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हारून की छड़ी में खिले फूल

 हारून की छड़ी में खिले फूल

(गिनती 16:​1-49; 17:​1-11; 26:​10)

वाह! इस छड़ी में कितने सुंदर फूल खिले हैं! और पके बादाम भी लगे हैं! जानते हैं यह किसकी छड़ी है? यह हारून की छड़ी है। और पता है, ये फूल और पके फल उसकी छड़ी में से सिर्फ एक रात में निकल आए! आइए देखें, यह सब कैसे हुआ और क्यों?

इस्राएलियों को जंगल में इधर-उधर फिरते काफी समय हो गया था। कुछ लोग सोचने लगे कि अब हम मूसा के पीछे-पीछे नहीं चलेंगे और ना ही हारून को महायाजक मानेंगे। यह बात सबसे पहले कोरह ने उठायी। फिर दातान, अबीराम और इस्राएलियों के 250 नेता भी उसकी हाँ-में-हाँ मिलाने लगे। उन सब ने जाकर मूसा से कहा: ‘आखिर तुम अपने आपको हम सबसे बड़ा क्यों समझते हो?’

इस पर मूसा ने कोरह और उसके साथियों से कहा: ‘इस बात का फैसला यहोवा करेगा। कल सुबह तुम सब धूप जलाने के अपने-अपने बरतन में धूप डालना और उसे लेकर यहोवा के तंबू के सामने आना। फिर हम देखेंगे कि यहोवा किसे महायाजक चुनता है।’

दूसरे दिन कोरह और उसके 250 साथी, यहोवा के तंबू के सामने आए। और उनका साथ देने के लिए कई दूसरे लोग कोरह, दातान और अबीराम के तंबुओं के पास जाकर खड़े हो गए। यह सब देखकर यहोवा को बहुत गुस्सा आया। तब मूसा ने कोरह, दातान और अबीराम के तंबुओं के पास खड़े लोगों से कहा: ‘इन दुष्ट लोगों के तंबुओं के पास से हट जाओ। उनकी किसी भी चीज़ को हाथ मत लगाओ।’ उन लोगों ने मूसा की बात मान ली।

फिर मूसा ने कहा: ‘अब ज़मीन फट जाएगी और इन दुष्टों को निगल जाएगी। इससे तुम जान लोगे कि यहोवा ने किसे चुना है।’

जैसे ही मूसा ने अपनी बात खत्म की, ज़मीन फट गयी। कोरह का तंबू और उसकी सारी चीज़ें ज़मीन में समा गयीं। साथ ही दातान, अबीराम और उनके सब साथियों को भी ज़मीन ने निगल लिया। जब बाकियों ने उन लोगों की चीख-पुकार सुनी, तो वे चिल्लाए: ‘भागो! वरना धरती हमें भी निगल जाएगी!’

कोरह और उसके 250 साथी अभी-भी यहोवा के तंबू के पास खड़े थे। तब यहोवा ने आग भेजी और वे सब जलकर भस्म हो गए। फिर यहोवा ने हारून के बेटे एलीआज़र से कहा कि वह उन मरे हुए आदमियों के धूप जलाने के बरतनों को ले और उनको पिघलाकर वेदी के लिए एक पतली चादर बनाए। यह चादर इस्राएलियों को हमेशा याद दिलाती कि अगर हारून और उसके बेटों के सिवा किसी और ने याजक बनने की कोशिश की, तो उस पर यहोवा का गुस्सा भड़क उठेगा।

यहोवा इस बात को और भी साफ-साफ समझा देना चाहता था। इसलिए उसने मूसा से कहा: ‘इस्राएलियों के हर गोत्र के नेता से कहो कि वह अपनी-अपनी छड़ी लाए। लेवी के गोत्र से हारून को अपनी छड़ी लाने को कहो। फिर इन सब छड़ियों को तंबू में वाचा के संदूक के सामने रख देना। तब जिसकी छड़ी में फूल खिलें, समझ लेना कि उसी को मैंने याजक चुना है।’

जब मूसा ने दूसरे दिन सुबह देखा, तो हारून की छड़ी में फूल खिले थे और उसमें पके बादाम भी लगे हुए थे! अब आप जान गए कि किस लिए यहोवा ने हारून की छड़ी में फूल खिलाए थे?

क्या आप जानते है? 

  • मूसा और हारून के खिलाफ किन लोगों ने आवाज़ उठायी और वे मूसा से क्या कहने लगे?
  • मूसा ने कोरह और उसके 250 साथियों को क्या करने के लिए कहा?
  • मूसा ने लोगों से क्या कहा? जब उसने बोलना खत्म किया, तो क्या हुआ?
  • कोरह और उसके 250 साथियों का क्या हुआ?
  • हारून के बेटे, एलीआज़ार ने मरे हुए आदमियों के धूप जलाने के बरतनों को लेकर क्या किया और क्यों?
  • यहोवा ने हारून की छड़ी में फूल क्यों खिलाए? (तसवीर देखिए।)

क्या आप और जानते है? 

  • गिनती 16:​1-​49 पढ़िए।

    कोरह और उसके साथियों ने क्या किया और यह यहोवा के खिलाफ बगावत क्यों थी? (गिन. 16:​9, 10, 18; लैव्य. 10:​1, 2; नीति. 11:​2)

    कोरह और “मण्डली” के 250 ‘प्रधानों’ ने अपने मन में कौन-सी गलत सोच पाल रखी थी? (गिन. 16:​1-​3; नीति. 15:​33; यशा. 49:​7)

  • गिनती 17:​1-​11 और 26:​10 पढ़िए।

    हारून की छड़ी में फूल खिलने का क्या मतलब था? यहोवा ने उस छड़ी को वाचा के संदूक में रखने की हिदायत क्यों दी? (गिन. 17:​5, 8, 10)

    हारून की छड़ी की कहानी से हम कौन-सा ज़रूरी सबक सीखते हैं? (गिन. 17:​10; प्रेरि. 20:​28; फिलि. 2:​14; इब्रा. 13:​17)

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