सहमति - हमारा बंधन

 सहमति - हमारा बंधन

एक मध्यस्थ के नाते आप पवित्र आत्मा से सहमत हैं कि उसने आपको आत्मिक मल्लयुद्ध द्वारा कार्य पूर्ण करने हेतु बुलाया है। सहमति का अर्थ है - बिना विवाद व झगड़े के एक ही तरंग और सुर ताल में मिलना तथा सहमति में रहना। हमें बुलाया गया है कि हम वचन और आत्मा के द्वारा एक ही प्रार्थना में पक्के तरह से (नियमित) बंधे रहें।


आप प्रार्थना साथी या साथियों के साथ मिलकर मध्यस्थता करना चाहेंगे। यह सहमति किसी के साथ एक ही प्रकार की आत्मा की हो तो आपका मल्लयुद्ध मजबूत होगा। पवित्र आत्मा की अगुवाई में एैसा प्रार्थना साथी सावधानी से चुने। मानवीय विचारधारा इस चुनाव में निश्चय करने का कारण नहीं हो। यदि केवल एक ही साथी हो तो वह आप ही के लिंग का होवे तथा बहुधा संगति हेतु उपलब्ध रहे। यदि परमेश्वर आपको किसी व्यक्ति की ओर इंगित करता है, तो उस विषिष्ठ व्यक्ति की परस्पर भावना, और संगति को जांचे कि वह कैसा प्रार्थना साथी होगा। क्या सम्बंध पवित्र, साफ तथा भर्त्सना के ऊपर है अथवा कोई गुप्त मंशा है? क्या परमेश्वर प्रसन्न होगा ?

यीशु ने कहा -

फिर मैं तुम से कहता हूँ यदि तुम में से दो जन पृथ्वी पर किसी बात के लिए जिसे वे मांगे, एक मन के हों तो वह मेरे पिता की ओर से जो स्वर्ग में है उन के लिये हो जाएगी। क्योंकि जहां दो या तीन मेरे नाम पर इकट्ठे होते हैं वहां मैं उनके बीच में होता हूँ। (मत्ती 18ः 19-20)

और सुलेमान ने लिखा -

जो डोरी तीन धागे से बंटी हो वह जल्दी नहीं टूटती। (समोपदेशक 4ः 12)

एक ही सहमति में प्रार्थना करना सीखना परमेश्वर की इच्छा पर प्रार्थना करना सीखना है। जब आपका मस्तिष्क बदलेगा तो आप परमेश्वर के सत्य की इच्छा को खोजेंगे और तब उसके साथ उसके वचन के माध्यम से सहमति में रहेंगे। (पढ़े रोमियों 12ः 2)

यदि आप किसी गैर ईश्वरीय योजना के साथ सहमत हों तो यह चुतौनी याद रखें (प्रेरितों के काम 5ः 1-2 एवं 9) पढ़िए और आप देखेगें कि जब हनन्यियाह एवं उसकी स्त्री सफीरा ने झूठ बोलने पर सहमत हुए तो उनकी योजना ने उनके जीवन को ले लिया। ‘‘यह क्या बात है कि तुम दोनों ने प्रभु के आत्मा की परीक्षा के लिए एका किया ?’’ पतरस ने सफीरा से उसकी मृत्यु के पूर्व पूछा था।

आप पूछेंगेे यदि मैं गलती करूं तो क्या होगा ? यदि आपका हृदय ठीक और आपकी मंशा पवित्र है तो परमेश्वर का अनुग्रह बढ़ेगा।

जिस व्यक्ति से आप सहमत होने जा रहे हैं उसकी आत्मा की परख करना सीखो। यदि आप शैतान के वचन पर सहमत हो बुरे समाचारों को सुनें तो आप गलत सहमति में हैं, वह आपके कानों में फुस-फुसाएगा या किसी अन्य के हाथ भेजेगा। वचन जो बोले या जो पवित्र आत्मा आपके मस्तिष्क में लाये उस पर सहमत हो।

अपनी प्रार्थना भी शुरू करने के पूर्व पवित्र आत्मा को उपस्थिति हेतु निमंत्रण दें। एक मन होकर उसके साथ प्रार्थना करें।

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