मैं कब प्रार्थना करूं ?
मैं कब प्रार्थना करूं ?
परन्तु मैं तो परमेश्वर को पुकारूंगा और परमेश्वर मुझे बचा लेगा। सांझ को, भोर को और दोपहर को, तीनों पहर मैं दोहाई दूंगा और कराहता रहूँगा। (भजन सहिता 55ः 16-17)
पवित्र आत्मा की प्रार्थना की बुलाहट को तुरन्त माने। जब भी और जहां भी आपको किसी व्यक्ति या परिस्थिति हेतु प्रार्थना करने की प्रेरणा मिले, आपकी उसी समय की प्रार्थना से उस व्यक्ति के जीवन की दिशा या परिस्थिति परमेश्वर की महिमा के लिये और उसके भले के लिये बदल सकती है।
अपने कार्य एवं प्रयासों से कहीं ज्यादा फल प्रार्थना द्वारा परमेश्वर से प्राप्त कर सकते हैं। आप परमेश्वर से खुद मिल कर, स्वर्गीग हस्तक्षेव मांग रहे हैं। टालमटोल आपका सबसे बड़ा शत्रु हो सकता है, इस कारण समय को ध्यान से इस्तेमाल करें और इसे बर्बाद करने से सावघान रहें।
निम्न वचनों का अध्ययन कर देखें कि परमेश्वर क्या सलाह देता है, तब उससे पूछें कि वह किस समय आपकी मध्यस्थता चाहता है।
वचनो में से उदाहरण
प्रातः काल
भजन संहिता 5ः 3
भजन संहिता 88ः 13
मरकुस 1ः 35
प्रेरितों के काम 2ः 1,4,15
यह दर्शाता है कि पवित्र आत्मा प्रातः 9 बजे उतरी थी।
दोपहर
भजन संहिता 55ः 17
प्रेरितों के काम 3ः 1
शाम
मत्ती 14ः 23 ; लूका 6ः 12
मरकुस 6ः 47 ; प्रेरितों के काम 16ः 25
निरंतर
1 शमूएल 7ः 8 ; रोमियों 1ः 9-10
1 शमूएल 12ः 23 ; इफिसियों 6ः 18
नहेम्याह 1ः 6 ; कुलुस्सियों 1ः 9
भजन संहिता 72ः 15 कुलुस्सियों 4ः 2
लूका 2ः 37 1 थिस्सलुनीकियों 3ः 10
लूका 6ः 12 1 थिस्सलुनीकियों 5ः 17
प्रेरितों के काम 10ः 2 1 तिमुथियुस 5ः 5
स्मरण रखे कि प्रभु यीशु भोर के समय प्रार्थना करता था एवं अकसर पूरी रात।
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