यरदन नदी में चमत्कार
यरदन नदी पार कराने के लिए यहोवा ने चमत्कार किया
(यहोशू 3:1-17; 4:1-18)
देखिए, इस्राएली यरदन नदी पार कर रहे हैं। लेकिन आप शायद कहें: ‘नदी? यहाँ तो कोई नदी दिखायी नहीं दे रही है। कहीं यहाँ सूखा तो नहीं पड़ा, जिससे नदी का सारा पानी सूख गया?’ जी नहीं, ऐसा कुछ नहीं हुआ है। इस समय तो यहाँ बहुत बारिश होती है। और कुछ ही मिनट पहले यह नदी लबालब भरी थी। मगर अब यह सूख गयी है। और इस्राएली सूखी ज़मीन पर नदी पार कर रहे हैं, ठीक जैसे उन्होंने लाल सागर पार किया था! तो फिर नदी का सारा पानी गया कहाँ? चलिए पता करते हैं।
जो याजक वाचा का संदूक उठाए हुए थे, वे सूखी नदी के बीचों-बीच जाकर खड़े हो गए। क्या आप उन्हें इस तसवीर में देख सकते हैं? वे तब तक वहीं खड़े रहे, जब तक कि सारे इस्राएलियों ने यरदन नदी पार नहीं कर ली।
जब सब इस्राएलियों ने नदी पार कर ली, तब यहोवा ने यहोशू के ज़रिए 12 हट्टे-कट्टे आदमियों से कहा: ‘वहाँ जाओ, जहाँ याजक वाचा का संदूक लिए खड़े हैं और वहाँ से 12 पत्थर उठाकर ले आओ। आज रात तुम जहाँ रुकोगे, वहाँ इन पत्थरों का ढेर लगा देना। आगे चलकर जब तुम्हारे बच्चे इन पत्थरों के बारे में पूछेंगे, तब उनसे कहना कि जैसे ही याजक यहोवा के वाचा का संदूक लेकर नदी में उतरे, वैसे ही नदी का पानी बहना बंद हो गया था। इस तरह ये पत्थर तुम्हें इस चमत्कार की याद दिलाते रहेंगे।’ इसके बाद, यहोशू ने नदी में भी उस जगह 12 पत्थर इकट्ठा करके रख दिए, जहाँ याजक खड़े थे।क्या आप जानते है?
- इस्राएलियों को यरदन नदी पार कराने के लिए यहोवा ने क्या चमत्कार किया?
- नदी पार करने के लिए इस्राएलियों को विश्वास के साथ क्या करने की ज़रूरत थी?
- यहोवा ने नदी से 12 बड़े पत्थर उठाकर लाने के लिए क्यों कहा?
- जब याजक यरदन नदी से बाहर निकले, तब क्या हुआ?
क्या आप और जानते है?
- यहोशू 3:1-17 पढ़िए।
जैसे इस कहानी में दिखाया गया है, यहोवा की मदद और आशीष पाने के लिए हमें क्या करने की ज़रूरत है? (यहो. 3:13, 15; नीति. 3:5; याकू. 2:22, 26)
जब इस्राएली यरदन नदी के पास पहुँचे, तो नदी कैसे बह रही थी? वहाँ जो हुआ, उससे यहोवा की कैसे बड़ाई हुई? (यहो. 3:15; 4:18; भज. 66:5-7)
- यहोशू 4:1-18 पढ़िए।
यरदन नदी से उठाए गए 12 पत्थरों को गिलगाल में क्यों रखा गया? (यहो. 4:4-7)
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