सोने का बछड़ा
सोने का बछड़ा
(निर्गमन 32:1-35)
देखो तो ये लोग कर क्या रहे हैं? वे एक बछड़े की पूजा कर रहे हैं! मगर क्यों?
याद है, मूसा परमेश्वर से बात करने के लिए पहाड़ पर गया था। जब वह कई दिनों तक वापस नहीं आया, तो लोग कहने लगे: ‘ना जाने मूसा के साथ क्या हो गया है। अब हमें ही कुछ करना होगा। चलो हम अपने लिए एक देवता बना लें, जो हमें इस देश से बाहर निकलने का रास्ता दिखाएगा।’
जब यहोवा ने यह सब देखा, तो उसे बहुत गुस्सा आया। उसने मूसा से कहा: ‘जल्दी से नीचे जा। लोग बहुत ही बुरा काम कर रहे हैं। वे मेरे नियम भूल गए और सोने के बछड़े की पूजा कर रहे हैं।’
सचमुच, लोगों ने बहुत बुरा काम किया था। इसलिए मूसा ने कुछ आदमियों से कहा: ‘अपनी-अपनी तलवारें निकाल लो। और जिन लोगों ने सोने के बछड़े की पूजा की है, उन सभी को मार डालो।’ उन आदमियों ने 3,000 लोगों को मार डाला। इससे हम क्या सीखते हैं? यही कि हमें झूठे देवी-देवताओं की नहीं, सिर्फ यहोवा की उपासना करनी चाहिए।
क्या आप जानते है?
- इस तसवीर में लोग क्या कर रहे हैं और क्यों?
- यहोवा को क्यों गुस्सा आया? जब मूसा ने लोगों को देखा, तो उसने क्या किया?
- मूसा ने कुछ आदमियों से क्या करने के लिए कहा?
- इस कहानी से हम क्या सीखते हैं?
क्या आप और जानते है?
- निर्गमन 32:1-35 पढ़िए।
सच्ची उपासना के साथ-साथ झूठी उपासना करने के बारे में यहोवा जो महसूस करता है, वह हमें इस कहानी से कैसे पता चलता है? (निर्ग. 32:4-6, 10; 1 कुरि. 10:7, 11)
नाच-गाने जैसे मनोरंजन का चुनाव करते वक्त मसीहियों को किन बातों का ध्यान रखना चाहिए? (निर्ग. 32:18, 19; इफि. 5:15, 16; 1 यूह. 2:15-17)
जो सही है उसका साथ देने में लेवियों ने कैसे हमारे लिए एक बढ़िया मिसाल कायम की? (निर्ग. 32:25-28; भज. 18:25)
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