परमेश्वर कैसे बोलता है?

परमेश्वर कैसे बोलता है?
‘‘परमेश्वर मुझ से बोला’’ यह वाक्यांश सबसे ज्यादा गलतफहमी गड़बड़ी, आघात, नकारकता, ईष्या और घमंड आदि का वातावरण उत्पन्न करता है। आप ऐसे व्यक्ति से मिले होंगे जो परमेश्वर से जरा ज्यादा सुन कर उत्तेजित हो कर कहता है जिससे लोग प्रभावित होकर उस पर विश्वास करें। 

यदि आप यह नहीं समझते कि कैसे परमेश्वर की आवाज सुने तो यह सोच कर कि परमेश्वर आपसे कभी भी नहीं बोलेगा, आप स्वयं को छोटा महसूस करेंगे। पहले यह समझ ले कि परमेश्वर सुनाई देने वाली आवाज में बहुत ही कम बोलता है। यह हो सकता है परन्तु साघारणतः परमेश्वर का मनुष्य से बात करने का तरीका यह नहीं है। परमेश्वर त्मा है और आप में वास करके पवित्र आत्मा द्वारा वार्तालाप करता है।

16. और मैं पिता से विनती करूंगा। वह तुम्हें एक और सहायक देगा कि वह सर्वदा तुम्हारे साथ रहे। 17. अर्थात् सत्य की आत्मा, जिसे संसार ग्रहण नहीं कर सकता क्योंकि वह न उसे देखता है और न उसे जानता है परन्तु तुम उसे जानते हो, क्योंकि वह तुम्हारे साथ रहता है और वह तुम में होगा।

23. यीशु ने उसको उत्तर दिया, यदि कोई मुझ से प्रेम रखे तो वह मेरे वचन को मानेगा और मेरा पिता उस से प्रेम रखेगा। हम उसके पास आएगें और उसके साथ वास करेंगे। 24. जो मुझसे प्रेम नहीं रखता वह मेरे वचन नहीं मानता और जो वचन तुम सुनते हो वह मेरा नहीं वरन पिता का है जिसने मुझे भेजा है । 26. परन्तु सहायक अर्थात् पवित्र आत्मा जिसे पिता मेरे नाम से भेजेगा, वह तुम्हें सब बातें सिखाएगा और जो कुछ मैने तुम से कहा है उन सभी का तुम्हें स्मरण कराएगा। (यूहन्ना 14ः 16-17; 23-24, 26)

यदि परमेश्वर ऊँची आवाज में नहीं बोलता तो कैसे बोलता है? वह पवित्र आत्मा के माध्यम से आपके मस्तिष्क के चित्रपट में आत्मिक आवाज के द्वारा बोलता है। ठीक उसी प्रकार जैसे आप साघारणतः कान और मस्तिष्क का प्रयोग करते हैं।

आप शब्दों से नहीं सोचते बल्कि तस्वीरों के माध्यम से सोचते हैं, जो आपके मस्तिष्क के चित्रपट पर बनती हैं। एक मित्र आपसे कह रहा है ‘‘तुम्हें अपने प्रिय मित्र को देखना चाहिए था जो कल सड़क के कोने पर अपनी बच्ची के साथ प्रचार कर रहा था। उसकी लड़की ने ‘प्रभु यीशु मुझे प्यार करता’ गाना बड़े अच्छे से गाया।’’ जबकि आपको बताया जा रहा था आपके मस्तिष्क में मित्र और उसकी लड़की की सम्पूर्ण तस्वीर, बातचीत एवं गाना मस्तिष्क के चित्र पट पर बना कर अपने अन्तः कान से सुनते हैं क्योंकि आप उन्हें बहुत अच्छी तरह जानते हैं।

जब आप वचनों के द्वारा उसे पहचानना शुरू करते हैं तो आप उसके चरित्र एवं गुणों को भी पहचानने लगेंगे, परन्तु आप यह हमेशा याद रखिए कि पवित्र आत्मा कभी भी ‘वचन’ के विपरीत नहीं बोलता।

परमेश्वर ने जो वचन आपसे बोला
उसका परीक्षण आप कैसे करेगें ?
प्रथम जो कुछ आपने सुना या देखा उसे बाइबल के वचनों में से देखें कि उस बाबत परमेश्वर आपसे क्या कहना चाहता है ?आप इसे कैसे करेंगे ? आप बाइबल शब्दकोश से आरंम्भ कर सकते हैं जो आपको दिये गये वचनो एवं तस्वीरों के शब्दों का अर्थ बतला सके।

आइये मेरी प्रार्थना की बुलाहट का उदाहरण देखें। मैने सुना इलिज़बेथ मुझे तुम्हारी आवश्यकता है। मैं परमेश्वर द्वारा बोले गये प्रत्येक शब्दों पर मनन करने लगी। मैं अपना नाम जानती हूँ, फिर मैंने जाना प्रभु को केवल बोझ ढोने वाले गघे की आवश्यकता है। मैने गधे का अध्ययन किया और पता लगाया कि वह अपने वजन से कई गुणा अघिक वजन उठा कर चलता है। वह एक इन्सान को उसके बोझ से छुटकारा दिलाता है और साथ-साथ चलता है।

मनन करने पर सम्पूर्ण वाक्य का अर्थ है- क्या परमेश्वर मुझे किसी के बोझ उठाने हेतु मध्यस्थता करने को कह रहा है ? कुछ समय बाद यह वचन सत्य प्रभावित होने लगा।

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