घरेलु कलीसिया में शिष्यता की शिक्षा
घरेलु कलीसिया में शिष्यता की शिक्षा
मत्ती 4ः19
19 यीशु ने उन से कहा, “मेरे पीछे चले आओ, तो मैं तुम को मनुष्यों के पकड़नेवाले बनाऊँगा।”
इफिसियों 4ः11:
11उसने कुछ को प्रेरित नियुक्त करके, और कुछ को भविष्यद्वक्ता नियुक्त करके, और कुछ को सुसमाचार सुनानेवाले नियुक्त करके, और कुछ को रखवाले और उपदेशक नियुक्त करके दे दिया, 12जिस से पवित्र लोग सिद्ध हो जाएँ और सेवा का काम किया जाए और मसीह की देह उन्नति पाए, 13जब तक कि हम सब के सब विश्वास और परमेश्वर के पुत्र की पहिचान में एक न हो जाएँ, और एक सिद्ध मनुष्य न बन जाएँ और मसीह के पूरे डील-डौल तक न बढ़ जाएँ। 14ताकि हम आगे को बालक न रहें जो मनुष्यों की ठग-विद्या और चतुराई से, उन के भ्रम की युक्तियों के और उपदेश के हर एक झोंके से उछाले और इधर-उधर घुमाए जाते हों। 15वरन् प्रेम में सच्चाई से चलते हुए सब बातों में उसमें जो सिर है, अर्थात् मसीह में बढ़ते जाएँ, 16जिससे सारी देह, हर एक जोड़ की सहायता से एक साथ मिलकर और एक साथ गठकर, उस प्रभाव के अनुसार जो हर एक अंग के ठीक-ठीक कार्य करने के द्वारा उस में होता है, अपने आप को बढ़ाती है कि वह प्रेम में उन्नति करती जाए।
मत्ती 18:20 :
20क्योंकि जहां दो या तीन मेरे नाम पर इकट्ठे होते हैं वहां मैं उन के बीच में होता हूं॥
1कुरिन्थियों 3ः9 :
9 क्योंकि हम परमेश्वर के सहकर्मी हैं; तुम परमेश्वर की खेती और परमेश्वर की रचना हो।
प्रेरितों के काम 1ः8 :
8 परन्तु जब पवित्र आत्मा तुम पर आएगा तब तुम सामर्थ्य पाओगे; और यरूशलेम और सारे यहूदिया और सामरिया में, और पृथ्वी की छोर तक मेरे गवाह होगे।”
1कुरिन्थियों 11ः26 :
26 क्योंकि जब कभी तुम यह रोटी खाते और इस कटोरे में से पीते हो, तो प्रभु की मृत्यु को जब तक वह न आए, प्रचार करते हो।
1कुरिन्थियों 3ः16,17 :
16क्या तुम नहीं जानते कि तुम परमेश्वर का मन्दिर हो, और परमेश्वर का आत्मा तुम में वास करता है? 17यदि कोई परमेश्वर के मन्दिर को नष्ट करेगा तो परमेश्वर उसे नष्ट करेगा; क्योंकि परमेश्वर का मन्दिर पवित्र है, और वह तुम हो।
यूहन्ना 1ः11 :
11वह अपने घर आया और उसके अपनों ने उसे ग्रहण नहीं किया। 12परन्तु जितनों ने उसे ग्रहण किया, उसने उन्हें परमेश्वर की सन्तान होने का अधिकार दिया, अर्थात् उन्हें जो उसके नाम पर विश्वास रखते हैं।
2इतिहास 7ः14 :
14 तब यदि मेरी प्रजा के लोग जो मेरे कहलाते हैं, दीन होकर प्रार्थना करें और मेरे दर्शन के खोजी होकर अपनी बुरी चाल से फिरें, तो मैं स्वर्ग में से सुनकर उनका पाप क्षमा करूँगा और उनके देश को ज्यों का त्यों कर दूँगा।
यशायाह 54ः17 :
17 जितने हथियार तेरी हानि के लिये बनाए जाएँ, उन में से कोई सफल न होगा, और जितने लोग मुद्दई होकर तुझ पर नालिश करें उन सभों से तू जीत जाएगा। यहोवा के दासों का यही भाग होगा, और वे मेरे ही कारण धर्मी ठहरेंगे, यहोवा की यही वाणी है।”
मत्ती 28ः18-20 :
18यीशु ने उनके पास आकर कहा, “स्वर्ग और पृथ्वी का सारा अधिकार मुझे दिया गया है। 19इसलिये तुम जाओ, सब जातियों के लोगों को चेला बनाओ ; और उन्हें पिता, और पुत्र, और पवित्र आत्मा के नाम से बपतिस्मा दो , 20और उन्हें सब बातें जो मैं ने तुम्हें आज्ञा दी है, मानना सिखाओ : और देखो, मैं जगत के अन्त तक सदा तुम्हारे संग हूँ।
मत्ती 18ः18 :
18 “मैं तुम से सच कहता हूँ, जो कुछ तुम पृथ्वी पर बाँधोगे, वह स्वर्ग में बंधेगा और जो कुछ तुम पृथ्वी पर खोलोगे, वह स्वर्ग में खुलेगा।
मरकुस 16ः17,18 :
17विश्वास करनेवालों में ये चिह्न होंगे कि वे मेरे नाम से दुष्टात्माओं को निकालेंगे, नई नई भाषा बोलेंगे, 18साँपों को उठा लेंगे, और यदि वे प्राणनाशक वस्तु भी पी जाएँ तौभी उनकी कुछ हानि न होगी; वे बीमारों पर हाथ रखेंगे, और वे चंगे हो जाएँगे।”
मत्ती 24ः6-11 :
6तुम लड़ाइयों और लड़ाइयों की चर्चा सुनोगे, तो घबरा न जाना क्योंकि इन का होना अवश्य है, परन्तु उस समय अन्त न होगा। 7क्योंकि जाति पर जाति, और राज्य पर राज्य चढ़ाई करेगा, और जगह जगह अकाल पड़ेंगे, और भूकम्प होंगे। 8ये सब बातें पीड़ाओं का आरम्भ होंगी। 9तब वे क्लेश देने के लिये तुम्हें पकड़वाएँगे, और तुम्हें मार डालेंगे, और मेरे नाम के कारण सब जातियों के लोग तुम से बैर रखेंगे। 10तब बहुत से ठोकर खाएँगे, और एक दूसरे को पकड़वाएँगे, और एक दूसरे से बैर रखेंगे। 11बहुत से झूठे भविष्यद्वक्ता उठ खड़े होंगे, और बहुतों को भरमाएँगे।
लूका 6ः44 :
44 हर एक पेड़ अपने फल से पहचाना जाता है; क्योंकि लोग झाड़ियों से अंजीर नहीं तोड़ते और न झड़बेरी से अंगूर।
प्ररितों के काम 2ः41-42 :
41अत: जिन्होंने उसका वचन ग्रहण किया उन्होंने बपतिस्मा लिया; और उसी दिन तीन हज़ार मनुष्यों के लगभग उनमें मिल गए। 42और वे प्रेरितों से शिक्षा पाने, और संगति रखने, और रोटी तोड़ने, और प्रार्थना करने में लौलीन रहे।
मत्ती 24ः14 :
14 और राज्य का यह सुसमाचार सारे जगत में प्रचार किया जाएगा , कि सब जातियों पर गवाही हो, तब अन्त आ जाएगा।
1कुरिन्थियों 1ः17 :
17 क्योंकि मसीह ने मुझे बपतिस्मा देने को नहीं, वरन् सुसमाचार सुनाने को भेजा है, और यह भी शब्दों के ज्ञान के अनुसार नहीं, ऐसा न हो कि मसीह का क्रूस व्यर्थ ठहरे।
उत्पत्ती 12ः3 :
3 जो तुझे आशीर्वाद दें, उन्हें मैं आशीष दूँगा; और जो तुझे कोसे, उसे मैं शाप दूँगा; और भूमण्डल के सारे कुल तेरे द्वारा आशीष पाएँगे।”
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