भाग 9 हम घरेलू कलीसियाएं क्यों रोपित करें?
भाग 9 हम घरेलू कलीसियाएं क्यों रोपित करें?
प्रश्न: हम घरेलू कलीसियाएं क्यों रोपित करें?
उत्तर: 1 क्योंकि यीशु ने हमें पृथ्वी की छोर तक जातियों को चेला बनाने के द्वारा उसके गवाह होने की आज्ञा दी है। हम विश्वास करते है यदि हम अपना ध्यान साधारण और पुनः उत्पन्न योग्य रीति से कर सकते है घरेलू कलीसिया हमारी उस आवश्यक्ता को पूरी करता है। आरम्भ से ही हमारा उद्देश्य गुणात्मक कलीसिया रोपण के द्वारा कलीसिया रोपण (गति) आन्दोलन आरम्भ करना है।
उत्तर: 2 हम विश्वास करते है कि घरेलू कलीसिया विचार धारा अत्यन्त उत्तम तरीका है जिसके द्वारा अगुए पाँचों वरदानों के लिए तैयार होते है।
उत्तर: 3 छोटी मण्डलीयों की सरल प्रवृति गुणात्मक मण्डलियों को बनाने में सहायक होती है।
उत्तर: 4 परमेश्वर अपने लोगों को बुला रहा है कि वे परंपरागत और व्यवसायक तरीकों को तोड़ कर वापस साधारनता में आ जाएं।
उत्तर: 5 अधिकार देशो में केवल यही एक तरीका कलीसिया रोपण आन्दोलन को बढ़ाने में उपयोग किया जा रहा है। यदि हम परंपरावादी कलीसिया के विषय विचार कर रहे है तो कलीसिया रोपण संभव नहीं है।
प्रश्न: क्या घरेलू कलीसिया (ब्मसस हतवनच) छोटे समूह के समान नही है?
उत्तर: (ब्मसस हतवनच) (कोषा समुह) धारणा चक्र पहुँच है और घरेलू कलीसिया दाखलता पहुँच है। ब्मसस हतवनच दूसरे कलीसिया के प्रचार कार्य का हिस्सा है ब्मसस हतवनच जबकि घरेलू कलीसिया स्वंय अपने में एक कलीसिया है और कलीसिया की तरह कार्य करता है।
प्रश्न: एक घरेलू कलीसिया में आप किस प्रकार एक पूर्ण कलीसिया का विकास कर सकते है?
उत्तर: परंपरागत कलीसिया के साथ यह समस्या है कि यह कार्यक्रमों पर आधारीत होती है और पवित्रात्मा की गुवाई पर हनी हम विश्वास करते है कि यदि हम इस पुस्तिका के अध्याय 8 में दर्शाई बातो पर घ्यान केन्द्रित करे (आप एक घरेलू कलीसिया में क्या करते है? प्रभु हमें इस योग्य बनाएगा कि हम सब व्यक्तिगत और पारिवारिक आवश्यक्ताओं को पूरा कर सकेंगे जो कलीसिया में आते है। पवित्रात्मा हमें इस योग्य बनाता है कि हम सृचनात्मक रूप से आवश्यक्ताओं को पूरा कर सकें घरेलू कलीसिया हर एक को आकर्षित नही करेगी कुछ लोग ऐसी कलीसिया की आवश्यक्ता समझेंगे सिजमें वे विविध प्रकार के कार्यक्रमों में योग्यता दिखा सके। हम प्रतिस्पर्धा में नही है पर उनके साथ कार्य कर रहें है ताकि महान आदेश की पूर्ती कर सकें जो कुछ भी हो जिस रीति से घरेलू कलीसिया आन्दोलन आगे बढ़ रहा है यह सुरक्षित रूप से कहा जा सकता है कि कार्यक्रमों पर आाधारित कलीसियाओं का भविष्य काफी चिन्ता जनक दिखाई देता है।
प्रश्न: बच्चों को विषय क्या मत है? क्या उनके लिये विशेष कक्षाएं होगी?
उत्तर: कुछ घरेलू कलीसियाओं में जवानो और व्यस्कों से अलग बच्चों की मीटिंग होगी। कुछ में सब आयु की मीटिंग एक साथ होगी। यह आश्चर्य जनक है कि जवानों और व्यस्को के साथ रहकर बच्चे नियमित रूप से चलने वाली मीटिंग में कितना अधिक सीख लेते है। यह याद करना अच्छा है कि घरेलू कलीसिया वह उत्तम स्थान है जो बच्चों को आरम्भ से ही कलीसिया रोपण करने वाले बनाती है। दुःख की बात कि बच्चे बच्चों को अथवा व्यस्कों को गवाही दे सम्भवतः इसका मूल्य कम आंका गया है।
प्रश्न: क्या आप हमेशा उसी चर्च में मिलते है?
उत्तर: उसी घर में हमेशा मिलना निम्न कारणों से सही नही है।
¨ हमें आवश्यक्ता है कि हम उसी घरेलू कलीसिया की आशीषों को आस पास फैलाते रहें।
¨ समय समय पर मीटिंग के स्थान को बदलने के द्वारा हम दूसरे पड़ोसी स्थान में पहुँचने योग्य होते है।
¨ हम सम्बन्धों के बन्धनो के द्वारा एक दूसरे से जुड़े रहते है मीटिंग के स्थानो के द्वारा नही इसलिए स्थान बदलना सुरक्षित रहता है।
¨ हमें पड़ोसियों से सम्भवतः प्राप्त समस्याओं से कि उनके पड़ोस में धार्मिक मीटिंग चलती है से दूर रहना चाहते है।
प्रश्न: क्या घरेलू कलीसिया का विचार है कि किसी के लिए और हर एक के लिए अपनी कलीसिया आरम्भ करना खुला हुआ है?
उत्तर: क्या यह अदभुत नहीं होगा कि हर एक विश्वासी का घर सब जातियों के लिए प्रार्थना घर जन जाए। (मत्ती 11ः17) जो जातियों को शिष्य बनाना इसी पीढ़ी में प्राप्त किया जा सकता है फिर भी वास्तविकता यह है कि ‘‘यदि वे भेजे न जाए‘‘ तो कैसे प्रचार करें। (रोमियों 10ः15) केवल वही जो भेजे गए है। उनके पास बोझ और आत्मिक अधिकार होगा कि कलीसिया रोपण करने का साहस नही किया जब तक की वह पवित्रात्मा और उसकी कलीसिया के अगुवों के द्वारा भेजा न गया।
प्रश्न: आपको कलीसिया की अगुवाई के लिए पास्टर कहां से प्राप्त होंगे?
उत्तर: नए नियम की कलीसिया में पास्टर अगुवे नही थे और निश्चित रूप से कोई (त्मअमतमदक) श्रद्धेय भी नही थे वे प्राचीन, डीकन और विशप कहलाए जाते थे। आश्चर्य जनक बात है कि ज्यादातर कलीसियाएं सीधे और साधारण भाईयों के द्वारा चंलाई जाती थी। इसके अलावा अगुवाई में बहुलता थी अतः प्रभु की पांच प्रकार की वरदानीय सेवा उसकी कलीसिया में थी। प्राचीन की सच्ची योग्यताएं तितुस 1ः5-9 और तिमोथी 3ः1-7 में हैं। परमेश्वर ने बहुत से नम्र, सिखानेवाले धार्मिक पुरूष और महिलाएं हमारी कलीसिया में दिया है जो इस योग्य है न केवल घरेलु कलीसिया की सहायता कर सकते है परन्तु उनमें गुणात्मक वद्धी भी करें हमें उन्हें बाईबल स्कूल या सेमीनरी भेजने की जरूरत नहीं। सेमीनरी धर्म शास्त्री उत्पन्न करते है कलीसिया रोपित करने वाले नही कलीसिया बहुत तेजी से बढ़ी जब कोई सेमीनरी नही थी। आज भी सबसे तेज रफ़्तार से बढ़नेवाले देश जैसे चीन जहाँ कोई सेमीनरी नहीं है चीन में तेज गती से कलीसिया बढ़ने का एक कारण है कि कलीसिया रोपित करने वालों की सामान्य उम 14-25 वर्ष है जिनके पास परंपरा की कोई बाधा नहीं है।
महत्वपूर्ण बात यह है कि प्रभु यीशु ने इसी आयु वर्ग में से अपने अधिकतर शिष्यों को चुना कलीसिया रोपण के लिए प्रशिक्षित करने में किसी की अधीनता में काम सीखने का यह तरीका स्वर्ग के नीचे सबसे उत्तम है। न तो इससे अच्छा तरीका रहा है और न रहेगा। क्यों क्योंकि यह यीशु का तरीका है। इसको बदलने की कोशिश करना मूर्खता है।
प्रश्न: घरेलू कलीसिया से किस प्रकार आशा की जा सकती है कि वह दूसरी घरेलू कलीसिया को जन्म दे।
उत्तर: एक छोटा चूहा वर्ष में कई बार पुनः उत्पादन करता है और एक खरगोश अपने समान खरगोश को जन्म देता है लेकिन एक हांथी के बराबर कलीसिया को बनाने के लिए नीले चाँद को पुर्ना उत्पादन के लिए रूकना पड़ेगा जो की कभी भी नहीं होगा। ख्रीष्ट की दुल्हन को बांझ नहीं परन्तु फलदायी होना है और बढ़ते जाना है कि पृथ्वी को भर दे।
जब मैं एक किशोर अवस्था में था, मेरे पास्टर ने मुझे कार्य दिया कि मैं उन प्राचीनों को जो चर्च नही जाते घर में बाईबल अध्ययन दूँ। मुझे आरम्भ करने के लिए कोई सहायक या सदस्य नही दिया गया मुझे कुछ लोगों के नाम और पते दिए गये जो कि घर में बाईबिल अध्ययन में रूचि रखते होंगे।
अगले कई महीनों के दौरान मुझे कई घरो में बाईबिल अध्ययन कक्षाएँ आरम्भ करने का आनन्द मिला। मेरा कार्य केवल परमेश्वर के वचन को पढ़ाना ही नही था परन्तु यह भी सीखाना था कि एक घरेलू कलीसिया कैसे आरम्भ किया जाए। यह कलीसिया रोपित करने वाले के प्रशिक्षण का एक भाग था। उसको एक क्षेत्र और एक नयी घरेलू कलीसिया बनाने का कार्य सौंपा जाता।
आदर्श रूप से एक नई कलीसिया के आरम्भ से ही कलीसिया रोपण का एक बड़ा दर्शन होना चाहिए।
एक छोटी घरेलू कीसिया हर वर्ष कई लोगों को बहर भेज सकती है, कि वह नई कलीसिया पैदा करें।
प्रश्नः आप घरेलू कलीसिया कैसे आरम्भ करते है?
उत्तरः लूका 10 में यीशु कलीसिया आरम्भ करने का बहुत अच्छा तरीका बताता है, दो दो करन जाएँ। शान्ती के पुत्र को ढूढ़े, उसके साथ भोजन करने सम्बन्ध बढ़ाएँ, चिन्ह और चमत्कार के लिए प्रार्थना करें और यही एक घरेलू कलीसिया का आरम्भ है प्रेरितों के काम 13 अध्याय में यह पवित्रात्मा था जिसने पौलुस और सीलास को कलीसिया रोपण के लिए बाहर भेजा। लेकिन पवित्रात्मा ने अन्ताकिया कलीसिया के अगुवा को प्रकाशन दिया, कि उसने उन्हें यह कार्य करने को बुलाया है।
प्रेरितों के काम 14ः25 में कुछ लोग परेशानी में पड़ गए जो बिना भेजे हुए गये थे, यह मान कर कि आप जिम्मेदार आत्मिक अधिकारीयों के द्वारा भेजे गए हैं। उन 2 या 3 व्यक्तियों को लीजिए जो पहिले से कलीसिया में सम्मिलित नहीं है, कि वे आप के साथ नियमित रूप से यीशु को आराधना करने मिले और उनके मार्गो में चले और आपने एक नई कलीसिया बना ली।
जब पौलुस और उके साथी बाहर गए उन्होंने पहिले सुसमाचार सुनाया और तब उन्होंने शिष्यों को जमा किया। यीशु के चेलों का साथ में जुड़ना ही कलीसिया है।
प्रश्न: कलीसिया रोपण में आत्मिक युद्ध की क्या भूमिका है?
उत्तर: यीशु ने अपनी सेवकाई आत्मिक युद्ध से आरम्भ की और उसने स्वंय शैतान का सामना किया। यीशु ने कहा की जब तक आप बलवन्त पुरूष को बांधेगे नही आप फिर उनको कैसे छुड़ा सकते है जो उसके बंधन में है।
कई स्थानो में पौलुस को पहिले आत्मिक युद्ध लड़ना पड़ा इससे पहिले की ‘‘शान्ती का पुत्र/पुत्री प्रकट हुआ और तब कलीसिया रोपण का कार्य हुआ। साईप्रस में उसे इलियास के साथ युद्ध करना पड़ा जो एक जादू टोना करने वाला और गवर्नर के घ्ज्ञर में कलीसिया रोपण का कार्य हुआ।
फिलिप्पी में उसे एक जवान महिला में से भावी कहने वाली आत्मा को अलग करना पड़ा और लीडिया शान्ती की महिला बन गई।
आत्मिक युद्ध उन स्थानों के लिए आवश्यक हो सकता है जहाँ बलवन्त ने शैतानी गढ़ बनाया है। लूका 10ः1-9 में यीशु हमसे प्रभु की फसल, के लिए मज़दूर मांगने को कहता है। दो दो करके जाओ, शान्ती के पुत्र को ढूंढो उसके साथ खाना खाओ, उसके घर में चिन्ह और चमत्कार करो और उसके घर मंे कलीसिया रोपण करो।
प्रश्न: क्या आप ऐसा सुझाव दे रहे है, कि प्रत्येक परंपरागत कलीसिया को छोड़कर घरेलू कलीसिया आरम्भ करें?
उत्तर: क्या यह अद्भुत नही होगा यदि हर एक नया जन्म प्राप्त विश्वासी अपने पड़ोस में एक घरेलू कलीसिया स्थापित करें। चाहे वह परंपरागत कलीसिया का सदस्य रहे या नहीं।
उन करोड़ो विश्वासियों के द्वारा जो विश्वास योग्यता से तैनात है, सुसमाचार पृथ्वी की छोर तक केवल एक ही पीढ़ी में पहुंचेगा। यद्यपि हमारा यह उद्धेश्य नहीं है कि जो कुछ परमेश्वर ने बताया है उसे हम नष्ट करें, हम नगर में हर एक कलीसिया को आशीषित करने के लिए समर्पित है चाहे वह छोटी हो बड़ी, साम्प्रदायिक असम्प्रदायिक या अन्तर साम्प्रदायिक। हम दूसरी कलीसियांओ से प्रतिस्पर्धा नही करते। हम साधारनतः परमेश्वर के वचन पर आधारित कलीसिया की वैध आत्मिक प्रसस्त करने दें। और यह प्राचीन कलीसिया और आधुनिक समय दोनो में प्रभावशाली सिद्ध हुई है।
परमेश्वर हर स्थानों में अपने सब लोगों को एक सा ही कार्य करने के लिए नहीं बुला रहा है। यीशु की कलीसिया आश्चर्य जनक रूप से इसकी कई आभिव्यक्तियों में प्रवाहशील और बहुमुखी रही है, जब तक यह कठोर और अपरिवर्तनीय नियमों से नही बंधी है।
प्रश्न: क्या घरेलू कलीसिया को किसी सम्प्रदाय से जुड़ा होना चाहिए?
उत्तर: प्रत्येक घरेलू कलीसिया किसी भी नगर में कलीसिया जो मसीह की देह है उसका हिस्सा होती है, सबसे पहिले उसी नगर में, एक घरेलू कलीसिया किसाी साम्प्रदाय से भी जुड़ी हो सकती है। यद्यपि इसका संबंध जो मसीह की पूरी देह के साथ उस स्थान में बाधक नहीं होना चाहिए।
किसी भी कलीसिया को सबसे बड़ी चुनौती यह है कि वह अपने नगर जाहाँ वह है और सेवा कर रहे है ख्रीष्ट की और बड़ी देह के साथ एकता में बनाए रखे (इस पुस्तक का अध्याय 7 देखे)
प्रश्न: कौन कलीसिया आरम्भ कर सकता है?
उत्तर: आपको यदि परमेश्वर ऐसा करने की अगुवाई करता है। आपको किसी की अनुमती लेने की आवश्यक्ता नहीं, पर यह अच्छा है कि आपके कुछ विश्वासी आप पर हांथ रखे और आशीष दें। पर झगड़े के परिणाम से किसी कलीसिया को आरम्भ न करें विचारो में भिन्नता हो सकती है, लेकिन झगड़ा नहीं। नहीं तो आपकी कलीसिया झगड़े वाली होगी।
ऐसे बहुत से प्रश्न है जो घरेलू कलीसिया के विषय में पूछे जा सकते है, परन्तु सबसे महत्वपूर्ण यह है ‘‘प्रभु महान आदेश की पूर्ति के लिए आप स्वंय पूछें आप मुझसे क्या करवाना चाहते है? क्या मैं अपने पड़ोस, देश और पूरो संसार में ही गुणत्मक वृद्धि करने में सम्मिलित होऊँ, नई कलीसिया बनाने के बहुत से तरीके है ताकि परमेश्वर का राज्य पृथ्वी पर फैले, वह मेरा उद्देश्य है कि नई घरेलू कलीसिया आरम्भ करने के लिए तुरही फूंकू।
हम आप से कहते है ‘‘आओ और हमारी मदद करो हम हर एक देश और जन समूह में गुणात्मक वृद्धी के लिए उत्साहित है। ताकि पापों के पश्चाताप और दया उसके नाम से सब जातियों में प्रचार जाए। (लूका 24ः47)
संक्षेप
यह मेरा दृढ़ विश्वास है कि जल्द शीघ्र ही पृथ्वी के प्रत्येक देश में घरेलू कलीसिया आन्दोलन अपनी पुरी (रतार) में होगा। मैं विश्वास करता हँू यही एक तरीका है जिसके द्वारा हम महान आदेश को पूर्ण होते देखेंगे।
यह पहिले से ही आरम्भ हो गया है। परमेश्वर हर कहीं लोगों से कह रहा है ‘‘घरेलू कलीसिया‘‘ कोषीय समूह आन्दोलन पूरे विश्वास के साथ स्वीकार करने की नीव पिछले 25 वर्षों से डाली जा रही है।
हम में से कुछ यह याद करने के लिए वृद्ध हो चुके है जबकि किसी तरह की घरेलू कलीसिया आरम्भ करना कलीसिया की इमारत के बाहर प्रश्न वाचक था। इतना डर हुआ करता था कि कलीसिया से लोग खींच लिए जाएंगे। अब यह समूह की इच्छा पूर्वक कलीसिया वृद्धी के साधन का रूप में देखे जा रहे हैं। परमेश्वर हमें और आगे कदम बढ़ाने को बुला रहा है कि हम पहचाने कि हमारे पास घर में पूर्ण कलीसिया है।
संसार की कुछ बड़ी मण्डलियों का आरम्भ घर से हुआ। यह कब कलीसिया बन गया? क्या यह तब भी कलीसिया थी जब दस लोग घर में मिलते थे? या यह तब जब कलीसिया बनी जब इसके पास एक हजार लोग थे? क्या यह तब कलीसिया थी जब यह विशेष रूप से तैयार इमारत चर्च में मिलते थे?
उत्तर स्पष्ट है जब यह घर में शुरू हुआ यह कलीसिया थी। यदि वे लगातार घर में मिलते रहते यह तब भी कलीसिया बनी रहती है।
परमेश्वर हमारे वर्तमान ‘‘ढांचे का हिलाकर हमें वापस प्राथमिक स्तर पर ला रहा है। बहुत कुछ जो हम सोचते है, जरूरी है वह वास्तव में ज़रूरी नही है।
जब हम नए नियम की कलीसिया की साधारनतः को देखते है और इसकी तुलना अपने समय के संस्थागत कलीसिया से करते तो हम बहुत हम समानता पाते है, कलीसिया कई देश में एक नियम या महापालिका की तरह दिखाई देती है। कुछ साम्प्रदायों का बड़ा जाल बिछा है की कई बातों में वे परमेश्वर द्वारा नियुक्त आत्मिक अधिकारियों के द्वारा नहीं परन्तु राजनीति के द्वारा शासित किए जाते है।
प्रभु यीशु बहू राष्ट्रीय कंपनी नही परन्तु अपने घराने को स्थापित करने आया, परमेश्वर हमें अपनी अन्तर दृष्टी, नम्रता और अनुग्रह दे कि हम नए नियम की साधारण औश्र पवित्रता से किनती दूर रहे।
आइए हम वापस पश्चाताप और टूटे हृदय से इसकी ओर आएँ।
गुणात्मक वृद्धि की कलीसिया रोपण आत्मिक युद्ध का आदर्श/नमूना
परमेश्वर ने अन्य जाति राजा नबूकदनेस्सर को स्वप्न में भविष्य के संसारिक साम्राज्यों को एक बड़ी मूर्ति के रूप में दिखाया, जिसका सिर सोने का, कंधे चाँदी के, जाँगे पीतल की और पैर लौहे के और मिट्टी के थे। उसने देखा कि एक बड़ी चट्टान मे से एक छोटा पत्थर निकल कर मूर्ति को नष्ट करके भूसे में बदल दिया। उसने देखा छोटा पत्थर बढ़ता और बढ़ता गया और एक पहाड़ बन कर पूरी पृथ्वी को भर दिया। तब से बेबीलोन (सोना) यूनान का रूलेकजेन्डर (चाँदी) रोपन (पीतल) और बाद में (लोहा) आये और एक केवल पत्थरों के ढेर हो कर रह गए ह।
आज दुनिया के 6 अरब जनंसख्या में 2 अरब पहिले जो मसीही है, कुछ के पास पूरा सुसमाचार है और कुछ के पास आधा पका सुसमाचार और कुछ और बिना सुसमाचार के है लेकिन फिर भी यीशु ख्रीष्ट की कलीसिया ये बढ़त्तरी और गुणात्मक वृद्धी ऐसी हो रही है जैसे पहिले कभी नही हुई। (दानियल 2ः31-45)
प्रभु यीशु ने पतरस (छोटा पत्थर) से कहा मैं (यीशु) इस पत्थर पर अपनी कलीसिया (पहाड़) बनाऊँगा और अधोलोक के फाटक उस पर प्रबल न होंगे। यह एक युद्ध की घोषणा है आज प्रभु यीशु की कलीसिया का एक बिन्दू कार्यवली अधलोेक के फाटक का अन्तिम निवाश है। जब तक की राज्य हमारे प्रभु का और उसके मसीह का न हो जाए। (मत्ती 16ः18,प्र.वा.11ः15)
आरम्भ से ही प्रभु यीशु का दर्शन उसकी कलीसिया की बढ़ोत्तरी और आगे बढ़ने के लिए एक महाशक्ति के रूप में है कि वह उसके रास्ते में आने वाले हर एक विरोध को नष्ट कर दे।
इसकी तस्वीर एक ईट पत्थर के स्थिर इस्मारक की तरह नहीं है जो अपने ही स्थान पर खड़ी है। यह एक लड़ाकू और गति शील कलीसिया है इससे कुछ भी कम मात्र एक व्यंगचित्र है।
प्रभु यीशु ने अपनी कलीसिया को सर्मथन के सब की कुंजी दी ताकि बलवंत को बाँधा जाए। ‘‘बाँधना और खोलना’’ हमारा सोंटा और लाठी है। यीशु के चेलो के पास ही केवल सबसे बड़ी सामर्थ और अधिकार है ताकि शैतान को हराकर अधीनता में ले आए। (मत्ती 16ः19)
हाल ही में जब एक महिला मे से यीशु के नाम से दुष्टात्मा को बाहर निाकलने की आज्ञा दी गई, वह ज़ोर से चिल्लाई और बोली इस नाम को मत लो पूछे जाने पर उसने बताया, आपको नही मालूम कि जब यह नाम लिया जाता है यह कितना तकलीफ देता है, यह ऐसा है जैसा कि उसका सोटा और लाठी मुझे मार रहा और दुःखदाई है।
दुष्टात्माओं का निकलना हमारा मूलभूत अधिकार है और एक विश्वासी का परिचय पत्र है (मरकुस 16ः17-18) प्रभु यीशु ने उनको झिड़का जो दुष्टात्मा नही निकाल सके औश्र उन्हें अविश्वास पीढ़ी कहा। आगे उसने सलाह दिया कि उन्हें उपवास और प्रार्थना करना है ताकि वे कठिन दुष्टात्माओं को निकाल सकें। (मरकुस 9ः19,29)
प्रभु यीशु ने अपने 12 चेलों को बुलाकर उन्हें सब दुष्ट आत्माओं पर और सब बिमारियों शारीरिक और आत्मिक और परमेश्वर के राज्य का सुसमाचार सुनाने का अधिकार और सामर्थ दिया। (लूका 9ः1-3)
जब हेरोद ने यीशु को मारने की धमकी दी तो यीशु का प्रत्युत्तर था ‘‘जाकर उस लोमड़ी से कह दो कि देखो मैं आज और कल दुष्टात्माओं को निकालता और बिमारों को चंगा करता है और तीसरे दिन अपना कार्य पूरा करना था। (लूका 13ः31-32)
यद्यपि परमेश्वर की दृष्टी में हर एक आत्मा मूल्यवान है उसने हमें थोड़ी आत्माओं को बचाने नहीं भेजा। इसका दर्शन है सब जाति, गोत्र भाषा और प्रजातीय समूह और उसका उद्देश्य - दुनिया के छोर तक जाना। (प्र.वा.7ः10,प्रेरितों के काम1ः8)
उसने पूरी सृष्टि को सुसमाचार सुनाने भेजा और सम्पूर्ण प्रसव पीढ़ा में पड़ी सृष्टि से मेल करने, नष्ट करने वाले नाशक के कार्यो को नष्ट करने के द्वारा। (मरकूस 16ः15, 2कुरिन्थियों 5ः18,19)
आकाश उसकी महिमा का वर्णन करे राजा और जातियाँ अपनी महीमा और सम्मान उसके पास लाएंगे। (प्र.वा. 21ः24-26) जंगली वन पशु और पक्षी उसकी स्तुति करें। भजन 148ः10-13) वृक्ष और नदियाँ वाली बजाए (भजन 98ः8, यशा.55ः12) हम टूटे हुए बाडे़ के सुधारक और गलियों के सुधारक है।
इसलिये गंदी बस्ती झुग्गी झोपड़िया और हमारे दूसरे नगरों के उजड़े स्थानो को सुधारा जाना है और गडढ़ो से भरी गंदी नालिया हमारी मध्यस्त हस्तक्षेप के द्वारा सुधारी जाना चाहिए। प्रत्येक के लिए न्याय, शान्ति और सुरक्षा होना चाहिए। (यशा. 55ः12,32ः16-18) यह सब हमारी मध्यस्थता का परिणाम होना चाहिए। ताकि हमारा शहर और देश अदन की बारी के समान बन जाए। हमें मध्यस्थता को आनन्द उठाना चाहिए तब हम अपनी आँखो के सामने ही अद्भुत बदलाव देखें। (यशा.51ः3)
मध्यस्थता बाईबल में एक वरदान स्वरूप नहीं बनाया गया है। यह प्रत्येक विश्वासी का प्रतिदिन की कार्य प्रणाली क्षेत्र होना चाहिए। क्योंकि यही हमारा प्रभु जी पिछले 2000 वर्षो से कर रहा है।
इसको प्राप्त करने का सबसे अच्छा नियमित रूप से और सुचारू ढंग से छोटे समूहों में अपने नगर में प्रार्थना यात्रा करना ताकि आप उन स्थानो पर अन्तर दृष्टी के साथ प्रार्थना कर सकें। (इब्रानियों 7ः25)
परमेश्वर कहता है ‘‘मुझ से मांग कि मैं जातियों और पृथ्वी की छोर को तेरी निज संपत्ती होने को दे दूंगा।
उसने यहोशू से कहा हर एक स्थान जहाँ तेरा पैर पड़ेगा मैं ने तुझे दे दिया है।‘‘ (यहोशू 1ः3) और शान्ती का परमेश्वर शीघ्र ही शैतान को तेरे पैरो तले कुचल देगा। (रोमियों 16ः20) यह यह समय है कि कलीसिया एक स्थान में इकट्ठी रहने के अलावा चलने और अपनी मीरास का दावा करने में लग जाए।
स्थायी रूप से खड़ा रहने वाला जहाज परमेश्वर के लिए अच्छा नही है इस को गहरे में जाना पड़ेगा यदि यह मछलियां पकड़ना चाहता है। परमेश्वर ने प्रतिज्ञा किया है ‘‘यदि मेरे लोग मुझे ढूंढे, पश्चाताप करे, उपवास करे, और जिस प्रकार का उपवास में चाहता हूँ, कि तू हर एक बन्धन और बोल के हर एक दबाव को तोड़ दो, ताकि अन्यजाति स्वतंन्त्र हो जाए, तब मैं तुम्हारे देश को चंगा करूँगा। क्या ही अद्भूत प्रतिज्ञा। (2इतिहास 7ः14,15; यशा 58ः6)
यीशु ने कहा धन्य है जो दीन है, क्योंकि वे पृथ्वी के अधिकारी होंगे। मत्ती 5ः5 कमाज़ोर, नम्र, मूर्ख और बिछड़े हुए के लिए परमेश्वर की स्तुति करो क्योंकि वे उपवास प्रार्थना और जुए तोड़ने वाले है जैसा पहिले कभी नही हुआ। वे धीरे धीरे और निश्चित रूप से पथ्वी के अधिकारी हो रहे हैं। (1कुरिन्थियों1ः26-28, लूका 6ः28)
हमारे महायाजक यीशु ने स्वर्ग और पृथ्वी के पूरी सामर्थ के साथ हमें आज्ञा दी कि जातियों को शिष्य बनाओ बपतिस्मा दो और पूरे राष्ट्र में सीखाए मत्ती 28ः18-19 प्रभु यीशु की कलीसिया में कोई सामान्य या पुरोहित नहीं है। प्रत्येक विश्वासी एक राजकीय पुरोहित है और उसे पूरी सामर्थ और सुविाचार के साथ, शिष्य बनाने बपतिस्मा देने, रोटी तोड़ने, सिखाने और भेजने का पूरा अधिकार है। (1पतरस 2ः9)
बाईबल में विशेषाधिकार प्राप्त पुरोहिताई अभिषिक्त नहीं है। नीकुलोइयों पुरोहित और साधारण लोग में बटें है‘‘
यीशु के द्वारा घृणित ठहरे सम्भवतः पहिला शैतानी गढ़ जिसे ध्वस्त होने की आवश्यक्ता है जो कि करोड़ो राजकीय याजको को विभिन्न सेवाओं के लिए मुक्त् करेगा। (प्र.वा.2ः6,15)
हमारा महायाजक प्रत्येक उसके राजकीय याजको से सीधे बात करना है पेशेवर/व्यावसायिक याजकों के द्वारा नहीं। सिर हाथ से नही कहता कि पैर को बताओं सिर पैर से सीधी बात करता है। इस बात को निश्चित कर लिजिए की आप का यीशु के साथ सीधा संपर्क है।
1कु.12ः12,15,25; इफिसीयों 1ः22,23 प्रभु यीशु एक गंभीर प्रश्न पूछता है जब तक कि तुम पहिले बलवंत को बांध न लो (स्थानिय आत्मा) तुम उसको कैसे लूट सकते हो? यीशु ने कहा फसल तैयार है पर उसने यह नही कहा जाओ और फसल काटो उसने हमें आज्ञा दी है कि हम बलवंत के धन (लोगों) को लूट लें।
शाऊल यह नही समझा कि आज्ञा मानना बलिदान चढ़ाने से उत्तम है और अमालेकियों को न लूटने के द्वारा जैसे प्रभु ने आज्ञा दी थी।
उसने अपना राज्य खो दिया।
हम ख्रीष्ट में अपनी स्थिती को खोने के खतरे में है, यदि हम उसकी आज्ञा नही मानते और नरक के फाटक को पूरी रीति से नष्ट नही करते। (1शमूएल 15ः18)
ध्यान रखिए, शैतान पूरी रीति से हथियार धारण किए है। (लूका 11ः21-23) उसके हथियार झूठ, और धोखा देना है, (यूहन्ना 8ः44) और आप यीशु के सिपाही होने के कारण पूरी रीति से हथियार धारण किए है। (इफिसियों 6ः12-15)
यह एक हथियारी झुण्ड है पर शैतान का अपने साथ कोई तुलना नही है, क्योंकि जो हमारे अन्दर है उससे बड़ा है जो उसके बिना है वह एक हारा हुआ दुश्मन है। (1यूहन्ना 4ः4, कु. 2ः14-15)
कृपया हर कहीं शैतान को ढ़ूँढ़ने मत निकलिएगा वह पहिले से वहाँ है पर वह समस्या नहीं है। वास्तविक समस्या हमारे अपने अन्दर है।
हमारा हृदय - यीशु कहना है।
हृदय से बुरे विचार, हत्या, व्याभिचारी, छिनाला, चोरी, झूठी गवाही, निन्दा, बाहर निकलते है। (मत्ती 15ः19) पहिले हमें अपने सब कुविचारों को ख्रीष्ट की आज्ञाकारिता के द्वारा बताना है और तब ही हम दूसरो मे से बलवंत को बाहर निकालें, परमेश्वर के आधिन हो जाओ और शैतान का सामना करो तो वह तुम्हारे पास से भाग जाएगा। (2 कुरिन्थियों 10ः5; याकुब 4ः7)
उद्धेश्य यहीं तक सीमित नही है कि अधोलोक के फाटक को विश्वास करना परन्तु अधिकार में लेना। बलवंत को बाहर निकालने के बाद आपको उन्हें वहीं इकट्ठा करके और वही पर एक कलीसिया रोपित करना नहीं तो आप विश्वासधात के लिए दोषी पांए जांएगे, क्योंकि दुष्टात्मा जब जाएगी और उसे सूखी भूमि पर जगह नहीं मिलेगी तो सात और भयानक दुष्टात्माओं को लेकर आएगी और उस स्थान की हालत पहले से भी खराब हो जाएगी, जो कोई भी प्रचार, शिक्षा, चंगाई और छुटकारे की सेवकाईयाँ या क्रूसेड के बाद तुरन्त फसल इकट्ठा नही करता वह बिखराने वाला और यीशु के विरोध में है घरेलू कलीसिया की स्थापना करना एक प्रकाश ग्रह के समान है जो उस क्षेत्र का अधिकार लेने के लिए सिगनल का काम करता है। (मत्ती 12ः30,45)
प्रभु यीशु ने कहा यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले के समय से स्वर्ग को राज्य का हिंसा से दुःख उठा रहा है और हिंसक इसे बलपूर्वक ले लेता है और हर एक इसमें प्रवेश कर रहा है। (लूका 16ः16)
ख्रीष्ट का मतलब यह नही कि रविवार सुबह की वह भीड़ जो खुश है, ताली बजाती, दूध पीने वाली एक धार्मिक इमारत में जमा है। आज 185000 लोग पूरे विश्व में उसके राज्य में प्रतिदिन प्रवेश कर रहे है। यदि पूरे विश्व में करोड़ो मसीही के बधंनो से छुड़ाए जांए रविवारीय कलीसिया, पवित्र इमारत और साधारण, पुरोहित में बटना तो करोड़ो और भी लोग उसके राज्य में प्रवेश करेंगे।
परमेश्वर यह नही चाहता कि उसके लोग यरूशलेम के पवित्र मंदिर में या सामरियाके पहाड़ पर या और किसी पवित्र इमारत में मिलें लेकिन कहीं भी, कभी भी, विश्वासी पिता की आराधना आत्मा और सच्चाई से करें। (इब्रानियों 5ः12-14; यूहन्ना 4ः20-24) फिलिप भोजन परोसने वाला एक साधारणतः वह सामरिया के दुष्टात्मा ग्रस्त स्थान में गया और जब प्रचार किया तो आशुद्ध आत्मा जिनमें वह समायी थी जोर की चिल्लाहट के साथ बाहर आई और जो लकवे के शिकार और लंगड़े थे चंगे हुए। नये नियम में सुसमाचार प्रचार हमेशा दुष्टात्माओं को बाहर निकालने के साथ रहा। (प्रे.काम 8ः7)
प्रभू यीशु बहुत ही आनन्दित हुआ जब दुष्टात्माओं को ध्वस्त करने वाला 70 लोगों की सेना वापस आई।
प्रभू यीशू ने कहा मैं शैतान को स्वर्ग से बिजली की नाई गिरता हुआ देख रहा था। वास्तव में वह उनको दुष्टात्मा निकालने की सेवकाई से इतने आनन्दित हुए कि उन्होंने उन्हें और सामर्थ दी कि शत्रु की सारी सामर्थ दी कि शत्रु की सारी सामर्थ को कुचल डाले। (लूका 10ः17-19)
यीशु ने कहा कि ‘‘यदि मैं परमेश्वर की सामर्थ से इस दुष्टात्मा को निकालू और तभी निश्चित रूप परमेश्वर का राज्य तुम्हारे उपर आ गया, बाल जबूल का राज्य जो आखिया का प्रभु है और इस विश्व में परमेश्वर का राज्य किसी भी रूप में साथ नही रह सकते। इनमें से केवल एक ही रह सकता है। इब्राहम कि सन्तान होने के नाते हम आशीषित किए गये है। कि शत्रु नगर को कब्जे में ले ले। (मत्ती 4ः24 जबकि 14ः21 जब बलवन्त को निकाल दिया जएगा तो शान्ती का घर प्रकट होगा और जहाँ से परमेश्वर का राज्य पड़ोस में आएगा। (लूका 10ः5,7)
क्योंकि हमारा सुसमाचार तुम्हारे पर केवल शब्दो में नही परन्तु सामर्थ और पवित्रात्मा के साथ और तुमसे परमेश्वर का वचन केवल मकिदुनिया और अखाया ही में नही परन्तु हर जगह पहुँचा’’ कलीसिया को हर जगह प्रचार करना है यह कलीसिया का अर्थ है कि हर कही वचन पहुँचाए। 1थिस्स.1ः5-8)
जब लोगो को मंदिर में सताया गया तो उन्होंने सुसमाचार को और साहस के साथ प्रचार करने के लिए प्रार्थना किया, और चंगाई के लिए हाथ बढ़ाने और चिन्ह और चमत्कार यीशु के नाम से किए गए और पवित्रात्मा ने पूरे स्थान को हिला दिया। (प्रे.काम4ः25-31)
नाश करने वाला तुम्हारे नगरों राष्ट्रो को नाश करने निकला कि तुम्हारे स्थानों को उजाड़ दे और तब वह यह बताता है। (यर्मियाह 4ः7) परमेश्वर जानना चाहता है कि कैसे दुष्ट और शत्रु तुम्हारे नगरो में प्रवेश किया और तब इसका मूल कारण बताता है ‘‘उस शहर के याजकों और भविष्यद्धक्ताओं के पापों और अपराधों के कारण।
हमारे नगर को पाप स्थिति का सीधा परिणाम नगर की कलीसिया की जिम्मेदारी है। (यर्मियाह 29ः7, विलापगीत 4ः12,13)
इस संसार के ईश्वर ने उनके दिमाग की आँखे अंधी कर दिया है। 2कुरिन्थियों 4ः4 और अब पूरा संसार दुष्ट के अधिकार (वश) में है। चोड़ा है वह रास्ता जो विनाश की ओर ले जाता है मत्ती 7ः13 अधोलोक ने अपना मुंह बेपरिणाम पसारा है और भीड़ की भीड़ उसमें जो रहे है, मेरे लोगों की अज्ञानता के कारण यशा. 5ः13-14, दुष्ट निश्चय अपनी दुष्टता में मरेगा लेकिन यदि तू उसे न चिताए तब मैं उसका खून का बदला तुझ से लूँगा। हम अपने शहर की प्रत्येक खोई आत्मा के लिए जिम्मेदार है। (यहेजकेल 33ः89, 4-6)
परमेश्वर की सन्तान होने के नाते हम पृथ्वी के हर एक परिवार को आशीषित करने के लिए बुलाकर गए है। बाहर निकलकर इतना कहना ‘‘मैं तुम्हें आशीष देता हूँ‘‘ कार्य नहीं करेगा। सच्ची आशीष उन्हें सारे सापों और बच्चन से छुटकारा देना है। (उत्पत्ती 12ः3)
सब पापों और स्प्रों को मानना और प्याज की नही की तरह निकाल देना है, छिपे हुए पापों के द्वारो पूरी आशीष नही आएगी। अंगीकार करना, पश्चाताप करना और यीश्ू ख्रीष्ट के प्रमुत्व को स्वीकार करना वह सामर्थी औज़ार है और बन्धन के हर एक श्रापों को तोड़ेंगे। (1यूहन्ना 1ः7-9, लूका 24ः47) हमारे पास भी यह निश्चयता है ‘‘हमारी हानि के लिए कोई भी हथियार सफल न होगा। (यशा.54ः17)
ने तो बल न शक्ति से पर मेरे आत्मा के द्वारा, प्रभू कहता है जकर्या 4ः6 हमें शैतान पर मेम्ने का लहू, उसका नाम, वचन पवित्रात्मा की सामर्थ और अपनी गवाही के द्वारा विजय हो सकते है। (प्र.वा. 12ः11)
आईए हम अपने आप को याद दिलाएँ की हम युद्ध के बीच ये है और हमारा युद्ध लोहू और माॅस से नही परन्तु, प्रधान, अधिकारियों, अंधकार के हाकिम और दुष्टता की सेवा से है।
हमारा युद्ध देश की आत्माओं को अपने वश करने के लिए हो और युद्ध क्षेत्र लोगो के मस्तिष्क है। जो जिन्हें धोखा देने वाले ने अंधा कर रखा है। हमारा हथियार सामर्थ है और धोक्षा धड़ी, दिमागी, बुद्धिमान और संसस्कृतिक शैतानी गढ़ो जो परमेश्वर के विरोध में है ढा सकते है। (इफिसियों 6ः12, 2कुरिन्थियों 10ः3-5)
यहां हम उन प्रधानो और अधिकारियों के बारे में बात कर रहे जो हजारो राष्ट्र और क्षेत्रो को नियंत्रित करते है। छुटकारे की सेवकाई केवल व्यक्तिगत नही पर पूरे नगर, क्षेत्र और राष्ट्र के लिए है। जब पौलुस ने जादू करने के एलिमास की आत्मा को विधिगत रीति से बांधा तो कुप्रुस के गवर्नर ने छुटकारा प्राप्त किया और इसका परिणाम इस पूरे क्षेत्र में कलीसिया रोपित हुई।
अब भी कई पूर्वीय राजा उनके एलियास के प्रभाव में पूर्ण रूप से है। वे अपने तांत्रिक से सलाह लिए बिना एक कदम भी आगे नहीं बढ़ाते हाल ही में भारतीय प्रधान मंत्री ने यू.एस के सीनेटर और प्रतिनिधियों की एक सभा में भाषण दिया इसके पहले उनके हिन्दू पुजारी ने ठीक सीनेट भवन के अन्दर एक आत्मा को जाग्रीत/प्रार्थना किया अतः एक ऐसे स्तर की पश्चाताप को कानूनन प्रवेश यू.एस में ये किलन्टन प्रशासन में मिला। मुश्किल से कोई भी नया नियम की कलीसिया पहले आत्मिक युद्ध में गंभीर रूप से लगने के बिना नहीं स्थापित की गई पेन्तेकुस्त के दिन पवित्रात्मा का आग की जीभ के रूप में आने से दुष्टात्मा के राज्य को बाधित किया और यरूशलेम से पृथ्वी की छोर तक कलीसिया रोपण आन्दोलन की अगुवाई की, यहूदिया की कलीसिया यापा में बिमारो और अशुद्ध आत्माओं से ग्रसित लोगो की चंगाई और जब डोरकस मृत्यु के जी उठे तब रोपित हुआ फिलिप ने सामरिया की दुष्टात्माओं के बीच में बर्बादी ला दिया। (प्रे.काम 5ः16; 9ः36-42, 8ः7)
पौलुस ने एक गुलाम लड़की में से भावी कहने वाली आत्मा निकाला इसका परिणाम फिल्लिपी में यूरोप में पहली कलीसिया रोपित की गई जो ‘‘शान्ती‘‘ की महिला लीडिया के घर में थी। (प्रे.काम 16ः15-18)
इफिसुस की कलीसिया तब रोपित हुई जब तांत्रित किताबे खुले रूप में जलाई गई और देवी डायना को सिंहासन से उतार दिया गया। (प्रे.काम 13ः8-12; 19ः19-27)
अन्यजातीय के बीच में मसीहियत तभी फैल सकी जब प्रांन्तीय शैतानी जड़ का अलौकिक विध्वंस हुआ जो पतरस का अन्य जीव के प्रति था। यह एक गंभीर आत्मिक युद्ध था जो तीन बार दिखाया गया। (प्रे.काम 10ः9-16)
वास्तव में इतने अधिक चिन्ह और चमत्कार हुए कि तुस्त्रा में बरनबास और पौलुस को ज्यूस और हरमेस समझने लगे। और उनके लिए एक कठिन समय था कि वे लोगो को कायल कर सकें। कि उनके लिए पशु बलि न की जाए। (प्रे.काम 14ः8-15)
यरूशलेम से इल्लिरिकुम तक पौलुस चिन्ह और चमत्कारो के साथ प्रचार करता रहा, जिसका परिणाम की पूरा क्षेत्र प्रत्येक जगह गुणात्मक कलीसियाओं से भर गया। पौलुूस कई बार पीटा गया और प्रताड़ित किया गया परन्तु वह कभी खाली हाथ नही लौटा। मुश्किल से ही ऐसी कोई जगह होगी जहां पौलुस के प्रचार का परिणाम घरेलु कलीसिया नही स्थापित हुई। उसका उद्देश्य हमेशा नए स्थानों पर पहुचना रहा। (रोमियों 15ः19-20)
आधुनिक समय की कलीसियाओं का रविवार के धार्मिक और फल रहित प्रचार को छोड़कर सामर्थी प्रचार करना है जिसका परिणाम कलीसिया रोपण है चीन, भारत और दक्षिण अमेरिका और आफ्रिका और दूसरे देशो में हजारो कलीसियाए स्थापित की जा रही है, जो जादू टोना का सामना करने का सीधा परिणाम है, दुःख की बात है कि अधिकतर परंपरागत कलीसियाएं रविवारीय सुबह की आराधना के द्वारा सफाई में लगी है और बहुत सी घरेलु कलीसिया आन्दोलन से अनभिज्ञ है, जो पूरे विश्व से बढ़ रहा है।
इस संसार के ईश्वर ने उनके दिमाकों को सुन्न/अचेत कर दिया है और चुपचाप से एक्स और वाय कोमोसेग्स को जीन संबधी हेर फेर के द्वारा ख्रीष्ट की देह में से निकाल दिया है और उसे मोटी बच्ची और अन उपजाऊ बना दिया है। तौभी दुल्हन का पति और उसका कर्ता चाहता है कि उसके तम्बू और बड़े किए जाएं क्योंकि वहां उसके लिए आशा है। (यशायाह 54ः1-5)
आवश्यक्ता है कि कलीसिया तेजी से अनउपजाऊ रविवारिय आराधना से उबर कर तेजी से गुणात्मक वृद्धी करे और सिखाने की ओर आए ताकि घर घर में और परमेश्वर के पूरे राज्य में खुली घोषणा करे। (इफिसियों 4ः11,13; पेरितों के काम 20ः20,27)
हम एक खेत पर बने घर में रहते है हमारे पास गाये, मुर्गी के बच्चे, बंदखे कुत्ते औश्र बहुत सी चिड़िया यहां घोसले बनाती है, दो वर्ष पहले हम दस बकरियां लाए तब से 5 पाॅंच दुर्घटना में मर गयी, और बाकी पाॅच को हम अपने उत्सव में खा गये। सो उनका अन्त हो जाना चहिए था। पर अब वास्तव में हमारे पास 30 बकरियां है जो परिपक्व है वह शर्मनाक है क्योंकि वे हमेशा जोड़ी से रहती है।
छोटी बकरियां उछलती कुदती आनन्द देने वाली है। आशा है कि वह निरन्तर बढ़ती रहेगी और अगले वर्ष दुगनी संख्या में हो जाएगी घरेलु कलीसिया ख्रीष्ट की दुल्हन जच्चा कक्षा है जहां बाल कलीसिया निरन्तर पैदा होती है। जब यीशू एक गौशाले में पैदा हुआ तो क्या उसकी कलीसिया एक पर रसोई और गौशाले में नही पैदा हो सकती। यह फैशन नुमा और सुगन्धित तो नही है पर एक आदर्श स्थान है जहां वृद्धी हो सकती फल प्राप्त हो सकते और पृथ्वी को भर सकते है। (1कुन्थियों 16ः19, प्रे.काम 16ः5)
ख्रीष्ट की देह को न केवल उपजाऊ होना है, परन्तु वास्तव में तेजी से बच्चे उत्पन्न करने वली है। प्रभु यीशु की कलीसिया रोपण तरीके पर आधारित लूका 10 आप अपने उद्धेश्य पूर्ण रोग के लिए प्रार्थना यात्रा कर सकते है, प्रे.काम 17ः26, फसल के प्रभु से प्रार्थना करे जब तक की बलवंत पुरूष न बांधा जाए और बाहर भगाया जाए। यीशु ने कहा ‘‘यदि में परमेश्वर की सामर्थ से दुष्टात्मा को निकालता हूँ, तो परमेश्वर का राज्य तुम्हारे पास आ पहुँचा है। (लूका 11ः20) यह उस शान्ती के व्यक्ति को प्रगट करेगा। जो तुम्हे अपने घर पर भोजन के लिए बुलाएगा, जो अशुद्ध आत्मा के बंधन में है वे छुड़ाए जाएंगे और बीमार चंगे होंगे और वहां एक घरेलू कलीसिया स्थापित होगी। इस घरेलू कलीसिया में लोग शिष्य बनाए जायेंगे, बपतिस्मा होंगे, रोटी तोड़ी जाएगी और लोग सिखाए जांऐगे कि दूसरे क्षेत्रो के कब्जे में लेने के लिए बाहर भेजे जाएं। यह सबसे शीघ्र और बाईबल आधारित तरिका है कि गुणात्मक घरेलू कलीसिया आन्दोलन को जन्म देने का।
इस बात पर ध्यान है कि नए विश्वासी सिद्धान्तो से बोझि ने हो क्योकि हम सिद्धान्तो से उद्धार नही पाते पर यीशू व्यक्ति पर विश्वास करने के द्वारा। (प्रे.काम 16ः30-31, रोमियों 10ः 9,10,13)
इन्हें विशेष तरीके से सिखाने की आवश्यक्ता है जैसे खोलने और बाधंने का अधिकार उनका सोंटा और लाठी। एक विश्वासी के नाते यह योग्यता आवश्यक है। (मत्ती 16ः17,18)
यह भी बहुत सफाई से समझाना है कि विश्वासी के शस्त्रों में ‘प्रेम‘‘ सबसे सामर्थी हथियार है। तू प्रभु अपने परमेश्वर को अपने सारे मन से प्रेम कर क्योंकि परमेश्वर के साथ आपकी व्यक्तिगत समीपी/संबंध के बिना कुछ भी ज़रूरी है कि आप अपने पड़ोसी को अपने समान प्रेम रखे क्योंकि आपका न्याय यीशू के सबसे छोटे और खोए हुए एक सेवा करने पर आधारित है। (मत्ती 22ः39,25ः31-40)
एक दूसरे से प्रेम रखें, नही तो संसार यीशू का इंकार करेगा। (यूहन्ना 13ः34,35) एक दूसरे को नए नियम में 44 बाप में लिखा है इसलिए उसके सावधानी पूर्वक अध्ययन करना और लागू करना आवश्यक है। जन्म में अपने दुश्मनों से भी प्यार करें कि आप भी सिद्ध हो जाए। (मत्ती 5ः44,48) दुल्हन अपने दुल्हे के प्रति अपने गहरे प्रेम प्रकट करने के लिए सिद्ध स्थान एक घराने के निकट बर्ताव रखने में है। तभी विश्वासी में यह चिन्ह दिखाई देंगे ‘‘मेरे नाम में वे दुष्टात्माओं को निकालेंगे वे बिमारो पर हाथ रखेंगे वे चंगे होंगे और प्रभु स्वंय उनके साथ काम करेगा और चिन्हों के द्वारा वचन को दृढ़ करेगा। (मरकुस 16ः17-20)
पौलुस की रणनीति एक पूर्ण सीढ़ी है। पहले उसके प्रार्थना युद्ध के द्वारा उनकी आँखे खोली फिर उन्हें अंधकार से अद्भुत ज्योति में पश्चाताप के द्वारा लाया फिर शिष्यता और बतिस्मा के द्वारा उन्हें शैतान की सामर्थ से छुड़ाकर परमेश्वर के प्रेमी हांथों में लाया और पिता की तरह उनकी अगुवाई थी जब तक कि वे असाधारण वारिस नही बन गए। प्रेरित 26ः18 हमें नए विश्वासियों में से शैतान को निकालना है और उनको तब तक पोषित करना है जब तक की मेम्ने की पुस्तक में उनके नाम न लिख जाए। यह एक परंपरागत कलीसिया में नही होगा, परन्तु जो हम कलीसिया में करते है उससे बिल्कुल अलग नई मदित/दाखरस को नई मस्को की आवश्यक्ता है।
परंपरागत राणनीति जैसे साहित्य बाॅटना बाईबल अध्ययन कक्षाएँ तथा प्रार्थना समूह बिना प्रार्थना युद्ध के इनका परिणाम थोड़े ही घरेलू कलीसिया इधर उधर होंगी। लेकिन एक गहरी कलीसिया स्थापना के लिए एक वास्तविक सफलता चाहिए।
न केवल क्षेत्रिय दृष्टात्माओं के पहले निकाला जाना है परन्तु पौलुस की पूरी रणनीति इस्तेमाल (लागू) होना चाहिए। (प्रेरितो के काम 26ः17-18)
प्रभु यीशु अपने पिता के बाग में शैतान के कार्यो को ध्वस्त करता गया (1युहन्ना 3ः8) हमें भी अपने गुरू के कार्य में ऐसे ही जाना है। नरक के फाटकों को ध्वस्त करना और राष्ट्र को शिष्य बनाना सबसे प्रभावशाली डंग से/सुविधाजन स्थानों में अर्थात घरेलू कलीसिया।
यूध तिथ का मिशन क्यों?
कलीसिया रोपण कर रहा है?
कलीसिया रोपण बाईबल का नमूना है प्रेरित पौलुस के सुसमाचार प्रचार की रणनीति या रोपण था। जहां कही पौलुस ने सुसमाचार प्रचार किया उसने लोगों को प्रभु के लिए जीता और उन्हें विश्वासियों की संगती में जोड़ा। यह आवश्यक है कि नया नियम केवल भेड़ो को जीतने की बात नही करता परन्तु उनको झुण्ड में भी लाना है।
बाईबिल में कलीसिया कई नामों से जानी जाती है परमेश्वर के लोग एक पवित्र जाति, राज पदधारी जीवित मंदिर, परमेश्वर का मंदिर है।
कलीसिया रोपण परमेश्वर की इच्छा को पूरा करना है कि हमें राज्य के समुदाय में इकट्ठा करें। बाईबिल केवल व्यक्तिगत मसीही की बात नही करती लेकिन परमेश्वर के लोगो के समुदाय की। कलीसियांए स्वंय इच्छा के कार्य करने वाली नहीं है, हम लोग बुलाए हुए लोग है।
कलीसिया रोपण पूरे देश को शिष्य बनाने की नींव है।
परमेश्वर अपने लोगो को उपस्थित कर समाज के हर स्तर के लोगो को अपनी प्रभुता लाने के लिए इस्तेमाल करता है। देश में यदि प्रभु के प्रमुख लोग की उपस्थिति नही है तो उनके पास आवश्यक स्त्रोत नही है।
यह मुस्लिम बुद्धिस्ट और हिन्दू समाज को बिना नमक और ज्योति के लाना बेकार है।
पूरे देश को शिष्य बनाने में पहला कदम यह है कि कार्य और प्रार्थना किया जाए। कि ख्रीष्ट के लिए राष्ट्रीय लोगो का आन्दोलन उठ खड़ा है। यह तब तक नही हो सकता जब तक कि समूह के सदस्य पूरी रीति से न सिखाए जाए। यीशू 12 लोगों को चुना कि संसार को उथल पुथल कर दे।
कलीसिया रोपण वह तरीका है कि कैसे नगरो, राष्ट्रो तक सुसमाचार को पहुँचा जाए।
एक ही क्षेत्र में एक हो उद्देश्य के लिए समर्पित कलीसियाओं का आन्दोलन एक व्यक्तिगत कलीसिया के द्वारा रापित होता है। तब उनमें गुणात्मक वृद्धि पूरे समाज में होती है। यह एक साधारण परन्तु महत्वपूर्ण कदम अकसर उत्साही मसीहियों के द्वारा नहीं देखा जाता है।
गुणत्मक वृद्धि वाली कलीसियाओं की उपस्थिती कलीसिया आन्दोलन है, यही एक मात्र तरीका है जिसके द्वारा महान आदेश की पूर्ती होती है। प्रत्येक राष्ट्रों में व्यक्ति की पहुंच में हम गवाहो की संगती को रोपित करने के कितने समीप आए हैं? यह हजार लक्ष्य होना चाहिए? जब इस लक्ष्य की पूर्ति होगी। तभी प्रत्येक प्राणी तक पहुँचने का उद्देश्य पूरा होगा।
हम समाज के सभी स्तर के लोगों तक पहुँचने के लिए कलीसिया रोपण करते है।
एक स्थानीय कलीसिया या समाज के एक बडे़ हिस्से को सुसमाचार प्रचार को प्रभावित करने में सहायता करती है। क्योंकि आरम्भ मंे सुसमाचार परिवारों और रिश्तेदारों के द्वारा ही फैलता है। जब एक कलीसिया रोपित होती है यह फसल काटने के लिए एक ढांचा तैयार करती है। उन लोगों के लिए जो स्वाभाविक रूप से सम्पर्क में है।
स्थानिय कलीसिया की निरन्तर आगे बढ़ने वाली सेवकाई इतने लोगों को तैयार करना के वे स्वभाविक रिश्तों तक पहूंच सके। इस पड़ोस या स्कूल में दूसरे काम करने वाले भी हो सकते है। इस तरीके से समाज के एक बड़े हिस्से तक पहुंचा जा सकता है, एक बहुत ही छोटे समुदाय के द्वारा।
नगर और राष्ट्र स्वभाव में सगस्तरीय नहीं परन्तु वे भी लंबवत है अर्थात उनको विभिन्न स्तर एक समाज मेें एक दूसरे के ऊपर है। हमें हर स्तर तक पहुंचना है। यदि हमें पूरे राष्ट्र को शिष्य बनाना है।
कलीसियांए रोपित होती हैं क्योंकि यह हमारे सुसमाचार प्रचार के फल को सुरक्षित रखती है।
एक खतरा है कि हमारे आत्मिक बच्चे को आत्मिक रूप से गोद लेने के लिए उपर रखा जाए इससे पहिले कि वे अपने भले लोगों को छोड़े। यह बच्चे बहुत बहुमूल्य है, क्योंकि वे हमारे सुसमाचार प्रचार के द्वारा प्रभु के पास लाए है वे अपने आप को तिरिस्कृत समझ सकते है यदि हम उन्हें दूसरी कलीसियाओं में रखें जबकि प्रभु कहता है कि हम उनके साथ और नई कलीसिया आरम्भ करें।
यह महत्वपूर्ण है कि हम स्थानीय कलीसिया के सहयोग से कार्य करते रहें और जब परमेश्वर अगुवाई करता है तब हम उन्हें स्थानीय कलीसिया में रखें। यद्यपि यह भी महात्वपूर्ण है हम नई कलीसिया रोपित करें।
यह अच्छा है कि हम आनन्द पूर्वक नए बिश्वासियों को उत्पन्न करना स्वीकार करें। तौभी हमें कठिन कार्यो जैसे कि विश्वासियों की संगती को उत्पन्न करने से नही हटना है, हमारे पास निरन्तर आगे बढ़ने वाली जिम्मेदारी है कि हम बढ़ते हुए नए मसीहियों को परिपक्व बनाएं।
वाय डब्लू ए एम
इसलिए कलीसिया रोपण करते हैं क्योंकि उनके पास कई पीढ़ियों के विश्वासियों को पोषित करने के लिए विशाल स्थान है, जब हम कलीसिया रोपण नहीं करते हम समाज की सब पीढ़ियों तक पहुंचने के आवश्यक साधन को बढ़ाने में असफल हो जाते है।
आप एसे पड़ोस में कैसे रहना पसन्द करेंगे जो 15 वर्ष वालों का ही बना हो, यह कुछ सकींर्ण प्रतीत होता है है न समाज स्वाभाविक रूप से बहुत पीढ़ी है वाय. डब्लू .ए. एम. अवसर ऐंसे।
आउट रीच का समर्थन करता है जो युवाओं या समाज के किसी विशेष समूह पर केन्द्रित हो। यदि हमारी पहँुच नई स्थानीय कलीसिया को बनाने में अगूवाई नहीं करती विशेष कर अनपहुँच लोगो तक तो हम उस सुअवसर को खो देंगें जो समाज की सभी पीढ़ियों को छू सके।
कलीसिया रोपण पड़ोस के कस्बे या गांव में किया जाता है। और वे उस भौगोलिक क्षेत्र की सभी पीढ़ियों पर स्वाभाविक रूप से केन्द्रित होता है। इसलिए कलीसिया रोपण द्वारा उस क्षेत्र के सभी आयू स्तर तक पहुंचा जा सकता है ना कि किसी और तरीके के मिशन प्रयास से, हम इसलिए नई कलीसिया रोपित करते हैं क्योंकि यह हमें सुसमाचार प्रचारीय और मिशनरी परिपक्वता की जिम्मेदारी में बढ़ाता है। यदि हमें अपने बीच में मिशनरी तथा सुसमाचारीय वरदानों को बढ़ाना है तो हमें कलीसिया रोपण के स्थान को परिपक्व करना है।
यह बात सभी मिशनरी के लिए सत्य नहीं है क्योंकि हम सभी की बुलाहट कलीसिया रोपण की नहीं है परन्तु कलीसिया रोपण गति कई सुसमाचार प्रचारको और मिशनरी को सुअवसर प्रदान करता है कि वे परमेश्वर पर विश्वास करे और वहाँ कलीसिया खड़ी करे जहाँ कुछ भी नहीं है इस आज्ञाकारिता के कदम के लिए विश्वास और साहस आवश्यक है। नए पाठ सीखे जाते हैं और नई चुनौतियों पर जय प्राप्त होती है।
हम इसलिए कलीसिया रोपण करते है। क्योंकि परमेश्वर चाहता है कि वाय डब्लू ए एम मिशनरियों को चाहता है कि स्थानीय कलीसिया में आत्मिक नींव डालें, जो उसने हमें उद्धेश्य के रूप में दिया है। हम इसलिए बुलाए गए है कि हमारे में जो जीवन है वह दूसरों में पुनः उत्पादित हो ख्रीष्ट की देह में विभिन्न वरदान है वाय डब्लू ए एम को परमेश्वर की ओर से विशेष अभिषेक प्राप्त है और हमें इसे दूसरी नई कलीसिया तक पहुचाना है।
हमारी एक जिम्मेदारी है कि जो प्रभु ने हमें सिखाया है दूसरों को सिखाए, केवल शिक्षा और लेखों के द्वारा ही नही परन्तु नई कलीसिया बनाने के द्वारा भी। जब हम कलीसिया रोपित करते है हम जो हमारे पास है दूसरो तक पहुंचाते है इस प्रकार से गुणात्मक वृद्धी होती है।
हमें परमेश्वर के तरीको के कई (पक्ष) पहलु सिखाए गए हो। हमंे इन्हें दूसरों तक स्थानान्तरित करना चाहते है। यह देखना संभव है कि चर्च का पूरा आन्दोलन उसी नीव पर बना हो जो हमें सिखाया गया है। यह नई कलीसिया उद्धेश्य पूर्ण कलीसियांए बन सकती है जो दूसरों को सिखाएंगी। इस तरह गुणात्मक वृद्धि आगे बढ़ती है, इस आन्दोलन का एक उदाहरण है कि लगभग 20 कलीसिया एक वाय डब्लू ए एम कार्य कत्र्ता के द्वारा दक्षिणी अमेरिकी देश में आरम्भ की गई। और अब ये वाय डब्लू ए एम के द्वारा अपने मिशनरीयों को भेज रहे हैं।
परमेश्वर चाहता है कि वाय डब्लू ए एम एक सघन बन जाए जो सुसमाचार प्रचारकों, पास्टरो और मिशनरियों कलीसिया रोपण के लिए जातियों में भेजे।
हमें भी जातियों के लिए साधन बनना है, और यदि हमारे पास कलीसिया रोपण का दर्शन नही है वो हमारा साधन रूक जाएगा। तब हम परमेश्वर के पुरूषों और महिलाओं को नही भेज सकेंगे जो वह हमारे द्वारा भेजना चाहता है यदि हमें अन पहुँच लोगो तक पहुचने का दर्शन नहीं है परमेश्वर हमें अलग कर देगा और योग्य मिशनरियों को दूसरी मिशन संस्थाओं को भेजेगा।
हम इसलिये कलीसिया रोपण करते है कि और कलीसिया रोपण करने वालों को प्रशिक्षित करे।
कलीसिया रोपण करने वाले मिशनरी अपनी सेवकाई कक्षाओं में नही सीखेंगे ये लोग डाक्टर की तरह है वे अनुभवी हाथों के द्वारा सीखते है।
कलीसिया रोपण के द्वारा हम अनुभव प्राप्त करते है जो हम में गुणात्मक वृद्धी के लिए आवश्यक है। हम अपने अनुभव के द्वारा जो कुछ प्राप्त करते है उसे दूसरों को दे सकते है।
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