प्रशंसा का उपयोग
प्रशंसा का उपयोग
ऊपर दिए गए विचारों के साथ प्रशंसा और घन्यवाद शुरू करें। अपने प्रेम एवं उसकी प्रशंसा को उसके प्रति प्रगट करें। उसके गुणों को उसके विभिन्न नामो सें मान्यता दें। पुराने नियम में प्रशंसा को सात इिब्रानी शब्दों के द्वारा दिखाया गया है।
तोदाह : धन्यवाद का बलिदान, या प्रशंसा।
(TOWDAH) (भजन संहिता 42ः 4; 100ः 4)
यादाह : हाथों को ऊपर उठाकर।
(YADAH) (भजन संहिता 67ः 3;107ः 8,15,21,31)
बाराक : परमेश्वर को बहुतायत से देने हेतु धन्यवाद
(BARAK) देना, प्रशंसा करना और उसे धन्य करना।
(भजन संहिता 31ः 21; 63ः 4; 95ः 6)
हलाल : गाकर, उत्सव मनाकर, प्रदर्शित करना, नाच
(HALAL) कर और बड़ाई करना।
(भजन संहिता 56ः 4; 150ः 1-2)
ज़मार : यंत्रो के साथ खुशियां मनाना, परमेश्वर की
(ZAMAR) प्रशंसा कुशलता पूर्वक तारो को उंगलियो से बजाकर करना।
(भजन संहिता 21ः 13; 33ः 2; 98ः 4)
तेहिल्लाह : एक भजन या कोरस गाना, नाचते एवं बोलते,
(TEHILLAH) उत्सव मनाना।
(भजन संहिता 22ः 3,25; 33ः 1; 35ः 28)
शबाख : परमेश्वर की सामर्थ, महिमा, पवित्रता के प्रति
(SHABACH) प्रशंसा, परमेश्वर के महान कार्यों की प्रशंसा।
(भजन संहिता 63ः 3,4; 147ः 12)
प्रार्थना शुरू करने का एक आनन्दमय तरीका यह है कि एक भजन संहिता अध्याय चुन लें या प्रशंसा के अनेक आयत बाइबल से चुन कर, प्रशंसा की भावना को दुहराएं। यह आपकी आत्मा को उत्तेजित करेगा। भजन संहिता 145-150 विषेष रूप से अच्छे हैं क्योंकि उनमें परमेश्वर की अच्छाई, प्रेम, सामर्थ, पवित्रता, ज्ञान, महानता, महिमा एवं राजकीय गौरव को उठाते हैं।
भजन संहिता 145ः 1-7 से आरंम्भ करें:
1. हे मेरे परमेश्वर, हे राजा मैं तुझे सराहूंगा और तेरे नाम की स्तुति सदा सर्वदा करता रहूँगा।
2. प्रतिदिन मैं तुझको धन्य कहा करूँगा, और तेरे नाम की स्तुति सदा सर्वदा करता रहूँगा।
3. परमेश्वर महान और अति स्तुति के योग्य है और उस की बड़ाई अगम है।
4. तेरे कामों की प्रषंसा और तेरे पराक्रम के कामों का वर्णन पीढ़ी दर पीढ़ी होता चला जाएगा।
5. मैं तेरे एश्वर्य की महिमा के प्रताप पर और तेरे भांति-भांति के आश्चर्य कर्मों पर ध्यान करूँगा।
6. लोग तेरे भयानक कामों की शक्ति की चर्चा करेंगे और मैं तेरे बड़े-बड़े कामों का वर्णन करूँगा।
7. लोग तेरी बड़ी भलाई का स्मरण करके उसकी चर्चा करेंगे और तेरे धर्म की जय-जयकार करेंगे।
धन्यवाद कार्य पत्रक
यहां भजन संहिता 136 का उदाहरण है। यह आपको प्रेरित करता है कि आप परमेश्वर को घन्यवाद दें।
मैं आपका घन्यवाद करता हूँ परमेश्वर (व्यक्तियों की सूची ........................) के लिये। आपकी करूणा सदा की है। मैं आपका धन्यवाद करता हूँ प्रभु जिसने मुझे (सांसारिक आशीषों की सूची ........................) वस्तुएं दी हैं। आपकी करूणा सदा की है। मैं आपका धन्यवाद करता हूँ, प्रभु जिसने मुझे (आत्मिक वरदानों की सूची ......................) आशीषें दी हैं, आपकी करूणा सदा की है। मैं आपका घन्यवाद करता हूँ, प्रभु क्योंकि आपने मेरी प्रार्थना को सुनकर (मांगी गई वस्तुओं की सूची .......................) दी है। आपकी करूणा सदा की है। मैं आपका घन्यवाद करता हूँ, प्रभु क्योंकि मेरी प्रार्थना को (आप स्वयं बोले .......................) हेतु सुनी है। आपकी करूणा सदा की है।
Comments
Post a Comment