ईश्वरीय चंगाई के विभिन्न चरण - 4

 ईश्वरीय आरोग्यता उद्धार का भाग है

 जिस प्रकार हम स्वास्थ्यकर्ता परमेश्वर को उद्धारकर्ता प्रभु यीशु मसीह से अलग नही कर सकते, क्योंकि दोनों एक ही तत्व है। 

  • यीशु ने कहा - ‘‘मैं और पिता एक हैं। (यूहन्ना 10ः30
  • यीशु ने उससे कहा - हे फिलिप्पुस मैं इतने दिन तुम्हारे साथ हूं, और क्या तू नही जानता? जिसने मुझे देखा, उसने पिता को देखा है, तू क्यों कहता है कि पिता को हमें दिखा? (यूहन्ना 14ः9)
  • क्योंकि उसमें ईश्वरत्व की सारी परिपुर्णता सदेह वास करती है। (कुलुस्सियोें 2ः9)
  • इसी प्रकार से ईश्वरीय आरोग्यता और उद्धार को एक दुसरे से लग नही कर सकते। यदि आप शारीरिक आरोग्यता चाहते है। तो आपको आत्मिक आरोग्यता भी ग्रहण करना चाहिए। यदि आप शारीरिक चंगाई चाहते है, तो आपको स्वास्थकर्ता और उद्धारकर्ता प्रभु यीशु मसीह को अपने जीवन में प्रवेश देना चाहिए। 
  • प्रभु यीशु ने उस झोले के मारे हुए व्यक्ति से कहा - हे पुत्र तेरे पाप क्षमा हुए, अपनी खाट उठा और अपने घर चला जा। (मरकुस 2ः5 और 11)

यहां पापों की क्षमा पहले मिली, और बाद में रोग का निवारण हुआ।

चंगाई की वाचा से संबन्धित परमेश्वर की शर्त:- 

तू अपने परमेश्वर की उपासना करना तब वह तेरे अन्न जल पर आशीष देगा और तेरे बीच में से रोग दूर करूंगा। (निर्गमन 23ः25)

आरोग्यता तो स्वास्थकर्ता प्रभु परमेश्वर ही देता है। वह अन्ताकरण से स्वस्थ करता हे। जब आप उसे ग्रहण करते हैं, तो आप उसकी दी आरोग्यता को ग्रहण करते है। जब आप स्वस्थकर्ता प्रभु यीशु मसीह को तिरस्कार पूर्वक ठुकराते रहेंगे, तो आप चंगाई को कदापि न पांएगे। जिन्होंने अभी तक मसीह यीशु को अपना मुक्तिदाता स्वीकार नहीं किया है उन से परमेश्वर का वचन बाइबल कहती है।:- 

सबने पाप किया और परमेश्वर की महिमा से रहित हैं। (रोमियों 3ः23)

और फिर कहता है - मैं तुम से सच सच कहता हूँ यदि तुम मन न फिराओगे तो तुम सब भी इसी रीति से नष्ट होगे। (लूका 13ः5)

  • यशायाह कहता है - परन्तु तुम्हारे अधर्म के कामों ने तुम को तुम्हारे परमेश्वर से अलग कर दिया है, और तुम्हारे पापों के कारण उसका मुंह तुम से ऐसा छिपा है कि वह तुम्हारी नहीं सुनता। (यशायाह 59ः2)
  • क्योंकि यह वाचा का मेरा वह लहु है, जो बहुतों के लिये पापों की क्षमा के निमित बहाया जाता है। (मत्ती 26ः28)
  • तु उसका नाम यीशु रखना, क्योंकि वह अपने लोगों का उनके पापों से उद्धार करेगा। (मत्ती 1ः21)

अतः परमेश्वर का वचन बाइबल कहती है:- 

यदि हम अपने पापों को मान लें, तो वह हमारे पापों को क्षमा करने और हमें सब अधर्म से शुद्ध करने में विश्वासयोग्य एंव धर्मी हैं। (1यूहन्ना 1ः9)

उपरोक्त वचनों के अनुसार यदि आप ने मसीह यीशु से पापों की क्षमा प्राप्त नही की है, तो आप परमेश्वर से अलग है, और वह हमारी प्रार्थना नही सुनेगा। किन्तु यदि हम दीन और नम्र बनकर प्रभु यीशु से अपने पापों की क्षमा मांगे और प्रभु को अपने जीवन में ग्रहण करें। तो उसका क्रूस पर बहाया हुआ रक्त हमारे पापों को शुद्ध करता है और हमें क्षमा मिल जाती है। 

प्रभु यीशु ने नीकुदेमुस से कहा-

अचम्भा न कर कि मैंने तुझ से कहा तुझे नये सिरे से जन्म लेना आवश्यक है। (यूहन्ना 3ः7)

संत पौलुस भी कहता है। 

इसलिये यदि कोई मसीह में है तो नई सृष्टि है, पुरानी बातें बीत गई देखो सब बातें नई हो गई है। (2कुरिन्थियों 5ः17)

नये जन्म से तात्पर्य, प्रभु मसीह यीशु को अपने जीवन में विश्वास के साथ मन से ग्रहण करना ही नये सिरे से जन्म लेना है। जब हम विश्वास के साथ मसीह यीशु को मन से ग्रहण करते है, तो मसीह यीशु का लहू हमारे पापों और अधर्म से शुद्ध करता है, और हम नये बन जाते है। क्योंकि वह हमारे अनन्त कारण में जीना आरंभ करता है। यह किसी धर्म को स्वीकारना नहीं है। वरन प्रभु यीशु मसीह को ग्रहण करते है। जैसे जब मेरा विवाह हुआ तो मैंने अपनी पत्नी को अपने जीवन में ग्रहण किया। तो ‘‘विवाह धर्म’’ नहीं मिला। मैंने एक व्यक्ति अर्थात अपनी पत्नि को पाया। जब मैंने जीवन में प्रभु यीशु को ग्रहण किया। तो मुझे उद्धार मिला। इसका यह अर्थ नही है, कि मैंने ‘‘मसीह धर्म’’ को पाया। वरन मैंने एक व्यक्ति प्रभु यीशु को पाया है। मेरे विवाह के समान ही मेरा उद्धार का अनुभव भी निश्चय ही सत्य है। दोनों अवसरों में मैंने किसी व्यक्ति को अपने जीवन में ग्रहण किया है। 

यदि कोई पूछे - मैं कैसे जान सकता हू कि मेरा उद्धार हो चुका है? यदि प्रश्न फिलिप्पी नगर के जेल अधिकारी ने किया - हे सज्जनो उद्धार पाने के लिए मैं क्या करूं? उन्होंने कहा प्रभु यीशु मसीह पर विश्वास कर, तो तू और तेरा घराना उद्धार पाएगा। (प्रेरितों के काम 16ः30-31)

संत पौलुस ने कहा - कि यदि तू अपने मुंह से यीशु को प्रभु जानकर अंगीाकर करे और मन से विश्वास करें कि परमेश्वर ने उसे मरे हुओं मे से जिलाया तो निश्चय उद्धार पाएगा। (रोमियों 10ः9)

प्रेरित पतरस ने कहा - जो कोई प्रभु का नाम लेगा वह उद्धार पाएगा। (प्रेरितों के काम 2ः21

इस सब वचनों में एक ही प्रतिज्ञा है ‘‘तुम उद्धार पाओगे।’’ यदि आप इन वचनों के अनुसार व्यवहार करें तो आप जान सकते है कि मैंने मसीह यीशु को ग्रहण किया है। मृत्यु से जवीन में प्रवेश किया है अब मेरा परमेश्वर के वचन और प्रतिज्ञाओं पर विश्वास करने के द्वारा अपने उद्धार अर्थात नया जन्म पाया है। अब आप विश्वास रखिये कि उसकी आरोग्यता आपकी देह के लिये है। यदि आपके मन में शैतान सन्देह उत्पन्न करता है तो उसे डांटते हुए कहो - हे शैतान यीशु के नाम से दूर हो। वह आपके पास से भाग जायेगा। 

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