य है कि जीते हुए क्षेत्र को खाली कराकर कब्जा करें और परमेश्वर के राज्य को स्थापित करें। 

मूल पाठ:- यद्यपि हम शरीर में चलते फिरते है तो भी शरीर के अनुसार नहीं लड़ते, क्योंकि हमारी लड़ाई के हथियार शारीरिक नहीं, पर गढ़ो को ढ़ा देने के लिये परमेश्वर के द्वारा सामर्थी हैं। सो हम कल्पनाओं को और हर एक ऊंची बात का, जो परमेश्वर के पहिचान के विरोध में उठती हैं, खण्ड़न करते हैं और हर एक भावना को कैद करके मसीह का आज्ञाकारी बना देते हैं और तैयार रहते हैं कि जब तुम्हारा आज्ञा मानना पूरा हो जाए तो हर एक प्रकार के आज्ञा न मानने का पलटा लें। (2 कुरिन्थियों 10ः 3-6)

जब आप दूसरों के लिए मध्यस्थता करते हैं तब आप अंधकार की ताकतों से संघर्ष करते हैं।

परमेष्वर की हमारे लिये यही इच्छा है कि हम मनुष्यों के जीवन से गढ़ों को ढ़ा कर उनको उन क्षेत्रों से स्वतंत्र करें जहां वे स्वतंत्रता से कार्य नहीं कर पाते। यह परमेष्वर द्वारा दिए गए आत्मिक हथियारों का प्रारम्भिक कार्य है।

जब हम पृथ्वी पर संघर्ष करते हैं तो स्वर्ग में हस्तक्षेप होता है।

निम्न आकृति आपको सम्पूर्ण तोपखाने के आत्मिक हथियारों की जानकारी देगा जो प्रत्येक विश्वासी के प्रयोग के लिए दिया जा रहा है। तोपखाने के खम्बे जो इसे सम्हाले रहते हैं वे एक तरफ विश्वास और आज्ञाकारिता हैं तथा दूसरी तरफ प्रार्थना और मध्यस्थता। सात प्रमुख हथियारों के प्रभावशाली प्रयोग हेतु ये आवश्यक हैं। सफलता पूर्ण आत्मिक संघर्ष हेतु परमेश्वर ने प्रत्येक जरूरतें पूरी की हैं। आपका भाग हथियारों का उपयोग करने की इच्छा लिये होना चाहिये। उसका वचन शत्रु के गढ़ों को ढा देने की निश्चयता प्रदान करता है।

संघर्ष में चार सम्भावित सम्भावनाएं हैं। पहला आक्रामक, दूसरा बचाव, तीसरा समझौता और चौथा मैदान छोड़ कर भाग जाना।

शैतान उन मसीहियों के साथ अच्छे तरीके से रहता है जब तक वे बचाव, भाग खड़े होने और समझौते के पक्ष में रहते हैं। इस कारण यदि हम उसे अपने स्वयं के हृदय और समाज में परास्त होता देखने का निश्चय कर चुके हैं तो हमे हमेशा केवल आक्रमण के लिए समर्पित होना चाहिए।


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