पुराने नियम की परछाईयां और नये नियम की वास्तविक्ता

पुराने नियम की परछाईयां और नये नियम की वास्तविक्ता

नाइसिया की सभा (325 सदी) में, रोम के सम्राट कान्सेन्टाइन जो यहूदियो से यीशु को मरवा डालने के लियें घृणा करता था, उस ने सब्त के दिन को हटा कर रविवार की आराधना में बदल दिया, क्योंकि वह सूर्य पूजक था। उसने भव्य मंन्दिर और तनख्वाधारी पुजारी नियुक्त किया और नये नियम की घरेलू कलीसिया पर पाबन्दी लगा दिया। उसके जीवन काल में अन्य जातियों की नामधारी मसीहियों और कलीसियाओं की बेलगाम बढ़ोत्तरी हुई, जो अभी भीें पाई जाती है।

1. फसह का पर्वः- फसल का पर्व मिस्त्र की दासत्व से छुटकारा पाने के लिये मनाया जाता था। कुटुम्ब में सभी भूना मेम्ना, अखमीरी रोटी और कडुवे सागपात को खाते थे। इस्त्राईली जों मिस्त्री दास थे और जिनका कोई असतित्व नही था, उन्होने एक मेम्ना वध किया और उसका खून दरवाजे के चैखटों पर लगाया और ऐसा करनें से वह अपने घराने के याजक बन गये और अपनें कुटुम्ब के पालनहार और रक्षक बन गये़़। (निर्गमन 12ः8-20, लैव्यव्यवस्था 23ः4-14)

2. फसह का पर्व घरों में मनाया जाता है उनकें पास तीन रोटियां (पिता पुत्र और पवित्रआत्मा) जो एक कपडे़ में ढ़की रहती थी केवल बीच की रोटी (पुत्र) दो भाग में तोड़ी जाती थी और आधा भाग छुपा दिया जाता था। भोजन के पष्चात सभी छुपी रोटी को खोजते थे, जब मिल जाती थी तो पाने वाले को ईनाम मिलता था और सभी उस रोटी को खाते थे। इस आधी रोटी को ‘‘ऐफीकोमेन’’ कहते थें जिसका अर्थ ‘‘ मै आया था’’। रोटी बनाने से पहिले , उसे खरोचा और भेदा जाता था , यह याद दिलाता है कि यषुवा पाप रहित होते हुए भी मारा और छेदा गया। खमीर भ्रश्टता का सूचक है। फसह के पर्व के पहिले पूरे घर की सफाई होती थी और हर प्रकार की सड़ाहट को दूर करते थे। येषुवा एक जीवित रोटी है जो स्वर्ग से आई जिसे हम खा कर नही मरते है। (यूहन्ना 6ः 32,35,41,48)

नये नियम में:- येषुवा नें फसह का भोज अपने षिश्यों के साथ एक घर में किया। वह फसह का निश्कलंक मेम्ना था, जिसने संसार के पापो को अपने ऊपर उठा लिया और मानव के पापो से छुटकारा दिया। येषुवा का लोहु ही है जो हर विष्वासी को एक याजक और राजा के रूप में बदल देता है। यह पर्व, एक धार्मिक संस्कार के रूप में नही मनाया जाता है (क्योंकि धार्मिक संस्कार से किसी का उद्धार नही होता) परन्तु आज्ञा हैं कि हर विष्वासी को, कही भी और कभी भी जहां दो या तीन प्रभु के नाम से एकत्रित होते हैं उन्हें इस पर्व को मनाने का आदेष है। (यूहन्ना 1ः29 1कुरिन्थीयों 11ः23-26 प्रकाषितवाक्य 5ः9-10)

जो भी प्रभु भोज लेता है वह प्रभु के लहू के द्वारा से याजक और राजा बन जाता है। याजक का काम टूटे हुए मनो और पिसे हूए हृदयों को बलिदान के रूप मे चढ़ाकर वह पृथ्वी पर राज्य करता है। यदि वह अपने जिम्मेदारी को नही समझता तो वह प्रभु भोज को अयोग्य रूप से लेता है। (1कुरिन्थ. 11ः24-30, प्रकाषितवक्य 5ः9-10, रोमियों 15ः16)

सन् 2012 में फसह का पर्व 7 अप्रैल को था
सन् ____में फसह का पर्व ____मार्च को आयेगा।

3. पहिला फल का पर्व:- यह फसह के पर्व के बाद मनाया जाता था, साधारणतः इस्त्रायली जाति के लोग पहली जइ की पूलियां को चढ़ाते थे इस रीति से वे अपनी पूरी फसल कों समर्पित करते थे।
नये नियम में:- यह यषुवा के भक्तों के लिये एक महत्वपूर्ण दिन है, जिसमें येषुवा जी उठे। पौलूस प्रेरित लिखते है ‘‘ परन्तु सचमुच मसीह मुर्दो मंे से जी उठा है, और जो सो गये हैं उन मे वह पहिला फल है’’ (1कुरिन्थीयों 15ः20

सन 2012 यह पर्व 9 अप्रैल को था। 
सन ___ में यह___ मार्च को होगा।

5. पेन्टीकाॅस्ट:- यह पर्व 50वे दिन पहिला फल के पर्व के बाद होता था। यह कटनी का पर्व था। यह पर्व उन तीन पर्वो में से एक था जब सभी इस्त्रायल को हुक्म था कि वे अपने परमेष्वर के सामने अपनी भेड़ बकरी और उपज ले लेकर उपस्थित हों। (व्यवस्थाविवरण 16ः16) यह माना जाता है कि आज के दिन इस्त्रालियों को जंगल में पुरानी वाचा मिली थी। 

नये नियम मेंः- यह कलीसिया का जन्मदिन है। पवित्र आत्मा आग की जीभों के सदृष्य 120 लोगों पर ऊतरा जों ऊपरी कोठरी मे थे। 3000 परिवारों ने एक दूसरें को बपतिस्मा दिया और कलीसिया का आरंभ हुआ। पहिली बार अन्य जाति के लोग शामिल हुए और बीच की दीवार तोड़ी गई। जो नई वाचा परमेश्वर ने वायदा की थी पेन्टीकाॅस्ट के दिन लागू हो गई। (यर्मियहा 31ः31, प्रेरितों के काम 2ः1-3,17,18 इब्रानियों 9ः14-15)

सन्  2012 में 27 मई को मनाया गया
सन्  _____में ____ मई को मनाया जयेगा।

6. तुरही का पर्व:- यह इस्त्रायली लोगो को नये साल की शुरूवात की घोषणा करता है। यह पर्व 10 दिन तक चलता है और शोफार या तुरही पूरे इस्त्रायल और आराधनालय में फूंकी जाती है। और सभी लोगों को पापों से पश्चाताप करने के लिये और अच्छे काम करने के लिये आग्रह किया जाता है।

नये नियम में:- यह पर्व एक न्याय के दिन का चिन्ह है। जब तुरही फूंकी जायेगी और येशुवा न्याय करने आयेगें, ‘‘क्योंकि प्रभु आपही स्वर्ग से उतरेगा, उस समय ललकार कर और प्रधान दूत का शब्द सुनाई देगा और परमेश्वर की तुरही फूंकी जायेगी और जो मसीह में मरे हैं वह पहिले जी उठेगें’’। (1कुरिन्थीयों 15ः52, 1थिस्लकुनिकीयों 4ः16 मत्ती 25ः31-32)

सन्  2012 में 17 सितम्बर को मनाया गया
सन्  ______ में ______सितम्बर को मनाया जायेगा।

7. योमकिपुर:- प्रायश्चित का दिन इस दिन में महायाजक अति पवित्र स्थान में घुसकर वेदी पर खून छिड़कता था। पशु मन्दिर के बलिदान की वेदी पर नही जलाया जाता था परन्तु शहर के बाहर ( इब्रानियों 13ः11)

नये नियम मेंः- यशुवा स्वर्गीय पवित्र स्थान में अपने खून को लेकर प्रवेश किया और उसका शरीर शहर के बाहर क्रूसित किया।

अजाजेल (पापबलि का बकरा) और येशुवा मसीह (लैवव्यस्था 16ः20-21

जब वह पवित्रस्थान और मिलापवाले तम्बू और वेदी के लिये प्रायष्चित कर चुके तब जीवित कबरे कों आगे ले आए और हारून अपने दोनो हाथो को जीवित बकरे पर रख इस्त्रयलियों के सब अर्धम के कामों और अपने सब अपराधो अर्थात अपने सारें पापों को अंगीकार कर और उसको बकरे के सिर पर रख कर उसको किसी मनुष्य के हाथ जो इस काम के लिये तैय्यार हो, जंगल में भेज के छुड़वा दे। (यशायाह 53ः6-11) और यहोवा ने हम सभों के अधर्म का बोझ उसी पर लाद दिया और उनके अधर्म के कामो का बोझ उठा लिया (यशायाह 1ः8) महायाजक एक लाल कपड़े का एक टुकड़ा उस बकरे पर बांधकर, अपने पास दूसरें लाल टुकड़े को रख कर बकरे को जंगल में छोड़ देते थे। जब वह लाल कपड़ा सफेद हो जाता था तब वे जान जाते थे कि  उनके पाप क्षमा हो गये हैं। (यशायाह 1ः18) ‘‘आओ हम आपस में वाद विवाद करें, तुम्हारे पाप चाहें लाल रगं के हो तौभी वे हिम के समान उजले हो जायेंगे, और चाहे किरमिजी लाल रंग के क्यों न हो, तौभी वे ऊन के समान श्वेत हो जायेंगे’’।

नये नियम मेंः- ‘‘येशुवा परमेश्वर के राज्य का प्रचार करने आया पश्चाताप करो क्योंकि परमेश्वर का राज्य निकट आ गया है’’। (मत्ती 4ः17) ‘‘ ये वे है जों उस महा क्लेश से निकल कर आये है इन्होने अपने अपने वस्त्र मेमने के लहू से धोकर श्वेत किए है ’’ और यहोवा ने हम सभो के अधर्म का बोझ उसी पर लाद दिया’’ (यशायाह 53ः6

सन्  2012 में 26 सितम्बर को मनाया गया
सन्  ___ में ____ सितम्बर को मनया जायेगा।

8. झोपड़ियो का पर्व:- इस त्यौहार में 40 वर्ष जंगल की यात्रा को याद करते है यह एक हफ्ते तक मनाया जाता है इस पर्व के दौरान पत्तों और डगालों की झोपड़ी बनाई जाती है इसमें फल और सब्जियों से सजाया जाता है मित्रों और कुटुम्बियों को आमन्त्रित किया जाता है, और एक दुसरे को याद दिलाते है कि परमेश्वर विश्वस्त है वह सुरक्षा प्रदान करते है, और परमेश्वर के द्वारा हर जरूरत कों पूरा करने का तथा उनके महान कार्य जो परमेश्वर ने उनके बीच उन दिनों में किया जब उनका कोई सहारा नही था । यह एक ऐसा पर्व था जिसमे यहूदी जातियों के लिये यरूशलेम आना अनिवार्य था । यहूदी मोमबत्ती जलाते है यह याद करते हुए की उनका मसीहा अन्य जातियों के लिये ज्योती ठहरेगा। (यशायाह 49ः6) सिलोम के कुन्ड से पानी भर कर ले जाते थे जो यह सूचित करता है कि मसीहा आयेगा और पृथ्वी परमेश्वर के ज्ञान से ऐसी भर जायेगी जैसे समुद्र जल से ’’ (यशायाह 11ः9)

नये नियम में:- येशुवा ने झोपड़ियों के पर्व को मनाया और आखरी दिन घोषणा की ‘‘ यदि कोई प्यासा हो तो मेरे पास आए और पीये ’’ (यूहन्ना 7ः37-38) दूसरे दिन प्रातः मन्दिर की बत्तियां जल ही रही थी तब येषुवा ने कहा ‘‘मै जगत की ज्योति हूं’’ (यूहन्ना 8ः12) झोपड़ियों का पर्व अनन्त काल तक मनाया जायेगा। जब मसीहा आयेगा, तब सिय्योन से सारे व्यवस्था निकलेगें और संसार के सब लोग तीर्थ यात्रा कर के यरूशलेम में राजाओं के राजा से मिलने जायेगें। तीर्थ यात्रा में जाते समय वे रास्ते में झोपड़ी बनाकर रहेंगे। (जकर्याह 8ः3,14ः16-19)

सन्  2012 में 1अक्टूबर से 8 अक्टूबर तक होगा
सन्  ____ में ____ सितम्बर को मनाया जायेगा।

यहूदी जाती के लोग पवित्र दिनो में प्रार्थना और पश्चाताप करते, क्षमा और बलिदान और अगले साल वे कैसे परमेश्वर को प्रसन्न करें कि उन्हें आशिष मिले दुःख की बात है कि 99.9 प्रतिशत यहूदी लोग यह विश्वास नही करते कि येशुवा ही मसीहा है। और उससे ज्यादा दुःख की बात है कि मनुष्यों द्वारा ठहराए हुए बडे़ दिन को तथा शुभ शुक्रवार और इस्टर को इसाई धूम धाम से मनाते हैं परन्तु उन्हे बाईबल के पर्वो का महत्व ही नही मालूम है।

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