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मूसा, हारून की फिरौन से मुलाकात

 मूसा, हारून की फिरौन से मुलाकात

(निर्गमन 4:​27-31; 5:​1-23; 6:​1-13, 26-30; 7:​1-13)

मिस्र आने के बाद, मूसा अपने बड़े भाई हारून से मिला और उसे उन सभी चमत्कारों के बारे में बताया जो उसने देखे थे। फिर मूसा और हारून ने मिलकर वे चमत्कार इस्राएलियों के सामने किए। इससे इस्राएलियों को यकीन हो गया कि यहोवा ने ही उन्हें भेजा है।

इसके बाद मूसा और हारून, फिरौन से मिलने गए। उन्होंने फिरौन से कहा: ‘इस्राएल का परमेश्वर यहोवा कहता है, “मेरे लोगों को तीन दिन के लिए जंगल में जाने दे, ताकि वे वहाँ मेरी उपासना कर सकें।” ’ लेकिन फिरौन ने कहा: ‘कौन यहोवा? मैं किसी यहोवा को नहीं जानता। मैं इस्राएलियों को हरगिज़ नहीं जाने दूँगा।’

इस्राएली, यहोवा की उपासना करने के लिए काम से छुट्टी माँग रहे थे। इसलिए फिरौन को बड़ा गुस्सा आया। उसने इस्राएलियों को और भी ज़्यादा काम दे दिया। अब इस्राएलियों को पहले से भी ज़्यादा मेहनत करनी पड़ रही थी। उन्होंने मूसा से कहा, ‘यह सब तुम्हारी वजह से हो रहा है।’ यह सुनकर मूसा दुःखी हो गया। लेकिन यहोवा ने मूसा से कहा, ‘परेशान मत हो। मैं कुछ ऐसा करूँगा कि फिरौन को मेरे लोगों को छोड़ना ही पड़ेगा।’

मूसा और हारून एक बार फिर फिरौन के पास गए। इस बार उन्होंने उसके सामने एक चमत्कार किया। हारून ने अपनी लाठी ज़मीन पर डाली और वह एक बड़ा-सा साँप बन गयी। तब फिरौन के जादूगरों ने भी अपनी-अपनी लाठियाँ ज़मीन पर डालीं और वे भी साँप बन गयीं। मगर देखो तो ज़रा, हारून का साँप जादूगरों के साँपों को निगल रहा है! यह सब होने पर भी फिरौन टस-से-मस नहीं हुआ और अपनी बात पर अड़ा रहा।

अब वक्‍त आ गया कि यहोवा, फिरौन को सबक सिखाए। क्या आप जानते हैं यहोवा ने यह कैसे किया? वह मिस्र के लोगों पर 10 विपत्तियाँ, यानी बड़ी-बड़ी मुसीबतें लाया।

विपत्ति पड़ने पर फिरौन, मूसा से कहता था: ‘इस विपत्ति को रोक दो। मैं इस्राएलियों को जाने दूँगा।’ मगर जब विपत्ति रुक जाती, फिरौन अपनी बात से मुकर जाता। जब 10वीं विपत्ति पड़ी, तब फिरौन ने मजबूर होकर इस्राएलियों को जाने दिया।

क्या आप जानते हैं, वे दस विपत्तियों क्या थीं? चलिए अगली कहानी में देखते हैं।

क्या आप जानते है? 

  1. मूसा और हारून के चमत्कारों का इस्राएलियों पर क्या असर पड़ा?
  2. मूसा और हारून ने फिरौन से क्या कहा और फिरौन ने उन्हें क्या जवाब दिया?
  3. जब हारून ने अपनी लाठी ज़मीन पर डाली तो क्या हुआ? तसवीर देखकर बताइए।
  4. यहोवा ने फिरौन को सबक सिखाने के लिए क्या किया और विपत्ति पड़ने पर फिरौन मूसा से क्या कहता था?
  5. दसवीं विपत्ति के बाद क्या हुआ?

क्या आप और जानते है? 

  • निर्गमन 4:​27-31 और 5:​1-23 पढ़िए।

    जब फिरौन ने कहा कि “मैं यहोवा को नहीं जानता,” तो उसके कहने का क्या मतलब था? (निर्ग. 5:2; 1 शमू. 2:12; रोमि. 1:​21)

  • निर्गमन 6:​1-13, 26-30 पढ़िए।

    यहोवा ने खुद को किस मायने में इब्राहीम, इसहाक और याकूब पर ज़ाहिर नहीं किया था? (निर्ग. 3:​13, 14; 6:3; उत्प. 12:​8)

    मूसा को लगा था कि वह यहोवा का काम करने के काबिल नहीं है, फिर भी यहोवा ने उसे इस्तेमाल किया। इस बात से हमें क्या भरोसा मिलता है? (निर्ग. 6:​12, 30; लूका 21:​13-15)

  • निर्गमन 7:​1-13 पढ़िए।

    मूसा और हारून ने निडर होकर फिरौन को यहोवा का फैसला सुनाया। आज परमेश्वर के सेवक उनसे क्या सीख सकते हैं? (निर्ग. 7:​2, 3, 6; प्रेरि. 4:​29-31)

    यहोवा ने कैसे दिखाया कि वह मिस्र के देवी-देवताओं से कहीं बढ़कर है? (निर्ग. 7:12; 1 इति. 29:​12)

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