लवने वालो की प्रार्थना
लवने वालो की प्रार्थना
प्रति प्रातःकाल 3 मिनिट की प्रार्थना में नीचे लिखे विशयों पर प्रार्थना केन्द्रित कीजिये।
1. (अ) पहिला मिनिट-फसल काटने और बटोरने की:
मुझ से मांग, और मैं जाति जाति के लोगों को तेरी निज सम्पत्ति होने के लिये, और दूर दूर के देशों को तेरी निज भूमि बनने के लिये दे दूंगा। (भजन संहिता 2ः8)
जो आँसू बहाते हुए बोते हैं, वे जयजयकार करते हुए लवने पाएँगे। चाहे बोनेवाला बीज लेकर रोता हुआ चला जाए, परन्तु वह फिर पूलियाँ लिए जयजयकार करता हुआ निश्चय लौट आएगा। (भजन संहिता 126ः5,6)
(ब) खेत काटने के लिये मजदूर:
उसने उनसे कहा ‘‘पके खेत बहुत हैं, परन्तु मजदूर थोड़े हैं; इसलिये खेत के स्वामी से विनती करो कि वह अपने खेत काटने को मजदूर भेज दे। (लूका 10ः2)
(स) अपने फसल काटने के लक्ष्य पर आशिष मागिंयेः
वह तेरे मन की इच्छा पूरी करे, और तेरी सारी युक्ति को सफल करे। (भजन संहिता 20ः4)
2. दूसरा मिनिट-अवलोकन की प्रार्थना:
(द) कौन कौन से व्यक्तिगत और कलीसिया के अंदर सामूहिक अवरोधक और गढ़ हमारे बीच में और ख्रीष्ट विरोधियों में पाये जाते हैं जिनसे राज्य की बढ़ोत्तरी में रूकावट होती है, उन्हें नष्ट करने के लिये प्रार्थना एवं प्रयास करे। (भजन संहिता 139ः24; प्रेरितों काम 26ः17,18; रोमियों 7ः19,20; तीतुस 1ः16; 3ः3; रोमियों 15ः23)
3. तीसरा मिनिट-सुनने वाली प्रार्थना:
(ई) बडे़ षांतिपूर्ण और एकाग्रचित होकर, प्रकाषन और अपने क्षेत्र के लिये रणनीति मांगियेः
‘‘इसी प्रकार से प्रभु यहोवा अपने दास भविष्यद्धक्ताओं पर अपना रहस्य बिना प्रगट किये कुछ भी न करेगा।’’ (आमोस 3ः7)
संध्या की 2 मिनिट की प्रार्थना
पहिली मिनिट की मूल्यांकन वाली प्रार्थनाः प्रति संध्या परमेश्वर आदम के साथ चलता था। यह केवल मनोरंजक पदयात्रा नहीं थी परन्तु मूल्यांकन वाली पदयात्रा थी कि आदम ने वाटिका में कितना काम किया और उसकी रक्षा किया या नहीं। हम सभों को अपने कार्यो का लेखा जोखा प्रति संध्या को परमेश्वर को देना चाहिए कि जहां उसने हमें दिनभर रखा वहां हमने कैसी गवाही दी और शैतान के योजनाओं से उसकी रक्षा की। क्या हमने उसके आज्ञानुसार अपने वचन एवं जीवन शैली से शिष्य बनाया, बपस्तिमा दिया और परमेश्वर के राज्य की बढ़ोत्तरी की ? (लूका 10ः17-21; मत्ती 28ः18-20)
दूसरी मिनिटः धन्यवाद की प्रार्थना करें हम कि परमेश्वर ने अपना रहस्य हम पर प्रगट किया हैं और हम ने उस की महिमा अन्यजातियों के बीच मे किया। (कुलु. 4ः1-6; 1ः26,27; प्रकाशितवाक्य 8ः3-4)
नोटः कृपया इन प्रार्थनाओं को प्राथमिकता दीजिये, एवं अपने सभी प्रार्थना योद्धाओं को सूचित कीजिये ताकि पूरे देश में एकता की प्रार्थना, परमेश्वर के सिंहासन तक पहुंचे। (प्रका. वाक्य 8ः3,4; 1 शमूएल 3ः10; लूक 8ः18; मरकुस 13ः33; यूहन्ना 10ः27; मत्ती 11ः25; 22ः36)
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