अपने उत्तराधिकार पर अधिकार करना।
दासत्व :
मिस्र देश में 430 साल की दासत्व। इस्राएलि लोग अपने अस्तित्व को खो बैठे थे। परमेश्वर के 10 आश्चर्य कर्म के बाद उन्हें छुटकारा मिला (निर्गमन 12ः4)
लाल समुद्र का जल संस्कार (1कुरिन्थियों 10ः1,2)।
मिलाप वाला तम्बू :
जंगल में 40 साल का प्रवास, प्रति दिन स्वर्ग में मन्ना, चट्टान से पानी और परमेश्वर से मिलापवाले तम्बू की नज़दीकी में संगती। परमेश्वर इस्राएलीयों से नाराज हो गये, क्योंकि वे अनाकवंशियों से डर गये और स्वंय अपने आप को टिड्डे समझने लगे, और अपनी मीरास पर हक जमाने से डर गये। (गिनती 13ः30-33) परमेश्वर ने अपने क्रोध में, उन के विश्वास की कमी के कारण जंगल में उनकी लाशों को बिखेर दिया। (इब्रानियों 3ः11)
सताव का जल संस्कार यर्दन नदी में।
मीरास
कनान देश पर अधिकार जमाना जो इस्राएलियों की मीरास, उन का लक्ष्य और उद्देश्य था।
दासत्व
हमारे पूर्वज मूर्ति पूजा के दासत्व और अन्य पापों में सदियों से बन्धे थे। परमेश्वर ने उन के जीवन में महान आश्चर्य कार्य किया और उनको पाप के बन्धन से छुड़ाया (प्रे.काम 17ः29-30)
पश्चाताप का जल संस्कार (प्रे.काम 2ः38;19ः4)
कलीसिया
वे रविवारिय कलीसिया में बैठे और परमेश्वर से करीब का सम्बन्ध रखा और परमेश्वर ने उन्हें बहुत सम्पन्न किया और सारे वंश को आशिषित किया। परन्तु रविवारिय कलीसिया हमारी अन्तिम मंजिल नही है। वहां संत तैयार किया जाना चाहिए जिस से महान आदेश का कार्य पूरा हो, जिस के द्वारा हर जातियो में शिष्य बनाये जाये। (मत्ती 29ः19; इफिसियों 4ः12)
पवित्र आत्मा का जल संस्कार, सामर्थी करण और आग अर्थात सतावा का बपतिस्मा (मत्ती 3ः11, प्रे.काम 1ः8; 2ः17-18)
अन्तिम मंजिल
‘‘फूलों फलों’’ और पृथ्वी को भर दो अपने कनान पर अधिकार जमाओ (अपने पडोस में, ऑफिस में, नगर, समाज, देश, और भाषा, जाति पर अधिकार जमाओ) क्योंकि वे आपकी अनन्तकाल की मीरास है। इस संसार के सारे राज्यों को हमारे प्रभु के राज्य में परिर्वतित करना है। (उत्पत्ती 1ः28, भ.सं. 2ः8, प्रे.काम 26ः18, प्रका. 11ः15)
कलीसिया की परिपक्वता, भवन, संगती, आराधना, चन्दा और भाषण पर निर्भर नही रहती परन्तु सदस्यों पर जो संसार में आत्मिक युद्ध करने में सक्षम होते है। पुलपिट का मुख्य कार्य केवल भाषण देना ही नही है, परन्तु सदस्यों के गुणों एंव वरदानो को पहिचानना, और उन्हें तैयार करके जहां भी परमेश्वर ने उन्हें रखा है, वहां वो मनुष्यों के मछुवे बनाकर भेजना।
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