आप राजा हैं।
आप राजा हैं।
वे यह नया गीत गाने लगे, ‘‘तू इस पुस्तक को लेने और इसकी मुहरें खोलने के योग्य है, क्योंकि तू ने वध होकर अपने लहू से हर एक कुल, भाषा, राष्ट्र और जाति से परमेश्वर के लिए लोगों को मोल ले लिया है। तूने उन्हें हमारे परमेश्वर के लिए एक राज (King)और याजक (Priest) बनाया है। वे पृथ्वी पर राज्य करेंगे।’’ (प्रकाशित वाक्य 5ः 9-10)
‘‘पर तुम एक चुना हुआ वंश, राज-पदधारी याजकों का समाज, पवित्र लोग और परमेश्वर की निज प्रजा हो। परमेश्वर ने तुम्हें अन्धकार से निकालकर अपनी अद्भुत ज्योति में बुलाया है। उसके गुण प्रकट करो।’’ (1 पतरस 2ः 9)
प्रभु का लक्ष्य है कि इस संसार में परमेश्वर का राज्य स्थापित हो। इसीलिए 2000 साल से विश्वासी लोग प्रतिदिन प्रार्थना कर रहें हैं कि ‘‘तेरा राज्य आवे तेरी इच्छा जैसे स्वर्ग में पूरी होती है वैसे पृथ्वी पर भी हो।’’ (मत्ती 6ः 10)
प्रभु ने हमें राजपदधारी याजक नियुक्त किया है। हम मात्र याजक (प्रीस्ट) नहीं हैं परन्तु परमेश्वर की ओर से राज्य करने वाले याजक हैं।
ब्राह्यण समाज की संख्या इस देश में पाॅच प्रतिशत है और मसीहियों की संख्या भी पाॅच प्रतिशत है, कहीं-कहीं उससे भी अधिक है। परन्तु प्रधान मंत्री से लेकर छोटे-मोटे अधिकारी जो इस देश का प्रशासन करते हैं वे अधिकांश बाह्यण हैं।
मसीही विश्वासी जिन्हें परमेश्वर की ओर से सरकार चलाने का आदेश मिला है उन्हें स्वयं अपने अधिकारों का कोई अता-पता नहीं है। दुःख की बात है कि मसीही समाज सबसे ज़्यादा शिक्षित है और ब्राह्यणों ने जो कुछ सीखा है उसे मिशन स्कूलों में ही सीखा है। परमेश्वर ने जब मनुष्य को सृजा उसे परमेश्वर की सृष्टि पर अधिकार दिया और उसे वश में करने का आदेश दिया। इस प्रकार परमेश्वर की इच्छा थी कि मनुष्य अधिकारी बने परन्तु उसने किसी मनुष्य को मनुष्य के ऊपर अधिकार रखने का प्रावधन नहीं बनाया।
‘‘और परमेश्वर ने उनको आशिष दी और उनसे कहा, फूलो-फलों और पृथ्वी में भर जाओं, और उसको अपने वश में कर लो, और समुद्र की मछलियों तथा आकाश के पक्षियों और पृथ्वी पर रेंगने वाले सब जन्तुओं पर अधिकार रखों। (उत्पत्ति 1ः 28)
आज अन्यजाति के लोग हम से शिक्षा पाकर हमरे ऊपर ही प्रशासन कर रहे हैं क्योंकि मसीही अपने अधिकारों से अनभिज्ञ हैं। जो थेड़े बहुत मसीही राजनीति में हैं वे राजनीतिक दबाव से शीघ्र संसार से समझौता करके चलते हैं और अपना सलौना पन खो देते हैं। परमेश्वर के अनुसार यह सब इसलिए हो रहा है क्योंकि विश्वासियों के मध्य प्रभु के वचन का अकाल है।
‘‘मेरे ज्ञान के न होने से मेरी प्रजा नाश हो गई, तू ने मेरे ज्ञान को तुच्छ जाना है, इसलिए मैं तुझे अपना याजक रहने के अयोग्य ठहराऊंगा। और इसलिए कि तू ने अपने परमेश्वर की व्यवस्था को तज दिया है, मैं भी तेरे लड़केबालों को छोड़ दूंगा। (होशे 4ः 6)
धर्मशास्त्र में साफ लिखा है कि प्रभुता अर्थात् सरकार (Government) प्रभु के कंधो पर होगी। प्रभु यीशु मसीह कलीसिया के सिर हैं और हम सब विश्वासी उसकी देह अर्थात् हांथ, पाव और कंधे इत्यादि है। (इफिसियों 1ः 21-23; रोमियों 12ः 5) इसलिए यथार्थ में सरकार (Government) हमारे कंधों के ऊपर है।
प्रभु की सरकार ‘‘आया राम और गया राम’’ की नहीं परन्तु सदा काल की है। इसलिए हमें अपना उत्तरदायित्व सम्हालना अत्यन्त आवश्यक है।
क्योंकि हमारे लिए एक बलक उत्पन्न हुआ, हमें एक पुत्र दिया गया है; और प्रभुता (Government) उसके कन्धों पर होगी, और उसका नाम अद्भुत युक्ति करने वाला पराक्रमी परमेश्वर, अनन्तकाल का पिता और शांति का राजकुमार रखा जाएगा।
उसकी प्रभुता (सरकार) सर्वदा बढ़ती रहेगी और उसकी शांति का अन्त न होगा, इसलिए वह उसको दाऊद की राजगद्दी पर इस समय से लेकर सर्वदा के लिए न्याय और धर्म के द्वारा स्थिर किए और सम्भाले रहेगा। सेनाओं के यहोवा की धुन के द्वारा यह हो जाएगा। (यशायाह 9ः 6-7)
प्रभु ने अपना बहुमूल्य रक्त बहा कर न केवल आपका उद्धार किया परन्तु आपको याजक और राजा बनाया है और आपको राज्य दिया है कि आप इस जीवन में राज्य करें। (रोमियों 5ः 17; प्रकाशितवाक्य 5ः 9-10)
यदि आपके अड़ोस-पड़ोस में तथा नगर में गंदगी, भ्रष्टाचार, शोषण अंधविश्वास, व्यभिचार और अराजकता है तो यह किसी गलती है ? यदि वहां भोजन, पानी, सफाई, सुरक्षा, सड़क यातायात, बिजली, दूरसंचार, शिक्षा तथा स्वाथ्थ के सही साधन नहीं हैं तो कौन दोषी है ? यदि गरीब लोग गन्दे नाले के पास झुग्गी-झोपड़ी में रहते हैं और उनकी औरतों को पैरवाना करने के लिए सड़क के किनारे बैठना पड़ता है तो यह सरासर आपकी गलती हैं क्योंकि आप वहां के नबी, याजक और राजा हैं।
सच्चाई तो यह है कि आप कहीं और व्यस्त हैं और आपका राज्य क्षेत्र अर्थात् पड़ोस और नगर-पूरी तरह से शैतान के कब्जे में है। इस उपेक्षा के लिए आपका नाम तो ‘‘स्वर्ग की पुस्तक’’ से तो कट ही सकता है वरन् हजारों लोग आपके निरंकुशता के कारण परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करने से वंचित रह जाऐंगे।
‘‘पृथ्वी का कोई राजा या जगत का कोई वासी इसकी कभी प्रतीति न कर सकता था, कि द्रोही और शत्रु यरूशलेम के फाटकों के भी घुसने पाएंगे’’ (विलाप गीत 4ः 12-13)
यदि आप सोचते हैं कि यहां भाजपा या कांग्रेस या किसी और पार्टी का राज्य है तो आप गलत सोचते हैं। सही में आप का राज्य है और वहां की हालात के लिए आप जिम्मेदार हैं।
प्रभु यीशु मसीह राजाओं का राजा हैं। वे राजाओं के राजा हो नहीं सकते जब तक उनके अनुयायी अपने को मत्र पापी या लेमेन और कूड़ा-कर्कट समझते हैं। प्रभुजी को राजाओं के राजा की उपाधि तब ही शोभा देगी तब साधारण विश्वासी, चाहे वे स्त्री हों या पुरूष या जवान अपने क्षेत्र में अपने प्रभु के लिए राजा बनकर प्रेम, न्याय और धार्मिकता से राज्य करें। अपने दिये हुए क्षेत्र का प्रतिदिन प्रार्थना भ्रमण, सुसमाचार प्रवचन, आत्मिक युद्ध से लोगों को बीमारी से चंगाई, दुष्टात्माओं से ग्रसित लोगों को छुटकारा दिलाइये और राज्य कीजिए।
‘‘यीशु ने हमें एक राज्य अर्थात् अपने पिता परमेश्वर के लिए याजक भी बना दिया है। यीशु की महिमा और पराक्रम युगानुयुग होता रहे। आमिन।’’ (प्रकाशितवाक्य 1ः 6)
हांलाकि परमेश्वर ने हमें राजा बनाया और राज्य दिया और आदेश दिया कि तुम पृथ्वी पर राज्य करोगे (प्रकाशितवाक्य 1ः 8; 5ः 9-10) परन्तु हम सांसारिक राजाओं के समान दूसरों पर अधिकार जमाने के लिए नहीं परन्तु सेवा करने के लिए नियुक्त किये गए हैं।
‘‘यीशु ने उन्हें पास बुलाकर कहा, ‘‘तुम जानते हो कि अन्य जातियों के शासक उन पर प्रभुता करते हैं। जो बड़े हैं, वे उन पर अधिकार जताते हैं। परन्तु तुम में ऐसा न हो। जो कोई तुम में बड़ा होना चाहे, वह तुम्हारा सेवक बने। जो तुम में अगुवा होना चाहे, वह तुम्हारा दास बने। (मत्ती 20ः 25-28)
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