मिलामपवाले तम्बू का पर्व

मिलामपवाले तम्बू का पर्व 

यहूदियों द्वारा इस पर्व को 40 वर्षों तक जंगल में अपने प्रवास की याद के रूप में मनाया गया था l जब वे अस्थायी तम्बू / झोपड़ी में रहते थे। आज, वे इन अस्थायी तम्बू / झोपड़ी को पेड़ों की ताजा शाखाओं के साथ घर के सामने बनाते हैं और फल और फूलों से सजाते हैं। वे चटाई या दरी बिछाकर, परिवार और दोस्तों के साथ सात दिन बिताते हैं और खुद को याद दिलाते हैं कि स्वयं परमेश्वर उनके बीच एक तम्बू में रहते थे और सुरक्षित रखकर उन्हें भोजन खिलाया, पानी पिलाया, यहाँ तक कि उनके कपड़े और जूते नहीं फटे थे। बेशक, परमेश्वर ने उन्हें सोने के बछड़े की मूर्तिपूजा में शामिल होने के लिए भी दंडित किया।

नासा (NASA) और अन्य वैज्ञानिक अब यीशु के जन्म के समय प्रकट होने वाले विशेष तारे सहित हजारों वर्षों के सितारों और ग्रहों का पता लगा सकते हैं। बहुत से लोग मानते हैं कि यीशु का जन्म झोपड़ी के पर्व के पहले दिन हुआ था और पर्व के आखिरी दिन यानि आठवें दिन उनका खतना हुआ था। लकड़ी की बनी चरनी जिसमे वे पशु को भूसा और दाना खिलाते थे। हमारे कलाकार गायों और गधे के साथ गौशाले को सजा सजाया दिखातें है, लेकिन सभी किसानों को पता है कि सुबह तक गौशाला गोबर और मूत्र के साथ गन्दा और बदबूदार हो जाता है। यतार्थ में उनका जन्म गौशाला में नहीं बल्कि फल और फूलों से सजे सजाय झोपड़ी में हुवा थाl यह भी माना जाता है कि बेथलेहम एक ऐसा स्थान था जहां किसान पर्वों में कुर्बानी के लिए मेम्ने पालते थे। जो लोग दूर दराज से आते थे उन्हें अक्सर यरूशलेम के मंदिर के पशु बाजार में ठगा जाता था, इसलिए वे बेथलेहम से जो केवल 7 मील की दूरी पर था वहां से उचित मूल्य में पशु खरीदना पसंद करते थे। (व्यवस्थाविवरण 14: 24-26)

बाइबिल के इतिहास में जितने पर्व थे जैसे फसह, अखमीरी रोटी, पहले फल, पेंतेकुस्त, तुरही का पर्व, और पुरीम (प्रायश्चित), झोपड़ी का पर्व इन मे से प्रभु ने पहले चार पर्वों को पूरा कर दिया है बाकि तीन पर्वों को दूसरी आमद में पूरा करेंगे और अब प्रभु यीशु के नए वाचा के तहत, हम परमेश्वर के झोपड़ी और मंदिर हो गए हैं और अब हमारा शरीर परमेश्वर का तम्बू (मंदिर) बन गया है (कुलुस्सियों 2: 17; 2कुरिन्थियों 6: 16)! ये सारे पर्व लुप्त हो जायेंगे, केवल झोपड़ी का पर्व सदकाल के लिए रहेगा । ऐसा इसलिए है क्योंकि प्रभु यीशु सात वर्षों के गंभीर सताव के बाद लौटकर आयेंगे और यहां पर हजार साल के साम्राज्य को स्थापित करेंगे, उस वक्त दुनिया के सभी राज्य के लोग राजाओं के राजा का दर्शन करने के लिए यरूशलेम जायेंगे। (जकरिया १४:१६) चूंकि उस वक्त पर्यावरण प्रदूषित करनेवाले हवाई जहाज और वाहन नहीं होंगे, इसलिए यरुशलेम जाने वाले तीर्थयात्रियों को पैदल, गधे या बैल गाड़ियों पर बैठकर आना होगा। रास्ते में तीर्थयात्री स्थानीय लोगों के बनाए गए तम्बू में रहेंगे, भूमि का श्राप दूर हो जाएगा इसलिए अनाज की उपज बहुतायत से पैदा होगी और वे आपको खिला कर बहुत खुश होंगे। 

तो उस हजार साल के साम्राज्य में कौन प्रवेश करेगा?:

1. आखिरी दृश्य यह है कि सभी 16,700 जातियों, 6500 भाषाएं और अनगिनत जनजातियों की बेशुमार भीड़ सिंहासन के सामने खड़े होकर परमेश्वर की स्तुति करेंगें। (प्रकाशितवाक्य 7: 9, 10)

प्रश्न - जो कुछ भी आप कर रहे हैं, जैसे चर्च जाना और उसके सभी कार्यक्रमों में भाग लेने से, क्या आपके प्रयास से उस भीड़ में किसी भी जनजाति या भाषा के समूह को परमेश्वर के सिंहासन के सामने खड़ा हो सकेंगे ? यदि नहीं तो सतर्क हो जाइये।

2. क्योंकि पृथ्वी परमेश्वर के महिमा के ज्ञान से ऐसी भर जाएगी जैसे समुद्र जल से भरा रहता हैl (हबक्कूक 2:14)

प्रश्न - जो कुछ भी आप कर रहे हैं, जैसे बाइबिल का गहन अध्धयन, लम्बी लम्बी प्रार्थना, आकर्षक गीत गाना और उसे आराधना कहना या दसवांअंश देना इत्त्यादी, क्या ये सब पृथ्वी को परमेश्वर के महिमा के ज्ञान से भर देंगे ? यदि नहीं तो सतर्क हो जाइये।

3. और राज्य के इस सुसमाचार को सारे जगत में गवाही के रूप में प्रचारित किया जाए गा और फिर अंत आ जाएगा। (मत्ती 24:14; रोमियों 10: 13-17)

प्रश्न- जो कुछ भी आप कर रहे हैं, क्या यह इस पृथ्वी पर वापस पभु यीशु की वापसी में तेजी लाएगा। (2 पतरस 3: 10-12)

4. यीशु ने अपने शिष्यों से कहा, "मेरे पीछे चलो मैं तुम्हें मनुष्यों के पकड़नेवाले मछुआरे बनाउंगा।" (मत्ती 4:19)

प्रश्न – क्या आपकी कलीसिया ने आपको सफल मछुआरे के रूप में प्रशिक्षित किया है? यदि नहीं, तो तुरंन्त उस बेबीलोनियन (स्वार्थी) कलीसिया से बाहर निकलकर अपना खुद का मछुआरे बनाने का प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू करें। याद रखें कि आपका न्याय आपकी धार्मिकता पर निर्भर नहीं है जो मैंले चिथड़ों की तरह है, लेकिन आपका न्याय आपके फलवन्त होने पर है याने कि आपने कितनी आत्माओं को बचाया है, "फलदायी बनें, गुनात्मक रूप से वृधि करें और पृथ्वी में भर जाये, उस पर प्रभुता रखें और राज्य करें।" (मत्ती 07:20; इफिसियों 4: 11-13; (प्रकाशितवाक्य 18: 4; उत्पत्ति 1:28; यशायाह 64: 6)

5. प्रभु यीशु मसीह इस संसार में भटकी हुई भेड़ों को खोजने और उनका उद्धार करने आये थे। (लूका 19:10) यदि आप अपने प्रभु का अनुसरण नहीं कर रहें है, तो आप यीशु भक्त कैसे हो सकते है?

 “शालोम” - अंकल वी.


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