कलीसिया क्या है?
कलीसिया क्या है?
उत्तर:- कलीसिया वह स्थान हैं जहां पापियों को खोज कर लाया जाता है। और उनका शुद्धिकरण और सामर्थी करन किया जाता है और उनको आज्ञाकारी और मनुष्यों का मछुवा बनाकर भेज दिया जाता है।
लूका 19ः10 ‘‘मनुष्य का पुत्र तो खोए हुओं को ढूढ़ने और उनका उद्धार करने आया है।’’
लूका 15ः7 ‘‘मै तुमसे कहता हूॅं कि इसी प्रकार स्वर्ग में भी उन निन्यानवे धर्मियों से, जिन्हें मन फिराने की आवश्यकता नहीं, मन फिराने वाले एक पापी के लिये बढ़कर आनन्द मनाया जाएगा।
लूका 15ः8 ‘‘या ऐसी कौन स्त्री होगी जिसके पास चांदी के दस सिक्के हों और एक खो जाए तो वह दीया जलाकर और घर को झाड़ - बुहार कर तब तक सावधानी से ढूंढ़ती न रहे जब तक वह मिल न जाए?
लूका 15ः9 ‘‘जब वह पा लेती है तो अपनी सहेलियों और पड़ौसियों को इकट्ठा करके कहती है, ‘‘मेरे साथ आनन्द मनाओ, क्योंकि मैंने उस खोए हुए सिक्के को पा लिया है।’’
लूका 15ः10 ‘‘मैं तुम से कहता हूँ कि इसी प्रकार एक मन फिराने वाले पापी के लिए भी परमेश्वर के स्वर्गदूतों की उपस्थिति में आनन्द मनाया जाता है।’’
लूका 9ः1 ‘‘तब उसने बारहो को एक साथ बुलाया और उनको सब दुष्टआत्माओं पर और बीमारीयों को चंगा करने के लिये सामथ्र्य और अधिकार दिया।’’
लूका 9ः2 ‘‘उसने उनको भेजा कि वे परमेश्वर के राज्य का सुसमाचार प्रचार करें और रोगियों को चंगा करें।’’
लूका 10ः1-10
(1) ‘‘ इसके पश्चात प्रभु ने सत्तर अन्य व्यक्तियों को नियुक्त किया और उन्हें अपने आगे दो दो करके प्रत्येक नगर और स्थान को भेजा जहाॅं वह स्वयं जाने पर था।
(2) उसने उनसे कहा, फसल तो बहुत खड़ी है, पर मज़दूर थोड़े है, अतः खेत के मालिक से विनती/प्रार्थना करो, कि वह अपने खेत में मज़दूरों को भेजे।
(3) जाओ, देखो, मै तुम्हें मेमनों के समान भेड़ियों के मध्य भेजता हूॅ।
(4) अपने साथ न तो बटुआ, न झोला और न जूतियां लो, और मार्ग में किसी को नमस्कार भी मत करो।
(5) जिस घर मे भी प्रवेश करो पहले कहो, ‘‘इस घर मे शन्ति बनी रहे ’’।
(6) यदि वहां कोई शान्ति के योग्य हो, तो तुम्हारी शान्ति उस पर बनी रहेगी अन्यथा वह तुम्हारे पास लौट आयेगी।
(7) उसी घर मे रहो, और जो कुछ वे तुम्हे दें, उसी को खाओं और पीयो, क्योंकि मज़दूर को मज़दूरी अवश्य ही मिलनी चाहिए। घर घर में मत फिरा करो।
(8) जिस घर मे भी जाओ, जब वे तुम्हारा स्वागत करें तो जो कुछ तुम्हारे सामने रखा जाये वही खाओ।
(9) वहां जो बीमार हो उन्हों चंगा करो और उनसे कहो, ‘‘परमेश्वर का राज्य तुम्हारे निकट आ पहुंचा है।’’
(10) पर जिस नगर मे तुम जाओ और लोग तुम्हारा स्वागत न करें तो उनकी गलीयों मे जाकर कहो।
(11) तुम्हारे विरोध में हम तुम्हारे नगर की उस धूल को भी जो हमारे पैरों पर लगी है झाड़ देते है। फिर भी यह निश्चय पूर्वक जान लो कि परमेश्वर का राज्य निकट आ पहुंचा है।’’
मत्ती 28ः18-20 ‘‘ तब यीशु ने उनके पास आकर कहा’’ ‘‘स्वर्ग और पृथ्वी का सारा अधिकार मुझे दिया गया है। (19) इसलिये जाओ और सब जातियों के लोगों को चेले बनाओं तथा उन्हें पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा के नाम से बपतिस्मा दो’’ (20) ‘‘और जो जो आज्ञांए मैने तुम्हें दी है उनका पालन करना सीखाओं। और देखो, मै युग के अन्त तक सदैव तुम्हारे साथ हूॅ।’’
मत्ती 4ः19 ‘‘उसने उनसे कहा, ‘‘मेरे पिछे चलो मै तुम्हें मनुष्यों के मछुए बनाऊंगा।’’
परमेश्वर का राज्य:- गलातियों 5ः22 ‘‘परन्तु पवित्र आत्मा का फल प्रेम, आनन्द, शान्ति, धीरज, दयालुता, भलाई, विश्वस्तता, 23 पद नम्रता व संयम है।’’
मूल्याकंन करेंः- (1) कितनों का शुद्धिकरन किया। (2) कितनों को मछुवारे बना कर भेज दिया।
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