ईश्वरीय दृष्टिकोण से देखें

"इसलिए परमेश्वर के अधीन हो जाओ। शैतान का सामना करो, तो वह तुम्हारे पास से भाग जाएगा।" (याकूब 4:7)

यह वचन हमें एक महत्वपूर्ण आध्यात्मिक सत्य की याद दिलाता है—जब हम अपने जीवन को परमेश्वर के अधीन रखते हैं, उसकी प्रभुता स्वीकार करते हैं, तभी हम शैतान और उसकी दुष्ट योजनाओं से विजय प्राप्त कर सकते हैं। परमेश्वर सर्वशक्तिमान हैं, और उनका कोई भी अधीनस्थ उनकी योजना के बिना कुछ भी नहीं कर सकता। जीवन में जो भी कठिनाइयाँ, हमले या विपत्तियाँ आती हैं, वे परमेश्वर की इच्छा का परिणाम नहीं हैं, बल्कि शैतान की चोरी, घात और नाश करने की शक्तियों का प्रहार होती हैं।​

शैतान एक दुष्ट हत्यारा है जो न केवल भौतिक क्षति पहुंचाता है, बल्कि हमारी मानसिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य पर भी हमला करता है। यूहन्ना 10:10 में कहा गया है कि वह केवल “चोरी करने, मारने और नष्ट करने” आया है। उसके हमले अलग-अलग रूपों में होते हैं—परीक्षाएँ, प्रलोभन, भय, आक्रमण और भ्रम। परन्तु परमेश्वर ने हमें उसके खिलाफ लड़ने के लिए अधिकार दिया है। जब हम सचमुच परमेश्वर के अधीन हो जाते हैं, तो शैतान का सामना करने की शक्ति हमें मिलती है और वह हमारे पास से भाग जाता है।​

यह जानना आवश्यक है कि परमेश्वर बुराई का स्रोत नहीं है। याकूब 1:13-17 स्पष्ट करता है कि परमेश्वर कभी भी हमें परीक्षा में नहीं डालता ताकि हम गिरें, बल्कि सभी अच्छे और परिपूर्ण उपहार उसके द्वारा ऊपर से आते हैं। किन्तु परमेश्वर ने शैतान को एक सीमित स्वतंत्रता दी है, जिसका उपयोग वह मानवता को धोखा देने और परमेश्वर के लक्ष्य को बाधित करने के लिए करता है। फिर भी यह स्वतंत्रता सीमित है, और परमेश्वर अंतिम प्रभुता रखते हैं। शैतान जो भी कोशिश करे, परमेश्वर की योजना के अंतर्गत आता है, जिसके द्वारा वह अंततः सभी बुराईयों को समाप्त करेगा।​

इसलिये हमें अपने जीवन के दर्शन और सोच को परमेश्वर के वचन के अनुरूप बनाना होगा। हमारे दर्शन का अर्थ है—हम जीवन, समस्याओं, सफलता, विफलता और संबंधों को कैसे देखते हैं। यदि हम केवल सांसारिक दृष्टि से देखें, तो हम भयभीत, चिन्तित और भ्रमित हो सकते हैं। परन्तु जब हम ईश्वरीय दृष्टिकोण अपनाते हैं, तो हम जानते हैं कि हमारे प्रभु के हाथ में पूरा नियंत्रण है और कोई भी परिस्थिति हमारे विश्वास को कमजोर नहीं कर सकती। परमेश्वर के वचन द्वारा निर्देशित दृष्टिकोण हमें आश्वस्त करता है कि “सब बातें मिलकर भलाई उत्पन्न करती हैं” (रोमियों 8:28) और शैतान के हमलों के बावजूद परमेश्वर हमारी रक्षा करता है।​

हमारा दर्शन हमारी प्रतिक्रियाओं को प्रभावित करता है। जब हम परमेश्वर के वचन के आधार पर सोचते हैं, तो हमारी प्रतिक्रिया धैर्य, विश्वास, प्रेम और शांति की होती है। हमारे जीवन में आने वाले आशीर्वाद भी इसी दृष्टिकोण के फलस्वरूप हैं। इसी कारण से जीवन की हर परिस्थिति को परमेश्वर की दृष्टि से देखना बहुत आवश्यक है। ऐसा नजरिया हमें शैतान के भ्रम और डर से ऊपर उठने में सक्षम बनाता है। यही सतत आध्यात्मिक जागरूकता हमें विश्वास में दृढ़ बनाए रखती है और शैतान के प्रभाव को कमज़ोर करती है।

अंत में, हम यह याद रखें कि शैतान किसी भी रूप में हमारे जीवन के मालिक नहीं हैं। परमेश्वर हमें उसके साम्राज्य में आमंत्रित करता है, जहाँ हम उसके अधीन होकर न केवल शैतान के हमलों से बचते हैं, बल्कि उसकी शक्ति के सहारे विजयी होकर जीवन जीते हैं। इसलिए हमारे पास एक ठोस कदम है—परमेश्वर के अधीन होना और फिर शैतान का सावधानीपूर्वक सामना करना। जब यह होता है, तो शैतान बस भाग जाता है।

आमीन।

प्रभु आप सभी को आशीषें दें कि आप हमेशा परमेश्वर के अधीन रहें, उसकी दृष्टि से देखें और शैतान के हर हमले का विजयी सामना करें।

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