प्राचीन-धर्मवृद्ध-बिशप-डीकन

प्राचीन-धर्मवृद्ध-बिशप-डीकन
कलीसिया क्या है ?
‘‘...यीशु मसीह ने कहा कि मैं अपनी कलीसिया बनाऊंगा और अधोलोक के फाटक उस पर प्रबल न होंगे।’’ (मत्ती 16ः 18)
इसलिए कलीसिया का सिर और उसका कोने का पत्थर यीशु मसीह ही है। कलीसिया मात्र उसकी देह है।
और सब कुछ उसके पांवों तले कर दिया: और उसे सब वस्तुओं पर शिरोमणि ठहराकर कलीसिया को दे दिया। यह उसकी देह है, और उसी की परिपूर्णता है, जो सब में सब कुछ पूर्ण करता है। (इफिसियों 1ः 22-23)

प्रभु के पैर अर्थात् कलीसिया तले सारे प्रधान्ताएं, और अधिकार, सामर्थ, प्रभुता और हर एक नाम जो इस लोक में और आने वाले लोक में लिया जायेगा व सब कलीसिया के नीचे कर दिया है जिससे वह शैतान के सिर को कुचले और फैल कर सारी दुनिया को भर दे। (रोमियों 16ः 20)

एक अन्य जाति के व्यक्ति ने कलीसिया की परिभाषा देते हुए कहा कि कलीसिया वह स्थान है जहां हालेल्लू वाले हर सप्ताह हल्ला करते है। उन्हें स्वर्ग जाने कि बड़ी चिन्ता है परन्तु अपने पड़ोस की उन्हें कोई चिन्ता नहीं है।
नए नियम में यूनानी शब्द (मासमेपं) का अनुवाद मंडली या सभा होता है। नए नियम में चर्च शब्द का सम्बन्ध कभी किसी भवन से नहीं होता।

चार प्रकार के कलीसियांओं का वर्णण नए नियम में बताया गया है। पहिला- विश्व व्यापी कलीसिया: पहिले विश्वासी से आज तक जितने लोगों के नाम मेम्ने के किताब में लिखे हैं वे सब इस कलीसिया के सदस्य हैं और प्रभु यीशु इस विश्वव्यापी कलीसिया के सिर हैं। (इफिसियों 1ः 22)

दूसरा - क्षेत्रीय कलीसिया: तब सम्पूर्ण यहूदा प्रदेश, गलील प्रदेश और सामरी प्रदेश में कलीसिया को चैन मिला और उसकी उन्नति होती गई। (इफिसियों  9ः 21)

तीसरा - नगर की कलीसिया: और उसी यरूशलेम की कलीसिया पर बड़ा उपद्रव हुआ। (प्रेरितों के काम 9ः 31)
चैथा - घरेलू कलीसिया: .....अक्विला और प्रिसका का और उनके घर की कलीसिया का भी तुम को प्रभु में बहुत-बहुत नमस्मार। (1 कुरिन्थियों 16ः 19)

कलीसिया के तीन मुख्य उद्देश्य:
पहिला - परमेश्वर की महिमा करना: तुम एक चुना हुआ वंश और राज पद धारी याजकों का समाज .....कि उसके गुण प्रकट करो। (1 पतरस 2ः 9)

वे परमेश्वर की स्तुति करते थे। सब लोग उनसे प्रसन्न थे। जो लोग उद्धार पाते थे उन्हें प्रभु प्रतिदिन उन में मिला देता था। (प्रेरितों के काम 2ः 47)

परमेश्वर की महिमा इसमें होती है कि तुम बहुत सा फल लाओ तब ही तुम मेरी शिष्य ठहरोगे। (यूहन्ना 15ः 8)

दूसरा - एक दूसरे को सांत्वना एवं प्रोत्साहन देना: हम प्रेम, और भले कामों में उकसाने के लिये एक दूसरे की चिन्ता किया करें। (इब्रानियों 10ः 24-25)

ताकि उनके मन में शांति हो और वे प्रेम से आपस में मिले रहें। वे पूरी समझ का सारा धन प्राप्त करें और परमेश्वर पिता को पहिचान लें जिसमें बुद्धि और ज्ञान के सारे कोश छिपे हुए हैं। (कुलुस्सियों 2ः 2-3)

‘‘इस कारण एक दूसरे को शान्ति दो, और एक दूसरे की उन्नति का कारण बनो। भाइयो, तुम ऐसा करते भी हो।’’ (1 थिस्सलुनीकियों 5ः 11)

तीसरा - अन्य जातियों के मध्य गवाह: इसलिए यरूशलेम, यहूदिया, समारिया और पृथ्वी की छोर तक तुम मेरे मवाह होगे।

अन्य जातियों के मध्य कलीसिया के पांच प्रक्रियाएं - 1. प्रचार करना 2. शिष्य बनाना 3. बपतिस्मा देना (मत्ती 28ः 19) 4. तैयार करना (इफिसियों 4ः 12) 5. भेजना (यूहन्ना 20ः 21) - जैसे पिता ने मुझे भेजा है वैसे ही मैं तुम्हें भेजता हूँ)

नए नियम की हर एक कलीसिया में प्राचीन या धर्मवृद्ध (म्सकमते) थे ।
1. पौलुस द्वारा स्थापित हर एक कलीसिया में प्राचीन थे।
‘‘उन्होंने हर एक कलीसिया में उनके लिये धर्मवृद्ध ठहराए। उन्होंने उपवास सहित प्रार्थना करके उन्हें प्रभु के हाथ सौंपा जिस पर उन्होंने विश्वास किया था।’’ (प्रेरितों के काम 14ः 23)

2. यरूशलेम की कलीसिया में प्राचीन थे।
‘‘तब पौलुस औश्र बरनबास का यहूदियों से बहुत झगड़ा और वाद-विवाद हुआ तो यह ठहराया गया कि पौलुस और बरनबास और हम में से कुछ और व्यक्ति इस बात के विषय में प्रेरितों और धर्मवृद्धों के पास जाएं।’’ (प्रेरितों के काम 15ः 2)

3. इफीसियों की कलीसियाओं में प्राचीन थे।
‘‘पौलूस ने मीलेतुस से इफिसुस में संदेश भेजा, और कलीसिया के धर्मवृद्धो को बुलवाया।’’ (प्रेरितों के काम 20ः 17)

4. तीतुस को आदेश मिला कि क्रेते की हर एक कलीसिया में प्राचीन नियुक्त करे।
‘‘मैं इस कारण तुझे क्रेते द्वीप में छोड़ आया था कि तू शेष रही हुई बातों को सुधारे, और मेरी आज्ञा के अनुसार नगर-नगर में धर्मवृद्धों को नियुक्त करे। (तीतुस 1ः 5)

5. रोम राज्य में जहां विश्वासी तितर-बितर हुए वहां प्राचीन नियुक्त किये गए।
‘‘परमेश्वर और प्रभु यीशु मसीह के सेवक याकूब की और से उन बारहों कुलों को जो तितर-बितर होकर रहते हैं, नमस्मार पहुंचे .....यदि तुम में कोई रोगी है तो वह कलीसिया के धर्मवृद्धों को बुलाए, और धर्मवृद्ध प्रभु के नाम से उस पर तेल मल कर उसके लिये प्रार्थना करें।’’ (याकूब 1ः 1; 5ः 14)

6. पाँटुस, गलातिया, कपाडोचिया, आसिया और बिथनिया की सारी कलीसियाओं में प्राचीन।
‘‘पतरस की ओर से जो यीशु मसीह का प्रेरित है, उन प्रवासियों के नाम पर जो पुन्नतुस, गलातिया, कप्पदुकिया, आसिया और बिथुनिया में तितर-बितर होकर रहते हैं। तुम में जो धर्मवृद्ध हैं, मैं उनके समान धर्मवृद्ध औश्र मसीह के दुखों का गवाह और प्रकट होने वाली महिमा में सहभागी होकर उन्हें यह समझाता हूं। (पतरस 1ः 1; 5ः 1)

प्राचीन की परिभाषा:
प्राचीन का बुढ़ापे से कोई सम्बन्ध नहीं है:
कोई भी विश्वासी जो धर्म के विषय में लम्बे अर्से से परिपक्व होता है उसे धर्मवृद्ध या प्राचीन नियुक्त किया जा सकता है।

प्राचीन और बिश्प इत्यादि में कोई अन्तर नहीं होता:
प्राचीन कलीसिया में सम्मानित इन्सान होता है। बिशप भी एक प्राचीन होता है परन्तु उसके पास कलीसिया की देखरेख तथा प्रबन्धक की जिम्मेदारी होती है।
पौलुस प्राचीनो से कहता है
‘‘इसलिये तुम अपनी और पूरे झुण्ड की रखवाली करो। पवित्र आत्मा ने तुम्हें अध्यक्ष (बिशप) ठहराया है कि तुम परमेश्वर की कलीसिया की रखवाली करो, जिसे उस ने अपने लोहू से मोल लिया है।’’ (प्रेरितों के काम 20ः 26)
पतरस ने अपने को कभी विशप नहीं कहा परन्तु अपने को मात्र प्राचीन कहा। (1 पतरस 5ः 1)
डीकन सेवक होता है:
परन्तु अभी वह शिक्षक नहीं है क्योंकि उसमें अभी वह परिपक्वता नहीं है।

प्राचीन का चरित्र - आचरण में निर्दोष, एक ही पत्नि के पति, जिनकी संतान विश्वासी हों, जिसमें लुचपन और निरंकुशता का दोष नहीं, क्योंकि प्राचीन को परमेश्वर का भंडारी होने के लिए निर्दोष होना चाहिये। न हठी न क्रोधी, न पियक्कड़, न मार पीट करने वाला और न नीच कमाई क लोभी।

‘‘धर्मवृद्ध आचरण में निर्दोष और एक ही पत्नी का पति हों, जिनकी संतान विश्वासी हो, और जिन्हें लुचपन और निरंकुशता का दोष नहीं। क्योंकि बिशप को परमेश्वर का भण्डारी होने के कारण निर्दोष होना चाहिए।’’ (तीतुस 1ः 6-7)

प्राचनी आव भगत करने वाला:
‘‘वह अतिथियों का सत्कार करने वाला, .....हो।’’ (तीतुस 1ः 8)
यदि प्राचीन और उसकी स्त्री समय बेसमय आव भगत करने वाले न हो तो घरेलू क लीसिया नहीं चल सकती । इसलिए नए नियम में जहां भी घरेलू कलीसिया क वर्णन है वहां प्रिस्का, निम्फा तथा अफफिया जैसी स्त्रियों के नाम अवश्य हैं। (1 कुरिन्थियों 16ः 19; कुलुस्सियों 4ः 15; फिलेमोन: 2)

प्राचीन एक परिपक्व शिक्षक:
‘‘वह विश्वास योग्य वचन पर जो धर्मोपदेश के अनुसार है, स्थिर रहे ताकि खरी शिक्षा से उपदेश दे सके, और विवादियों का मुंह भी बन्द कर सके।’’ (तीतुस 1ः 9; 1 तीमुथियुस 3ः 2, 2ः 24; याकूब 5ः 19-20)

यथार्थ में प्राचीन वचन में इतना मज़बूत होना चाहिए कि वह विरोधियों को मुहतोड़ जवाब दे सके। अनेक वरदानी शिक्षक अपने धर्मशास्त्र के ज्ञान का घमंड करते हैं परन्तु उनके शिष्य वचन में अत्यन्त कमजोर होते हैं।
परन्तु सही शिक्षक वे होते हैं जोमुह तोड़ जवाब देने वाले परिपक्व शिष्य तैयार करते हैं।

प्राचीन एक अच्छा प्रबन्धक:
‘‘जो धर्मवृद्ध अच्छा प्रबन्ध करते हैं, विशेष करके वे जो वचन सुनाने और सिखाने में परिश्रम करते हैं, दो गुने आदर के योग्य समझे जाएं।’’ (1 तीमुथियुस 5ः 17)

‘‘वह अपने घर का अच्छा प्रबन्ध करता हो। वह अपनी संतान को पूरी गम्भीतरता से अधीन रखता हो। यदि कोई बिशप अपने घर ही का प्रबन्ध करना न जानता हो तो वह परमेश्वर की कलीसिया की रखवाली कैसे कर सकेगा ?’’ (1 तीमुथियुस 3ः 4-5)

‘‘इसलिए तुम अपनी और पूरे झूण्ड की रखवाली करो। पवित्र आत्मा ने तुम्हें अध्यक्ष ठहराया है कि तुम परमेश्वर की कलीसिया की रखवाली करो, जिसे उस ने अपने लोहू से मोल लिया है।’’ (प्रेरितों के काम 20ः 28)
‘‘जो लोग तुम्हें सौंपे गए हैं, उन पर अधिकार न जताओ, वरन् झुंड के लिये आदर्श बनो।’’(1 पतरस 5ः 3)

माहिलाएं भी प्राचीन नियुक्त की जा सकती हैं:
इसी प्रकार बुजुर्ग स्त्रियों का चाल चलन पवित्र लोगों के समान हो। वे दोष लगाने वाली और पियक्कड़ नहीं, पर अच्छी बातें सिखने वाली हों। ताकि वे जवान स्त्रियों को चेतावनी देती रहें कि वे अपने पतियों और बच्चों से प्रेम करें। वे संयमी, पवित्रता, घर का काम करने वाली, भली और अपने पति के अधीन रहने वाली हों ताकि परमेश्वर के वचन की निन्दा न होने पाए।

स्त्रियों को सिद्धान्तिक शिक्षा देने का और पुरूषों पर शासन करने का अधिकार नहीं था।
‘‘मैं कहता हूं कि स्त्री न (Doctrine) उपदेश करे, और न पुरूष पर आज्ञा चलाए, परन्तु वह चुपचाप रहे।’’ (1 तीमुथियुस 2ः 12)

परन्तु इसका अर्थ यह नहीं कि वह सिर ढांक कर मौन धारण करे। परन्तु वह भविष्यवाणी कर सकती है तथा मनुष्यों की उन्नति और प्रोत्साहन और शांति की बातें करने का पूरा अधिकार है। (1 कुरिन्थियों 14ः 3)

जवान भी प्राचीन हो सकते है:
तीमुथियुस और तीतुस दोनों जवान थे। दोनों अन्य जातियों में से थे क्योंकि इनका खतना बाद में हुआ। दोनों जवानों को कलीसियाओं को विश्वास में स्थिर करने और प्राचीन, बिशप, डीकन नियुक्त करने का अधिकार था। दोनों जवानों का जीवन दूसरों के लिए आदर्श नमूना था।

‘‘मैं इस कारण तुझे क्रेते द्वीप में छोड़ आया था कि तू शेष रही हुई बातों को सुधारे, और मेरी आज्ञा के अनुसार नगर-नगर में प्राचीनों को नियुक्त करे।’’(तीतुस 1ः 5)

नए विश्वासी को जल्दी से प्राचीन नियुक्त नहीं कीजिए:
‘‘फिर यह कि वह नया-नया मसीही न बना हो। ऐसा न हो कि उसे अभिमान हो जाए और शैतान का सा दण्ड पाए। वह गैरमसीहियों में भी सुनाम हो। ऐसा न हो कि सब कोई उसकी निन्दा करें और वह शैतान के फन्दे में फंस जाए।’’ (1 तीमुथियुस 3ः 6-7)

‘‘किसी व्यक्ति पर शीघ्र हाथ न रखना और दूसरों के पापों में भागी न होना। अपने आपको पवित्र बनाए रखना।’’ (1 तीमुथियुस 5ः 22)

डीकन - का अर्थ होता है सेवक ! यह स्त्री और पुरूष दोनों के लिए काम में लाया जाता है। ये वे लोग हैं जो विभिन्न प्रकार की सेवकाई करते हैं।

मार्था ने प्रभुजी की खिलाने पिलाने की सेवकाई की (लूका 10ः 40) प्रेरित वचन और प्रार्थना की सेवकाई करते थे।(प्रेरितों के काम 6ः 4)

गरीब संतो के लिए साधन जुटाने को सेवकाई कहा गया। (प्रेरितों के काम 11ः 29, 12ः 25; रोमियों 15ः 31; 2 कुरिन्थियों 3ः 6)

तीमुथियुस को एक विश्वास योग्य सेवक कहा। (1 थिस्सलुनीकियों 3ः 2)

प्रभुजी ने अपने को दास कहा कि .....मैं तुम्हारे मध्य एक सेवक के समान हूँ। (लूक 22ः 27)

प्रभुजी ने कहा कि 
‘‘मनुष्य क पुत्र इसलिये नहीं आया कि उसकी सेवाटहल की जाए, परन्तु वह इसलिये आया है कि वह स्वयं दूसरों की सेवाटहल करे; और बहुत लोगों को छुड़ाने के लिये अपने प्राण दे।’’ (मत्ती 20ः 28)

हमारे लिए कहा गया है कि
‘‘परन्तु तुम में ऐसा न हो। जो कोई तुम में बड़ा होना चाहे, वह तुम्हारा सेवक बने। जो तुम में अगुवा होना चाहे, वह तुम्हारा दास बने।’’(मत्ती 20ः 26-27)

प्राचीन को अधिकार जताने के लिए नहीं परन्तु सेवकाई का आदेश मिला 
‘‘परमेश्वर के उस झुंड की, जो तुम्हारे बीच में है, रखवाली करो। यह काम दबाव से नहीं, परन्तु परमेश्वर की इच्छा के अनुसार आनन्द से; और नीच-कमाई के लिये नहीं, पर मन लगाकर करो। जो लोग तुम्हें सौंपे गए हैं, उन पर अधिकार न जताओ, वरन् झुंड के लिये आदर्श बनो। जब प्रधान रखवाला प्रकट होगा तब तुम्हें महिमा का मुकुट दिया जाएगा, जो नष्ट नहीं होगा।’’ (1 पतरस 5ः 2-4)

मसीह भाई-बहिनों की एक बिरादरी:
नए नियम की कलीसियाओं में सदस्य एक दूसरे को भाई या बहिन कहते थे। ठतमजीतमद या ठतवजीमतीववक शब्द का अर्थ केवल भाई से नहीं परन्तु ‘‘बिरादरी’’ से है जिसमें स्त्री, पुरूष, बच्चे सब शामिल हैं।
‘‘यीशु ने उन्हें उत्तर दिया, ‘‘मेरी माता और मेरे भाई कौन हैं ?’’ फिर जो उनके आस-पास बैंठे थे उन पर दृष्टि करके यीशु ने कहा, ‘‘देखो, मेरी माता और मेरे भाई ये है।’’(मरकुस 3ः 33-34)

प्रभुजी ने पुर्न जीवित होने के बाद मरियम मगदलीनी से कहा कि .....जाकर मेरे भाईयों को बताओं। (यूहन्ना 20ः 17)

पतरस 120 लोगों को ‘‘भाईयों’’ कह कर सम्बोधित किया जिसमें स्त्रियां भी उपस्थित थी। (प्रेरितों के काम 1ः 15)

यरूशलेम में अन्यजातियों के नए विश्वासियों के मुद्दे पर जो महासभा हुयी तो वहां बिशप और प्राचीनों तथा अनय उपाधिवालों ने नहीं परन्तु साधारण ‘‘भाइयों’’ ने इस गम्भीर विषय को सुलझाया। (प्रेरितों के काम 15ः 3)

अन्ताकिया की कलीसिया के ‘‘भाइयों’’ ने भाई बरनबास और भाई पौलुस का अभिशेक करके भेज दिया। (प्रेरितों के काम 15ः 2-3)

प्रेरितों के काम के पंद्रहवा अध्याय में ‘‘भाई’’ शब्द करीब दस बार आता है।
मसीही संगति एक ‘‘बिरादरी’’ है जहां भाई चारे का सम्बन्ध होता है और उपाधियों का कोई खास महत्व नहीं होता।

‘‘जो लोग तुम्हें सौंपे गए हैेें, उन पर अधिकार न जताओ, वरन् झुंड के लिये आदर्श बनो।’’ (1 पतरस 5ः 3)

प्राचीन बनने की अभिलाषा रखना अच्छी बात है:
अन्त में यदि कोई प्राचीन या एक झुंड का रखवाला या सेवक बनना चाहता है तो यह भली बात है परन्तु उसके लिए उपरोक्त योग्यताओं का होना आवश्यक है।

‘‘यह बात सत्य है, कि जो अध्यक्ष होना चाहता है, तो वह भले काम की इच्छा करता है।’’ (1 तीमोथी 3ः 1)

याद रखिए कि प्राचीन या बिश्प या डीकन कोई उपाधि नहीं है। प्रभुजी ने अपने आपको ‘‘सेवक’’ की उपाधि से सुशोभित किया इसलिए ‘‘सेवक’’ की उपाधि हमारी सबसे बड़ी उपाधि है।

स्वर्ग में भी न पास्टर, न बिशप, न नबी, न प्रेरित और न कोई दूसरी उपाधि वाला मिलेगा। वहां केवल प्राचीन मिलेंगे। (प्रकाशित वाक्य 4ः 4)

अब जो ऐसा सामर्थी है, कि हमारी बिनती और समझ से कहीं अधिक काम कर सकता हैं, उस सामर्थ के अनुसार जो हम में कार्य करता है, कलीसिया में, और मसीह यीशु में उस की महिमा पीढ़ी तक युगानुयुग होती रह। आमीन (इफिसियों 3ः 20-21)

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