मन की प्रक्रियाएँ

“और तुम सत्य को जानोगे, और सत्य तुम्हें स्वतंत्र करेगा” (यूहन्ना 8:32)। यह वचन हमें याद दिलाता है कि हमारे भीतर चलने वाला सबसे बड़ा युद्ध बाहरी परिस्थितियों से नहीं, बल्कि हमारे मन के भीतर के विचारों से जुड़ा है। शैतान के विरुद्ध असली युद्ध आपके विचारों, भावनाओं और निर्णयों के स्तर पर लड़ा जाता है, इसलिए परमेश्वर का वचन और भी अधिक आवश्यक हो जाता है।​

शैतान की एकमात्र वास्तविक शक्ति छल और झूठ है। वह लगातार झूठ बोलता है, डराता है, आरोप लगाता है और स्वयं को अपनी वास्तविक स्थिति से कहीं अधिक शक्तिशाली दिखाने की कोशिश करता है। परन्तु जब परमेश्वर का वचन आपके हृदय और मन में बसता है, तो सत्य उस हर झूठ को बेनकाब कर देता है और आपको भीतर ही भीतर स्वतंत्र करना शुरू कर देता है।​

यदि तुम सत्य को जानते हो, तो सत्य तुम्हें स्वतंत्र करेगा, क्योंकि सत्य केवल एक विचार नहीं, बल्कि स्वयं यीशु मसीह है, जिसने कहा, “मार्ग, सत्य और जीवन मैं ही हूँ” (यूहन्ना 14:6)। जब हम उसके वचन में बने रहते हैं, तो पवित्र आत्मा हमारे मन को नया बनाता है, पुराने झूठे विश्वासों, नकारात्मक सोच और भय की जंजीरों को तोड़ता है, और हमें परमेश्वर की संतान के रूप में हमारी असली पहचान प्रकट करता है।​​

“क्योंकि यद्यपि हम शरीर में चलते हैं, तौभी शरीर के अनुसार नहीं लड़ते: (क्योंकि हमारी लड़ाई के हथियार शारीरिक नहीं, परन्तु परमेश्वर के द्वारा गढ़ों को ढा देने के लिये सामर्थी हैं;) हम कल्पनाओं को, और हर एक ऊँची बात को जो परमेश्वर के ज्ञान के विरोध में अपने आप को बड़ा करती है, ढा देते हैं, और हर एक विचार को मसीह की आज्ञाकारिता में कैद कर लेते हैं।” (2 कुरिन्थियों 10:3-5)। यह दिखाता है कि हमारा युद्ध उन विचारों, कल्पनाओं, झूठे तर्कों और मानसिक गढ़ों के विरुद्ध है जो परमेश्वर के वचन के विपरीत हैं। ये सब आपके मन की प्रक्रियाएँ हैं, और इन्हें परमेश्वर का सत्य ही तोड़ सकता है।​

शैतान तब तक शक्तिहीन है जब तक आप उसके झूठ पर विश्वास न करें और उसके धोखे को स्वीकार न कर लें। बहुत से मसीही यह मानते हैं कि शैतान के पास बहुत ज्यादा अधिकार, शक्ति और नियंत्रण है, परन्तु क्रूस पर मसीह की विजय ने उसकी शक्ति को निर्णायक रूप से तोड़ दिया है। अब वह केवल उन लोगों को धोखा देता है जो अज्ञानता, भय, अपराधबोध और अविश्वास में जीते हैं और परमेश्वर के वचन को नहीं जानते।​

शैतान एक पराजित शत्रु है; वह जीत चुका नहीं, बल्कि हारा हुआ है। फिर भी वह “गर्जने वाले सिंह की नाईं” घूमता है, ताकि जिसे डराकर, हतोत्साहित करके और झूठ से भरकर गिरा सके, उसे फाड़ खाए (1 पतरस 5:8)। वह सच्चा सिंह नहीं है, केवल दिखावा करता है; सच्चा यहूदा का सिंह हमारा प्रभु यीशु है, जो पहले ही उस पर जय पा चुका है। क्रूस और पुनरुत्थान की विजय में शैतान के दाँत उखाड़ दिए गए हैं; अब वह केवल गर्जना कर सकता है, वास्तविक घातक शक्ति नहीं रखता, जब तक कि हम अपने भय और अविश्वास से उसे अधिकार न दे दें।​

शैतान आपके मन को संदेह, भय, अपराधबोध, न्यूनता और हार की सोच से भरने की कोशिश करता है। वह कहता है कि तुम अयोग्य हो, परमेश्वर तुमसे प्रसन्न नहीं, तुम्हारा भविष्य अंधकारमय है, तुम्हारी प्रार्थनाएँ व्यर्थ हैं, और तुम्हारे जीवन का कोई मूल्य नहीं। परन्तु परमेश्वर का सत्य इसके विपरीत कहता है कि तुम मसीह में स्वीकृत, प्रिय, छुड़ाए हुए, धार्मिक ठहराए गए और स्वर्गीय स्थानों में उसके साथ बैठाए गए हो। जब तुम इन सत्यों पर मनन करते हो, उन्हें विश्वास से स्वीकार करते हो और अपने मुँह से अंगीकार करते हो, तब ये सत्य तुम्हारे भीतर गढ़ बन जाते हैं और शैतान के झूठ के लिए कोई जगह नहीं छोड़ते।​

परमेश्वर ने हमें आत्मिक युद्ध के लिए हथियार भी दिए हैं—उसका वचन, विश्वास की ढाल, उद्धार का टोप, धार्मिकता का कवच, शांति के सुसमाचार के जूते, आत्मा की तलवार और लगातार प्रार्थना का जीवन। जब हम हर दिन मन को नया करने के लिए वचन पढ़ते, मनन करते, याद करते, प्रार्थना में प्रवेश करते और पवित्र आत्मा की अगुवाई में चलते हैं, तब हम शैतान के हर हमले का सामना करने और उसे पराजित करने के लिए तैयार रहते हैं।​

इसलिए अपने मन को युद्ध का मैदान नहीं, बल्कि पवित्र आत्मा के निवास का स्थान बनने दें। हर झूठे विचार को पहचानकर उसे मसीह की आज्ञाकारिता में कैद करें, हर भय के स्थान पर विश्वास का वचन रखें, हर अंधकार के स्थान पर परमेश्वर के वचन का प्रकाश भरें। जब आपका मन सत्य से भर जाता है, तो आपका जीवन, आपके निर्णय, आपके रिश्ते और आपकी गवाही सब पर मसीह की विजय दिखाई देने लगती है और आप वास्तव में उस स्वतंत्रता का अनुभव करते हैं जो केवल सत्य ही दे सकता है।​

आमीन…

प्रभु आपको बहुतायत से आशीष दें, आपके मन को अपने सत्य से भरें और शैतान के हर छल के ऊपर आपको प्रतिदिन विजयी चलने की कृपा दें।

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