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Showing posts from August, 2020

खोया हुवा राज्य

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परमेश्वर रोही

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परमेश्वर रोही परमेश्वर मेरा चरवाहा परमेश्वर मेरा चरवाहा है मुझे कुछ घटी न होगी। ( भजन संहिता 23ः1 ) परिभाषा:- साथी, मित्र, आनन्द देने, खिलाने, अगुवाई करने और निर्देश देने वाला। चरवाहा शब्द यह दिखाता है कि परमेश्वर इस योग्य है कि वह छुड़ाए हुए पापी, नाशवान मनुष्य के साथ संबंध बनाए। वह हमारे साथ व्यक्तिगत संबंध रखता है ताकि अपनी संतान की तरह हमें खिलाए और हमारी रक्षा करे। ( 2 शामूएल. 7ः 8; भजन संहिता 78ः 70-72 ) चरवाहा अपनी भेड़ों को नाम लेकर बुलाता है। भेड़ें उसका शब्द पहचान कर उसके पीछे-पीछे जाती हैं। वह चोरो और जंगली जानवरो से उनकी रक्षा करता है कि वे उन्हें दिन या रात में हानि न पहुचाएं। भेड़े उसकी निगहबानी को पहचानती और डरती नहीं। वह जंगल में उन्हें में भी उन्हें हरी चराई और पानी की ओर भी ले जाता है। यदि एैसा कोमल अंतरंग रिश्ता मनुष्य एवं उसकी भेड़ के बीच में विद्यमान हो सकता है तो  परमेश्वर  एवं मनुष्य के बीच कितना अधिक विद्यमान होवेगी, जिसकी सृष्टि उसने की है ? यह कितना आश्चर्यजनक है कि  परमेश्वर  अपने स्वयं को इस रिश्ते हेतु समर्पित करता है। यह दिखाता है कि हम किस ...

परमेश्वर शम्माह

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 परमेश्वर शम्माह परमेश्वर वहां है नगर के चारो आलंगों का घेरा अट्ठारह हजार बांस का हो और उस दिन से आगे को नगर का नाम ‘‘परमेश्वर शाम्मा’’ रहेगा। ( यहेजकेल 48ः 35 ) परिभाषा:-   परमेश्वर उपस्थित है, प्रभु वहां है, उसकी परिपूर्णता हमारे बीच वास करती है। उसका तम्बू हमारे साथ है। उसकी महिमा हमारे मध्य प्रकाशित है। परमेश्वर शाम्मा, प्रतिज्ञा उस कारण मनुष्य के अंतिम विश्राम और महिमा की पूर्ण प्रतिज्ञा है क्योंकि मनुष्य का अंत परमेश्वर की महिमा करना हैै उसमें आनन्द सदा है। यहेजकेल की भविष्यवाणी पर आज्ञा और विश्वास यह प्रदर्शित करता है कि मनुष्य जाति और पृथ्वी पुनः आशीषित होंगे। सही लोगों और भूमि का वापस प्राप्त होना उनके पिछले अनुभवों से बहुत बढ़कर था जिसकी उन्होंने कल्पना भी न की होगी। इस्राएल की एक विशेषता है कि उनके बीच में परमेश्वर की उपस्थिति हमेशाबनी रही और उसकी निरन्तर उपस्थिति के लिए यह शर्त थी कि वे वाचा के प्रति विश्वास योग्य हो जिसमें उन्होंने प्रतिज्ञा की कि वे पवित्र परमेश्वर की पवित्र प्रजा बने रहेगें। परमेश्वर की पूर्ण उपस्थिति ही हमारी आशा और हमारी आकांक्षा...

परमेश्वर सिदकेनू

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 परमेश्वर सिदकेनू परमेश्वर हमारी धार्मिकता परमेश्वर की यह भी वाणी है, देख एैसे दिन आयेंगे जब मैं दाऊद के कुल में एक धर्मी अंकुर उगाऊँगा और वह राजा बनकर बुद्धि से राज्य करेगा और अपने देश में न्याय और धर्म से प्रभुता करेगा। उसके दिनों में यहूदी लोग बचे रहेंगे और इस्राएली लोग निडर बसे रहेंगे और परमेश्वर उसका नाम हमारी धार्मिकता रखेगा। ( यिर्मयाह 23ः 5-6 ) परिभाषा:- सही न्याय करना, निर्दोश घोषित करना या स्वतंत्र करना। सीदेक:- इसमें से निकले शब्द का अर्थ है परमेश्वर से सही या धार्मिकता का बलिदान चढ़ा कर परमेश्वर पर अपना विश्वास रखना। परमेश्वर जो सम्पूर्ण धार्मिक है, मनुष्य में धार्मिकता की घटी को अनदेखा नहीं कर सकता क्योंकि वह किसी भी प्रकार दोश को माफ नहीं करेगा। ( गिनती 14ः 18 ) यशायाह ने भविष्यवाणी की थी इस्राएल के सारे वंश के लोग परमेश्वर ही के कारण धर्मी ठहरेंगे और उसकी महिमा करेंगे। ( यशायाह 45ः 25 ) यीशु की यही धार्मिकता अन्य जातियों एवं यहूदियों हेतु है। विश्वास के द्वारा यह हम पर मुफ्त दान के रूप में सौपा गया है। परमेश्वर सिदकेनू हमारे तरीके एवं अनुमाप को दर्शाता है ...

परमेश्वर शालोम

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 परमेश्वर शालोम शान्ति का परमेश्वर जब गिदोन ने जान लिया कि वह परमेश्वर का दूत था तो गिदोन कहने लगा हे प्रभु परमेश्वर मैने तो परमेश्वर के दूत को साक्षात देखा है। परमेश्वर ने उससे कहा ‘‘तुझे शान्ति मिले’’ मत डर, तू नहीं मरेगा। तब गिदोन ने वहां परमेश्वर की एक बेदी बना कर उसका नाम परमेश्वर शालोम रखा। वह आज के दिन तक अबीएजेरियों के ओप्रा में बनी है ( न्यायियो 6ः 22-24 ) परिभाषा:- शान्ति सम्पूर्णता, समाप्त, एक हानि को अच्छा बनाना, खुशहाली, स्वस्थ रहना, सही, मनुष्य के हृदय की गहराई से इच्छा। ईब्रानी भाषा में इसका यह भी अर्थ है-सम्बंधो का तालमेल, या एक लेन-देन के पूर्ण होने पर, उधारी के चुकता होने पर, संतोष से देने पर स्थापित मेलमिलाप। मेलबलि:- एक बलिदान, जिसके बहे लहू के द्वारा मुक्ति हेतु प्रावधान किया गया जिस पर मेल मिलाप तथा शांति आधारित है। ( लैव्य व्यवस्था 3ः 7; 11ः 21 ) पाप के कारण शान्ति टूट जाती है। मेल बलि परमेश्वर एवं मनुष्य के बीच सम्बंध स्थापित करता है। यीशु शांति का राजकुमार है। जिसकी प्रतिज्ञा पुराने नियम में हमारे लिये थी। पृथ्वी पर रहकर यीशु ने शान्ति का प्रचार और प्...

परमेश्वर मकादिश

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 परमेश्वर मकादिश पवित्र करने वाला परमेश्वर। इसलिये तुम अपने आपको पवित्र करो और पवित्र बने रहो क्योंकि मैं तुम्हारा परमेश्वर हूँ और तुम मेरी विधियों को मानना और उनका पालन भी करना, क्योंकि मैं तुम्हारा पवित्र करने वाला परमेश्वर हूँ। ( लैव्य व्यवस्था 20ः 7-8 ) परिभाषा:- पृथक करना, पवित्र करना, समर्पण करना, पवित्र रहना। व्यवस्था विवरण की पुस्तक समझाती है कि किस प्रकार पाप मुक्त लोगों को अपनी बुलाहट के अनुरूप चलना चाहिए और परमेश्वर के आज्ञा अनुसार उसके लिए आत्मिक आराधना में सहभागी बनना चाहिए। इस्राएल के चरित्र एवं आत्मिक पवित्रता के सम्बंध में यह शीर्षक परमेश्वर मकादिश द्वारा कई बार दुहराया गया है। पुराने नियम में पवित्रता शब्द का उपयोग स्थानों को, सजावट को, लोगों को, तथा विशेष दिनों को अलग करने हेतु किया गया है। इस्राएल के लोग  परमेश्वर  के लिए अन्य लोगों से अलग किए गए थे। प्रभु यीशु मसीह अपने जन्म से ही पवित्र आत्मा की सामर्थ से अलग किए गए थे। वे पूर्णतः पवित्र, बेदाग और निष्पाप थे। यीशु हमारे प्रधान पुरोहित बने, उसके पाप मोचन प्यार में वह हमारे लिये पापी बना। ( लूका 1...

परमेश्वर निस्सी

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  परमेश्वर निस्सी परमेश्वर मेरा झंडा तब मूसा की इस आज्ञा के अनुसार यहोशू आमालेकियो से लड़ने लगा और मूसा हारून और हूर पहाड़ी की चोटी पर चढ़ गए। जब तक मूसा अपना हाथ उठाए रहता था तब तक तो  इस्रायेल प्रबल होता था परन्तु जब मूसा के हाथ भर गये तो हारून और हूर ने एक पत्थर लेकर मूसा के नीचे रख दिया। मूसा उस पत्थर पर बैठ गया, उसके एक हाथ को हारून ने और हाथ को हूर ने संभाले रखा जिससे उसके हाथ सूर्यास्त तक स्थिर रहें। यहोशू ने अनुचरों समेत अमालेकियों को तलवार के बल से हरा दिया। तब परमेश्वर ने मूसा से कहा स्मरणार्थ इस बात को पुस्तक में लिख ले और यहोशू को सुना दे कि मैं आकाश के नीचे से अमालेक का स्मरण पूरी रीति से मिटा डालूंगा। तब मूसा ने एक वेदी बनाकर उसका नाम परमेश्वर निस्सी रखा और कहा परमेश्वर ने शपथ खाई है कि परमेश्वर आमालेकियों से पीढ़ियों तक लड़ाई करता रहेगा ( निर्गमन 17ः 10-16 ) परिभाषा:- परमेश्वर हमारा झंडा, स्वतंत्रता एवं उद्धार का निशान, हमारे जीवन के संघर्षों में हमारी विजय का स्तर। इस झंड़े का अर्थ है- खंम्बा या ध्वज स्तर, यह शब्द यहूदियों में आश्चर्य कर्म के लिये भी प्रयुक्त होता है...

परमेश्वर राफा

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  परमेश्वर राफा चंगा करने वाला परमेश्वर तब मूसा इस्राएलियों को लाल समुद्र के आगे ले गया और वे शूर नाम जंगल में आए, और जंगल में बढते हुए तीन दिन तक पानी का स्त्रोत न मिला। फिर ‘मारा’ नाम एक स्थान पर पहुंचे, वहां का पानी कड़वा था, उसे वे पी न सके इस कारण उस स्थान का नाम ‘मारा’ अर्थात् कड़वा पड़ा। तब वे यह कहकर मूसा के विरूद्ध बक-बक करने लगे, कि हम क्या पीएं ? तब मूसा ने परमेश्वर की दोहाई दी, ओर परमेश्वर ने उसे एक पौधा बतलया। जैसे ही उस पौधे को पानी में डाला, पानी मीठा हो गया। वहीं परमेश्वर ने उनके लिये एक विधि और नियम बनाया, और वहीं उसने यह कहकर उनकी परीक्षा की, कि यदि तू अपने परमेश्वर का वचन तन मन से सुने, जो उसकी दृष्टि में ठीक है वही करे, उसकी आज्ञाओं पर कान लगाए और उसकी सब विधियों को माने, तो जितने रोग मैंने मिस्रियों पर भेजे हैं उनमें से एक भी तुझ पर न भेजूंगा क्योंकि मैं तुम्हारा ‘‘चंगा करने वाला परमेश्वर’’ हूँ। ( निर्गमन 15ः 22-26 ) परिभाषा:- पुनः स्थापित करना, चंगा करना, शारीरिक एवं आत्मिक रूप से स्वस्थ्य करना। प्रभु यीशु अपनी सेवकाई को पूर्ण करने एक पौधा बना जिसने मानव जात...

परमेश्वर यिरे

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 परमेश्वर यिरे उपाय करने वाला परमेश्वर इब्राहीम ने कहा हे मेरे पुत्र, परमेश्वर बलि की भेड़ का उपाय खुद ही करेगा। सो वे दोनों संग संग आगे चलते गए और इब्राहीम ने उस स्थान का नाम ‘परमेश्वर यिरे’ रखा। इसके अनुसार आज तक भी कहा जाता है कि परमेश्वर के पहाड़ पर उपाय किया जाएगा। ( उत्पत्ति 22ः 8,14 ) परिभाषा:- यह देखा जाएगा, प्रावघान किया जाएगा, भविष्य देखने का ज्ञान, भविष्यवक्ता। परमेश्वर यिरै:- एक प्रकार का देखना है जो कि इलोहीम से भिन्न है। इस प्रकार के देखने का अर्थ है ‘‘उपाय को देखना’’। पूर्व दृष्टि एवं प्रावधान एक ही समान वस्तुएं हैं। परमेश्वर यिरे उस क्षण इसहाक के लिए बलि का उपाय करने वाला बन गया। यह नाम प्रदर्शित करता है ‘‘मनुष्य की पाप से मुक्ति के महान प्रावधान हेतु उसके इकलौते पुत्र प्रभु यीशु का बलिदान।’’ वह परमेश्वर का मेम्ना है जो जगत के पापों को उठा ले जाता है। जो उसी स्थान पर चढ़ाया गया जहां इब्राहीम ने भविष्यवाणी की थी।

परमेश्वर के नाम - हमारी वाचा

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परमेश्वर के नाम - हमारी वाचा परमेष्वर का वचन उसके सभी लोगों को चेतावनी देता है कि उसके नाम को पुकारें। इसे अधिक प्रभावशाली, तरीके से पुकारने पर उसके गुणों को समझने में सहायता मिलती है। अगले कुछ पृष्ठों में परमेश्वर के नाम नेथन जे.स्टोन के नोटस में से लिखे गये है। आप परमेश्वर को अच्छी तरह समझेंगे जबकि उसके द्वारा दिये गये लाभ उसके नामो में निहित हैं। यह आपके प्रार्थना जीवन को भी धनी करने पायेंगे जब आप उसे उसके महान नामो से सम्बंघित करेंगे। इलोहीम (ELOHIM) यह नाम त्रिएक सृष्टिकर्ता, विश्व एव जीवन और समस्त राष्ट्रों के शासक का है जो अपनी सृष्टि को बचाने की वाचा बांधता है। महानता, महिमा, सृजन, शासन, शक्ति, सर्व उपस्थित, सर्वोच्च, विष्व का सृष्टिकर्ता इलोहीम का मुख्य सम्बंध विश्व के सृजन एवं स्थायित्व से तथा उसके कार्यों से है। वह अपने सम्पूर्ण सृजन एवं प्राणियों को महान प्यार करता है जो कि उसके हाथों की रचना है। बहुवचन, त्रिएकता को प्रदर्शित करता है। एल (EL) शक्तिशाली, मजबूत, परमेश्वर, महान, भयानक, महान सामर्थी परमेश्वर। एल शड्डाई (ELSHADDAI) परमेश्वर जो ‘‘सर्व सम्प...

वचन और हमारी गवाही - हमारी नींव

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  वचन और हमारी गवाही-हमारी नींव यह हथियार अंत में दर्शाया गया है, इस कारण नहीं कि यह सबसे कम महत्वपूर्ण है परन्तु क्योंकि इसी नीव पर सम्पूर्ण शस्त्रागार ठहरा हुआ है। जो कुछ भी आप आत्मिक मल्लयुद्ध में करते हैं परमेश्वर के वचन की नींव पर आधारित होना चाहिए। वचन आपके लिए कार्य करे या आपके विरोध में। प्रभु यीशु के समान उसका उपयोग करना सीखें। यह उसी का वचन है जो आप में वास करता है जो आपके वचन में विश्वास की उपस्थिति उत्पन्न करता है। ( यूहन्ना 15ः 7-8 ) और उद्धार का टोप और आत्मा की तलवार जो परमेश्वर का वचन है ले लो। ( इफिसियों 6ः 17 ) क्योंकि परमेश्वर का वचन जीवित, प्रबल और हर एक दोधारी तलवार से भी बहुत चोखा है। यह जीव और आत्माओं, गांठ-गांठ और गूदे-गूदे को अलग करके आरपार छेदता है तथा मन की भावनाओं और विचारों को जांचता है।  ( इब्रानियों 4ः 12 ) आप भी शैतान के विरूद्ध परमेश्वर का वचन उपयोग करना सीख सकते हैं जैसा यीशु ने शैतान द्वारा प्रलोभन करने पर किया था। उसने उत्तर दिया ‘‘यह लिखा है... यह लिखा है... यह लिखा है कि मनुष्य केवल रोटी से नहीं परन्तु हर एक वचन से जो परमेश्वर...

प्रशंसा - हमारा झंडा

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प्रशंसा-हमारा झंडा प्रशंसा आत्मिक मल्लयुद्ध हेतु एक महत्वपूर्ण कुन्जी और विश्वासियों हेतु सबसे महत्वपूर्ण शक्तिशाली हथियार है। प्रभु यीशुने प्रशंसा का उदाहरण अपने चेलों को सिखाया कि उनकी प्रार्थना की शुरूआत एवं समाप्ति प्रशंसा से होनी चाहिए। ठहरे न रहें कि विजय को प्राप्त करने पर ही प्रशंसा करेंगे। यह नीव को रखने का कार्य पवित्र आत्मा की इच्छा से विजय को रखने का स्थल है। आप यथार्थ में युद्ध, एक विजयी स्थान से करते हैं। ( इफिसियों 1ः 20-22 ) पौलूस एवं सीलास का उदाहरण देखें। और बहुत बेंत लगा कर उन्हें बन्दीगृह में डाला और दरोगा को आज्ञा दी कि उन्हे चैकसी में रखे। उसने एैसी आज्ञा पाकर उन्हें भीतर की कोठरी में रखा और उनके पांव काठ में ठोंक दिए। आधी रात के लगभग पौलूस और सीलास प्रार्थना करते हुए परमेश्वर के भजन गा रहे थे और बंधुए उनकी सुन रहे थे कि इतने में एका-एक बड़ा भूकंप आया, यहां तक कि बन्दीगृह की नींव हिल गई, तुरन्त सब द्वार खुल गए और सब के बन्धन खुल पड़े। ( प्रेरितों के काम 16ः 23-26 ) और सिहासन में से एक शब्द निकला कि हे हमारे परमेश्वर से डरने वालो सब दासों,...

उपवास

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उपवास के लिए बाइबिल में क्या लिखा हैं? निर्गमन 34ः 28                                        :- मूसा लैव्यव्यवस्था 16ः 29-31                                :- प्रायश्चित का दिन लैव्यव्यवस्था 23ः 27-32                                :- प्रायश्चित का दिन 1 शामूएल 12ः 7-8                                      :- हन्ना की प्रार्थना 2 शामूएल 12ः 16-23                                :- बेतशेबा के बच्चे हेतु दाऊद की प्रार्थना 1 राजाओं का वृतांत 13ः 8-24                        ...

उपवास हमारे तलवार की चोखी धार

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 उपवास हमारे तलवार की चोखी धार उपवास हमारे फसल काटने के हथियार की धार है जिसे हमेशा गुप्त में प्रार्थना के साथ जोड़कर किया जाता है। भोजन से वंचित रहने से भी ज्यादा यह उच्च कारणों हेतु स्वयं का इन्कार करने की क्रिया है। इसके पूर्व कि आप प्रार्थना एवं उपवास हेतु बैठें, यह महत्वपूर्ण है कि आप अपनी मंशा एवं हृदय के उद्देश्य को परमेश्वर के साथ जांच लें। जब तुम उपवास करो तो कपटियों की नाई तुम्हारे मुंह पर उदासी न छाई रहे, क्योंकि वे अपना मुंह उदास बनाए रखते हैं ताकि लोग उन्हें उपवासी जाने। मैं तुम से सच कहता हूँ कि वे अपना प्रतिफल पा चुके। परन्तु जब तू उपवास करे, तो अपने सिर पर तेलमल और मुंह धो ताकि लोग नहीं परन्तु तेरा पिता जो गुप्त में है, तुझे उपवासी जाने, इस दशा में तेरा पिता जो गुप्त में देखता है तुझे प्रतिफल देगा। ( मत्ती 6ः 16-18 ) ध्यान दे कि यीशु ने नहीं कहा ‘‘यदि’’ तू उपवास करे परन्तु ‘‘जब’’ तू उपवास करे। वह अपेक्षा करता है कि मसीही उपवास के अनुशासन को अपने प्रार्थना जीवन में उपयोग करें। ‘‘उपवास’’ क्या है ? यह भोजन से वंचित रहने का एच्छिक या सच का प्रण है कि सधन प्रार्थन...

बांधना और खोलना - हमारी चाबियां

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 बांधना और खोलना - हमारी चाबियां बांधना एवं खोलना दो प्रभावशाली हथियार हैं जो प्रभु यीशु ने अपने चेलों को दिये हैं। मैं तुझे स्वर्ग के राज्य की कुन्जियां दूंगा जिससे जो कुछ तू पृथ्वी पर बांधेगा वह स्वर्ग में बंधेगा और जो कुछ तू पृथ्वी पर खोलेगा वह स्वर्ग में खुलेगा। ( मत्ती 16ः 19 ) इस वाक्यांश का क्या अर्थ है ? स्वर्ग में बंधेगा........ स्वर्ग में खुलेगा? एक बाइबल अनुवादक इशारा करता है कि इसमें क्रिया का स्वरूप सही वर्तमान का ही है। एक विश्वासी जो कुछ इस पृथ्वी पर बांधता एवं खोलता है, वह इस आधार पर है कि स्वर्ग में यह कार्य पूर्व में ही किया जा चुका है। या कोई मनुष्य किसी शक्तिशाली के घर में घुसकर उसका माल तभी लूट सकता है जब तक कि पहले उस शक्तिशाली को न बांध ले और उसके पश्चात् ही वह उसके घर को लूट लेगा। ( मत्ती 12ः 29 ) यह संदर्भ उस समय का है जब यीशु दुष्टआत्माओं को निकाल रहा था। ग्रीक भाषा में बांधने का अर्थ जैसे किसी पशु को जंजीर से बांधना।  बांधना या खोलना किसी भी प्रकार का आत्मिक जादू या किसी प्रकार का फार्मूला नहीं है। यह एक गम्भीर दायित्व है। जैसे कि शैतान मैं तुझे अ...

सहमति - हमारा बंधन

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 सहमति - हमारा बंधन एक मध्यस्थ के नाते आप पवित्र आत्मा से सहमत हैं कि उसने आपको आत्मिक मल्लयुद्ध द्वारा कार्य पूर्ण करने हेतु बुलाया है। सहमति का अर्थ है - बिना विवाद व झगड़े के एक ही तरंग और सुर ताल में मिलना तथा सहमति में रहना। हमें बुलाया गया है कि हम वचन और आत्मा के द्वारा एक ही प्रार्थना में पक्के तरह से (नियमित) बंधे रहें। आप प्रार्थना साथी या साथियों के साथ मिलकर मध्यस्थता करना चाहेंगे। यह सहमति किसी के साथ एक ही प्रकार की आत्मा की हो तो आपका मल्लयुद्ध मजबूत होगा। पवित्र आत्मा की अगुवाई में एैसा प्रार्थना साथी सावधानी से चुने। मानवीय विचारधारा इस चुनाव में निश्चय करने का कारण नहीं हो। यदि केवल एक ही साथी हो तो वह आप ही के लिंग का होवे तथा बहुधा संगति हेतु उपलब्ध रहे। यदि परमेश्वर आपको किसी व्यक्ति की ओर इंगित करता है, तो उस विषिष्ठ व्यक्ति की परस्पर भावना, और संगति को जांचे कि वह कैसा प्रार्थना साथी होगा। क्या सम्बंध पवित्र, साफ तथा भर्त्सना के ऊपर है अथवा कोई गुप्त मंशा है? क्या परमेश्वर प्रसन्न होगा ? यीशु ने कहा - फिर मैं तुम से कहता हूँ यदि तुम में से दो जन पृथ्वी प...

प्रभु यीशु का लहू हमारा कवच

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  प्रभु यीशु का लहू हमारा कवच और बकरों और बछड़ों के लहू के द्वारा नहीं पर अपने ही लहू के द्वारा एक ही बार पवित्र स्थान में प्रवेश किया और अनन्त छुटकारा प्राप्त किया, क्योंकि जब बकरों, बैलों और कलोर की राख को अपवित्र लोगों पर छिड़के जाने से शरीर की शुद्धता के लिए पवित्र करती है तो मसीह का लहू जिसने अपने आप को सनातन आत्मा के द्वारा परमेश्वर के सामने निर्दोष चढ़ाया, तुम्हारे विवेक को मरे हुए कामों से क्यों न शुद्ध करेगा। ताकि तुम जीवते परमेश्वर की सेवा करो। ( इब्रानियों 9ः 12-14 ) प्रभु यीशु का लहू हमारे लिए क्या करता है ? उद्धार देता है:- हमें उद्धार देकर परमेश्वर के राज्य हेतु जन्म देता है तथा हमेशा की मृत्यु से दूर रखता है।( यूहन्ना 3ः 3,17; मरकुस 16ः 16 ) प्रायश्चित:- लहू हमारे लिये प्रायश्चित बनता है और हमारे पापो को मिटा डालता है। ( लैव्यवस्था 17ः 11; रोमियों 5ः 11 ) मुक्त करता है:- लहू हमे छुड़ाता है, हमारा जीवन पूरी कीमत देकर छुड़या गया है और पाप व मृत्यु की सामर्थ से वापस लाया गया है। ( भजन संहिता 107ः 2; इफिसियों 1ः 7; प्रकाशित वाक्य 5ः 9; इब्रानियों 9ः 12 ) धर्मी ठ...

प्रभु यीशु के पचास नाम, उपाधि, अधिकार एवं कार्य क्षेत्र

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प्रभु यीशु के पचास नाम, उपाधि, अधिकार एवं कार्य क्षेत्र 1. पराक्रमी परमेश्वर, अनन्त काल का पिता ( यशायाह 9ः 6 ) 2. सर्वशक्तिमान ( प्रकाशित वाक्य 1ः 8 ) 3. जीवन की रोटी ( यूहन्ना 6ः 48 ) 4. आज्ञाकारी दास ( फिलिप्पियों 2ः 6-8; मत्ती 20ः 28 ) 5. परमेश्वर का एकलौता पुत्र ( यूहन्ना 1ः 14; प्र.वा. 1ः 5 ) 6. यात्रा करने वाला ( यूहन्ना 20ः 21; मरकुस 1ः 38; लूका 13ः 33 ) 7. परमेश्वर का वचन ( यूूहन्ना 1ः 1-14; प्रकाशित वाक्य 19ः 13 ) 8. कलीसिया स्थापक और शिरोमणि ( मत्ती 16ः 18; इफिसियों 1ः 22-23 ) 9. तरस खाने वाला ( मत्ती 9ः 36; 14ः14; मरकुस 1ः 40-41 ) 10. अथाह प्रेम करने वाला ( रोमियों 8ः 35-39 ) 11. परमेश्वर का प्रतिरूप ( कुलुस्सियों 1ः 15 ) 12. परमेश्वर का तेज ( यशायाह 60ः 1 ) 13. अनन्त जीवन ( यूहन्ना 3ः 16; 1 यूहन्ना 5ः 11; 3ः 15 ) 14. अल्फा और ओमेगा - आदि और अन्त ( प्र. वा. 1ः 8; 22ः 3; यूहन्ना 1ः 1; कुलुस्सियों 1ः 18; 1 यूहन्ना 1ः 1 ) 15. इमानुएल अर्थात् परमेश्वर हमारे साथ ( मत्ती 1ः 23; यशायाह 7ः 14 ) 16. यीशु अर्थात् उद्धारकर्ता ( मत्ती 1: 25; 1ः 21 ) 17. मसी...