कनान देश की जासूसी 12 जासूसों के साथ
कनान देश की जासूसी
(अब करीब 216 साल बाद मूसा इस्राएलियों को वापस कनान देश ले जा रहा था। (गिनती 13:1-33; 14:1-38)
कनान देश के लोग बहुत बुरे थे। इसलिए मूसा ने वहाँ 12 जासूसों को यह कहकर भेजा: ‘पता लगाओ कि वहाँ कितने लोग रहते हैं और वे कितने ताकतवर हैं। और यह भी कि वहाँ की ज़मीन खेती करने के लिए बढ़िया है या नहीं। एक और बात, वापस आते वक्त वहाँ से कुछ फल लाना मत भूलना।’
जब वे जासूस कनान देश की जासूसी करके कादेश वापस आए, तब उन्होंने मूसा को बताया: ‘वह बहुत ही बढ़िया देश है।’ यह साबित करने के लिए उन्होंने मूसा को कुछ फल भी दिखाए। लेकिन 12 जासूसों में से 10 ने कहा: ‘वहाँ के लोग बहुत लंबे-चौड़े और ताकतवर हैं। अगर हम उनके देश पर कब्ज़ा करने की कोशिश करेंगे, तो ज़रूर मारे जाएँगे।’
यह सुनकर इस्राएली थर-थर काँपने लगे। वे कहने लगे: ‘अच्छा होता अगर हम मिस्र में ही मर जाते या इसी जंगल में हमें मौत आ जाती। कनान देश के लोगों से लड़ने गए, तो हमारी मौत पक्की है। और उसके बाद वे हमारे बीवी-बच्चों को उठा ले जाएँगे। इसलिए आओ हम मूसा के बदले एक नया नेता चुन लें और मिस्र लौट चलें!’
मगर दो जासूसों, यहोशू और कालेब को यहोवा पर पूरा भरोसा था। इसलिए वे लोगों को शांत करने की कोशिश करने लगे। उन्होंने लोगों से कहा: ‘डरो नहीं, यहोवा हमारे साथ है। हम उस देश पर आसानी से कब्ज़ा कर सकते हैं।’ मगर लोगों ने उनकी एक न सुनी। उलटे वे यहोशू और कालेब को मार डालने की सोचने लगे।
यह सब देखकर यहोवा को बहुत गुस्सा आया। उसने मूसा से कहा: ‘जिस किसी की भी उम्र 20 साल या उससे ज़्यादा है, वह कनान देश में नहीं जा पाएगा। इन लोगों ने वे सारे चमत्कार देखे थे जो मैंने मिस्र में और जंगल में किए थे, फिर भी इनको मुझ पर भरोसा नहीं। इसलिए अब तुम लोग 40 साल तक जंगल में भटकते रहोगे, जब तक कि 20 साल से ऊपर के जितने भी लोग हैं, वे सब मर नहीं जाते। केवल यहोशू और कालेब ही कनान देश में जा पाएँगे।’
क्या आप जानते है?
- तसवीर में देखकर बताइए कि अंगूर का गुच्छा कैसा है और यह कहाँ से लाया गया है।
- मूसा ने 12 जासूसों को क्या पता लगाने के लिए कनान देश भेजा?
- कनान से लौटने पर 10 जासूसों ने मूसा को क्या बताया?
- दो जासूसों ने कैसे दिखाया कि उन्हें यहोवा पर भरोसा है और उनके नाम क्या थे?
- यहोवा को गुस्सा क्यों आया? फिर उसने मूसा से क्या कहा?
और क्या आप जानते है?
- गिनती 13:1-33 पढ़िए।
कनान देश के बारे में पता करने के लिए किन लोगों को चुना गया और उनके आगे क्या बढ़िया मौका था? (गिन. 13:2, 3, 18-20)
यहोशू और कालेब का नज़रिया बाकी जासूसों से अलग क्यों था और इससे हम क्या सीखते हैं? (गिन. 13:28-30; मत्ती 17:20; 2 कुरि. 5:7)
- गिनती 14:1-38 पढ़िए।
यहोवा के चुने हुए लोगों के खिलाफ कुड़कुड़ाने के बारे में हमें क्या चेतावनी दी गयी है? (गिन. 14:2, 3, 27; मत्ती 25:40, 45; 1 कुरि. 10:10)
गिनती 14:24 से कैसे पता चलता है कि यहोवा अपने हरेक सेवक में दिलचस्पी लेता है? (1 राजा 19:18; नीति. 15:3)
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