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पानी चट्टान से निकला

 जबकि पानी तो यहोवा ने निकाला था

(गिनती 20:​1-13, 22-29; व्यवस्थाविवरण 29:5; नहेमायाह 9:​21)

साल-पर-साल बीतते जा रहे थे। 10 साल, 20 साल, 30 साल, 39 साल! इस्राएली अब भी जंगल में दर-ब-दर भटक रहे थे। फिर भी, उन सालों के दौरान यहोवा उनकी देखभाल करता रहा। वह उन्हें खाने के लिए मन्ना देता। उन्हें रास्ता दिखाने के लिए दिन में बादल के खंभे और रात में आग के खंभे का इस्तेमाल करता। इस्राएलियों को जंगल में रहते इतने साल हो गए थे, लेकिन न तो उनके कपड़े फटे और ना ही उनके पाँवों में छाले पड़े।

अब इस्राएली फिर से कादेश में डेरा डाले हुए थे। यह वही जगह थी, जहाँ वे करीब 40 साल पहले रुके थे। यहीं से 12 जासूसों को कनान देश की जासूसी करने के लिए भेजा गया था। उन्हें मिस्र से निकले 39 साल हो गए थे। अब यह 40वें साल का पहला महीना था। कादेश में मूसा की बहन मरियम की मौत हो गयी। और यहाँ एक बार फिर मुसीबत खड़ी हो गयी।

यहाँ लोगों को कहीं पानी नहीं मिल रहा था। इसलिए वे मूसा से शिकायत करने लगे: ‘अच्छा होता अगर हम पहले ही मर जाते। आखिर तुम हमें मिस्र से निकालकर इस बेकार जगह में क्यों लाए हो? यहाँ कुछ भी नहीं उगता—​न अनाज, न अंजीर, न अंगूर, न अनार! यहाँ तो पीने के लिए एक बूँद पानी तक नहीं है।’


तब मूसा और हारून प्रार्थना करने के लिए तंबू में गए और यहोवा ने मूसा से कहा:
‘लोगों को इकट्ठा कर। फिर उन सबके सामने उस चट्टान से बोलकर उससे पानी निकाल। उसमें से सारे इस्राएलियों और उनके जानवरों के लिए काफी पानी निकलेगा।’

यहोवा के कहे मुताबिक, मूसा ने लोगों को इकट्ठा किया और उनसे कहा: ‘परमेश्वर पर विश्वास न करनेवालो, सुनो! क्या तुम्हारे लिए मुझे और हारून को इस चट्टान से पानी निकालना पड़ेगा?’ इसके बाद मूसा ने दो बार चट्टान पर लाठी मारी और उससे पानी की एक बड़ी धार बहने लगी। सभी लोगों और जानवरों के पीने के लिए काफी पानी था।

लेकिन यहोवा, मूसा और हारून से नाराज़ हो गया। भला क्यों? क्योंकि मूसा और हारून ने कहा कि वे दोनों उस चट्टान से पानी निकाल रहे हैं, जबकि पानी तो यहोवा ने निकाला था। मूसा और हारून ने सच नहीं बोला, इसलिए यहोवा ने कहा कि वह उन्हें इसकी सज़ा देगा। उसने कहा: ‘तुम मेरे लोगों को कनान देश में लेकर नहीं जाओगे।’

जल्द ही इस्राएली कादेश से रवाना हुए। कुछ समय बाद वे होर पहाड़ के पास पहुँचे। वहाँ पहाड़ की चोटी पर हारून की मौत हो गई। उस समय वह 123 साल का था। हारून की मौत से इस्राएली बहुत दुःखी हुए और 30 दिन तक उसके लिए मातम मनाते रहे। हारून की जगह उसका बेटा एलीआज़र, इस्राएल जाति का नया महायाजक बना

क्या आप जानते है?

  • यहोवा ने जंगल में इस्राएलियों की कैसे देखभाल की?
  • कादेश में डेरा डालने के बाद इस्राएली क्या शिकायत करने लगे?
  • यहोवा ने लोगों और उनके जानवरों के लिए पानी का इंतज़ाम कैसे किया?
  • तसवीर में जो आदमी उँगली से अपनी तरफ इशारा कर रहा है, वह कौन है? वह ऐसा क्यों कर रहा है?
  • यहोवा, मूसा और हारून से नाराज़ क्यों हुआ? उसने उन्हें क्या सज़ा सुनायी?
  • होर पहाड़ पर क्या हुआ? इस्राएल का अगला महायाजक कौन बना?

और क्या आप जानते है?

  • गिनती 20:​1-​13, 22-​29 और व्यवस्थाविवरण 29:​5 पढ़िए।

    यहोवा ने इस्राएलियों की जिस तरह जंगल में देखभाल की, उससे हम क्या सीखते हैं? (व्यव. 29:​5; मत्ती 6:​31; इब्रा. 13:​5; याकू. 1:​17)

    जब मूसा और हारून ने इस्राएल के सामने यहोवा की महिमा नहीं की, तो यहोवा को कैसा लगा? (गिन. 20:​12; 1 कुरि. 10:​12; प्रका. 4:​11)

    यहोवा से ताड़ना मिलने पर मूसा ने जो रवैया दिखाया, उससे हम क्या सीखते हैं? (गिन. 12:​3; 20:​12, 27, 28; व्यव. 32:​4; इब्रा. 12:​7-​11)

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