अपने आत्मिक हथियार धारण करें

अपने आत्मिक हथियार धारण करें
जब आप आत्मिक मल्लयुद्ध में संलग्न हैं, तो बुद्धिमानी इसमें है कि आप परमेश्वर के हथियारों से परिचित हों जो आपकी बुरे दिनों में सुरक्षा करें एवं शत्रु के आक्रमण के विरोध में खड़े रहने की ताकत देवें।

निदान प्रभु यीशु में और उसकी शक्ति के प्रभाव में बलवन्त बनो। परमेश्वर के सारे हथियार बांध लो कि तुम शैतान की युक्तियों के सामने खड़े रह सको। क्योंकि हमारा यह मल्लयुद्ध लहू और मांस से नहीं, परन्तु प्रधानों, अधिकारियों, इस संसार के अंधकार के हाकिमों और उस दुष्टता की आत्मिक सेनाओं से है जो आकाश में हैं। इसलिए परमेश्वर के सारे हथियार बांध लो, कि तुम बुरे दिन में सामना कर सको।

सो सत्य से अपनी कमर कसकर, धार्मिकता की झिलम पहनकर, पांवो में मेल के सुसमाचार की तैयारी के जूते पहिन कर और उन सब के बाद विश्वास की ढाल लेकर स्थिर रहो, जिससे तुम उस दुष्ट के सब जलते हुए तीरों को बुझा सको। उद्धार का टोप और आत्मा की तलवार को जो परमेश्वर का वचन है ले लो। हर समय और हर प्रकार से आत्मा में प्रार्थना, और विनती करते रहो और इसीलिये जागते रहो कि सब पवित्र लोगों के लिये लगातार विनती कर सको। (इफिसियों 6ः 10-18)

इफिसियों में वर्णित हथियार रोमी सैनिक के सदृष्य हैं। सैनिको की साधारण शिकायत थी कि हथियार बहुत भारी हैं। बिना अभ्यास एवं अनुशासन के हथियार बहुत भारी लगेगा तथा सैनिक उसे उतार देगा, जिसके फलस्वरूप वह युद्ध में अनुशासनहीन और शत्रु से असुरक्षित हो जाएगा।

आत्मा के जगत में आपके आत्मिक हथियार यही क्रियाएं करते हैं, जैसे भौतिक हथियार रोमी सैनिक के लिये काम करते थे। आपको मसीह के साथ प्रतिदिन चलने हेतु बुलाया गया है। आपको न केवल हथियार धारण करने में अनुशाषित होना है, वरन अंधकार की सेना से युद्ध में मुकाबला करने में भी। आपके हथियार शत्रु की रणनीति के प्रति सुरक्षा एवं मारे जाने से बचाने हेतु भी हैं। आत्मा की तलवार (परमेश्वर का वचन) एक आक्रमक हथियार, आक्रमण करने के लिये है तथा अंधकार की ताकत को लूटकर बर्बाद करने हेतु है। अनुशासन एवं अभ्यास की कमी के कारण आप मार डाले जाने हेतु खुले हैं। इस कारण परमेश्वर के सैनिक के समान परिश्रमी बनें तथा हमेशा हथियारों से लैस होकर युद्ध के लिए तैयार रहें।

आपको यह स्मरण रखना है कि सैनिक से यह आशा की जाती है कि वह पूर्ण रूप से अपने अधिकारी की सेवा में अन्त तक लगा रहे।

तिमोथि को लिखे अपने पत्र में पौलूस ने इस संदर्भ में लिखा है।
जब कोई योद्धा लड़ाई पर जाता है तो इसलिये कि अपने अधिकारी को प्रसन्न करे, अपने आप को संसार के कामों में नही फंसाता। (2 तिमोथियुस 2ः 4)

यह प्रभु यीशु मसीह के प्रति मसीहियों की राजभक्ति को संकेत करता है जो कि हमारा प्रधान सेनापति है। उसके प्रति एक निष्ठा और एक ही मन से जीवन व्यतीत करें।
रोमियो 13ः 12,14 में लिखा है, ‘‘इसलिये हम अंधकार के कामों को तज कर ज्योति के हथियार बांध लें, वरन प्रभु यीशु मसीह को पहिन लें।’’ आपका आत्मिक हथियार सचमुच प्रभु यीशु मसीह है। खुद के वस्त्रों से पहना कर वह आपका बचाव करना चाहता है। प्रभु यीशु को ओढ़ कर आप पूर्ण सुरक्षा में चल सकेंगे।
परम्परागत हथियारों के स्वरूप आपको आत्मिक हथियार को कभी भी नहीं उतारना चाहिए।

आपको प्रतिदिन हथियार क्यों पहनने चाहिये?
  • शैतान की योजनाओं के विरूद्ध खड़े रहने में सहायक हैं।
  • परमेश्वर में स्थिर रहने एवं उसकी सामर्थ में शक्तिशाली रखता है।
  • बुरे दिनों में शत्रु के आक्रमण का सामना करने योग्य बनाता है।
  • आपकी सुरक्षा को सुदृढ़ कर शत्रु को दूर हटाता है।
  • पिता की इच्छा पूर्ण करता है।
अगले कुछ पृष्ठों में आप परमेश्वर के प्रत्येक हथियारों की सूची पाएंगे। इसमें खड़े रहने से प्रारंभ करके परमेश्वर के सम्पूर्ण हथियार पर समाप्त करने पर आप हर क्षेत्र में सुरक्षा प्राप्त करेंगे। जब शत्रु आक्रमण करता है तो पन्ने पलट कर विशिष्ठ हथियार की सूचि देखें। बाइबल को पढ़ें एवं घोषणाओं को दुहराएं।


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