निर्णय की तराई
बीज बोने वाले के दृष्टान्त के आधार पर पता लगाईये कि आप किस प्रकार के मसीही हैं और तब निर्णय कीजिये कि आपको कैसे मसीही होना चाहिये।
1. त्यौहारी मसीहीः ये उन बीजों की तरह हैं जिन्हें बीज बोने वाले ने सड़क के किनारे छींट दिया था। ये लोग बड़ादिन और ईस्टर के समय अधिकाई के साथ देखे जा सकते हैं। वे उन मेंढकों के समान होते हैं जो वर्षा ऋतु में बड़ी तादाद में निकल आते हैं और बड़े दिन के केरोल गीत गाते हुए ढर्र ढर्र आवाज करते है। क्रिसमस केरोल का अब कोई फायदा नहीं है क्योंकि वे सुदूर रेनडियर और बर्फीली जगहों के विषय में है, हमारे लोग तो बैलगाड़ी पर कड़ी धूप में सवारी करते हैं। और दूसरे क्रिसमस केरोल लोरियां की तरह हैं जो यीशु को सुलाने की कोशिश हैं। साधारणतः हमारी संस्कृति में शराब खोरी का तेल लगा हुआ है, परन्तु त्यौहारों के समय यह उसमें डूबी हुई रहती है। आज क्रिसमस (बड़ादिन), अत्यधिक शराबखोरी, विलासिता, राजमार्गो पर हत्यांए, उपभोक्तावाद, पेटूपन और ऐसे ही दूसरे कार्यो का समानार्थी बन चुका है। सही तो यह है कि त्यौहार के समय उनके मध्य न पीने वाला मसीही अपने आपका पूरी तरह छोड़ा हुआ तथा अलग थलग महसूस करता है। अभाग्यवश उन बीजों की तरह जो सड़क के किनारे गिरे थे और जो चिड़ियों द्वारा चुगलिये गए थे वे भी शैतान और दूतों के द्वारा निगल लिये जाएंगे (मत्ती 13ः18,19)। अब समय आ गया है कि हम इन त्यौहारों के समय का सुसमाचार प्रचार कार्य के समय में बदल दें, मध्यस्थता के द्वारा ठीक उसी तरह जैसे पवित्रात्मा के द्वारा पिन्तेकुस्त के पर्ब के समय इक्लीसियाई युग का आरम्भ करने के लिये किया गया था।
2. इतवारी मसीहीः ये उन बीजों के समान हैं जो चट्टान और पत्थरों पर गिरे। वे अपने रविवारीय सबसे अच्छे वस्त्रों में आते हैं और बहुत ‘‘अच्छा महसूस’’ करते हैं। उनमें से बहुत से बहुत जोश में गाते हैं और वहां के कार्यक्रमों में भी हिस्सा लेते हैं। यह आश्चर्य की बात है कि एक ‘‘नियमित मसीही’’ कितनी ही सभाए, अध्ययन गोष्ठियां, और सम्मेलनों में भाग लेता है, और आशीर्वाद लेने के लिये खड़ा भी होता है, परन्तु दूसरे विश्वास के लागों के आशीष देने के लिये भी बाहर नहीं जाता। ये लोग नियमित रूप से लगातार प्रार्थना करते हैं, ‘‘तेरा राज्य आए, तेरी इच्छा पृथ्वी पर पूरी हो,’’ परन्तु इसके बाद पूरे सप्ताह भर, वे राज्य को लाने के लिये कुछ भी नही करते हैं। वे समझौता कर लेते हैं (मत्ती 13ः20,21)। रविवार के दिन दूर स्थित चर्च में जाने के लिये खर्च करना चाहिये जो हमारी प्राथमिक जिम्मेवारी है। अच्छे सामरी के दृष्टान्त में यीशु ने मन्दिर जाने वाले याजक और लेवी को अस्वीकार कर दिया (लूका 10ः31-37)। आराधना सभा में उपस्थित होना एच्छिक है परन्तु चेले बनाना अनिवार्य है।
3. करिश्माती मसीहीः ये उन बीजों के समान हैं जो झोपड़ियों में गिरे थे। वे बीमारों के लिये प्रार्थना करते हैं और बीमार चंगे हो जाते हैं। वे बलवंत पुरूष को बांधते हैं और उसे निकाल देते हैं, परन्तु वे कटनी करके फल जमा नहीं करते इसलिये उनके पास के फल नहीं हैं जो बने रहें। परमेश्वर ने साफ कह दिये हैं, ‘‘जो बटोरता है वह मेरे साथ हैं, परन्तु जो बिथराता है वह मेरे साथ नहीं है’’ (मत्ती 13ः22; 12ः28-30)। उस दिन बहुत से आकर दावा करेंगे और कहेंगे, ‘‘क्या हमने तेरे नाम से दुष्ट आत्माओं को नहीं निकाला परन्तु वह उनसे खुलकर कह देगा, मैंने तुम्हें कभी नही जाना, हे कुकर्म करने वालों मेरे सामने से दूर चले जाओ’’। हम कटनी जमा करने की आज्ञा की अवज्ञा तो कर सकते है परन्तु इससे हमारा भारी अनिष्ट हो जाएगा (मत्ती 7ः20-23)।
4. महान आदेश वाले मसीहीः ये वे बीज है जो अच्छी भूमि में बोए गए। वे अपने आत्मिक वरदानों और संसाधनों को गुणात्मक रीति से बढ़ते जाते हैं और कोई तीस गुना कोई साठ गुणा और कोई सौ गुना कटनी का फल बटोरता है। और तब वह नए चेलों को तैयार करके उन्हें भेजते हैं जो उससे भी बड़ी कटनी काटते हैं (मत्ती 13ः23)
यदि आप महान आदेश वाले मसीही नहीं हैं तब आपके पास कम से कम तीन विकल्प हैंः
1. जैसा चल रहा है चलने दोः ‘‘जो होना होगा होने दो’’ ऐसा ही आपका व्यवहार है। यह प्रक्रिया अधिक समय नहीं चलेगी क्योंकि बड़ी संख्या में आपके लोग चले जांएगे। बहुत सी प्रसिद्ध कम्पनियां सोचती थीं कि जापानी कम्पनियां उन्हें नहीं छू पाएंगी परन्तु वे अब पूरी तरह से समाप्त हो चुकी हैं। यद्यपि चीजें ठीक ठाक दिखाई दे रही हैं, वे प्रभु के कोई काम की नहीं हैं, यदि आप नई आत्माओं को प्राथमिकता के आधार पर कलीसिया में जोड़ते नहीं जा रहे हैं।
2. एक ही समय में दो धुनों पर नाचनाः जब आप संसार में बाहर जाते हैं तो सांसारिक रीति से व्यवहार करते हैं और जब चर्च में है तो धार्मिक व्यवहार करने लगते हैं। हम बहुत जोर जोर से हाल्लेलूयाह और प्रेज दी लॉर्ड चिल्ला चिल्ला कर रविवारीय आराधना की परीक्षा तो पास कर लेते हैं, परन्तु सोमवार की परीक्षा में फेल हो जाते हैं, जब वहां यीशु के विषय में बताने और गवाही देने की बात आती है। इस प्रकार परमेश्वर और संसार दोनों को खुश रखते हैं। परन्तु जो मनुष्य दो नावों पर पैर रखकर यात्रा करता है वह आवश्य ही पानी में गिर पडे़गा। यद्यपि वह पानी में नहीं परन्तु आग में गिरेगा। यह दुःख की बात है कि बहुत से मसीही शरिवार रात की शराब पीने की परीक्षा में बुरी तरह फेल हो जाते हैं (2पतरस 3ः10,11)।
3. सम्पूर्ण बदलाव कीजियेः जब तक वे पड़ौसियों और मित्रों को निमंत्रण करते रहे, भूतकाल के समयों में बहुत सी कलीसियांए सहभागिता के लिये अच्छी जगहें थी, परन्तु अब वे सब खाली पड़ी हैं। उन्होंने अपने भाईयों और बहिनों को त्याग दिया और इसलिये परमेश्वर ने भी उन्हें त्याग दिया इसलिये कीमत चाहे जो भी हो, यह अच्छा होगा कि अपने कार्य के तरीकों का पूरा पूरा बदलाव करें अपने व्यक्तिगत और सामुहिक जीवन में भी। इसका परिणाम अन्तकाल तक ठहरने वाला होगा (प्रकाशित वाक्य 18ः8, 16ः19)।
विश्व को बदलने के लिये चुने गएः आप भले कार्यो को करने के लिये परमेश्वर के द्वारा जगत की उत्पत्ती से पहिले चुन लिये गए थे, इन कार्यो को करने के लिये परमेश्वर ने पहिले से तैयार भी किया था (इफिसियों 1ः4; 2ः10)। जब बुलाहट आती है, यशायाह की तरह, तब आपको केवल यह कहना चाहिये, ‘‘मैं यहां हूं मुझे भेज’’ (यशायाह 6ः8)। प्रतिज्ञा के अनुसार इब्राहीम के वंश और वारिस होने के कारण, आपका व्यक्तिगत और सामुहिक लक्ष्य यही होना चाहिये कि आप संसार की सभी जातियों के लिये आशीष बन जाएं। (यूहन्ना 15ः16; गलातियों 3ः29; उत्पत्ती 12ः3)।
बदलाव सरल नहीं हैः ब्रिटेन को ग्रहयुद्ध में 300 वर्ष लग गए इससे पहिले कि वहां संसदीय राजसी शासन आरम्भ हुआ। अमेरिका के यूनाईटेड स्टेट्स को संगठित होकर एक बनने में खून में स्नान करना पड़ा। जब भी समाज में परिर्वतन लाना होता है, बहुत भारी विरोध का सामना करना पड़ता है। कोशिश कीजिये और परम्पराओं को बदल डालिये और हो सकता है ऐसा करने पर आप अपने आपको शहीद हुआ पाएंगे (मत्ती 10ः22)। परन्तु प्रभु यहोवा कहते हैं, ‘‘तू अपनी कमर कसकर उठ, और जो कुछ कहने की मैं तुझे आज्ञा दूं, वही उनसे कह। तू उनके मुख को देखकर न घबराना वे तुझ से लडेंगे तो सही परन्तु तुझ पर प्रबल न होंगे, क्योंकि बचाने को मैं तेरे साथ हूं’’। प्रभु हमसे कहते हैं कि हम सारे पुराने बे फायदे की धर्मशास्त्र विरूद्ध परम्पराओं को नाश कर दें और नये नियम के नमूने की इक्लीसियाओं की स्थापना करें (यिर्मयाह 1ः9,10,17-19)। यह सत्य है कि इससे बड़ा और काम नहीं है कि खोई हुई भेड़ को वापस झुण्ड में ले आया जाए। क्योंकि इसके सिवाय और किसी कार्य से स्वर्ग दूत आनन्दित होकर स्वर्ग में नहीं नाचते हैं (लूका 15ः10)
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