coronavirus कोरोना वायरस की जानकारियाँ
कोरोना वायरस से कैसे कर सकते हैं बचाव?
कोरोना वायरस
सवा अरब से ज्यादा आबादी वाले देश में जिस तरह कोरोना वायरस के लिए स्क्रीनिंग और सैंपल टेस्ट किए जा रहे हैं वो नाकाफी हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि अगर किसी ऐसे व्यक्ति में इस वायरस की मौजूदगी है, जो कभी न तो विदेश गया और ही ऐसे किसी व्यक्ति के संपर्क में आया तो खतरा और बढ़ सकता है.
उदाहरण के तौर पर देखें तो दक्षिण कोरिया की कुल आबादी 5.1 करोड़ है. वहां 20 जनवरी से लेकर अब तक 2.5 लाख से अधिक लोगों का टेस्ट किया जा चुका है. इसके लिए टेस्टिंग सेंटर बनाए गए हैं ताकि इस महामारी से निपटा जा सके.
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार फिलहाल भारत में कोरोना संक्रमण के 107 मामले सामने आए हैं. दो लोगों की मौत हो चुकी है. दुनिया के 120 से ज़्यादा देशों में जिस तरह कोरोना फैला है उस लिहाज से भारत में अब तक मरीजों की ज्ञात संख्या बहुत कम है. आखिर इसकी वजह क्या है?
विशेषज्ञों का मानना है कि कोरोना वायरस टेस्ट को लेकर भारत में अभी और गंभीरता लाने की जरूरत है.
कोरोना वायरस की चपेट में दुनिया भर में सवा लाख से अधिक लोग हैं और 5500 से अधिक की मौत हो चुकी है. भारत में भी कोरोना वायरस के पीड़ितों की संख्या दिनो-दिन बढ़ती जा रही है.
कोरोनो वायरस संक्रमण के लक्षण क्या हैं?
इंसान के शरीर में पहुंचने के बाद कोरोना वायरस उसके फेफड़ों में संक्रमण करता है. इस कारण सबसे पहले बुखार, उसके बाद सूखी खांसी आती है. बाद में सांस लेने में समस्या हो सकती है.
वायरस के संक्रमण के लक्षण दिखना शुरू होने में औसतन पाँच दिन लगते हैं. हालांकि वैज्ञानिकों का कहना है कि कुछ लोगों में इसके लक्षण बहुत बाद में भी देखने को मिल सकते हैं.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार वायरस के शरीर में पहुंचने और लक्षण दिखने के बीच 14 दिनों तक का समय हो सकता है. हालांकि कुछ शोधकर्ता मानते हैं कि ये समय 24 दिनों तक का भी हो सकता है.
कोरोना वायरस उन लोगों के शरीर से अधिक फैलता है जिनमें इसके संक्रमण के लक्षण दिखाई देते हैं. लेकिन कई जानकार मानते हैं कि व्यक्ति को बीमार करने से पहले भी ये वायरस फैल सकता है.
बीमारी के शुरुआती लक्षण सर्दी और फ्लू जैसे ही होते हैं जिससे कोई आसानी से भ्रमित हो सकता है.
कितना घातक है कोरोना वायरस?
कोरोना वायरस के संक्रमण के आँकड़ों की तुलना में मरने वालों की संख्या को देखा जाए तो ये बेहद कम हैं. हालांकि इन आंकड़ों पर पूरी तरह भरोसा नहीं किया जा सकता, लेकिन आंकड़ों की मानें तो संक्रमण होने पर मृत्यु की दर केवल एक से दो फीसदी हो सकती है.
फिलहाल कई देशों में इससे संक्रमित हजारों लोगों का इलाज चल रहा है और मरने वालों का आँकड़ा बढ़ भी सकता है.
56,000 संक्रमित लोगों के बारे में एकत्र की गई जानकारी आधारित विश्व स्वास्थ्य संगठन का एक अध्ययन बताता है कि -
6 फीसदी लोग इस वायरस के कारण गंभीर रूप से बीमार हुए. इनमें फेफड़े फेल होना, सेप्टिक शॉक, ऑर्गन फेल होना और मौत का जोखिम था.
14 फीसदी लोगों में संक्रमण के गंभीर लक्षण देखे गए. इनमें सांस लेने में दिक्कत और जल्दी-जल्दी सांस लेने जैसी समस्या हुई.
80 फीसदी लोगों में संक्रमण के मामूली लक्षण देखे गए, जैसे बुखार और खांसी. कइयों में इसके कारण निमोनिया भी देखा गया.
कोरोना वायरस संक्रमण के कारण बूढ़ों और पहले से ही सांस की बीमारी (अस्थमा) से परेशान लोगों, मधुमेह और हृदय रोग जैसी परेशानियों का सामना करने वालों के गंभीर रूप से बीमार होने की आशंका अधिक होती है.
कोरोना वायरस का इलाज इस बात पर आधारित होता है कि मरीज के शरीर को सांस लेने में मदद की जाए और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाया जाए ताकि व्यक्ति का शरीर खुद वायरस से लड़ने में सक्षम हो जाए.
कोरोना वायरस का टीका बनाने का काम अभी चल रहा है.
अगर आप किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आते हैं तो आपको कुछ दिनों के लिए खुद को दूसरों से दूर रहने की सलाह दी जा सकती है.
पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड ने कहा है कि जिन्हें लगता है कि वो संक्रमित हैं वो डॉक्टर, फार्मेसी या अस्पताल जाने से बचें और अपने इलाके में मौजूद स्वास्थ्य कर्मी से फोन पर या ऑनलाइन जानकारी लें.
जो लोग दूसरे देशों की यात्रा कर के यूके लौटे हैं उन्हें सलाह दी गई है कि वो कुछ दिनों के लिए खुद को दूसरों से अलग कर लें.
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी लोगों के लिए एहतियात बरतने के तरीक़ों के बारे में जानकारी जारी की है.
संक्रमण के लक्षण दिखने पर व्यक्ति को अपने स्थानीय स्वास्थ्य सेवा अधिकारी या कर्मचारी से संपर्क करना चाहिए. जो लोग बीते दिनों कोरोना वायरस संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आए हैं उनकी जांच की जाएगी.
अस्पताल पहुंचने वाले सभी मरीज जिनमें फ्लू (सर्दी जुकाम और सांस लेने में तकलीफ) के लक्षण हैं, स्वास्थ्य सेवा अधिकारी उनका परीक्षण करेंगे.
परीक्षण के नतीजे आने तक आपको इंतजार करने और दूसरों से खुद को दूर रखने के लिए कहा जाएगा.
कितनी तेजी से फैल रहा है कोरोना वायरस?
रोज दुनिया भर में कोरोना वायरस के सैंकड़ों मामले सामने आ रहे हैं. लेकिन ये भी माना जा रहा है कि अब भी कई मामले स्वास्थ्य एजेंसियों की नजर से बच गए होंगे.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के ताजा आंकड़ों के अनुसार दुनिया के 148 देशों में अब तक कोरोना वायरस के संक्रमण के 1,73,344 मामलों की पुष्टि हो चुकी है.
इस वायरस के संक्रमण के सबसे अधिक मामले चीन, इटली, ईरान और कोरिया में सामने आए हैं.
क्या क्या सुविधाएं जरूरी हैं?
कोरोना वायरस का टेस्ट बहुत अलग नहीं है. यह भी बाकी किसी रैपिड डायग्नोस्टिक टेस्ट जैसा ही है लेकिन इसके सैंपल इकट्ठा करने और उनके टेस्ट को लेकर कुछ सावधानियां बरतनी भी जरूरी है. जिला स्तर के अस्पतालों में ऐसे टेस्ट किए जा सकते हैं लेकिन यह वायरस तेजी से फैलता है इसलिए टेस्ट के लिए सैंपल लेने के दौरान इसके संपर्क में आने से बचने के लिए उपाय किए जाने की जरूरत है.
जिला स्तर के अस्पतालों में टेस्ट और इलाज की क्षमता हो सकती है लेकिन यह हर अस्पताल में संभव नहीं है. जिला स्तर के हर अस्पताल में जरूरी सुविधाएं हों यह जरूरी नहीं है.
टी सुंदररमन के मुताबिक, दक्षिण भारत के कुछ राज्यों और कुछ बेहतर विकास वाले राज्यों को छोड़ दें तो बाकी जगहों पर जिला अस्पतालों की हालत बहुत अच्छी नहीं है.
भारत के कुछ जिलों की आबादी दुनिया के कुछ देशों से भी अधिक है. ऐसे में बड़ी तादाद में लोगों के टेस्ट करना और पॉजिटिव पाए जाने पर उनके इलाज के लिए अलग वॉर्ड, आईसीयू और वेंटिलेटर की सुविधाएं होना बेहद जरूरी है.
मॉनसून आते ही ख़तरा और बढ़ने की आशंका है. हर साल जुलाई-अगस्त के मौसम में देश में फ्लू और दूसरी बीमारियां फैलती हैं जिसकी वजह से बहुत से लोगों की मौत होती है. ऐसे में अगर इस बीमारी ने भी पैर फैलाए तो हालात और बुरे होंगे.
गाँवों के स्तर पर अगर यह बीमारी फैली और जिस व्यक्ति में इसके लक्षण देर से दिखेंगे जरूरी नहीं कि वो यह स्पष्ट बता पाए कि किसके संपर्क में आने से वो वायरस की चपेट में आया है, तब परेशानी और बढ़ेगी.
टी सुंदररमन कहते हैं कि जिला अस्पतालों को आईसीयू, ब्ल्ड ट्रांसफ्यूजन और ऑक्सीजन सप्लाई जैसी सुविधाओं से लैस करना जरूरी है, तभी इस वायरस के बड़े स्तर पर फैलने पर बचाव आसान होंगे.
उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड जैसे राज्यों में जिला अस्पतालों की हालत किसी से छुपी नहीं है. ऐसे में अगर वहां कोरोना वायरस के मामले सामने आने लगे तो सरकार और आम लोग सबकी मुश्किलें बढ़ेंगी.
जरूरी सलाह
अगर आप किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आते हैं तो आपको कुछ दिनों के लिए खुद को दूसरों से दूर रहने की सलाह दी जा सकती है. पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड ने कहा है कि जिन्हें लगता है कि वो संक्रमित हैं वो डॉक्टर, फार्मेसी या अस्पताल जाने से बचें और अपने इलाके में मौजूद स्वास्थ्य कर्मी से फोन पर या ऑनलाइन जानकारी लें.
जो लोग दूसरे देशों की यात्रा कर के यूके लौटे हैं उन्हें सलाह दी गई है कि वो कुछ दिनों के लिए खुद को दूसरों से अलग कर लें. दूसरे देशों ने भी इस वायरस से बचने के लिए अपने अपने देशों में स्कूल कॉलेज बंद करने और सर्वजनिक सभाएं रद्द करने जैसे कदम उठाएं हैं.
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी लोगों के लिए एहतियात बरतने के तरीकों के बारे में जानकारी जारी की है. संक्रमण के लक्षण दिखने पर व्यक्ति को अपने स्थानीय स्वास्थ्य सेवा अधिकारी या कर्मचारी से संपर्क करना चाहिए. जो लोग बीते दिनों कोरोना वायरस संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आए हैं उनकी जांच की जाएगी.
अस्पताल पहुंचने वाले सभी मरीज जिनमें फ्लू (सर्दी जुकाम और सांस लेने में तकलीफ) के लक्षण हैं, स्वास्थ्य सेवा अधिकारी उनका परीक्षण करेंगे. परीक्षण के नतीजे आने तक आपको इंतजार करने और दूसरों से खुद को दूर रखने के लिए कहा जाएगा.
जरूरी सूचना
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3. ये सभी जानकारियां लोगो के स्वस्थ्य संबन्धित सुरक्षा के लिहास से डाली गई है।
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