महान दाता

“क्योंकि परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा कि उसने अपना एकलौता पुत्र दे दिया, ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे, वह नाश न हो, परन्तु अनन्त जीवन पाए।” (यूहन्ना 3:16) यह वाक्य मसीही विश्वास का केंद्र है, जिसमें परमेश्वर के असीम प्रेम और उसके महान उपहार का सबसे बड़ा प्रमाण छिपा है। परमेश्वर ने हमें अपना सबसे मूल्यवान और अनमोल उपहार, अपने ही पुत्र यीशु मसीह को अविश्वसनीय प्रेम के साथ दिया। यह वह प्रेम है जो बिना किसी स्वार्थ के, निरपेक्ष दान देने वाला है।​

दान दयालुता, प्रेम और समर्पण का सबसे बड़ा प्रकार है। परमेश्वर, जो ब्रह्मांड का सर्वशक्तिमान स्वामी है, खुद सबसे बड़ा दाता है। उसने हमें न केवल जीवन दिया, बल्कि अनन्त जीवन का उपहार भी दिया, बिना कोई अपेक्षा किए। यह वचन हमें सिखाता है कि दान का अर्थ केवल पैसे या वस्तुएँ देना ही नहीं है, बल्कि समर्पित हृदय से, निरंतर प्रेम से कुछ देना है। बाइबल में अनेक उदाहरण हैं जहां सरल लोगों ने बहुत कुछ कम होते हुए भी अपने सर्वश्रेष्ठ को दान किया, जैसे कि वह विधवा जिसने अपना आखिरी टुकड़ा आटा और तेल दिया, या वह स्त्री जिसने अपना संगमरमर का कीमती इत्र यीशु के सिर पर उंडेला। ऐसे उदाहरण हमें सिखाते हैं कि दान का मूल्य उसकी मात्रा में नहीं, बल्कि हृदय की दी गई ईमानदारी में होता है।​

प्रेम का अर्थ है अपने सर्वश्रेष्ठ को देना, सही जगह और सही समय पर, बिना बदले में कुछ माँगे। यह सच्चा प्रेम बोना है, और जैसा हम बोते हैं वैसा ही काटेंगे। यदि हम प्रेम बोते हैं, तो हमें प्रेम मिलेगा; यदि हम दया बोते हैं, तो हमें दया मिलेगी। इसी प्रकार, सहारा, सहायता और उदारता के बीज बोते हैं जो जीवन में भरपूर आशीष के रूप में फलों के रूप में लौटते हैं।​

मेरे लिए, हर दिन एक दाता बनने का संकल्प करना एक आध्यात्मिक दैनिक अभ्यास है। यह परमेश्वर के अपार प्रेम और दयालुता का हमारा प्रतिउत्तर है, जिसे उसने हम पर उगला है। जैसा कि 1 यूहन्ना 4:19 कहता है, “हम उससे प्रेम करते हैं, क्योंकि उसने पहले हमसे प्रेम किया।” हमारा प्रेम उसके प्रेम का एक गुंज है। परमेश्वर के प्रेम की महानता के प्रति हमारा उत्तर भी दान और सेवा के माध्यम से प्रकट होता है।​

दान देना न केवल आर्थिक क्रिया है, बल्कि यह हमारे विश्वास, आस्था और समर्पण का दर्पण है। जब हम परमेश्वर के लिए उदार होते हैं, तो हम यह स्वीकार करते हैं कि हमारा सब कुछ उसकी योजना और आदेश का हिस्सा है। हम यह वक्तव्य करते हैं कि हम उसकी संपत्ति के प्रशासनकर्ता हैं, न कि मालिक। दान से हमारा विश्वास प्रकट होता है कि परमेश्वर हमें हमारी आवश्यकताओं के लिए प्रचुर रूप से उद्धृत कर सकता है। यह उदारता स्वरूप हमारी आत्मा की स्वतंत्रता और आशीर्वाद को दर्शाती है।​

परमेश्वर की उदारता में कोई सीमा नहीं है। वह कभी खत्म नहीं होने वाला स्रोत है। उसका दान हमेशा प्रकटीकरण और प्रेम से भरपूर होता है, जो हमारे जीवन को बदलने और दूसरों के जीवन को उजागर करने में सक्षम है। वह हमें न केवल वस्तु रूप में, बल्कि आध्यात्मिक उपहारों, बुद्धि, धैर्य, शांति और शक्ति से भी समृद्ध करता है, ताकि हम दूसरों के लिए भी आशीष बन सकें। इसीलिए वह महान दाता है, जिसने हमारे लिए अपना सर्वश्रेष्ठ दिया।​

इसलिए, जब आप दान करें या सेवा करें, तो याद रखें कि आप परमेश्वर के प्रेम और उदारता के प्रतिबिंब हैं। आप भी परमेश्वर की तरह महान दाता बनने की प्रक्रिया में हैं। आपका दान केवल धन या वस्तु का प्रवाह नहीं, बल्कि आशीर्वाद के चक्र का हिस्सा है जो इस संसार में उसके प्रेम के प्रभाव को फैलाता है। इस दान के माध्यम से परमेश्वर की नाम महिमा होती है और उसका साम्राज्य बढ़ता है।​

आखिरकार, दान का सार यह है कि हम परमेश्वर के अपार प्रेम का उत्तर देते हुए, निःस्वार्थ होकर अपने पूरे जीवन और संसाधनों को उसके उद्देश्य में लगाते हैं। यह प्रेम और उदारता हमें उसकी मूरत की तरह बनाती है। हम न केवल लेते हैं, बल्कि देते हैं, पूरा करते हैं, और उसके दाता बनकर इस संसार में उसकी दुनिया को उजागर करते हैं। परमेश्वर हमारा आदर्श महान दाता है, और हमें उसी के चरणों का अनुसरण करना है।

आमीन...

प्रभु आप सभी को बहुतायत से आशीष करें, कि आप परमेश्वर के प्रेम और उदारता को समझें, उसी के अनुसार दाता बनें और उसके आशीर्वाद के द्वार खोलें।

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