भाग 6 एक पहिया या लता
भाग 6 एक पहिया या लता
एक पहिए को जमीन पर देखये उस में की तीली चारों तरफ बीच में फैली हों। अब एक बेला को जमीन पर देखे, वह एक जगह से बढ़कर चारो तरफ फैल जाती है, यह बेला जमीन में जड़ पकड़ कर बेला बन जाती है। हर जड़ एक नये बेला को जन्म देती है जैसे की पहली बेला यह सब शाखा के पास वही क्षमता है बी और शाखा भेजे जो जड़ पकड़ लेती है।
कौन इन दो उदाहरणो में सघन कलीसिया रोपण का सही वर्णन करती है? एक बेला सही उत्तर है।
प्रश्न यह नही है कि कौन सा काम करती है। दोनो काम करते है, एक दूसरे के बनिस्पत अच्छा करती है। कुछ कलीसियायें पहिले की धारना पर चलते है और दूसरे बेला की धारण को बुद्धिमान से कलीसिया रोपण में देखते है।
पहिया : पहिये की विचारधारा मतलब है कि सब बच्चे चर्च एक दूसरे से बन्धे हुए, और माता कलीसिया पर निर्भर उन को साधारण तरह से चर्च नही बोलते उनको कभी सेज समूह या घर समूह कहते है क्योंकि वे माता चर्च के एक भाग है। सारे छोटे समूह के लोग सप्ताह में मिलते हैं ताकि वें ईतवार के दिन माता कलीसिया की सुबह की सभा में शामिल हो सके। सारे 10वां अंश और चन्दा माता कलीसिया को जाता है।
समय समय पर एक छोटा सेल समूह को मुकृ कर दिया जाता है वह एक पूरी रीति से चर्च बन जाता है, उसमें प्राचीन नियुक्ति किये जाते हैं। पहिए विचारधारा की यह मुख्यता है। कई जगहों में यह बहुत सफल रही है और बड़ी बड़ी मन्डली स्थापित हुई है।
बेला
बेला कलीसिया की विचारधारा द्वारा कलीसिया रोपण उदारहण के लिये सुन्दर बेला मिस को मकड़ी बेला कहते है उसके जरिये हम देखते है। उस बेला में लम्बी सुन्दर पत्तिया बेल से लटकती हैं इन्ही पत्तियों से लम्बी बेला निकलती है और छोटे मकड़ी बेला थोड़ी दूर में निकलते है । तकरीबन सभी घरों में मकड़ी बेला को एक लटकते हुए गमले में लगाते है। जो छोटे बच्चे पौधे होते है वे कभी भी में की तरह बड़े नही होते। यह इसलिये होता है कि जैसे मां की जड़ गमले में होती है, इन बच्चे पौधो को हवामें लटकने दिया जाता है, उन की मां के जरिये उन को जीवन मिलता हैं।
अब जरा कल्पना कीजिये आप इस पौधे को लटकने के बजाय ज़मीन में गड़ादे तो देखेंगे की हर एक बच्चा पौधा अपनी जड़ जमीन में भेजने लगाता है। जब ऐसा होता है जो हर एक बच्चा पौधा बढ़ने लगता है और नई बेला हर तरफ फैलने लगता है। इस तरह एक पौधा अनगीनत सुन्दर बड़े मकड़ी बेला बन जाते है।
प्रकृति / झुकाव:
¨ पहिया की प्रवृति अपने बीच में खींचता है बोला बाहर खुल ना चाहती है।
¨ पहिया स्थानीय प्रवृति की होती है, बेला दो तरफी याने अपने में और बाहर फैलना चाहती है।
¨ पहिए की प्रवृति जोड़ की तरफ होती है और बेला की गुणित या संक्ष्या में बढ़ती होती है।
¨ पहिए की प्रवृति एक कलीसिया बनाने की है, बेला की प्रवृति बहुत से चर्च बनाने की होती है।
¨ पहिए को प्रवृति मिशनरी दर्शन को सीमित रखती है, बेल की प्रवृति मिशनरी दर्शन को बढ़ावा देती है।
¨ पहिए की प्रवृति नगर को घेर लेती है बेला पूरो संसार में फैल जाती है।
¨ पहिए प्रवृति समूह के अगुवे को तैयार/प्रशिक्षण देती है, परन्तु बेला प्रवृति कलीसिया रोपक और रणनरीति बनाने वाले तैयार करती है।
¨ पहिए प्रवृति सेल समूह बाईबिल अध्ययन समूह और पारिवारिक समूह को दर्शन देती है, बेला प्रवृति कलीसियाओं को दर्शन देती है कि घरों में मीटिंग करो।
घरेलू कलीसिया :
फसल का प्रभु वर दें की हमारे दर्शन दूर दराज हो ताकि कलीसिया रोपित हो। वर दे कि यह दर्शन कलीसिया को पूरी स्वतन्त्रता दे ताकि कलीसिया का जीवन प्रगट हो। वर दें की कोई भी बाधाएं ना खड़ी हो जिससे कलीसिया जीवन प्रगट हो। आमीन
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