मैं कहां प्रार्थना करूं ?

मैं कहां प्रार्थना करूं ?
पवित्र बाइबल में प्रार्थना के स्थानों हेतु कई उदाहरण हैं। स्थान का कोई महत्व नहीं है परन्तु प्रभु यीशु के निर्देशों को मानना जरूरी है। 

5. और जब तू प्रार्थना करे तो कपटियों के समान न हो क्योंकि लोगों को दिखाने के लिये सभाओं में और सड़को की मोड़ों पर खड़े होकर प्रार्थना करना उन को अच्छा लगता है। मैं तुम से सच कहता हूँ कि वे अपना प्रतिफल पा चुके। 

6. परन्तु जब तू प्रार्थना करे तो अपनी कोठरी में जा। द्वार बन्द करके अपने पिता से जो गुप्त में है प्रार्थना कर और तब तेरा पिता जो गुप्त में देखता है तुझे प्रतिफल देगा। (मत्ती 6ः 5-6)

गुप्त का अर्थ है लोगों की निगाहों या साघारण ज्ञान से छिपा हुआ या गुप्त स्थान में गोपनीय तरीके से कार्य करना।

पुराने शहरों में अंदर का कमरा या मकान के ऊपरी तल पर एक कमरा बना होता था, जिसका मुख शहर के दरवाजे की ओर होता था। इस कक्ष का प्रयोग छिप कर शत्रु पर नजर रखने या विजय जुलूस को देखने के लिये किया जाता था। यह वेदी के लिये भी एक ऊँचा स्थान एवं प्रार्थना के लिए भी उपयुक्त स्थान था। पवित्र शास्त्र बताता है कि पिता आपको खुला पुरस्कार देगा।

यह जरूरी नहीं कि पिता से सम्बंध हेतु आप भीतरी कक्ष में रहें। आप एक बगीचे में, बस या ट्रेन में या चलते फिरते समय अपने चारो ओर के लोगों के साथ भीड़ में भी प्रार्थना कर सकते हैं। जब भी और जहां भी पवित्र आत्मा आपको प्रार्थना हेतु अगुवाई करे।

जबकि आपको प्रार्थना करने एक निष्चित समय निर्घारित करने की सलाह दी गई है, तो सचेत रहें क्योंकि पवित्र आत्मा आपको किसी विषेश बात के लिये तुरंत प्रार्थना हेतु प्रेरित कर सकता है चाहे आप जहां कही भी हों।

बाइबल में कई स्थानो पर लोगों द्वारा प्रार्थना करने का वर्णन है। नये नियम में वर्णित सूची निम्नानुसार है।

उपरौटी कोठी : प्रेरितों का काम 1ः 13- 14
घर                 : प्रेरितों का काम 10ः 30; 12ः 5-17
नदी के किनारे : प्रेरितों का काम 16ः 13
समुद्र तट पर : प्रेरितों का काम 21ः 5
बिया बान         : लूका 5ः 16
एकान्त स्थान : मरकुस 1ः 35; लूका 4ः 42
पहाड़ पर         : मत्ती 14ः 23; मरकुस 6ः 46; लूका 5ः 16; 6ः12; 9ः 28; यूहन्ना 6ः 15
अकेले में         : मत्ती 6ः 6; 26ः 39; मरकुस 6ः 46; 14ः 32,42; लूका 6ः 12; 9ः 18; 22ः 41

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