प्रार्थना यात्रा के लिए कुछ सुझाव

प्रार्थना यात्रा के लिए कुछ सुझाव
लक्ष्य: याद रखिए कि आप अपने मालिक की सम्पत्ति की सुरक्षा और बलवन्त के सम्पत्ति को छीनने के लिए जा रहे हैं।

1. घर में निकलने के पहिले अपनी सुरक्षा के लिए एक ‘‘प्रार्थना कवच’’ जरूर बना लें अर्थात् अपने प्रार्थना साथियों को जता दीजिए जिससे वे अपको दुष्ट के आक्रमण से आपको बचा कर रखें। यदि आपका किसी विश्वासी या घराने के सदस्य के साथ कड़वाहट है तो पश्चाताप करके सभी सम्बन्ध ठीक कर लीजिए।

परमेश्वर के सम्पूर्ण अस्त्र-शस्त्र धारण करके निकलें जैसे सत्य की कमर बंद, धार्मिकता की झिलम, शांति के सुसमाचार सुनाने की तत्परता के जूते, विश्वास की ढाल तथा उद्धार का टोप और वचन की तलवार।

यह इसलिए आवश्यक है कि आपका संघर्ष मनुष्यों से नहीं परन्तु शैतान के शासकों, अधिकारियों और इस अधकारपूर्ण युग की सेनाओं से है इसलिए परमेश्वर के आधीन हो जाओ और शैतान वहां से दूर भाग जाएगा।(इफिसियों 6ः 10-18; याकूब 4ः 7)

2. तड़के सुबह या कभी भी घर से बाहर निकलते ही सृष्टिकर्ता परमेश्वर की महिमा कीजिए। उसने आकाश और पृथ्वी, पशु, पेड़, पौधों की अद्भुत रीति से सृष्टि की है। चिड़ियों के साथ गीत गाइये। भजन या अन्य महिमा के भजन रट कर सृष्टिकर्ता परमेश्वर की महिमा और स्तुति गान कीजिए। दाउद राजा के समान कहिए कि आकाश परमेश्वर की महिमा कर रहा है और आकाश मंडल उसकी हस्तकला को प्रगट कर रहा है। (भजन संहिता 19ः 1-2)

3. उसकी सृष्टि को आशीष दीजिए। उसकी सृष्टि बड़ी आशाभरी दृष्टि से परमेश्वर के पुत्रों की प्रगट होने की प्रतीज्ञा कर रही है .....जिससे वह स्वयं विनाश के दासत्व से छुटकारा पाए। (रोमियों 8ः 19-21)

पशु, पक्षी एवं सारी सृष्टि को आशीष दीजिए क्योंकि एक दिन सारे प्राणी भी अपने बनाने वाले की महिमा करेंगे।
‘‘फिर मैंने स्वर्ग में, और पृथ्वी पर, और पृथ्वी के नीचे, और समुद्र के सब प्राणियों को, और उन सब कुछ को जो उन में हैं-अर्थात् सृष्टि के सब प्राणियों को यह कहते सुना, ‘‘जो सिंहासन पर बैठा है, उसका, और मेमने का धन्यवाद, आदर, महिमा, और राज्य युगानुयुग रहे।’’ (प्रकाशितवाक्य 5ः 13)

4. अपने नगर को आशीष दीजिए। स्कूल, चिकित्सालय तथा अनेक समाज सेवकीय संस्थाओं को आशीष दीजिए। आपको आदेश मिला है कि जिस नगर में मैंने तुम्हें बंधुआ बनाकर रखा उसके हित के लिए प्रार्थना करो क्योंकि उसके हित में तुम्हारा हित है। धार्मिक जन के आशीष से नगर आशीषित होता है। (यर्मियाह 29ः 7; नीतिवचन 11ः 11)

5. दुष्टात्माओं द्वारा स्थापित किए गए अधोलोक के फाटकों को नष्ट कीजिए। आकाश में स्थित दुष्टात्माओं पर परेमश्वर के नाना प्रकार के ज्ञान को प्रगट कीएिज और उन्हें याद दिलाइए (इफिसियों 3ः 10) कि प्रभु यीशु ने अपना खून बहाकर प्रधानताओं और अधिकारों का खुल्लम-खुल्ला तमाशा बनाया और  जय जयकार की ध्वनि सुनाई (कुलुस्सियों 2ः 13-15)।  घोषणा कीजिए कि प्रभु यीशु ने अपना खून बहाकर प्रधानताओं और अधिकरों का खुल्लम-खुल्ला तमाशा बनाया और जय जयकार की ध्वनि सुनाई (कुलुस्सियों 2ः 13-15)। घोषणा कीजिए कि जिन्होंने स्वर्ग और पृथ्वी को नहीं रचा वे स्वर्ग और पृथ्वी से नष्ट कर दिए जाएंगे। (यर्मियाह 10ः 11)

6. पश्चाताप कीजिए - आपके नगर की दुर्दशा के लिए आप जिम्मेदार हैं। दुष्ट आपके नगर में घुस कैसे गए ? यह प्रभु के दासों के पापों के कारण ही सम्भव हुई है। (विलाप गीत 4ः 12-13)

7. परमेश्वर ने कहा मुझ से मांग और मैं जाति-जाति को तेरी निज सम्पत्ति होने के लिए दे दूंगा।
‘‘मुझ से मांग, और मैं जाति-जाति के लोगों को तेरी सम्पत्ति होने के लिये, और दूर-दूर के देशों को तेरी निज भूमि बनने के लिये दे दूंगा।’’ (भजन 2ः 8)

इसलिए हर जाति के नाम लेकर उन्हें धन्य बनाइये और उनके उद्धार के लिए प्रार्थना कीजिए। आपके द्वारा सब जातियों को इतना आशीषित होना हैं कि वे स्वयं दाऊद के समान परमेश्वर की महिमा करने लगें।

‘‘हे मेरे मन, प्रभु को धन्य कह; और जो कुछ मुझ में है, वह उसके पवित्र नाम को धन्य कहे !’’(भजन 103ः 1)
अपने सताने वालों को और जो आपको शाप देते हैं उन्हें भी आशीष दीजिए -

‘‘परन्तु मैं तुम से यह कहता हूं: अपने शत्रुओं से प्रेम करो और अपने सतानेवालों के लिये प्रार्थना करो।’’ (माी 5ः 44-45)

8. प्रभु ने कहा कि फसल तो तैयार है परन्तु मज़दूरों की कमी है। इसलिए खेत के मालिक से प्रार्थना करो कि वह मज़दूरों को अपने खेत भेज दे।

‘‘क्या तुम नहीं कहते, कि फसल की कटनी होने में अब भी चार महीने शेष हैं। देखो, में तुम से कहता हूं, अपनी आंखें उठाकर खेतों पर दृष्टि डालो, कि वे कटनी के लिए पक चुके हैं।’’ (यूहन्ना 4ः 35)

9. प्रार्थना कीजिए कि परमेश्वर आपको ‘‘शांन्ति के संतान’’ के निवास को प्रगट करे जिससे वहां पर घरेलू कलीसिया स्थापित हो सके। (लूक 10ः 5-6)

विश्वास से मांगिये और विश्वास कीजिए कि परमेश्वर ने इस नगर को आपको मांगने से पहले दे दिया है। कयोंकि उसका वायदा है कि जहां-जहां तेरा पैर रौंदेगा उसे मैंने तुझे दे दिया है।
आपके नगर को अपने अधिकार में लाने में ढिलाई आप कर रहें हैं - परमेश्वर तो चाहता है कि आप शीघ्र अपना अधिकार स्थापित करे।

‘‘तब यहोशू ने इस्राएलियों से कहा, जो देश तुम्हारे पूर्वजों के परमेश्वर यहोवा ने तुम्हें दिया है, उसे अपने अधिकर में कर लेने में तुम कब तक ढिलाई करते रहोगे ? (यहोशू 18ः 3)

‘‘उस वचन के अनुसार जो मैंने मूसा से कहा, अर्थात् जिस-जिस स्थान पर तुम पांव धरोगे वह सब मैं तुम्हें दे देता हूं।’’ (यहोशू 1ः 3)

‘‘और राज्य का यह सुसमाचार सारे जगत में प्रचार किया जाएगा कि सब जातियों पर गवाही हो, तब अन्त आ जाएगा।’’ (मत्ती 24ः 14)

परमेश्वर ने अय जातियों के मध्य भ्रमण कर लिया है और उन्हें चुन भी लिया है। अब आपकी पारी है कि उन्हें प्रार्थना यात्रा के दौरान पहिचाने और उन्हें परमेश्वर के राज्य में सम्मिलित करें। (प्रेरितों के काम 15ः 14)

आप अपने गनर के याजक और अधिकारी हैं इसलिए अधिकार से याजकीय भ्रमण कीजिए।

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