सारी जातियों के लोगों को चेला बनाने के लिये महान आदेश

 महान आदेश :

जब यीशु ने अपनी पृथ्वी पर की सेवकाई प्रारम्भ की, उन्होंने चेलों से जो पहली बात कही वह यह थी कि वे उन्हें मनुष्यों के मछुवे बनाएंगे। तब यीशु ने अपनी सेवकाई के दौरान केवल यही करने का प्रशिक्षण दिया। यीशु ने जो अन्तिम कार्य किये वह उन्हें महान आदेश देने का था, जिसके द्वारा उन्होंने आज्ञा दिये कि वे पृथ्वी की छोर तक जाएं और सारी जातियों के लोगों को चेला बनाएं। 

इसके बहुत से महत्वपूर्ण भाग हैः 

जाओः फरीसियों ने यीशु को डराने की कोशिश की और प्रभु से कहे कि हेरोदेश उन्हें मार डालना चाहता है और इसलिये उन्हें छिप जाना चाहिये। यीशु ने उन फरीसियों से कहा, ‘‘जाकर उस लोमड़ी से कह दो कि मैं आज और दुष्ट आत्माओं को निकालता और बीमारों को चंगा करता हूं और तीसरे दिन पूरा करूंगा (लोगों के लिये प्राण दूंगा) तौभी मुझे आज और कल और परसों चलना आवश्य है (लूका 13ः31-33)। इक्लीसिया परमेश्वर की सेना है और महान आदेश आगे बढ़ने की आज्ञा है। 

जातीयः यीशु ने उनके पास आकर कहा कि, ‘‘स्वर्ग और पृथ्वी का सारा अधिकार मुझे दिया गया है, इसलिये तुम जाकर सब जातियों के लोगों को चेला बनाओ और उन्हें पिता और पुत्र और पवित्र आत्मा के नाम से बपतिस्मा दो, और उन्हें सब बातें जो मैंने तुम्हें आज्ञा दी है मानना सिखाओ’’। (मत्ती 28ः18-20)

भौगोलिकः ‘‘और यरूशलेम, और सारे यहूदिया और सामरिया में और पृथ्वी की छोर तक मेरे गवाह होगे’’ (प्रेरितों के काम 1ः8)।

सांख्यकीयः तुम सारे जगत में जाकर सारी सृष्टि के लोगों को सुसमाचार प्रचार करो। जो विश्वास करे और बपतिस्मा ले उसी का उद्धार होगा, परन्तु जो विश्वास न करेगा वह दोषी ठहराया’’। (मरकुस 16ः15,16)

वैश्विक (पूरे विश्व का): ‘‘इसके बाद मैंने दृष्टि की और देखो हर एक जाति और कुल और लोग और भाषा में से एक ऐसी बड़ी भीड़ जिसे कोई गिन नही सकता था श्वेत वस्त्र पहिने और हाथों में खजूर की डालियां लिये हुए सिंहासन के साम्हने और मेम्ने के साम्हने खड़ी हैं’’। (प्रकाशित वाक्य 7ः9)

दूसरे शब्दों में इक्लीसिया को सारी जातियों को पूरा सुसमाचार सुनाना चाहिये, सभी जातियों को बपतिस्मा देना चाहिये, सारी जातियों को प्रचार कार्य हेतु तैयार व सुसज्जित करना चाहिये, और उन्हें प्रचार कार्य हेतु भेजते जाना चाहिये। 

यह आदेश लैंगिक पूर्वाग्रह से ग्रसित नहीं है, और यह सभी विश्वासियों के लिये है जिसमें पुरूष और स्त्रीयां दोनों सम्मिलित हैं। वह उन्हें अधिकार देता है कि चेले बनाएं, बपतिस्मा दें, उन्हें तैयार व सुसज्जित करें और भेजें। जब यह पूरा होग, सारी मानव बस्तियां परमेश्वर की महिमा के ज्ञान से भर जाएंगी जैसे समुद्र पानी से भरा रहता है (हबक्कूक 2ः14)। इसके साथ साथ, ‘‘हर एक जीभ अंगीकार करेगी कि यीशु मसीह ही प्रभु हैं और हर एक घुटना टिकेगा और उसकी आराधना करेगा’’ (फिलिप्पियों 2ः9-11)। यह इक्लीसिया का वास्तविक कार्य है और बाकी का सब कुछ लकड़ी, घांस फूस है (1कुरिन्थियों 3ः12-14)

प्रभाव रहित सुसमाचार से भीड़ को बचाने वाले सुसमाचार तकः विश्व में लाखों गांव और कसबे हैं। प्रत्येक मनुष्य को सुसमाचार से साम्हना कराना चाहिये, जब तक वह उसे स्वीकार या अस्वीकार न कर दे। जब तक प्रत्येक गांव और मानव बस्ती की अपनी इक्लीसिया नहीं हो जाती हम नहीं कर सकते कि पूरा विश्व सुसमाचार प्रचार से भर गया है। इस इक्लीसिया के लिये यह असम्भव होगा कि वह एक ढांचागत संरचना वाली कलीसिया हो जिसके पास बहुत से भवन और पेशेवर कर्मचारी हों। और यह प्रचारकीय और आत्माओं को बचाने के परम्परागत तरीकों से भी नहीं हो सकता। यद्यपि संत पौलूस ने यह दावा किया था कि उसने यरूशलेम से लेकर इलिरिकुम तक सब जगहों पर सुसमाचार प्रचार कर चुका है, और वहां कोई भी जगह बाकी नहीं बची है, जहां सुसमाचार नहीं पहुंचा हो, यथार्थ में उसने वहां बहुत थोड़ी सी क्षेत्रिय असैम्बलियों को स्थापित किया था परन्तु ‘‘क्लस्टर जैसे प्रभाव’’ के कारण, (नोटः युद्ध क्षेत्र में जब बम विस्फोट होता है तब उसके गरम जलते हुए धातु के टुकड़े बहुत दूर दूर तक छिटक कर गिरते हैं और भारी तबाही करते हैं उन्हें कलस्टर कहते हैं।) वह पूरे क्षेत्र असैम्बलियों से भर गया था। उदाहरण के तौर पर, इफिसुस में उसके कार्य के द्वारा जहां उसने दो वर्षों तक चिन्ह और चमत्कार किये और वाद विवाद कर करके लोगों को समझाता रहा, यहां तक कि सारे आसिया में लोगों ने सुसमाचार सुन लिया। आज हमारे लिये यह बिलकुल सही नमूना है। (1कुरिन्थियों 1ः7; प्रेरितों के काम 19ः10)

यीशु जो ‘‘जाओ’’ का महान आदेश देने वाले हैंः महान आदेश, ‘‘जाओ’’ एक आदेश है। यीशु खोए हुओं को ढूढ़ने और उनका उद्धार करने आए (लूका 19ः10)। यीशु प्रतिदिन जाते थे (लूका 13ः33)। वे मन्दिर में प्रचार करते थे (लूका 4ः15)। वे घरों में शिक्षा देते थे (लूका 10ः8-42) वे बिमारों को चंगा करते और दुष्ट आत्माओं को निकालते थे (लूका 4ः40, 41)। जब भीड़ उन्हें रोकने का प्रयत्न करती थी, तो प्रभु एक ही जगह पर रूकने के लिये इन्कार करते थे और उसने कहते थे ‘‘मुझे और नगरों में भी परमेश्वर के राज्य का सुसमाचार सुनाना आवश्य है क्योंकि मैं इसलिये भेजा गया हूं’’ (लूका 4ः43; मरकुस 1ः38)। यीशु परमेश्वर के राज्य का सुसमाचार सुनाते हुए प्रत्येक शहर और गांव में से होकर गए (लूका 8ः1)। यीशु हमेशा इस बात के लिये सजग थे कि और भी भेड़े हैं जो अब तक भेड़शाला में नहीं आई हैं। यह आवश्यक था कि जाएं और उन्हें ढूढें और झुण्ड में ले आएं (यूहन्ना 10ः16)। 

केवल दया मत दिखाओ, कुछ करो भीः जब यीशु ने भीड़ को देखा, उनका मन दया से भर गया था (मत्ती 9ः36-38) वे वहां से चले जाते और उन्हें दुष्ट आत्माओं पर और हर एक बीमारी को चंगा करने का अधिकार और सामर्थ प्रदान की और उन्हें परमेश्वर के राज्य का सुसमाचार सुनाने के लिये भेज दिया। (लूका 9ः1-2)। इन बातों के बाद प्रभु ने सत्तर और चेलों को नियुक्त किये और उन्हें दो दो करके भेजा (लूका 10ः1)। आजकल हम अपने पास्टरों को उनके धर्मज्ञान (थियोलॉजिकल) योग्यता के अनुसार अभिषिक्त करते हैं और उन्हें समस्याओं से भरी मण्डलियों को सम्भालने के लिये भेज देते हैं। यीशु ने अपने चेलों को बीमारियों को चंगा करने की और दुष्ट आत्माओं को निकालने की सामर्थ देकर भेजा, और तब उन्हें राज्य को नये नये क्षेत्रों में विस्तार देने के लिये भेजा। उनकी चिन्ता केवल स्थानीय नहीं थी परन्तु पूरे विश्व की थी। यथार्थ में उनकी रूचि केवल मनुष्यों के लिये नहीं थी परन्तु सारी सृष्टि के लिये थी। यीशु ने अपने चेलों को आज्ञा दिये, ‘‘तुम सारे जगत में जाकर सारी सृष्टि को सुसमाचार प्रचार करो, और सारी सृष्टि का परमेश्वर से मेलमिलाप कर दो (मरकुस 16ः15; 2कुरिन्थियों 5ः18-20)

स्वर्गदूत और पवित्र आत्मा इस युद्ध में जुड़ गएः सुसमाचार निरन्तर फैलता गया, यरूशलेम से यहूदिया, सामरिया और पृथ्वी की छोर तक। पिन्तेकुस्त के दिन से पवित्र आत्मा और स्वर्गदूत इस युद्ध में जुड़ गए। प्रभु के एक दूत ने प्रेरितों को मन्दिर के बन्दीग्रह से छुटकारा दिया और कहा जाओ और मन्दिर के गलियारों में खड़े होकर लोगों को सुसमाचार सुनओ प्रेरितों के काम 5ः20। परमेश्वर के एक स्वर्गदूत फिलिप्पुस से कहा, ‘‘उठकर दक्खिन के उस मार्ग पर जा’’ इस पर वह उठा और क्रूस देश के एक उच्चअधिकारी को सुसमाचार प्रचार किया और उसे बपतिस्मा दिया (प्रेरितो के काम 8ः26, 27,35, 38)। आत्मा ने पतरस से कहा, ‘‘उठ और जाकर कुरनेलियुस के घराने को सुसमाचार प्रचार कर (प्रेरितों के काम 10ः19,20)। पौलूस को राज को दर्शन के द्वारा कहा गया, ‘‘मत डर बरन, कहे जा, और चुप मत रह (प्रेरितों के काम 18ः9,10)। 

महान आदेश को मानने वाले, फलों के महान इकट्ठा करने वाले हैंः महान आदेश के मानने वाले मात्र सुसमाचार प्रचारक नहीं है जो बड़ी भीड़ को प्रचार करते हैं और फिर उनके बारे में भूल जाते हैं। और वे स्थानीय अगुवे भी नहीं हैं जो निष्फल। बांझ भेड़ों की चिन्ता करें, परन्तु इसके स्थान पर वे नये विश्वासियों के झुण्ड में चरवाही करते हैं और घरेलू इक्लीसियाएं स्थापित करके, जिनकी स्थानीय अगुवों द्वारा अगुवाई की जाती है, उनके विश्वास में मजबूती प्रदान करते हैं (प्रेरितों के काम 14ः23। तब वे नई चरागाहों की तरफ बढ़ जाते हैं ताकि वहां नई भेड़ों को ढूढें और उन्हें इकट्ठा करें (यूहन्ना 10ः16)। 

इक्लीसिया स्थापना के लिये बहुत से सहयोगियों की आवश्यक्ता होती हैः इक्लीसिया स्थापित करने वालों को प्रभावी ढंग से काम करने के लिये बहुत से दूसरे संसाधनयुक्त लोगों की आवश्यक्ता होती हैः 

1. भेजने वाले: प्रेरितों के काम 13ः1-3; रोमियों 10ः14,15

2. सुसज्जित करने वाले: इफिसिसों 4ः11,12

3. मध्यस्थता की प्रार्थना करने वाले: इफिसियों 6ः18; 1तीमुथियुस 2ः8

4. प्रोत्साहन करने वाले: रोमियों 16ः3-16; प्रेरितो के काम 4ः36

5. आर्थिक सहायक: लूका 18ः1-3; 2कुरिन्थियों 9ः6-15; प्रेरितो के काम 11ः29,30। 

6. आश्रय देने वाले: प्रेरितों के काम 16ः14,15; 3यूहन्ना 1ः6-8। 

7. सहायकः रोमियों 16ः2; यूहन्ना 14ः16; इब्रानियों 13ः6

विश्वास में होकर आप पहला कदम लें आगे सब कुछ यीशु करेंगेंः जब परमेश्वर आपसे अपने लिये कुछ करवाना चाहते हैं, तो वे उसके लिये सारे संसाधनों का इंतजाम भी करते हैं। तौभी उसके लिये पहले यह जरूरी है, ‘‘पहिले तुम उसके राज्य और धर्म की खोज तो ये सब वस्तुएं भी तुम्हें मिल जाएगी’’ (यूहन्ना 6ः32,33)। सर्व प्रथम आपको विश्वास में होकर पहला कदम लेना है और तब देखें कि परमेश्वर आपके लिये क्या करते हैं। यदि वे गौरैयों की चिन्ता कर सकते हैं तब आवश्य ही वे अपने सन्तों की देखभाल भी कर सकते हैं। इस महत्वपूर्ण पहले कदम को लेने का ईनाम, आपके द्वारा लगाई गई रकम का सौ प्रतिशत फायदे में मिलेगा ‘‘और जिस किसी ने घरों या भाईयों या बहिनों या पिता या माता या लड़के बालों या खेतों को मेरे नाम के लिये छोड़ दिया है उसको सौ गुना मिलेगा, और वह अनन्त जीवन का अधिकारी होगा’’ (मत्ती 19ः29)।

‘‘आओ चर्च’’ या ‘‘जाओ इक्लीसिया’’: यहां एक तरीका दिया गया है जिससे आप जान सकते हैं कि आपका चर्च ‘‘जाओ इक्लीसिया है’’ या ‘‘आओ चर्च’’ है। उबाऊ भाषण के समय आप सो लीजिये परन्तु उसके बाद रविवारीय सेवा की सूचनाओं को बहुत ध्यान पूर्वक सुनिये। यदि वे कहते हैं, ‘‘सोमवार भ्राता सभा होगी, आईये, मंगलवार महिला सभा है आईये, शनिवार क्वाएर में गीतों के अभ्यास हेतु आईये, रविवार तो आपको आना ही चाहिये परन्तु आप दान लाना न भूलें। तब यह कहने की आवश्यक्ता नहीं कि यह चर्च ‘‘आओ चर्च’’ है और इसका यीशु के द्वारा दिये गए नमूने के ‘‘जाओ इक्लीसिया से कोई लेना देना नहीं है। 

उत्तेजनापूर्ण इक्लीसियाः यीशु की इक्लीसिया ‘‘जाओ’’ के कार्य में बहुत अधिक उत्तेजित रहती है। प्रभु की तरह आपको भी बीमारों को चंगा करने दुष्टात्माओं को निकालने चेला बनाने और उन्हें बपतिस्मा देने और प्रतिदिन नई असैम्बलियां स्थापित करने के लिये बाहर जाना चाहिये। 

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