इजरायल- फिलिस्तीनी संघर्ष पर बाइबिल का परिप्रेक्ष्य

इस क्षेत्र के लिए संघर्ष कोई नई बात नहीं है। इब्राहीम के भतीजे लूत का अपहरण कर लिया गया था जिसे इब्राहीम युद्ध करके बचाया था (उत्पत्ति 14:1-16)। मिस्र की गुलामी से लौटने के बाद, यहोशू और इस्राएल के बारह गोत्रों ने अनेक स्थानीय जनजातियों जैसे केनी, कनिज्जी, कदमोनी, हित्ती, परीज्जी, रपाई,  एमोरी, कनानी, गिर्गाशी तथा यबूसी के साथ उद्ध में उनका सफाया कर दिया (उत्पत्ति 15: 19-21). दाउद ने गोलियत दानव का जो फिलिस्तीनी था उसका वध किया था (1 शमूएल 17:49,50)। उनके बीच लगातार युद्ध होते रहते थे। यहां तक कि वाचा के सन्दूक को भी एक बार पलिश्तियों ने ले लिया था, जिससे बुबोनिक प्लेग से लोग ग्रसित हो गए थे और उनके देवता दागोन का अपमान हुआ था। (1 शमूएल 5:1-6

इसहाक की पत्नी रेबेका गर्ग्भ्वती हुई तो उसके गर्भाशय में ही उसके दो बेटे याकूब और एसाव आपस में लड़ रहे थे जिससे उसके पेट में को बहुत दर्द होता था तब परमेश्वार ने उसे बताया कि, “तेरे पेट में दो जातियाँ हैं, और तेरे भीतर से दो जातियाँ बँट जाएँगी; एक दूसरे से अधिक शक्तिशाली होगा, बड़ा छोटे की सेवा करेगा।” (उत्पत्ति 25:23) लेकिन परमेश्वर ने इश्माएल से वादा किया था कि यह श्राप बाद में टूट जाएगा। तो अब परमेश्वर ने इश्माएल के पुत्रों को काला सोने (पेट्रोलियम) की अत्यधिक प्रचुरता से आशीर्वाद दिया है। (उत्पत्ति 17:20)

भले ही इजराइल का सफाया हो जाए, लेकिन इस्लाम की यहूदियों के खिलाफ नफरत जारी रहेगी क्योंकि आधे से ज्यादा यहूदी इजराइल के बाहर रहते हैं। यदि आवश्यक हो तो हिंसा से विश्व पर प्रभुत्व स्थापित करना इस्लाम का अंतिम लक्ष्य है। परमेश्वर ने इब्राहीम से वाचा बाँधा था कि वह इराक में फरात और मिस्र में नील नदियों के बीच की भूमि देगा इसलिए आवश्यक हो तो इज़राइल बलपूर्वक अपने राज्य का विस्तार करेगा। (उत्पत्ति 7:12; 15:18)

कुरान इस सौदे की पुष्टि करता है कि अल्लाह ने मूसा और उसके लोगों को यह भूमि देने का वादा किया था, "हे मेरे लोगों, तुम पर अल्लाह के उपकार को याद करो जब उसने तुम्हारे बीच पैगम्बर नियुक्त किए और तुम्हें मालिक बनाया और तुम्हें वह दिया जो उसने किसी को नहीं दिया था।" हे मेरे लोगों! उस पवित्र भूमि में चले जाओ, जिसे अल्लाह ने तुम्हारे लिए ठहराया है । भागना नहीं अन्यथा तुम हारे हुए की तरह लौटोगे।" (कुरान 5:20,21) इसलिए, मुसलमानों के लिए इज़राइल के खिलाफ लड़ना और उन्हें नक्शे से मिटा देना हराम है क्योंकि वो कुरान के बरखिलाफ है।

फिलहाल, यहूदियों ने यीशु को अपने मसीहा के रूप में अस्वीकार कर दिया है, लेकिन क्लेश के दौरान, 144,000 यहूदी राज्य में प्रवेश करेंगे जो अपने साथ बड़ी भीड़ लाएंगे जिसे कोई गिन नहीं सकता ।  (उत्पत्ति 7:1-10)

इसी तरह, अरब मुसलमानों के कुलपिता इश्माएल के पुत्र केदार और नबायोथ के बारे में बाइबिल की भविष्यवाणी की गयी है  कि, “मिद्यान और एपा और शेबा से ऊंटों की एक टोली आएगी; वे सोना और धूप ले आएंगे, और यहोवा का भजन गाएंगे। केदार की सब भेड़-बकरियां तेरे पास इकट्ठी की जाएंगी; नबायोत के मेढ़े तुम्हारी सेवा टहल करेंगे। वे मुझे प्रसन्न करते हुए मेरी वेदी पर चढ़ेंगे, और मैं अपने महिमामय भवन की महिमा करूंगा। (यशायाह 60:6,7)

कई आक्रमणकारियों ने आकर इज़राइल के खिलाफ लड़ाई लड़ी और उस पर बेरहमी से शासन किया। रोमन सरकार ने इज़राइल का नाम बदलकर फ़िलिस्तीन कर दिया, जिसका अर्थ है "आक्रमणकारी" जो 12वीं शताब्दी ईसा पूर्व में ग्रीस के दक्षिण में एक द्वीप क्रेते से आए थे। पहले इस क्षेत्र में रहने वाले सभी लोगों को फ़िलिस्तीनी कहा जाता था। इजराइल की पूर्व प्रधान मंत्री गोल्डा मेयर के पास फिलिस्तीनी पासपोर्ट था।

यरूशलेम और यहूदी आर्मिगेद्दो तक युद्धों का केंद्र बने रहेंगे, जब महान क्लेश के अंत में सभी युद्धों को समाप्त करने के लिए भयानक युद्ध होगा। फिर, श्वेत सिंहासन पर अंतिम न्याय से पहले प्रभु यीशु का एक हजार साल का धार्मिक शासन होगा, और प्रभु यीशु अपने लोगों के बीच डेरा करेगा और राजाओं के राजा और प्रभुओं के प्रभु के रूप में हमेशा हमेशा के लिए शासन करेगा।

इसलिए, हालांकि यह अभी असंभव लग सकता है, लेकिन बाइबिल के अनुसार यह युद्ध, जो रेबेका के गर्भ में शुरू हुआ था, तभी समाप्त होगा जब यहूदी और मुस्लिम, दोनों शांति के राजकुमार यीशु को अपने प्रभु और उद्धारकर्ता के रूप में स्वीकार करेंगे।

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