मध्यस्थता

मध्यस्थता
यीशु मसीह हमारा महान पुरोहित जब पृथ्वी पर था, उसने हमें मध्यस्थता करने का उदाहरण दिया है और अभी भी स्वर्ग में निरंतर मध्यस्थता करने का आश्वासन देता है। (इब्रानियों 7ः 25) तो जब भी आप मध्यस्थता करते हैं आप उसका अनुसरण करते हैं।

बाइबल आपको मध्यस्थता करने के लिए प्रेरित करती है और बताती भी है कि इसका क्या असर होता है।

1. अब मैं सब से पहले यह उपदेश देता हूँ कि विनती, प्रार्थना, निवेदन और घन्यवादब मनुष्यों के लिये किये जांए। 2. राजाओं और सब ऊँचे पदवालों के निमित्त इसलिये कि हम विश्राम और चैन के साथ सारी भक्ति और गंम्भीरता से जीवन बिताएं। 3. यह हमारे उद्धारकत्र्ता परमेष्वर को अच्छा लगता और भाता भी है। (1 तीमुथियुस 2ः 1-3)

मध्यस्थता हेतु पहल परमेश्वर की ओर से होती है !

आपके हृदय में पवित्र आत्मा के द्वारा ही मध्यस्थता की प्रार्थना का बोझ डाला जाता है, इसलिए आपको परमेश्वर के मार्गदर्शन प्रति संवेदनशील होना चाहिये। जब अब्राहम सदोम शहर के लिए मध्यस्थता कर रहा था तो परमेश्वर ने कहा ‘‘क्या मैं जो करने जा रहा हूँ अब्राहम से छिपाऊं ?’’ (उत्पति 18ः 17)

अब्राहम केवल लूत एवं उसके परिवार को ही नहीं परन्तु पूरे शहर को बचाने का प्रयास कर रहा था। परमेश्वर ने अब्राहम से मित्र की तरह बातचीत की। पवित्र आत्मा की प्रेरणा से अति आवश्यक कार्य हेतु किए गए प्रेम भरे निवेदन को मध्यस्थता कहते हैं। किसी प्रिय जन हेतु परमेश्वर के सामने रोना और गिड़गिड़ाना मध्यस्थता है। मध्यस्थता के लिए उसके सभी संतान बुलाए गये हैं। ‘‘तुम एक दूसरे का भार उठाओ और इस प्रकार मसीह की व्यवस्था को पूरी करो’’ (गलतियों 6ः 2)। 

जब आप दूसरों के भार वाहक बनकर उनके लिये मध्यस्थता करते हैं तब परमेश्वर प्रसन्न होता है।
दानिएल के 10 वें अध्याय में एक घटना वर्णित है। दानिएल को परमेश्वर की ओर से संदेशमिला कि स्वर्गीय सेना में एक बड़ा युद्ध हो रहा है। इब्रानी शब्द ‘‘संदेष’’ का उल्था ‘‘भार’’ या ‘बोझ’ शब्द में किया गया है। बहुधा जब परमेश्वर आपको संदेष या वचन देता है तो आपके ऊपर उस वचन पर कार्य करने का भार या बोझ डालता है। कभी-कभी परमेश्वर का वचन प्रार्थना करने का निर्देश देता है तथा अन्य समय आपको शत्रु की फौज से मल्लयुद्ध करने की प्रेरणा। कभी-कभी मध्यस्थता के कारण मानसिक वेदना या स्वयं की आत्मा में युद्ध होता है।

परमेश्वर की ओर से प्रार्थना संदेष या प्रार्थना बोझ प्राप्त करने के लिए आपको तैयार रहना चाहिए। यह एक पवित्र विश्वास है कि परमेश्वर इस प्रकार अपने रहस्य को आप पर प्रकाशित करता है। इसे हल्का न समझे। जब आप पवित्र आत्मा की हलचल अपने ह्नदय में महसूस करें तो परमेश्वर की ओर रूदन हेतु आज्ञाकारी बन कर एक आत्मिक अगुवा, देश या एक व्यक्ति जो भी आत्मा, नाम या स्थान आपके विवेक में लाए, उसके लिए मध्यस्थता करें।
प्रभावशाली प्रार्थना के लिए आपको हमेशा तैयार रहना, आत्मिक आँखो तथा कानों को खुला रखना और तुरन्त आज्ञाकारी होना अत्यन्त आवश्यक है।

मध्यस्थता हेतु दूसरी साधारण चेतावनी:
14. तब यदि मेरी प्रजा के लोग जो मेरे कहलाते हैं, दीन हो कर प्रार्थना करें और मेरे दर्षन के खोजी होकर अपनी बुरी चाल से फिरें तो मैं स्वर्ग में से सुन कर उनका पाप क्षमा करूंगा और उनके देष को चंगा कर दूंगा। 15. अब से जो प्रार्थना इस स्थान में की जाएगी, उस पर मेरी आँखे खुली और मेरे कान लगे रहेंगे। (2 इतिहास 7ः 14-15) 

आपको क्या प्रार्थना करना है, आप कैसे जानेंगे? बाइबल आपको मार्ग दर्षाती है तथा पवित्र आत्मा आपको अति आवष्यक निवदेन बतलाता है।

4. हे प्रभु अपने मार्ग मुझ को दिखला, अपना पथ मुझे बता दे। 5. मुझे अपने सत्य पर चला और शिक्षा दे क्योंकि तू मेरा उद्धार करनेवाला परमेश्वर है, मैं दिनभर तेरी ही बाट जोहता रहता हूँ। (भजन संहिता 25ः 4-5) परमेश्वर के भेद को वही जानते हैं जो उससे डरते हैं और वह अपनी वाचा उन पर प्रगट करेगा। (भजन संहिता 25ः 14)

आरम्भ करने का एक मार्ग है पूछना
प्रभु यीशु ! आज आप मुझसे इस व्यक्ति हेतु क्या प्रार्थना करने को कहते हैं ?
आपके हृदय में क्या है ?
सबसे जरूरी आवश्यकता कौन सी है ?
दिखाइये मुझे कैसी मध्यस्थता करना है ?
आप पूछ सकते हैं ‘‘मैं कैसे जनु कि पवित्र आत्मा मुझे प्रार्थना हेतु बुला रही है ? पवित्र आत्मा वचन, संदेश या विचारों द्वारा आपकी आत्मा को उत्तेजित करेगी। कभी-कभी यह सब आपको आश्चर्य जनक लगेगा।

(देखें परमेश्वर की आवाज सुनना)

यहां दिये कुछ उदाहरणों द्वारा प्रार्थना की बुलाहट को पहचाना जा सकता है।
  • पवित्र आत्मा एक चेहरा, एक नाम, एक परिवार, एक चर्च एक परिस्थिति, एक राष्ट्र या एक रहस्य आपके मस्तिष्क में अंकित करता है।
  • परमेश्वर एक व्यव्हारिक आवश्यकता आपके ह्नदय में डालता है। जिसे शायद आपने प्रतिदिन के वार्तालाप में सुना या देखा हो। (उदाहरण:- एक मित्र ने प्रार्थना निवेदन दिया हो, किसी नवीन घटना हेतु, टी.व्ही. समाचार सेवा से आप सतर्क किये गये हों। या आप किसी को अपने मस्तिष्क से निकाल नहीं पा रहे हैं।)
  • जब आप कोई दुर्घटना अपराध होते हुए देखें या देखें कि कोई बहुत ही मानसिक तनाव में है या किसी को अपमानित होता हुआ देखें तो चुप-चाप न रहें परन्तु उनके लिए मयस्थता की प्रार्थना करें और उनकी सहायता करें। 
स्मरण रखें मध्यस्थता परमेश्वर से शुरू होकर उसी में समाप्त होता है। आपको कोई विषय या शीर्षक प्रार्थना हेतु देने के बाद वह चाहता है कि आप तब तक उस के लिए प्रार्थना करें, जब तक वह आपको दूसरे क्षेत्र में न ले जाए। यह आत्मिक या शारीरिक आषीशों के लिए प्रार्थना हो सकती है या किसी के एवज में आत्मिक मल्लयुद्ध। यदि आपके पास कोई विशेस दिशा या विशेस प्रभाव न हो तो पवित्र आत्मा को मार्गदर्शन करने दें जब तक कि आप स्वतंत्र अनुभव न करें।

आश्चर्य न करें यदि कभी आप असाघारण या अजीब बात का अनुभव करें, जैसा कि - हंसना, कुहरना, रोना, या अति वेदना भरी आवाज। पौलूस कहते हैं ‘‘हे मेरे बालकों जब तक तुममें मसीह का रूप न बन जाए तब तक मैं तुम्हारे लिये जच्चा सी पीड़ाएं सहता हूँ।’’ (गलतियों 4ः 19) 
यदि आप असाघारण भावना का अनुभव करते हैं तो भयभीत न हों कि आप उपरोक्त नहीं कर सके। यहाँ प्रसव वेदना स्वरूप प्रार्थना करने पर जोर नहीं है, परन्तु गम्भीरता से मध्यस्थता करने पर कभी-कभी ऐसा ही होता है। कई बार आप पूरे अघिकारपूर्ण तरीके से प्रधानताओं, अधिकारियोें और शैतान की शक्ति या अद्रश्य जगत के ऊपर प्रार्थना करते हैं।

जब प्रार्थना का बोझ उतर जाता हैं, तब आप दूसरी भावनाएं अनुभव करते हैं जैसे- शान्ति, आनंदपूर्ण हंसी या आँसू। अपनी भावनाओं से बेपरवाह रहिए और यह जानिये कि आपके निवेदनों ने परमेश्वर के हृदय को छू लिया है।

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