उपवास
उपवास के लिए बाइबिल में क्या लिखा हैं?
निर्गमन 34ः 28 :- मूसालैव्यव्यवस्था 16ः 29-31 :- प्रायश्चित का दिन
लैव्यव्यवस्था 23ः 27-32 :- प्रायश्चित का दिन
1 शामूएल 12ः 7-8 :- हन्ना की प्रार्थना
2 शामूएल 12ः 16-23 :- बेतशेबा के बच्चे हेतु दाऊद की प्रार्थना
1 राजाओं का वृतांत 13ः 8-24 :- एलिया
1 राजाओं का वृतांत 19ः 8 :- होरेब को एलीया की यात्रा
2 इतिहास 20ः 3 :- यहोशपात द्वारा घोषणा
एज्रा 8ः 21-23 :- एज्रा की घोषणा
नहेम्याह 1ः 4 :- नहेम्माह
नहेम्याह 9ः 1 :- यरूशलेम के लोगों द्वारा पाप अंगीकार
अय्यूब 33ः 19-20 :- बीमारी एवं दुःख का परिणाम
यशायाह 58 :- उपवास जो परमेश्वर को प्रसन्न करे
यिर्मयाह 14ः 12 :- जो अस्वीकृत हो
योएल 2ः 12 :- सम्पूर्ण हृदय से परमेश्वर की ओर आना
मत्ती 6ः 16-18 :- कपटियों के समान नहीं
रोमियों 14ः 21 :- विश्वास में कमजोर के लिए त्याग करना
2 कुरिन्थियों 6ः 5 :- चेलों की सेवकाई का अंश
1 कुरिन्थियों 7ः 5 :- वैवाहिक जीवन के संबंध में
मत्ती 17ः 21 :- केवल प्रार्थना एवं उपवास के द्वारा
लूका 4ः 2 :- प्रभु यीशु का 40 दिन उपवास
लूका 18ः 12 :- स्वधार्मिकता एवं बड़बोलापन
प्रेरितों के काम 9ः 9 :- तरशिस का शाऊल
प्रेरितों के काम 10ः 30 :- कुर्नेलियुस के पास स्वर्गदूत
प्रेरितों के काम 13ः 2-3 :- अंताकिया के नबी एवं शिक्षा
प्रेरितों के काम 14ः 23 :- प्राचीनों की नियुक्ति के समय
आपको देखना चाहिए कि उपवास के द्वारा आपकी प्रार्थनाएं और अधिक सही केन्द्रित हो। एक निश्चित उद्देश्या के साथ उपवास करें कि शैतान का बंधन एवं विरोध टूटे। उपवास के समय प्रार्थना में प्रभु यीशु पर पूरी तरह से केन्द्रित हों। अपने समय चक्र में उस से संगति करने का समय बनाएं।
एक लम्बे उपवास पर जाने के पूर्व छोटे-छोटे जैसे एक दिनी उपवास या कि आंशिक उपवास पर विजय प्राप्त करें।
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