परमेश्वर शम्माह

 परमेश्वर शम्माह

परमेश्वर वहां है

नगर के चारो आलंगों का घेरा अट्ठारह हजार बांस का हो और उस दिन से आगे को नगर का नाम ‘‘परमेश्वर शाम्मा’’ रहेगा। (यहेजकेल 48ः 35)


परिभाषा:- परमेश्वर उपस्थित है, प्रभु वहां है, उसकी परिपूर्णता हमारे बीच वास करती है। उसका तम्बू हमारे साथ है। उसकी महिमा हमारे मध्य प्रकाशित है। परमेश्वर शाम्मा, प्रतिज्ञा उस कारण मनुष्य के अंतिम विश्राम और महिमा की पूर्ण प्रतिज्ञा है क्योंकि मनुष्य का अंत परमेश्वर की महिमा करना हैै उसमें आनन्द सदा है। यहेजकेल की भविष्यवाणी पर आज्ञा और विश्वास यह प्रदर्शित करता है कि मनुष्य जाति और पृथ्वी पुनः आशीषित होंगे। सही लोगों और भूमि का वापस प्राप्त होना उनके पिछले अनुभवों से बहुत बढ़कर था जिसकी उन्होंने कल्पना भी न की होगी।

इस्राएल की एक विशेषता है कि उनके बीच में परमेश्वर की उपस्थिति हमेशाबनी रही और उसकी निरन्तर उपस्थिति के लिए यह शर्त थी कि वे वाचा के प्रति विश्वास योग्य हो जिसमें उन्होंने प्रतिज्ञा की कि वे पवित्र परमेश्वर की पवित्र प्रजा बने रहेगें।

परमेश्वर की पूर्ण उपस्थिति ही हमारी आशा और हमारी आकांक्षाओं का अन्त है, क्योंकि हम उसके प्रगट होने की बाट जोह रहे हैं। हम नए आकाशऔर नए पृथ्वी की राह देख रहे हैं जहाँ उसकी धार्मिकता हमारे बीच सर्वदा वास करेगी।

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