अधोलोक के फाटक
अधोलोक के फाटक
प्रभु यीशु ने कहा कि मैं अपनी कलीसिया बनाऊँगा और अधोलोक के फाटक उस पर प्रबल न होंगे। प्रभुजी ने अपनी कलीसिया को अधिकार दिया कि जो तुम बांधोगे वह स्वर्ग में बंधा हुआ है और जो तुम खोलोगे वह स्वर्ग में खुल हुआ है। (मत्ती 16ः 18-19)
व्यक्तिगत फाटक:
अधोलोक के फाटक वे हैं जिनके द्वारा शैतानिक शक्तियां अधिकार के साथ अन्दर प्रवेश कती है। जब कोई अपने घर में दारू पीने या व्यभिचार करने का भ्रष्टाचार के धन का उपयोग करने या झूठ बोलने या टेलीविजन में अश्लील तस्वीर देखने या अन्धविश्वास द्वारा ऐसी शक्तियों को महिमा देते हैं तो ईश्वर हैं ही नहीं तो अधोलोक के फाटक खुल जाते हैं जिससे अशुद्ध आत्माएं प्रवेश करने लगती हैं।
वे फाटक स्वेच्छा से खोले जाते हैं परन्तु बिना मध्यस्थता की प्रार्थना के बंद नहीं किए जाते। दुष्टात्माओं को यहाँ से प्रभु के नाम, वचन, लहु, अपनी गवाही और पवित्रात्मा की सामर्थ से बांधकर बाहर निकाला जाता है। यह हर एक साधारण विश्वासी का अधिकार है।
‘‘और विश्वास करनेवालों में ये चिन्ह होंगे कि वे मेरे नाम से दुष्टात्माओं को निकालेंगे।’’ (मरकुस 16ः 17)
प्रभुजी ने तो नरक में जाकर हमला कर दिया और शैतान से नरक की चाबी छीन लिया। इसलिए प्रभुजी दावे से कहते हैं कि स्वर्ग और पृथ्वी का सारा अधिकार मेरे पास इसलिए तुम जाकर अधोलोक के फाटकों को तबाह करो और परमेश्वर का राज्य स्थापित करो।
‘‘मैं तुझे स्वर्ग के राज्य की कुंजिया दूंगा। जो कुछ तू पृथ्वी पर बांधेगा, वह स्वर्ग में बंधेगा, और जो कुछ तू पृथ्वी पर खोलेगा, वह स्वर्ग में खुलेगा।’’(मत्ती 16ः 19)
अब प्रभुजी ने स्वर्ग राज की कुंजी हमें दे दी है। अर्थात् अब हम अधिकार से अधोलोक के फाटकों को बंद करके स्वर्ग के फटाकों को खोल कर परमेश्वर के राज्य को स्थापित कर सकते हैं। यह प्रत्येक विश्वासी का अधिकर है।
‘‘देखो, मैंने तुम्हें सांपों और बिच्छुओं को रौंदने का, और शत्रु की सारी सामथ्र्य पर अधिकार दिया है। किसी वस्तु से तुम्हें कुछ हानि न होगी।’’(लूका 10ः 19)
नगर के फाटक:
पुराने जमाने में हर मुख्य शहर के चारों ओर शहर पनाह होती थी और सारा आना जाना एक फाटक से होता है। जिसका कब्जा फाटक पर होता था वह सारे नगर पर कब्जा रखता था। वहाँ पर नगर के पुरनिए जैसे इब्राहीम, अय्यूब, बोआज़, मोर्देकई इत्यादि इसी स्थान पर बैठते थे। वहाँ उनका वर्चस्व था। परमेश्वर बहुत दुःखी है क्योंकि पुरनिये आज फाटकों पर नहीं बैठते।
‘‘अब फाटक पर पुरनिये नहीं बैठते, न जवानों का गीत सुनाई पड़ता है।’’ (विलापगीत 5ः 14)
नगर पर नियत्रण नहीं रखने के कारण शैतान को प्रवेश करके नगर को नष्ट करने की पूरी स्वतंत्रता मिल जाती है। नगर के फाटक की पहरेदारी करना और शैतान का नगर प्रवेश बंद करना एक याजक का काम है।
याद रखिए कि नाश करने वाला दुष्ट आपके नगर को नाश करके उजाड़ करने के लिए निकल चुका है।
‘‘एक सिंह अपनी झाड़ी से निकला, जाति-जाति का नाश करनेवाला चढ़ाई करके आ रहा है, वह कूच करके अपने स्थान से इसलिये निकला है कि तुम्हारे देश को उजाड़ दे और तुम्हारे नगरों को ऐसा सुनसान कर दे कि उनमें कोई बसनेवाला न रहने पाए।’’ (यिर्मयाह 4ः 7)
आपके पहरेदारी नहीं करने से शैतान ने आपके नगर को नाश करने में करीबन पूरी तरह से सफलता प्राप्त कर चुका है।
शैतान ने आपके नगर को कैसे नष्ट करने पाया ? धर्मशास्त्र कहती है कि यह परमेश्वर के याजकों के पापों केाकरण हुआ है।
‘‘पृथ्वी का कोई राजा वा जगत का कोई वासी इसकी कभी प्रतीति न कर सकता था, कि द्रोही और शत्रु यरूशलेम के फाटकों के भीतर घुसने पाएंगे। यह उसके भविष्यद्वक्ताओं के पापों और उसके याजकों के अधर्म के कामों के कारण हुआ है; क्योंकि वे उसके बीच धार्मियों की हत्या करते आए हैं।’’ (विलाप गीत 4ः 12-13)
हमारी ‘‘वचन की अज्ञानता’’ के कारण से लोग गरीब, फटेहाल, भूखे और प्यासे हो गये हैं क्योंकि हमारे पड़ोसियों को हमने सत्य का मार्ग अर्थात यीशु मसीह के बारे में सही तरीके से नहीं बताया।
‘‘इसलिये अज्ञानता के कारण मेरी प्रजा बंधुआई में जाती है, उसके प्रतिष्ठित पुरूष भूखों मरते और साधारण लोग प्यास से व्याकुल होते हैं। इसलिये अधोलोक ने अत्यन्त लालसा करके अपना मुंह बेपरिमाण पसारा है, और उनका विभव और भीड़-भाड़ और आनन्द करनेवाले सब के सब उसके मुंह में जा पड़ते हैं।’’ (यशायाह 5ः 13-14)
शैतान ने उनकी ‘‘बुद्धि की आँखों’’ को बंद कर दिया और उनकों बहका दिया।
‘‘और उन अविश्वासियों के लिये, जिनकी की बुद्धि को इस संसार के ईश्वर ने अन्धी कर दी है, ताकि मसीह जो परमेश्वर का प्रतिरूप है, उसके तेजोमय सुसमाचार का प्रकाश उन पर न चमके।’’ (2 कुरिन्थियों 4ः 4)
जब तक वे सत्य अर्थात् यीशु मसीह को नहीं जानेंगे तब तक वे शैतान क बंधन से स्वतंत्र नहीं हो पायेंगे।
‘‘यीशु ने उससे कहा, मार्ग और सच्चाई और जीवन मैं ही हूं; बिना मेरे द्वारा कोई पिता के पास नहीं पहुंच सकता।’’(यूहन्ना 14ः 6)
‘‘और तुम सत्य को जानोगे, और सत्य तुम्हें स्वतंत्र करेगा। सो यदि पुत्र तुम्हें स्वतंत्र करेगा, तो सचमुच तुम स्वतंत्र हो जाओगे।’’ (यूहन्ना 8ः 32, 36)
उनके मध्य हमारे द्वारा सही याजकीय सेवा न देने के कारण वे सब नाश हो जाएगें। धर्मशास्त्र साफ बताती है कि पृथ्वी को बिगाड़ने वाले नष्ट कर दिए जाएंगे।
‘‘और .....पृथ्वी के बिगाड़नेवाले नाश किए जाएं।’’ (प्रकाशितवाक्य 11ः 18)
हमारे सृष्टि करता परमेश्वर द्वारा बनाए गये पर्यावरण की रक्षा करना हर एक याजक का कर्तव्य है। वृक्षारोपण इत्यादि योजनाओं में हमरा पूरा योगदान होना चाहिये।
आप अपने नगर के पहरेदार हैं:
कोई भी शैतानिक कार्यक्रम जो आपके नगर में होने वाला है उसकी सूचना मिलते साथ, तुरन्त तुरही बजाकर, मध्यस्थ्ता करने वालों को तुरन्त अवगत कराइये जिससे सब सब लोग एक चित्त होकर शैतानिक योजना के विरूद्ध प्रार्थना कर सकें।
‘‘हे यरूशलेम, मैं ने मेरी शहरपनाह पर पहरूए बैठाए हैं; वे दिन-रात कभी चुप न रहेंगे। हे यहोवा को स्मरण करनेवालो, चुप न रहो, और, जब तक वह यरूशलेम को स्थिर करके उसकी प्रशंसा पृथ्वी पर न फैला दे, तब तक उसे भी चैन न लेने दो।’’ (यशायाह 62ः 6-7)
आप अपने नगर के अधिकारी हैं:
परमेश्वर ने इब्राहीम को आशीष दी और कहा कि तेरी संतान अपने श्त्रु के नगरों का अधिकारी होगा।
‘‘इस कारण मैं निश्चय तुझे आशीष दूंगा; और तेरा वंश अपने शत्रुओं के नगरों (फाटकों) का अधिकारी होगा: और पृथ्वी की सारी जातियां अपने को तेरे वंश के कारण धन्य मानेंगी: क्योंकि तू ने मेरी बात मानी है।’’ (उत्पत्ति 22ः 17-18)
आप अपने नगर के साधारण निवासी नहीं है परन्तु प्रभुने आपको एक याजक और राज्य करने वाले अधिकरी नियुक्त किया है।
‘‘तू ने उन्हें हमारे परमेश्वर के लिये एक राज्य और याजक बनाया है। वे पृथ्वी पर राज्य करेंगे।’’ (प्रकाशितवाक्य 5ः 10)
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