विश्वासियों का न्याय

विश्वासियों का न्याय

2 कुरिन्थियों 5ः10 ‘‘क्योंकि आवश्य है कि हम सब का हाल मसीह के न्याय आसन के सामने खुल जाए, कि हर एक व्यक्ति अपने-अपने भले बुरे कामों का बदला जो उसने देह के द्वारा किए हों पाए।‘‘

बाइबल हमें सिखाती है कि विश्वासियों को एक दिन ‘‘मसीह के न्याय आसन‘‘ के सामने लेखा देना पड़ेगा। विश्वासियों के न्याय के सम्बन्ध में, निम्नलिखित सच्चाईया ध्यान में रखी जानी चाहिएः 

(1) सभी मसीहियों का न्याय होगा; इसमें किसी को भी छूट न होगी (रोमियों 14ः12; 1कुरिन्थियों 3ः12-15; 2कुरिन्थियों 5ः10; सभोपदेशक 12ः14)

(2) जब मसीह अपनी कलीसिया को लेने आयेगा, तब यह न्याय होगा (यूहन्ना 14ः3; 1थिस. 4ः14-17)।

(3) न्यायाधीश मसीह है (यूहन्ना 5ः22; 2तीमथियुस 4ः8)

(4) विश्वासियों के न्याय के बारे में बाइबल यह बताती है कि यह न्याय पवित्र और गंभीर होगा, विषेश तौर से इसलिए क्योंकि इसमें हानि और ‘‘खोने’’ की (1कुरिन्थियों 3ः15; 2यूहन्ना8) उसके ‘‘प्रगट होने‘‘ पर उसके सामने लज्जित होने की (1यूहन्ना 2ः28) और आग के द्वारा हर एक काम को परखने की (1कुरिन्थियों 3ः13-15) सम्भावना सम्मिलित है। परन्तु विश्वासी के न्याय में उसके नाश की घोषणा सम्मिलित न होगी।

(5) सब कुछ प्रगट होगा। शब्द ‘‘प्रगट’’ यूनानी में फानेरू, 2कुरिन्थियों 5ः10) का आर्थ है ‘‘खुले में या सार्वजनिक रूप से प्रगटीकरण’’। परमेश्वर पूर्णरूप से इन बातों की वास्तविक सच्चाई प्रगट करेगा और उसे जांचेगा,

(1) हमारे गुप्त कार्य (मरकुस 4ः22; रोमियों 2ः16)
(2) हमारा चरित्र (रोमियों 2ः5-11) 
(3) हमारे मुँह से निकले वचन (मत्ती 12ः36-37),
(4) हमारे भले काम (इफिसियों 6ः8), 
(5) हमारे व्यवहार (मत्ती 5ः22), 
(6) हमरे उद्देश्य (1कुरिन्थियों 4ः5),
(7) हमारे प्रेम का अभाव (कुलुस्सियों 3ः18-4ः1), और
(8) हमारे कार्य एंव सेवा (1कुरिन्थियों 3ः13)।

(6) सभी विश्वासियों को परमेश्वर को अपने विश्वास की योग्यता या अयोग्यता (मत्ती 25ः21,23; 1कुरिन्थियों 4ः2-5) और उन्हें उपलब्ध कराए गए अनुग्रह, अवसर और समझ के प्रकाश में किए गए अपने कार्यो का भी लेखा देना पड़ेगा (लूका 12ः48; यूहन्ना 5ः24; रोमियों 8ः1)।

(7) जब विश्वासी अपने बुरे कामों से पश्चाताप करता है, तो उसे अनन्त काल के दण्ड से क्षमा प्राप्त हो जाती है (रोमियों 8ः1), लेकिन प्रतिफल के दिए जाने के न्याय के समय इनका लेखा लिया जाएगाः ‘‘जो बुरा करता है वो बुराई का प्रतिफल पाएगा’’ (कुलुस्सियों 3ः25; सशोपदेशक 12ः14; 1कुरिन्थियों 3ः15, 2कुरिन्थियों 5ः10)। विश्वासी के भले काम और प्रेम को परमेश्वर स्मरण रखता है और वह उसका प्रतिफल देगा (इब्रानियों 6ः10); ‘‘जो कोई जैसा अच्छा काम करेगा प्रभु से वैसा ही पाएगा’’ (इफिसियों 6ः8)।

(8) विश्वासियों के न्याय के सुस्पष्ट परिणाम अलग-अलग होंगे। विश्वासियों का आनन्द (1यूहन्ना 2ः28), ईश्वरीय स्वीकृति (मत्ती 25ः21), कार्य एंव अधिकार (मत्ती 25ः14-30), प्रतिफल (1कुरिन्थियांे 3ः12-14; फिलिप्पियों 3ः14; 2तीमुथियुस 4ः8) और सम्मान (रोमियों 2ः10; 1पतरस 1ः7) या तो बढे़गे या घटेंगे। 

(9) आने वाले न्याय द्वारा मीसीहियों में परमेश्वर का भय सिद्ध हो जाना चाहिए (2कुरिन्थियों 5ः11; फिलिप्पियों 2ः12; 1पतरस 1ः17) और इस भय के कारण उनके विचार साफ और नियंत्रित होते जाएँ कि वे सचेत होकर प्रार्थना करें (1पतरस 4ः5-7), कि वे पवित्र और ईश्वरीय जीवन निभा सकें (2पतरस 3ः11), और सब के प्रति करूणा एंव दया की भावना रख सकें (मत्ती 5ः7; 2तीमुथियुस 1ः16-18) 

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