प्रभु यीशु का लहू हमारा कवच

 प्रभु यीशु का लहू हमारा कवच

और बकरों और बछड़ों के लहू के द्वारा नहीं पर अपने ही लहू के द्वारा एक ही बार पवित्र स्थान में प्रवेश किया और अनन्त छुटकारा प्राप्त किया, क्योंकि जब बकरों, बैलों और कलोर की राख को अपवित्र लोगों पर छिड़के जाने से शरीर की शुद्धता के लिए पवित्र करती है तो मसीह का लहू जिसने अपने आप को सनातन आत्मा के द्वारा परमेश्वर के सामने निर्दोष चढ़ाया, तुम्हारे विवेक को मरे हुए कामों से क्यों न शुद्ध करेगा। ताकि तुम जीवते परमेश्वर की सेवा करो। (इब्रानियों 9ः 12-14)


प्रभु यीशु का लहू हमारे लिए क्या करता है ?

  • उद्धार देता है:- हमें उद्धार देकर परमेश्वर के राज्य हेतु जन्म देता है तथा हमेशा की मृत्यु से दूर रखता है।(यूहन्ना 3ः 3,17; मरकुस 16ः 16)
  • प्रायश्चित:- लहू हमारे लिये प्रायश्चित बनता है और हमारे पापो को मिटा डालता है। (लैव्यवस्था 17ः 11; रोमियों 5ः 11)
  • मुक्त करता है:- लहू हमे छुड़ाता है, हमारा जीवन पूरी कीमत देकर छुड़या गया है और पाप व मृत्यु की सामर्थ से वापस लाया गया है। (भजन संहिता 107ः 2; इफिसियों 1ः 7; प्रकाशित वाक्य 5ः 9; इब्रानियों 9ः 12)
  • धर्मी ठहराता है:- लहू हमारा न्याय कर हमें पापो एवं ग्लानि से आज़ाद करता है। (रोमियों 5ः 9; प्रेरितों के काम 13ः 38-39)
  • हमें परमेश्वर के साथ सीधा खड़ा करता हैः- (1 यूहन्ना 1ः9; यशायाह  59ः 2; रोमियों 3ः 22-23,25)
  • पवित्रता देता है:- उद्धार के समय परमेश्वर के लिए अलग करता है तथा फिर प्रतिदिन प्रभु यीशु के लहू के द्वारा शुद्ध करता है। (1 कुरन्थियों 1ः 30; इब्रानियों 10ः 10,14)
  • पापों की क्षमा:- लहू के द्वारा हमारे सारे पाप क्षमा किए गए हैं। (कुलुस्सियों 1ः 14; 1 यूहन्ना 1ः 9; रोमियों 3ः 24-25; इब्रानियों 9ः 22)
  • हमारा मेलमिलाप कराता है:- परमेश्वर की प्रतिज्ञाओं को मानकर अब हम प्रेम के साथ उसकी संगति कर सकते हैं। (कुलुस्सियों 1ः 20; प्रकाशित वाक्य 12ः 11)
  • विजय की सामर्थ देता है:- अंधकार की सामर्थ से छुड़ाकर स्वतंत्र करता है। (2 कुरिन्थियों 2ः 14; कुलु. 1ः 13)
  • छुटकारा देता है:- अंधकार की शक्तियों से आज़ाद करता है। (2 कुरिन्थियों 2ः 14; कुलुस्सियों 2ः 13)
  • नई वाचा:- बलिदानों की पुरानी वाचा को बदल कर अब नई वाचा प्रभु यीशु मसीह के सही बलिदान से बनाया है। (इब्रानियों 10ः 9; 7ः 22; 12ः 24; 8ः13; 9ः15)
  • समस्त पापों से धोता है:- (1 यूहन्ना 1ः 7)

प्रभु यीशु के लहू की अपील मध्यस्थता की नीति है जिसे प्रार्थना योद्धा वर्षों से प्रयोग कर रहे हैं। तिरस्कार के कारण यह विवाद का कारण बन रहा है। प्रभु यीशु के लहू की अपील किसी व्यक्ति के ऊपर उसकी सुरक्षा हेतु करने का साधारण अर्थ है ‘‘शत्रु को उसकी सीमा का स्मरण कराना’’। यही वह साधारण सिद्धान्त है जो हम निर्गमन 12ः 22-23 में देखते है। जबकि मेम्ने का लहू दरवाजों की चैखट पर लगाया गया था तो मृत्यु का स्वर्गदूत उन घरों को नहीं छू सका।

प्रभु यीशु का लहू हमेशा ही स्थायी शांति एवं विजय देता है। इसकी पूर्व छाया 1 शमूएल 7ः3-14 में देखी जा सकती है इस वृतांत में शमूएल ने इस्राएली लोगों को चुनौती दी कि वे फिलीस्तीनियों की समस्त मूर्तीयों एवं झूठे देवताओं को नष्ट करें जिनके कारण सम्पूर्ण देश अशुद्ध हो गया है। लोगों ने प्रति उत्तर में आज्ञाकारी बन एक दिन का उपवास रखा। फिलिस्तीनियों ने जब सुना कि उनकी मूर्तीयों को नष्ट किया गया है तो उन्होंने क्रोधित होकर आक्रमण करने की तैयारी की। लोगों ने शमूएल से कहा ‘‘अपने परमेश्वर से हमारे लिये सुरक्षा हेतु पुकार बन्द नहीं करना ताकि वह हमे फिलिस्तीनों के हाथों से बचाए।’’ (पद 8) शमूएल ने प्रतिउत्तर में एक दूध पीते मेम्ने को लेकर परमेश्वर के लिये सम्पूर्ण बलिदान किया।

आर्थर मैथ्यू अपनी पुस्तक में लिखते हैं कि शामूएल ने परमेश्वर से इस्राएली लोगों के लिए दोहाई दी। परमेश्वर के आकाश में गर्जना करने पर फिलिस्तीनी भयभीत होकर भागे और जैसा कि लिखा है वे कभी भी इस्राएल के करीब नहीं आए।

शान्ति के लिये विजय आवश्यक था। शान्ति विजय को स्थायी बनाती है। यदि कोई शत्रु को तट से दूर रख सकता है तो वह एक मध्यस्थ है और आशीषित है वह मध्यस्त जो लहू की सामर्थ को आत्मिक मल्लयुद्ध में उपयोग करना जानता है।

बहूमुल्य लहू से हम भीषण युद्ध जीतते हैं। लहू की शक्ति से पाप और शैतान जीते जाते हैं ।

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