भाग 3 कलीसिया क्या है?

भाग 3 कलीसिया क्या है?

एक चर्च वह भवन नही हैं जो एक रास्ते के कोने में है जिस में रंगीन कांच की खिड़कियाँ है और उस भवन में एक ऊँची मीनार है। कलीसिया वहां एकत्रित होती है परन्तु वह भवन एक चर्च नही है।

यूनानी भाषा में मूल शब्द का अर्थ ‘‘उस में से‘‘ और ‘‘कैलिओ‘‘ जिसका अर्थ है ‘‘मैंने बुलाया‘‘ यथार्थ में पूरा और सरल मतलब चर्च का मूल यूनानी भाषा में यह है ‘‘मैं ने बुलाया उस में से‘‘। 

जब यीशु ने कहा ‘‘मैं अपनी कलीसिया बनाऊँगा‘‘ तब वह कह रहा था ‘‘मैं अपने लोगो को संसार में से बुलाऊँगा‘‘ वे मेरे नाम से इकट्ठे होगें और शैतान के फाटक उन पर प्रबल न होगें‘‘। यह ये दिखाता है यीशु के बुलाये हुए लोग ऐ सेना के समान जमघट होगें। वे इस संसार को उसके लिये जीत लेगें। शत्रु उन के आगमन को रोक नही सकेगा। यह अजय सेना परमेश्वर के प्रेम को जो उनके हृदय में होगा प्रेरित होगें। उन के पास प्रेम का शुभ सन्देश होगा और क्षमा उनके ओठो पर होगा। वास्तव में ऐकेलीसिया के दो अर्थ है। वह जो बुलाई गई है और यह की सब एकत्रित होगें। हम चर्च को तभी अनुभव कर सकते है जब तक हम एक साथ एकत्रित होते है।

 मैं और मेरी पत्नी एक है। जब हम एक दूसरे से जुदा होकर मीलों दूर रहते हैं तब भी हम एक हैं। परन्तु हम अपने विवाह के फायदे और आषिश को अनुभव नहीं करते जब तक हम एक साथ विवाह के सम्बन्ध में नही आतें।
 
इसी प्रकार आप और हर बिश्वासी एक चर्च उन नगर में बनता है। जब एक जगह एकत्रित नही होते, तौभी आप चर्च हैं। परन्तु आप कलीसिया आशिष और फायदे नही प्राप्त कर सकते जब तक आप एक स्थान पर एकत्रित नही होते। एक जगह में एकत्रित होने का मतलब नही है कि सभों को एक समय में एक ही जगह में एकत्रित होना है। शायद वह किसी भी नगर में सम्भव नही है। लोगो को एक साथ मिलाना

जोन डौसन आपनी किताब ‘‘टेकिंग अवर सीटीस फाॅर गाॅड‘में कहते है कोई ऐसा सम्पूर्ण नमूना (मोडल) नही है जिस को हम कहें की स्थानीय चर्च ऐसा होना चाहिए। एक बार मैं एक दोपहर को 100 से अधिक आत्मिक अगुवों जो भिन्न भिन्न संस्था से आये थे बिताया, हम सब एक ऐसी विश्व व्यापक चर्च की परिभाषा बनाने की कोशिश कर रहे थे। आप सोचेंगे की यह सरल मुद्दा होगा परन्तु हम बहुत निराश हो गये। आप जरा सोचिये संसार के मनुष्यों की परिस्थिती। जब बाईबल में जितने नमूनें है उन का अध्ययन करें, अब आप को हमारी परेशानी समझ में आयेगी। 

कई घण्टों के वार्तालाप के बाद हमने बहुत से अच्छे नमूने ढूढ़े। पर हमने एक भी सम्पूर्ण परिभाषा चर्च के लिये नही पाई केवल इसके कि चर्च वह है जहां लोग यीशु मसीह की प्रभु से एक साथ मिलते है। मुझे यह परिभाषा ‘‘लोगों के साथ मिलना‘‘ पसन्द है। अधिकांश लोगो का सोचना है चर्च एक भवन है जो एक ही स्थान में खड़ा रहता है।

 अगर परमेश्वर सब को ऐसा हिलाता कि कुछ ना बचता पर एक साधारण बुनयादी नये नियम की कलीसिया तब हमारें पास क्या बचेगा? जरा सोचिये अगर मैं सरी अनावश्यक वस्तुओं को हटा लू जिस को मैं चर्च समझता हूँ तब क्या बचेगा? हमारा लक्ष्य है कि इस पाठ में ऊपरी बातों का उत्तर दूँ। 

पैरा चर्च क्या है?

हाल ही में मैं ने एक किताब पढ़ी जो चर्च/कलीसिया का स्वभाव समझा रहा था। किताब में एक अध्याय का विषय था ‘‘चर्च का सम्बन्ध और दूसरे मसीही संस्थाओं के साथ क्या है? लेखक ने नीचे लेख अवलोकन किया:- बाईबल यह स्पष्ट करती है कि चर्च के जरिये परमेश्वर अपने महान आदेश को पूरा करेगें। किन्तु देखते है कि चर्च वैसा नही रहा जैसा उसे होना चाहिए था। यही एक कारण है कि बहुत से बिश्वासी चर्च से निराश हो गये है। उन्होंने देखा है कि जैसे चर्च चाल रहा है वह लोगो की स्पष्ट जरूरतों को नही पहिचानता। बहुत से शुभ चिन्तक लोगों ने दूसरे लोगों की स्पष्ट जरूरतों की सहायता करने की कोशिश की। यही कारण है कि बहुत सी मिशनरी सोसाईटी आरम्भ हुई। अनाथालय, स्कूल, अस्पताल, सामाजिक कल्याण और विकास संस्था, मसीही बिसनेसमेन संस्था तथा ऐसे कई प्रकार की सेवायें। ये संस्थाओं की जरूरते कम होती जा रही है और चर्च/कलीसिया के बिरादरी या संघ के लोग जरूरत मन्दों की जरूरतों को हर जगह पूरा करने वाले होगें। 

उपरोक्त अनुच्छेद से स्पष्ट है कि लेखक पूरी रीति से पैरा चर्च संस्था को चर्च नही मानते हैं। ऐसा लगता है कि पैरा चर्च, चर्च से छोटा है जब तक वास्तविक चर्च सजग और चंगा हो कर वह कामे करें जो उसे करना चाहिए। यह सर्वोच्च कोटी का उदाहरण है जैसे ‘‘ अगर यह चर्च के समान ही नही दिखता है जो वह चर्च नही है‘‘। सच्चाई तो यह है:- जब पैरा चर्च की संख्या नये जन्म पायें बिश्वासियों एक साथ मिलकर आते हैं और अराधना यीशु की करते है तो वह पैरा चर्च नही परन्तु चर्च है।

 चर्च लोगों से बनता है: चर्च एक संस्था, संगठन, धार्मिक सम्प्रदाय नही है, परन्तु यह लोगो से मिलकर यीशु मसीह की प्रभुता में चलता है।
 
एक वास्तविक पैरा चर्च पाना कठिन है। ऐसा संगठन मसीहियों के द्वारा बनाया हुआ को पैरा चर्च नही कहेगे। वह चर्च अर्थात परमेश्वर के बुलाये हुए लोग है उन में ऐसे लोग भी हो सकते है जिन्होंने नया जन्म नही पाया है फिर भी वह चर्च कहलायेगा। ऐसा कौन सा चर्च जाते है कुछ साल पहिले मुझे भी पैरा चर्च के लिये गलत फहमी थी। मैं अपने प्रशिक्षण के सेवा में कहा करता था ‘‘अगर चर्च वह काम कर रहा है जो उचित है, हम लोगो को ये सारे पैरा चर्च संस्था की जरूरत न होगी। उस समय मुझ को ध्यान में नही आया कि मैं पैरा चर्च वाले उतने ही चर्च वाले है जैसे हम भी, ऐसा होने पर भी जिस भवन में मिलते थे वह हमारे चर्च से भिन्न होता था। मैंने यह महसूस नही किया कि वे भी परमेश्वर के लोग है और यीशु मसीह की प्रभुता में एकत्रित होते हैं।   

हमारा बड़ा बेटा एक प्रसिद्ध पैरा चर्च संस्था का बहुत साल से सदस्य है। मैंने उसे अपने सकारात्मक विचारों को उससे बाटा क्योंकि वह चर्च का नही परन्तु पैरा चर्च का सदस्य है। वह क्षमा प्रार्थी था और मेरे साथ सहमत भी हुआ। उस ने कहा कि हम और हमारे उस संस्था में कार्य कर रहे हैं उस पर परमेश्वर की बड़ी आशिष है। फिर भी वह महसूस करता है कि उस संस्था की सेवा जैसा परमेश्वर चाहता है वैसी नही है । यह इसलिये है क्योंकि उनकी सेवायें चर्च के जरिये नही परन्तु पैरा चर्च के जरिये हो हरी है। वह भी चर्च और पैरा चर्च के विषय में स्पष्ट नही था। एक या दो दिन बाद में कार ड्राईव कर रहा था और अपने बेटे के साथ बातचीत को सोच रहा था। मैंने प्रभु की मधुर आवाज में सुना ‘‘वह कौन सी खासियत है जो एक संस्था को चर्च बनाती है? जैसे में उस प्रश्न का उत्तर ढूंढ रहा था मैंनंे महसूस किया कि परमेश्वर मुझे कुछ प्रकाशन दे रहा है, इससे पहिले मैंने कभी इस मुद्दे को इस तरह नही सोचा था। 
एक संस्था चर्च नही कहलाता क्योंकि उनके पास चर्च के आकार का भवन नही है जिसको चर्च कहते है। वह संस्था चर्च नही है क्योंकि वह एक पंजीकृत सोसाईटी है। वह संस्था चर्च नही है क्योंकि किसी सम्प्रदाय के मुख्यालय से कोई मान्यता नही मिली है। 

वह चर्च नही है क्योकि उसकी हर ईतवार सुबह आराधना होती है जहां जल संस्कार होता है और प्रभु भोज भी  वह चर्च नही है क्योंकि वह हमेशा एक विशेष स्थान में मिलता है। वह चर्च नही है क्योंकि उनके पास पास्टर है। सादी सोच के अनुसार वह चर्च  है क्योंकि परमेश्वर को बुलाये हुए लोग साथ मिलते है यीशु मसीह की प्रभुता में ‘‘भाई बिल बिल्ड भाई चर्च‘‘ के लेखक ऐलफ्रड क्एन कहते है ‘‘यह बहुत सरल है कि हम अनावश्यक प्रश्नों में उलझ जाते है, कोई ऐसा साफ जरिया नही दिखाई देता है जिससे हम एक स्थानीय कलीसिया/चर्च की परिभाषा बनाये। 

फिर कब हम एक बिश्वासियों के झुण्ड को कलीसिया कह सकते है। मैं स्वंय एक सरल परिभाषा बनानें में जुड़ा हूँ। एक बिश्वासियों का समूह कलीसिया/चर्च कहा जाता है। 

यीशु ने कहा ‘‘क्योंकि जहां दो या तीन मेरे से जमा होते हैं वहां मैं उनके मध्य में होता हूँ। (मत्ती 18ः20) तरनुलियन पुराने समय का प्राचीन स्पष्ट रीति से जानता था कि यीशु का क्या मायने है ‘‘तरनुलियन ने कहा  ‘‘जहां दो या तीन बिश्वासी, साधारण लोग भी, तौभी वहां कलीसिया/चर्च है। लेकिन जिम मन्टगमरी ‘‘डैन 2000, 70 लाख  कलीसिया / चर्च बनाना है इसी प्रश्न पर ‘‘चर्च क्या है‘‘ लिखते है ‘‘मैं बहुत प्रभावित हूँ । कि कैसे एक बिश्वासियों का झुण्ड बुनियादी प्रश्नो का सामना चीन देश में करता है। चीन देश के बिश्वासी कहते है ‘‘बहुत से बुज़ुर्ग बिश्वासी कहते है कि वे भविष्य में चीनी चर्च कैस होगा। वे बाईबिल में इसका उत्तर देखते है। उन्होंने देखा कि गृह कलीसिया एक उचित चर्च होगा। पौलुस एक गृह कलीसिया के विषय में 1कुरिन्थियों 16ः19 में ‘‘आसिया की कलीसियाओं की ओर से तुम को नम्कार, अक्विला और प्रिस्का का उनके घर की कलीसिया का भी तुम को प्रभु में बहुत बहुत नमस्कार।
 
बाद में हमें एक किताब ‘‘वांग मिंग डाओं‘‘ की मिली। वे बड़े सम्मानित बिश्वासी चीनी देश में चर्च के विषय पर थे। उन्हें उन के बिश्वास के द्वरा 20 साल तक जेल में डाल दिया गया। उनका यह बिश्वास था कि जहां मसीही लोग होते है वहां चर्च होता है। ‘‘हम इस बात को जान कर बहुत खुश हुए, हमारे समूह केवल थोड़े से ही लोग थे। कुछ भी हो, हमने मान लिया था कि हम वास्तव में एक चर्च है और हमारा शीर यीशु मसीह है। 

‘‘वांग मिंग डाओ का कथन ‘जहां भी मसीही है वहां एक चर्च है‘‘ एक गुढ और प्रबल परिभाषा है। यह इसलिये प्रबल है क्योंकि यह कथन एक ऐसे तेजी से बढ़नेवाले और कठिन परिस्थिती में कार्य करने वाले चर्च से आता है। 

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