अनुरोध-विनती-याचना

अनुरोध-विनती-याचना
अनुरोध दीनता पूवर्क किसी अघिकारी से भीख मांगना है। जब आप विनती करें तो प्रभु यीशु से दृढ़तापूर्वक किसी विशेष विषय के लिए अनुग्रह, दया या समर्थन हेतु विनती करें।

आप परमेश्वर से कैसा अनुरोध करें?
आपको परमेश्वर के पास बालक के विश्वास के समान अपनी विशेष प्रार्थना लेकर आना चाहिये, यह जानते हुए कि वह अपनी संतानो को अच्छी वस्तुएं देने का इच्छुक है।

सो जब तुम बुरे होकर अपने बच्चों को अच्छी वस्तुएं देना जानते हो, तो तुम्हारा स्वर्गीय पिता अपने मांगने वालों को अच्छी वस्तुएं क्यों न देगा। (मत्ती 7ः 11)

मैं तुम से सच कहता हूँ कि जो कोई परमेश्वर के राज्य को बालक की नाई ग्रहण न करेगा वह उसमे कभी प्रवेष करने न पाएगा। (लूका 18ः 17)

तुम मांगते हो और पाते नहीं, इसलिये कि बुरी इच्छा से मांगते हो ताकि अपने भोगविलास में उड़ा दो। (याकूब 4ः 3)

मांगने की शर्ते क्या हैं ?
यह निश्चय करें कि आपका अनुरोध सही तरह से प्रेरित है और उससे परमेश्वर को महिमा मिलेगी। (यूहन्ना 14ः 13; याकूब 4ः 2-3)

विश्वास के साथ बिना शंका के मांगे। विश्वास से मांगने पर आपको पाने का आश्वासन मिलेगा। (मत्ती 21ः 21-22; मरकुस 11ः 23; इब्रानियों 3ः 12; याकूब 1ः 6)

परमेश्वर की इच्छा के अनुरूप मांगे उसका वचन आपके हृदय में हो। (यूहन्ना 15ः 7; रोमियो 10ः 8-10; 1 यूहन्ना 3ः 18-22; 5ः 14-15)

यीशु मसीह से अर्थात् सच्ची दाखलता से जुड़े रहें। जुड़े रहना दो मार्गीय वचन बद्धता है। उसके वचन को सुनना, विश्वास करना एवं उनका क्रियान्वन करना है, तभी पिता, पुत्र, एवं आत्मा आप में वास करेगे। (यूहन्ना 14ः 23; 15ः 1-10)

अच्छे फल लाएं जो लम्बे समय तक रहें। उसके चेले अच्छे फलदायक प्रमाणित हुए। (मत्ती 7ः 15-27; 15ः 13; लूका 3ः 8-9; 8ः 14-15; यूहन्ना 15ः 2,16; यहूदाः 12-13)

प्रभु यीशु के नाम में मांगे। अपना नाम प्रयोग करने का अधिकार उसने हमें दिया है। स्वर्ग, पृथ्वी एवं नर्क में उसके नाम का अधिकार है। हर एक को उसके नाम के आगे झुकना है। (यूहन्ना 14ः 13; 16ः 23-24; फिलिप्पियों 2ः 9-10)

मैं क्या मांगू ?

जो कुछ भी तुम चाहो । मरकुस 11ः 24
(यूहन्ना 14ः 14; फिलिप्पियों 4ः 6)
पवित्र आत्मा के द्वारा परमेश्वर आपके मन में जरूरत या इच्छा को रखेगा। जब यह हो जाय तो पवित्र आत्मा से सहमत होकर अपनी इच्छा उस पर छोड़ दें और तब अपनी विनती परमेश्वर को बताना शुरू करें।

जब आप प्रार्थना एवं विनती परमेश्वर से करें, वह एक दर्शन आपके हृदय में (मस्तिष्क में छाया) उत्पन्न करेगा। यह दर्शन परमेश्वर के वचनों के आधार पर होगा।

अनुरोध केवल विशेष निवेदन हो
हन्ना जो अपने हृदय से एक बच्चा चाहती थी उसने परमेश्वर से बच्चे हेतु ही मन्नत मांगी। उसने विशेष रूप से पुत्र मांगा और निस्वार्थ रूप से प्रार्थना की, कि उसे परमेश्वर की सेवा हेतु दे देगी। परमेश्वर ने सुना और उसके अनुरोध को स्वीकार किया। वह गर्भवती हुई और उसने पुत्र को जन्म दिया। फिर भी वह अपनी प्रतिज्ञा हेतु आज्ञाकारी बनी रही। हन्ना को यह जरूरत बहुत लम्बे समय से थी परन्तु जब उसने उस जरूरत को जोर से बोला और सच्चे हृदय से परमेश्वर से विनती की, तब उसे ठीक वही मिला जो उसने मांगा था। (1 शमूएल 1ः 10-11)

अनुरोध के अन्य उदाहरण:
याकूब ने सुरक्षा हेतु अनुरोध किया। (उत्पत्ति 32ः 9-12)

राजा हिजकिय्याह ने अपने जीवन को बचाने के लिए अनुरोध किया। (2 राजाओं का वृतांत 20ः 1-11)

अब्राहम के दास ने इसहाक हेतु पत्नि तलाशने में सफलता हेतु अनुरोध किया। (उत्पत्ति 24ः 12-14)
अंघे व्यक्ति ने प्रभु यीशु से दृष्टि पाने हेतु अनुरोध किया। (मरकुस 10ः 51)

परमेश्वर चाहता है कि आप उससे अनुरोध करें। मांगे, खोजें और खटखटाएं क्योंकि आपको प्रतिज्ञा दी गई है, यदि आप मांगेंगे तो पाएगें । (मत्ती 7ः 7-8)

14. और हमें उसके सामने जो हियाव होता है वह यह है कि यदि हम उसकी इच्छा के अनुसार कुछ मांगते हैं तो वह हमारी सुनता है। 15. और जब हम जानते हैं कि जो कुछ हम मांगते हैं वह हमारी सुनता है, तो यह भी जानते हैं कि जो कुछ हमने उससे मांगा वह पाया है। (1 यूहन्ना 5ः 14-15)

यह परमेश्वर की प्रसन्नता है कि प्रार्थना का उत्तर दे। उससे उसकी महिमा होती है (यूहन्ना 14ः 13)। परन्तु वह चाहता है कि आप अपना हिस्सा पूरा करें, मांगे, अनुरोघ करें और विषिष्ट प्रार्थना करें।

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