मसीहियों सावधान हो जाओ।

 यह विश्व मसीहियों से भरा हुआ है जो यीशु मसीह के विषय में बहुत बहुत जानते हैं, परन्तु उनकी आज्ञाओं को पूरा करने के लिये कुछ नहीं करते हैं। सच्चे मसीही अल्पसंख्यक हैं। इस विषय में बहुत सी गलत फहमियां है कि वे कौनसी बाते हैं जो एक व्यक्ति को मसीही बनाती हैं, जिन्हें स्पष्ट करना आवश्यक है।

1. वंशानुगत मसीहीः केवल इसलिये कि आप किसी मसीही परिवार में पैदा हुए हैं इसका अर्थ यह नहीं है कि आप नया जन्म प्राप्त व्यक्ति हैं। इसलिये यह आपको उद्धार को निश्चित नहीं करता है। आपको एक बड़ा लाभ हुआ है कि बचपन ही से आप धर्म शास्त्र को अच्छी तरह जानते हैं (2तीमुथियुस 3ः15)। परन्तु उद्धार पाने के लिये आपको एक प्रक्रिया में से जाना होगा जिसमें अपने आपको मसीह को पूरी तरह समर्पित करना होगा (यूहन्ना 1ः12, 13; 3ः3-5; लूका 9ः23)। 

2. बपतिस्माः केवल इसलिये कि आप आपके चर्च मेें एक बपतिस्मा के रिवाज से गुजरे हैं, इसका यह अर्थ नही है कि आपका उद्धार हो चुका है। केवल एक विश्वासी का ही बपतिस्मा होना चाहिये। एक सच्चे विश्वासी का चिन्ह यह है कि वह दुष्ट आत्माओं को निकाल सकता है, और बीमारियों को चंगा कर सकता है, इत्यादि (मरकुस 16ः18-20; प्रेरितों के काम 8ः13-24)

3. रविवारः आपका प्रति रविवार बड़ी विश्वास योग्यता के साथ चर्च जाना आपको उद्धार की निश्चयता नहीं देता। चर्च उपस्थिति केवल एक औपचारिकता है क्योंकि वहां केवल होठों से सेवा होती है, परन्तु उनके हृदय परमेश्वर से बहुत दूर होते हैं। जो भी हो परन्तु ये केवल मनुष्य की बनाई हुई आज्ञाएं हैं। परमेश्वर ऐसे लोगों को ढूढ़ रहे हैं जो उनकी आराधना पूरे समय आत्मा और सच्चाई से करते हैं (यशायाह 29ः13, यूहन्ना 4ः23,24)।

4. भले भले कार्य (सुकर्म): इसलिये कि आप करूणा और दया की सेवकाई में लगे हुए हैं, आपको इससे उद्धार की निश्चियता नहीं मिल जाती उन्हें भी नहीं जिनकी आप सेवा करते हैं। ‘‘विश्वास के द्वारा अनुग्रह ही से आपका उद्धार होता है और यह कर्मों से नही है, ऐसा न हो कि कोई घमण्ड करे’’। आपके धार्मिकता के भले कार्य, मैले चिथड़ों के समान हैं (इफिसियों 2ः8,9; यशायाह 64ः6; तीतुस 3ः5)। 

5. विश्वासः केवल विश्वास ही आपको उद्धार नहीं दे सकता। आपको विश्वास के साथ कर्म का भी होना आवश्य है। कर्म बिना विश्वास मुर्दा है। दुष्ट आत्माएं भी विश्वास करती है और थरथराती हैं। आप अच्छे हो और भले काम करने के लिये परमेश्वर द्वारा सिरजे गए हैं। ‘‘कोई भी अच्छा काम नहीं परन्तु प्रभु के कार्यो में बढ़ते जाओ। यीशु बहुत जल्द आ रहे हैं और वे आपको आपके कामों के अनुसार इनाम देंगे (याकूब 2ः17; 2ः19-24; इफिसियों 2ः10; 1कुरिन्थियों 15ः58; प्रकाशित वाक्य 22ः12)। 

6. दशवांश देनाः केवल इसलिये कि आप नियमित रूप से दशवांश देते हैं, आप स्वर्ग नहीं जा सकते। यदि आप सोचते हैं कि आप स्वर्ग जाने का एक तरफ का टिकिट खरीद सकते है तो पहिले यह चेतावनी ले लीजिये। एक टूटा और पिसा हुआ मन ऐसा बलिदान है जिसे परमेश्वर तुच्छ नहीं जानते हैं (भजन संहिता 51ः17; प्रेरितों के काम 8ः20)। 

7. परम्पराएंः रीति रिवाजों, उत्सवों और संस्कारों को मानना आपको स्वर्ग नहीं लो जाएंगे। ‘‘चिल्लाना भी आपको स्वर्ग नही ले जाएगा क्योंकि प्रभु आपके मन को जांचता और आपके विचारों को तौलता है। परमेश्वर ने निश्चय किये हैं कि वे हमारे खुशी और आनन्द के शब्दों को शोक में बदल देंगे क्योंकि हमने अपने हृदयों में मूर्तिया स्थापित की हुई हैं। (1शमूएल 16ः7; यिर्मयाह 17ः9,10; 5ः14; यहेजकेल 14ः1-8)।

8. आराधनाः किसी किमत टेपरिकार्डर या सी. डी. प्लेयर पर मसीही गीत या कोरस सुनना आराधना नहीं है। परमेश्वर हमारे रिवाजी गीतों पर हाथों की सेवा से घृणा करता है क्योंकि हम दुनिया में धर्म और न्याय लाने के लिये कुछ नहीं करते है। हम अपने पड़ौसी अनाथ और विधवा की चिन्ता करने में असफल रहते हैं (आमोस 5ः21-24; यिर्मयाह 7ः4-11)। 

9. उपवास: यहां तक कि उपवास से भी कोई लाभ न होगा, जब तक आप अन्धेर सहने वालों का जुआ न तोड़ें और अपने पंखों में चंगाई न ले आएं जिससे परमेश्वर की महिमा हो (यशायाह 58ः4-12)। 

10. प्रार्थनाएंः हमारी प्रार्थनाएं भी नहीं सुनी जएंगी, यदि वे स्वार्थी प्रार्थनाएं हैं। परमेश्वर ने हमें सारी जातियों, शासन करने वालों, शहरों और कटनी के मजदूरों के लिये प्रार्थना करने को कहे हैं। प्रभु परमेश्वर ने इब्राहीम के साथ अनन्त काल की वाचा बान्धे है कि वह और उसका वंश, पृथ्वी की सारी जातियों के लिये आशीष का कारण होंगे। परमेश्वर वाचा के तोड़ने वालों से घृणा करते हैं और उसे बेईमानी कहा गया है (भजन संहिता 2ः8; 1तीमुथियुस 2ः1-4; मिर्ययाह 29ः7; लूका 5ः14; हेजकेल 17ः16-20)। 

प्रभु ने कहा, ‘‘यदि कोई मेरे पीछे आना चाहे, तो अपने आपे से इन्कार करें, और प्रतिदिन अपना क्रूस उठाए हुए मेरे पीछे हो ले’’। (लूका 9ः23)

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