भाग 2 घरेलू कलीसिया नये नियम के समय

भाग 2 घरेलू कलीसिया नये नियम के समय 

यीशु मसीह के जीवनकाल में साधारण, मछली घर में इस्तेमाल की जाती थी। जिसमें सुसमाचार फैला और नये बिश्वासीयों को शिष्य बनाते थे। ठीक इसी रीति से कलीसिया की बढ़ोत्तरी भी प्रेरितों के काम नाम पुस्तक में दिखाई देती है। नीचे लिखे वचन इस बात को स्पष्ट करते है। 

एक घर जहां यीशु की आरधना होती थीं: ‘‘उन्होंने उस घर में उस बालक को उसी माता मरियम के साथ देखा और मुहं के बल गिरकर बालक को प्रणाम किया और अपना - अपना थैला खोलकर उसको सोना और लोभान और गन्धरस की भेट चढ़ाई  मत्ती 2ः11 सब से पहिले एक झुण्ड इकट्ठा हुआ कि वह यीशु की अराधना करें और उसे भेंट चढ़ाई वह घर में हुआ यह घर मरियम और युसुफ का था। 

पतरस का घर चंगाई की सभा के लिये इस्तेमाल हुआ।: ‘‘जब यीशु पतरस के घर आया, तो उसकी सास को ज्वर से पीड़ीत बिस्तर पर पड़े देखा, उसने उसका हाथ छुआ और उसका ज्वर उतर गया और वह उठकर उसकी सेवा टहल करने लगी और जब संध्या हुई, तो वे बहुत से दुष्टात्मा-ग्रस्त लोगों को उसके पास लाए और उसने वचन मात्र से ही उन दुष्ट आत्माओं को निकाला और उन सब को चंगा किया जो बीमार थे‘‘। (मत्ती 8ः14-16)

पहली प्रभु भोज की सभा एक घर में हुई : यीशु की अन्तिम सप्ताह की सेवा में अपने चेलों से कहा ‘‘उसने कहा ‘‘नगर में अमुक व्यक्ति के पास जाकर उस से कहो, गुरू कहता है, ‘‘मेरा समय निकट है। मुझे अपने चेलों के साथ तेरे यहां फसह का पर्व मनाना है।‘‘(मत्ती 26ः18) हमारा प्रभु पहला प्रभु भोज अपने शिष्यों के साथ एक आराधनालय में कर सकता था या मन्दिर में या किसी धार्मिक स्थल में परन्तु उसने इस पर्व को एक साधारण और मामूली घर में यहूदी रीति के अनुसार फसल का पर्व मनाया। 

यीशु ने रोटी, दाखरस, भून्जा हुआ मेम्ना कड़वे साग के साथ परोसा जो किसी परम्परा कलीसिया में नही हो सकता। इस तरह से यीशु ने मन्जूरी दोनो बातों के लिये दी एक साधारण भोजन तथा एक साधारण घर में जो कि पवित्र और शुद्ध ऐसा करने से उन्होंने लेवियों को वर्जित किया और साधारण लोगो को शामिल किया प्रेमी यीशु ने एक नई और महत्वपूर्ण अगुवे को अपनी कलीसिया में चालू किया। दुःख की बात है कि वर्तमान कलीसिया में 3 मुद्दों से भटक गई है। एक साधारण घर, साधारण भोजन और साधारण लोग। 

यीशु ने भीड़ को प्रचार किया जो घर में उपस्थित थे। (मरकुश 2ः1,2)
यीशु ने वही काम सड़क पर किया, खुले जगह में और घर में जों अब हम चर्च भवन में करते है।

पेन्तेकुस्त एक घरेलु कलीसिया में आया।: (प्रे.काम 2ः1,2) 
हम में से बहुत ऐसे है जिन्होंने कभी बहुतेरे मूल घर बनाये जो बाईबल में पाई जाती है। वे सब किसी न किसी के घर में हूई। 
पहिली आराधना एक घर में थी।
पहला प्रभु भोज की सभा एक घर में थी।
पहली चंगाई की सभा एक घर में हुई।
पहिला अवसर जब सुसमाचार अन्य जाति में हुआ वह कुरनिलुयूस के घर हुआ।

पवित्रात्मा का उतरना पेन्तेकुस्त के दिन एक घर में हुआ।: पहिली कीलीसिया जो पौलुस प्रेरित की वे सब घर में आयोजित की काना का विवाह एक घर में संपन्न हुआ ना की एक चर्च में पौलुस ने परमेश्वर की पूरे ज्ञान को घर घर में सिखाया सदियों से हम ने वह जीवन खो दिया जो साधारण जगह में पाया जा सकता है। इस के बदले हमने संस्कारों और कार्यक्रमों को जोड़ लिया है जिसकी वजह से कलीसिया की बढ़ोत्तरी धीमी हो गई है और कलीसिया दूसरे जातियों में नही पहुंची। 

मन्दिर के बाहर और घरों के अन्दर: (प्रे.काम 4ः1-2) प्रेरित प्रति दिन मन्दिर में जाते और लोगो को यीशु के जी उठने के विषय में बताते थे। चेले लोगो की घर में लाते और भोजन करते समय शिष्य बनाते थे। यरूशलेम का मन्दिर को चेलो ने खाली कर दिया और यहूदी बिश्वासियों के खाने की टेबिल पर शिष्य बनाते थे। शीघ्र ही वे छोटे छोटे झूण्डों में घरों में मिलने लग गये। और प्रभु भोज लेते थे और भोजन भी करते थे और उनमें बड़ा आनन्द और धन्यवादी मन था। (प्रे.काम 2ः46) सब से तेजी से कलीसिया की बढ़ोत्तरी हुई जब वे अनऔपचारिक रीति से घरों में मिलते थे न किसी औपचारीक मीटिंग की जगह पर। पूरे इतिहास में चर्च तेजी से बढ़ा जब वे लचीला गतिशील और बुद्धीप्रिय रीति से कार्य शील थे।

शिष्य मन्दिर में शिष्य बनाने जाते थे ना की आराधना करनेः (प्रे.काम 5ः42) बिश्वासी मन्दिर में अराधना करने एकत्रित नही होते थे क्योंकि उनको मालूम था कि मन्दिर का पर्दा फट चुका है और मन्दिर दूषित कर दिया गया है। और उनको यह भी मालूम हो गया कि वे स्वंय में परमेश्वर के मन्दिर है। प्रे.काम 3ः1 में लिखा है कि वे प्रार्थना के समय मन्दिर गये क्योंकि उस वक्त बहुत से धर्मि यहूदी वहां जाते थे और शिष्य उन से बातचीत कर सकते थे। उन्होंने धार्मिक यहूदियों को जो प्रार्थना के समय मन्दिर में थे कि जिस मसीहा के लिये प्रार्थना कर रहे  है वह वास्तव में आ चुका है।

मसीही धर्म का इतिहास लायन के द्वारा बताया जाता है कि मसीहियों की कोई विशेष भवन नही था परन्तु वे घरों में मिला करते थे। डीसटिन मरर्टकू (।क्100.165) से इसटिकस द प्रीफेक्ट ने पूछा कि ‘‘तुम कहां एकत्रित होते हो? जसटिन ने जवाब दिया ‘‘जहां भी एक मिलने के लिये चुनता है और संभव है, या आप सोचते हो कि हम सब एक जगह मिलते है? ऐसा नही, क्योंकि मसीहियों का परमेश्वर एक घेरे में बन्धा हुआ नही है।

शिष्यों ने मन्दिर में प्रतिदिन शिक्षा देना आरम्भ किया इसलिये वे पकड़ कर जेल में डाल दिये गये। परमेश्वर के एक दूत ने उन्हें जेल से निकाल कर कहा प्रेरितों के काम 5ः18-20 में ‘‘जाओं और मन्दिर में लोगों को जीवन के वचन सुनाओ जितने जिज्ञासू थे वे उन्हें अपने घर में लाकर शिष्य बनाते थे। प्रे.काम 2ः46 और घर घर रोटी तोड़ते हुए आनन्द और मन की सीधाई से भोजन करते थे।
 
यहूदियों के विरोध से मसीही मन्दिर में शिष्य बनाने नही जा सके। सिनेगाॅग (अराधनालय) अब उनके दूसरा लक्ष्य बन गया और बहुत से यहूदी वहां से निकल कर पहिली यहूदी कलीसिया बनी। जैसे अन्य जाति के लोग बिश्वासी बनें उनका सिनेगाॅग जाना बन्द हो गया। प्रेरितों के काम और पौलूस के पत्रों में हमें बहुत से उल्लेख मिलता है कलीसिया घरों में मिलती थी और संख्या में बढ़ने लगी। 

शाऊल सतानेवाला: घरेलू कलीसिया पर हमला करता है। शाऊल कलीसिया को नाश करने में तुला था,घर घर जाकर बिश्वासियों को खदेड़कर कैद कर रहा था प्रेरितों के काम 8ः3 में, तरसुस के शाऊल को कौन सी जगह जाना पड़ा कि ‘‘उस मार्ग के लोगों‘‘ को खदेड़ करके जेल में डाले और मृत्यु के घाट उतारे? उसने लोगो को संगति करते घरों में पाया वह स्वंय बाद में घरो में कलीसिया स्थापित करने लगा जब उसने अपनी मिशनरी यात्रा आरम्भ की।

घरेलु कलीसिया से सुसमाचार की शुरूवात दूसरें देशो में: (प्रे.काम 10ः24-27) यह एक अच्छा उदाहरण है कि कैसे घरो में चर्च लगाये। कोई भी जिसके अन्दर परमेश्वर की भूक है वह अपने परिवार और मित्रों  को अपने घर में बुलाता है। तब वह या कोई स्त्री एक परमेश्वर के जन को बुलाता है कि परमेश्वर के वचन को बांटे। यह बिलकुल सरल है। यह सभा जो कुरनुलियुस के घर में हुई एक ऐतिहासिक शुरूवात की घटना थी। सारे यहूदी बिश्वासियों को सहमत करा दिया कि खुशखबरी सारे देशो के लिये है केवल यहूदियों के लिये ही नही। (प्रे.काम 2ः47) और सब लोग प्रसन्न थे ‘‘यहां तक की एक अबिश्वासी एक परिवार के वातावरण में आ सकता था और बहुत से लोग बिश्वासी बन गये।

लिडिया का घर योरोप में पहिला चर्च बना: (प्रे.काम16ः40) फिलिप्पी देश की कलीसिया लिडिया के घर में स्थापित हुई। प्रे.काम यह नही बताती की चर्च कैसे बढ़ा। जब जन समूह लिडिया के घर में नही समा सका तो शहर के दूसरे स्थान में चालू हो गया। इस तरह से वे विभाजित हो कर संख्या में बढ़ने लगे।
 
पौलुस के किराये का घर: (प्रे.काम 28ः30,31) इन अन्तिम शब्दों में प्रे.काम  पुस्तक में पता चलता है कि पौलुस ने रोम शहर में एक किराये का घर लिया था जहा परमेश्वर के प्रेम की खुशखबरी फैलने लगी। संसार के सबसे जल्दी बढ़ने वाला आन्दोलन आज एक घर में हुआ। यह मसीही आन्दोलन की तेज रफतार से बढ़नेवाला संभव हुआ जब लोग खुली रीति से पानी के समान मिलते जुलते थे। 
मसीही गुणात्मक रीाति से सब से ज्यादा बढ़े जब वे एक दूसरे के साथ संबन्धित रहे ना की कोई परम्परागत संसार के द्वारा

छाया में तत्व/पदार्थ: जितने चिन्ह और परछाई पुराने नियम में पाई जाती है वे सब यीशु में पूरी हुई। अब हमें मिलाप वाले तम्बू की जरूरत नही है, पूजा की पोशाक, सज्जा,सामग्री इत्यादि। यीशु ही सब कुछ है और सब में है और हम सब उस में परिपूर्ण है। हमें अब कोई पवित्रस्थान की जरूरत है । जैसे की यहूदी लोगो को थी। हमें धूप के वेदी, या कुण्ड, या वेदी की रोटी, उरीम और यूमिम की जरूरत है ना ही हमें पुरानी छाया की जरूरत है अब हमारे पास खास तत्व है और उस का नाम यीशु है। चलिये हम यूहन्ना 4ः19-23 को देखे जब सामरी स्त्री ने यीशु से कहा ‘‘महोदय मुझे लगता है कि तू नबी है हमारे पूर्वजों ने इस पर्वत पर आराधना की, और तुम कहते हो कि यरूशलेम ही वह स्थान है जहाँ मनुष्यों  को आराधना करनी है।‘‘ यीशु ने उससे कहा ‘‘हे नारी मेरा विश्वास कर कि समय आ रहा है जब तुम न तो इस पर्वत पर और न यरूशलेम में ही पिता की आराधना करोगे तुम उसकी आराधना करते हो जिसे नही  जानते, हम उसकी आराधना करते है जिसे हम जानते है, क्यों कि उद्धार यहूदियों में से ही है परन्तु वह समय आ रहा है, वरन आ गया है जब सच्चे आराधक पिता की आरधना आत्मा और सच्चाई से करेंगे, क्योंकि पिता अपने लिऐ ऐसे ही आराधक चाहता है‘‘।
 
उस समय के बाद से यीशु ने स्पष्ट किया कि यरूशलेम समरिया से पवित्र है, यह इसलिये हुआ क्योंकि यीशु स्वंय आ गये थे। उसके आने से उसने हमेशा के लिये एक पवित्र स्थान के सम्मान को अन्त कर दिया। यह इसलिये हुआ क्योंकि यीशु ने हर प्रकार की छाया और चिन्हों को जो पुराने नियम में पाई जाती है पूरा किया। 

बाईबल भी स्पष्ट रीति से कहती है:  (प्रे.काम 7ः48-49) आईये हम परमेश्वर की स्तुति करें क्योंकि उसने हमें हर प्रकार के बन्धन से छुटकारा दिया है जो आराधना के स्थान से था। हमें आनन्दित होना चाहिए की हम हर प्रकार के कानून से स्वतन्त्र है। हम उसकी आराधना कर सकते है जब हम अकेले है या दूसरों के साथ है। हम किसी भी समय रात या दिन और किसी भी स्थान जहां हम चुनते है क्योंकि हम जिन्दे परमेश्वर के मन्दिर है। 

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