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Showing posts from June, 2020

नये नियम की कलीसिया के 16 सिद्धान्त

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नये नियम की कलीसिया के 16 सिद्धान्त प्रेरितों की पुस्तक और साथ ही नये नियम के अन्य भागों से हम नये नियम की कलीसिया के सिद्धान्त अथवा अधिकारपूर्ण स्तर का ज्ञान प्राप्त करते है।  1. सर्वप्रथम एक कलीसिया लोगों के  स्थानीय झुण्ड के रूप में जो पवित्र आत्मा द्वारा एक किए गए जो गम्भीरता के साथ प्रभु यीशु मसीह के साथ एक व्यक्तिगत रिश्ते की खोज में बढ़ते रहते हैं ( प्रेरितों के काम  13ः2; 16ः5; 20ः7; रोमियों 16ः3-4; 1कुरिन्थियों 16ः19; 2कुरिन्थियों 11ः28; इब्रानियों 11ः6) 2. कलीसिया की सामर्थ पूर्ण गवाही के द्वारा पापी उद्धार पाकर, नया जीवन व बपतिस्मा लेकर मण्डली में जुड़ जाएंगे; वे प्रभु भोज में सहभागी होंगे तथा मसीह के पुनरागमन की बाट जोहते रहेंगे (2ः41-42; 4ः33; 5ः14; 11ः24; 1कुरिन्थियों 11ः26)। 3. आत्मा के बपतिस्में का प्रचार नये विश्वासियों में किया जायेगा (2ः29)। तथा आत्मा की उपस्थिति तथा सामर्थ्य   प्रकट होगी।    4. पवित्र आत्मा के वरदान उन में कार्य करेंगे (रोमियों 12ः6-8; 1कुरिन्थियों 12ः4-11; इफिसियों 4ः11-12;) इसके साथ ही अद्भूत कर्य, चिन्ह, चमत्कार व ...

नमक का दृष्टान्त

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नमक का दृष्टान्त सदन्दर्भ: मत्ती 5ः13 ‘‘ तुम पृथ्वी के नामक हो; परन्तु यदि नमक का स्वाद बिगड़ जाए, तो वह फिर किस वस्तु से नमकीन किया जाएगा? फिर वह किसी काम का नहीं, केवल इस के कि बाहर फेंका जाए और मनुष्यों के पैरों तले रौंदा जाए।’’ लूका 14ः34-35 ‘‘ नमक तो अच्छा है, परन्तु यदि नमक का स्वाद बिगड़ जाए, तो वह किस वस्तु से स्वादिष्ट किया जाएगा। वह न तो भूमि के और न खाद के लिए काम में आता है; उसे तो लोग बाहर फेंक देते है: जिस के सुनने के कान हो वह सुन ले।’’ प्रस्तावना एंव पृष्ठभूमि: नमक सम्पूर्ण संसार में मानव की आधारभूत आवश्यक्ता है। नमक का उपयोग प्रमुख रूप से स्वाद के लिए, किसी वस्तु को सड़ने से बचाने एंव प्यास जागृत करने के लिए किया जाता है।   यह संदर्भ तीन सुसमाचारों में पाया जाता है। प्रभु यीशु मसीह ने मसीहियों के सताव, उनके विश्वास के परखे जाने एंव परीक्षाओं में खरा निकलने के विषय में यह दृष्टान्त कहा है।  विषय वस्तु सारांश: प्रभु यीशु मसीह ने कहा ‘‘तुम पृथ्वी के नमक हो।’’ नमक अच्छा है परन्तु यदि वह अपना स्वाद खो दे तो फिर वह किसी काम का नहीं। इसे फिर से किसी वस्तु से नमकीन न...

विश्व कटनी दिवस फसह के पर्व से पेन्तीकोस्ट तक

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50 दिनों का विश्व कटनी दिवस फसह के पर्व से पेन्तीकोस्ट तक राजनैतिक, सामाजिक और आत्मिक उथल-पुथल व परिवर्तन का समय (1) फसह के पर्व के दिन येशुआ मसीहा का क्रूस पर चढ़ाया जाना। (2) प्रथम फलः येशुआ का सप्ताह के प्रथम दिन जी उठना। (3) चेलों को 40 दिनों तक स्वर्ग के राज्य की शिक्षा। (प्रेरितों 1ः1-2) (3) येशुआ का स्वर्गारोहण। (5) दस दिनों तक 120 लोगों का घर में लवलीन होकर प्रार्थना करना। (6) 14 नई भाषा में बोलने पवित्र आत्मा का अभिषेक एवं (7) प्रेरिताई शिक्षा, पश्चाताप की बुलाहट एवं अभिषेक के द्वारा सामर्थ के कामों की प्रतिज्ञा। (प्रेरितों के काम 2ः37-39) (8) 3000 आत्माओं का शुद्धिकरण का स्नान (बपतिस्मा)। (प्रेरितों 2ः41) (9) पेन्तीकोस्ट का दिन कलीसिया का जन्म दिवस है। भोजन की संगति करना, जल संस्कार लेना व देना, सुसमाचार की चर्चा तथा गुणात्मक वृद्धि, पृथ्वी के छोर तक पहुँचने का आव्हान। (प्रेरितों 2ः42-47; 1ः8) नये नियम के विश्वासियों की कलीसिया लगातार चेला बनाने, बपतिस्मा देने, एकत्रित होने, प्रेरतीय शिक्षा एवं सुसज्जित करने, विश्वसनीय सलाहाकार, बहुजातीय, बहुउद्देशीय विश्वासी परिणाम स्वरूप ...

भाग 11 कलीसिया वृद्धी और पवित्र शास्त्र

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भाग 11 कलीसिया वृद्धी और पवित्र शास्त्र एन्ड्रू ले रूकस इस प्रेरितों के काम के अध्ययन में, मै आप यह दिखाना चाहता हूँ कि प्रारम्भिक कलीसिया इतनी शीघ्रता से कैसे बढ़ी पेन्तेकुस्त के दिन कलसिया का आरम्भ 3000 सदस्यों से हुआ स्टीफेन नील अपनी पुस्तक “A History of Christion Mission ” में बताते हैं कि तीसरी शताब्दी के अन्त तक रोमी सम्राज्य कोई भी ऐसा क्षेत्र नहीं था जहाँ सुसमाचार नहीं पहुँचा। आईए हम नए नियम की कलीसिया वृद्धी के सिद्धान्त को देखें जिसमें तीन शताब्दी में सुसमाचार पूरे संसार में जाना गया। 1. परमेश्वर स्वंय कलीसिया में जोड़ता है। केवल एक ही प्रकार की कलीसिया वृद्धी जो कि राज्य में वास्तविक वृद्धी है। यह मनुष्य अपने पापी जीवन और विद्रोह पूर्ण अस्तित्व से ख्रीष्ट में नए जीवन के लिए बचाए जाएं। हम पाचात्य देश हम अकसर संतो का एक स्थान दूसरे स्थान में रखने की गल्ती करते है। लोग एक चर्च से दूसरे में भेजे जाते है। खोए हुओं के सुसमाचार प्रचार के लिए वास्तविक कलीसिया वृद्धी विश्वासियों का एक चर्च से दूसरे चर्च में स्थान नहीं है। यह खोई हुई आत्माओं का बदलाव है जो कलीसिया में जोड़े जाते है।...

भाग 10 नई कलीसिया क्यों रोपित की जाए?

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भाग 10 नई कलीसिया क्यों रोपित की जाए? चर्च सेवकाई और मिशन की रणनीति आयोजित करने में कलीसिया रोणन की केन्द्रीय स्थान है इसके बहुत से करार है।  कलीसिया रोपण बाईबल आधारित है, कलीसिया रोपण सुसमाचार को आगे बढ़ाने का नए नियम का तरीका है।  यह राज्य की गतिविधि है जिसका हमारे परमेश्वर और राजा के द्वारा दृढ़ता से समर्थन किया गया है, और एक राज्य का समुदाय होने के कारण यदि हम कलीसिया रोपण में असफल रहे तो हम यह अनुभव नही कर कसते कि हम परमेश्वर की आज्ञा मानने के लिए हमें इच्छा पूर्वक और बल पूर्वक कलीसिया रोपित करना है।  कलीसिया रोपण नए अगुवों का विकास करती है।: बहुत से अध्ययनो से प्रमाणित हुआ है कि स्थानीय कलीसिया के फैलाव का मुख्य कारण अच्छे अगुवे है, स्थानीय कलीसिया में विशिष्ट पास्टर ही सबसे मुख्य है जबकि वरिष्ठ पास्टर देखते है कि साधारण अगुवे भ्ज्ञी चर्च सेवकाई में जिम्मेदारी भूमिका निभाते है।  कई मौजूदा कलीसियांए अन्जाने में सीमांए बांध देती है उन लोगो पर जो अगुवे की भूमिका को पूरा कर सकते है इसके फल स्वरूप नए लोगो के लिए कठिन हो जाता है कि वे सेवकाई में ऊपर उठे।  दूसरी त...

भाग 9 हम घरेलू कलीसियाएं क्यों रोपित करें?

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भाग 9 हम घरेलू कलीसियाएं क्यों रोपित करें? प्रश्न: हम घरेलू कलीसियाएं क्यों रोपित करें? उत्तर: 1 क्योंकि यीशु ने हमें पृथ्वी की छोर तक जातियों को चेला बनाने के द्वारा उसके गवाह होने की आज्ञा दी है। हम विश्वास करते है यदि हम अपना ध्यान साधारण और पुनः उत्पन्न योग्य रीति से कर सकते है घरेलू कलीसिया हमारी उस आवश्यक्ता को पूरी करता है। आरम्भ से ही हमारा उद्देश्य गुणात्मक कलीसिया रोपण के द्वारा कलीसिया रोपण (गति) आन्दोलन आरम्भ करना है। उत्तर: 2 हम विश्वास करते है कि घरेलू कलीसिया विचार धारा अत्यन्त उत्तम तरीका है जिसके द्वारा अगुए पाँचों वरदानों के लिए तैयार होते है। उत्तर: 3 छोटी मण्डलीयों की सरल प्रवृति गुणात्मक मण्डलियों को बनाने में सहायक होती है।  उत्तर: 4 परमेश्वर अपने लोगों को बुला रहा है कि वे परंपरागत और व्यवसायक तरीकों को तोड़ कर वापस साधारनता में आ जाएं। उत्तर: 5 अधिकार देशो में केवल यही एक तरीका कलीसिया रोपण आन्दोलन को बढ़ाने में उपयोग किया जा रहा है। यदि हम परंपरावादी कलीसिया के विषय विचार कर रहे है तो कलीसिया रोपण संभव नहीं है।  प्रश्न: क्या घरेलू कलीसिया (ब्मसस हतवनच) छ...