यहोवा के दिए नियम
यहोवा के दिए नियम
(निर्गमन 19:1-25; 20:1-21; 24:12-18; 31:18; व्यवस्थाविवरण 6:4-6; लैव्यव्यवस्था 19:18; मत्ती 22:36-40)
मिस्र छोड़ने के करीब दो महीने बाद, इस्राएली सीनै पहाड़ के पास पहुँचे। इस जगह को होरेब कहा जाता है। यहीं मूसा ने जलती हुई झाड़ी देखी थी और यहोवा से उसकी बातचीत हुई थी। इस्राएली यहाँ डेरा डालकर कुछ समय के लिए रहने लगे।
इसके बाद मूसा पहाड़ पर चढ़ गया और लोग नीचे उसका इंतज़ार करने लगे। जब मूसा पहाड़ की चोटी पर पहुँचा, तब यहोवा ने उससे कहा: ‘मैं चाहता हूँ कि इस्राएली मेरी आज्ञा मानें और मेरे खास लोग कहलाएँ।’ जब मूसा नीचे आया, तो उसने इस्राएलियों को यह बात बतायी। तब लोगों ने कहा कि वे यहोवा की आज्ञा मानेंगे, क्योंकि वे उसके लोग बनना चाहते हैं।
पता है तब क्या हुआ? पहाड़ की चोटी से धुआँ निकलने लगा और ज़ोर-ज़ोर से बादल गरजने लगे। यह सब यहोवा ने किया। उसने लोगों से कहा: ‘मैं ही तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ, जो तुम्हें मिस्र की गुलामी से छुड़ा लाया हूँ।’ फिर उसने उन्हें यह आज्ञा दी: ‘तुम मुझे छोड़ किसी दूसरे ईश्वर की उपासना मत करना।’
परमेश्वर ने इस्राएलियों को और भी नौ आज्ञाएँ दीं। परमेश्वर की आवाज़ सुनकर लोग बहुत डर गए। उन्होंने मूसा से कहा: ‘आगे से तुम ही हमसे बात करना। क्योंकि हमें डर है कि अगर परमेश्वर हमसे बात करेगा तो हम मर जाएँगे।’
एक बार फिर यहोवा ने मूसा से कहा: ‘तू पहाड़ पर चढ़कर मेरे पास आ। मैं तुझे पत्थर की दो तख्तियाँ दूँगा, जिन पर मैंने दस आज्ञाएँ लिखी हैं। मैं चाहता हूँ कि लोग इन आज्ञाओं को मानें।’ इसलिए मूसा फिर से पहाड़ पर चढ़ गया। और 40 दिन और 40 रात वहीं रहा।
उस दौरान, परमेश्वर ने अपने कहे मुताबिक मूसा को पत्थर की दो तख्तियाँ दीं, जिन पर उसने खुद 10 आज्ञाएँ लिखी थीं। इसके अलावा, उसने मूसा को अपने लोगों के लिए और भी बहुत-से नियम दिए। इन नियमों को मूसा ने अलग से लिखा।
क्या आप जानते है?
- मिस्र छोड़ने के करीब दो महीने बाद इस्राएलियों ने कहाँ डेरा डाला?
- यहोवा इस्राएलियों से क्या चाहता था? और जब यह बात उन्हें बतायी गयी, तो उन्होंने क्या जवाब दिया?
- यहोवा ने मूसा को पत्थर की दो तख्तियाँ क्यों दीं?
- यहोवा ने इस्राएलियों को दस आज्ञाओं के अलावा और क्या दिया?
- यीशु ने किन दो नियमों को सबसे बड़े नियम कहा?
क्या आप और जानते है?
- निर्गमन 19:1-25; 20:1-21; 24:12-18 और 31:18 पढ़िए।
निर्गमन 19:8 के मुताबिक एक व्यक्ति को मसीही समर्पण के लिए क्या करना होता है? (मत्ती 16:24; 1 पत. 4:1-3)
- व्यवस्थाविवरण 6:4-6; लैव्यव्यवस्था 19:18 और मत्ती 22:36-40 पढ़िए।
मसीही, परमेश्वर और पड़ोसी के लिए प्यार कैसे दिखाते हैं? (मर. 6:34; प्रेरि. 4:20; रोमि. 15:2)
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