शब-ए-बारात
शब-ए-बारात
26 जून को पूरे दिन के उपवास और इफ्तार के साथ ख़त्म होने के बाद, जब मसीही लोग गहरी नींद में सोते होंगे, तब दुनिया के करोड़ों मोमिन सारी रात, दुवा, तौबा, इबादत, मिन्नत करेंगे और कुरआन पढेंगे. कुछ लोग सारी रात मस्जिद में जागरण करेंगे। इस रात को लैयलातुल क़द्र या शबे बारात यानि इबादत की रात कहते हैं, इस रात अल्लाहताला अपने फरिश्तों के साथ नीचे आसमान पर आकर मुसलमानों की दुआ और मिन्नत को सुनतें हैं। इस रात की दुआ, हजार महीनों की दुआ से बेहतर होती है। (कु. 97: 3)
सूरा अल-बक़रा 2:185 के मुताबिक: कुरआन रमजान के महीने के दौरान नाज़िल हुई थी । हजरत मोहम्मद स. हीरा पहाड़ की एक गुफा में थे जब जिब्रील फ़रिश्ता ने उन्हें पकड़कर हुक्म दी "इक्रा", यानि पढ़ो, लेकिन ह. मोहम्मद स. ने कहा कि वे “उम्मी” यानि अनपढ़ हैं ।(सं 96: 1 96: 3-4) तो जिब्रील उन्हें और भी ज़ोर से दबोचा और पढ़ने के लिए फिर से हुक्म दिया। बाद में ह. मोहम्मद स. ने अपनी पहिली बीबी खदिज्जा, जो ईसाई थी, उसको सारा वाक्या बताया. ह. खदिज्जा उसे अपने चचेरे भाई वराका – बिन - नवफल जो मक्का शहर का बिशप था उनके पास ले गई। मुस्लिम आलिमों का दावा है कि वराका – बिन - नवफल ने ह. मोहम्मद स. को नबी करार किया, लेकिन दूसरे आलिम इसकी पुष्टि नहीं करते। जिब्रील हजरत मोहम्मद स. को 23 बरस तक कुरान को नाज़िल करता रहा।
दिलचस्प बात यह है की अल्लाह मुसलमानों को रोज़े रखने की हिदायत इसलिए देते हैं क्योंकि उन्होंने (यहूदी और मसीही)लोगो को पहिले से रोज़े का फर्ज़ अदा करने का हुक्म दिया था। (कुरआन 2: 183)
जाहिर है यहाँ मुराद हजरत मूसा को तोरह और हज़रत ईसा-अल-मसीह को इंजील की सौगात 40 दिन के रोज़े के बाद मिला था।
मसीही क्या कर सकते हैं ?:
दुआ करें कि दुनिया के 2.6 अरब मसीही जाग जाएँ और 1.6 अरब हज़रत इश्माएल के फरजंद (बेटें और बेटियों) को हिदायत दें कि वे कुरआन शरीफ की तालीम को ठीक से पढ़ें कि अल कुरआन सही में हजरत ईसा-अल-मसीह के मौजू क्या कहता है:
उसकी तरह कोई पैदा नहीं हुआ। सूरा आले इमरान | (03:47; 21:91; 66:12;)
उसकी माँ की तरह दुनिया की कोई औरत पाक नहीं थीं । (आ. इमरान 3:42)
उसकी तरह किसी को ईसा (नज़ात देहिंदा) नाम नहीं दिया गया। (आ. इमरान 3:45; 39)
उसकी तरह किसी को कलिम्तुल्लाह (ख़ुदा का कलाम) से नहीं नवाज़ा गया। (अन निसा 4: 171)
उसकी तरह किसी को रूहोल्लाह यानि खुदा की रूह नहीं कहा गया। (अन निसा 4: 171)
उसकी तरह किसी ने भी मौज्जीजे नहीं किये। (आ. इमरान 03:49; अल माइदह 5: 110)
उसकी तरह कोई भी आज तक बेगुनाह नहीं हुआ। (आ. इमरान 03:46; सूरे मरियम 19:19)
उसकी तरह किसी ने मौत हासिल नहीं की। (सूरे मरियम 19: 33,34)
उसकी तरह कोई आसमान पर जिन्दा नहीं उठा लिया गया। (अन निसा 4: 158)
उसकी तरह अल्लाह के नजदीक कोई नहीं है। (आले इमरान 3:55)
उसकी तरह कोई क़ियामत में आसमान से इंसाफ करने नहीं आएगा। (सूरे अज जुखरुफ़ 43:61)
उस बेमिसाल जलाली शख्शियत का नाम है, ईसा-अल-मसीह। (आले इमरान 3:45)
अल कुरान
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